दोस्तों,
बचपन में देखा होगा, जब बच्चे रोते थे तो बूबू और अम्मा उनको लोरिया गा कर सुलाती थी ! उत्तराखंड क़ी प्रसिद्ध पक्षी घुघती को लोरी गाने में भी इसका जिक्र किया जाता है! वैसे उत्तराखंड के अन्य लोक गीत भी घुघूती का काफी जिक्र है!
लोरी गाने में लोग स्थानीय झोडे, चाचरी आदि आ भी इतेमाल करते थे लेकिन अब यह नहीं रहा! बदलते दौर में छोटे बच्चे भी तड़क भड़क गाने सुनकर ही सो जाते है! फिर भी हमारी यहाँ पर कोशिश रहेगी क़ी अतीत के वो लम्हे एक बार फिर से यहाँ याद करे! हम बचपन की कुछ लोरिया और झोडे यहाँ पर लिखंगे आशा है आप भी अपना सहयोग देंगे!
एम् एस मेहता