Poll

उत्तराखंड में पशुबलि की प्रथा बंद होनी चाहिए !

हाँ
53 (69.7%)
नहीं
15 (19.7%)
50-50
4 (5.3%)
मालूम नहीं
4 (5.3%)

Total Members Voted: 76

Author Topic: Custom of Sacrificing Animals,In Uttarakhand,(उत्तराखंड में पशुबलि की प्रथा)  (Read 60342 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पशुबलि प्रथा को रोकने के लिए  पौड़ी : जिले के कांडा मेले में पशुबलि प्रथा के विरोध मय विजाल संस्था ने अपनी मुहिम तेज कर दी है।

 पशुबलि प्रथा विरोधी संगठनों , विजाल संस्था एवं बाबा गबर सिंह राणा के पशुबलि प्रथा के विरोध में चलाए अभियान के तहत गत वर्ष कांडा मेले में पशुबलि अपेक्षाकृत कम रही। पिछले वर्ष की कामयाबी पर विजाल संस्था ने इस वर्ष भैया दूज के दिन लगने वाले कांडा मेले में पशुबलि रोकने के लिए क्षेत्र में जनजागरण शुरू कर दिया था !


धार्मिक अंधविश्वास के नाम पर मंदिरों एवं सार्वजनिक स्थानों पर पशुबलि प्रथा के विरोध में कांडा मेला क्षेत्र में निजाल संस्था की अध्यक्षा श्रीमती सरिता नेगी के नेतृत्व में ग्राम सभा वेलू , सेमू , साड , कांडा आदि में पशुबलि विरोधी लोगों ने जनजागरण सभा आयोजित की गई जिसमें महिला मंगल दल की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर शिरकत की तथा सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।


कांडा मेले में पशुबलि मनौती करने वाले लोगों से एक स्वर में महिलाओं ने अपील की कि इस वर्ष मेले में बलि के लिए कोई पशु क्रय न करें। मेले में मंदिर में स्वातिक पूजा श्रीफल भेंट व निशान (ध्वजा) व छत्र से ही मनौती पूर्ण करें। महिलाओं ने चेताया कि पशुबलि को मंदिर परिसर में ही नहीं बल्कि दैलवौरी क्षेत्र में नहीं होने दी जाएगी।


पशुबलि के लिए भैंसा व बकरों के क्रय करने का भी पुरजोर विरोध किया जाएगा। महिला मंगल दल की अध्यक्षा श्रीमती अंशा देवी , पुष्पा देवी , कमला देवी आदि ने चेतावनी दी कि मेले में शराब पीकर आने वालों का भी डटकर विरोध किया जाएगा। विजाल संस्था को कांडा मेले में पशुबलि प्रथा के विरोध अभियान में महिलाओं सहित युवा वर्ग ने भी पूर्ण सहयोग का वादा किय था !


उल्लेखनीय है कि पौड़ी जिले के प्रसिद्ध मुण्डनेश्वर , बूंखाल कांडा आदि मेलों में पशुबलि प्रथा बदस्तूर जारी है।। अलबत्ता पशुबलि विरोधी संगठनों के मुहिम सब्लि किए जाने वाले पशुओं में कमी हुई है।

 कांडा मेले में गत वर्ष की विरोधी अभियान की सफलता से उत्साहित विजाल संस्था ने पूर्ण बलि प्रथा समाप्त करने की मुहिम छेड़ी थी जिसमें कुछ मंदिरों में दी जाने वाली बलि को रोकने में कामयाबी भी मिली है !

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
            पशुबलि प्रथा बंद करने का संकल्प


पहाड़ों में बलिप्रथा पर चल रही कशमकश के बीच एक नायाब बदलाव देखने को मिल रहा है। वर्षो से चली आ रही परंपरा को बंद करने के लिए अब ग्रामीण आगे आने लगे हैं। ग्रामीणों का साथ निभाने में पुजारी भी पीछे नहीं हैं। उल्खागढ़ी में तो स्वयं पुजारियों ने बलिप्रथा बंद करने का निर्णय लिया है।

प्रसिद्ध उल्खागढ़ी देवी मंदिर में नवरात्रे पर हर साल बलि देने की प्रथा है। सोमवार को पंचायत भवन में मंदिर के पुजारियों ने एक बैठक की। बैठक में तय किया गया इस बार मंदिर में बलि नहीं होने दी जाएगी। इसकी बजाए सात्विक पूजा होगी। पुजारियों ने जिला प्रशासन से भी मदद मांगी है। पुजारियों ने इस संबंध प्रशासन को पत्र सौंपे पुख्ता सुरक्षा देने का भी आग्रह किया है।

दूसरी ओर डांडा नागराजा मंदिर में भी इस साल से बलि प्रथा बंद कर दी गई है। आसपास के ग्रामीणों ने इस परंपरा को बंद करने का संकल्प लिया है। मंदिर प्रांगण में 13 सितंबर से श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया था। सात दिन तक चली कथा में कापड़, लसेरा, वृसणी, बजूण,  बगनीखाल, दियूसा, बहेड़ाखाल, तेड़ी, नासैण समेत अन्य गांवों के लोगों ने शिरकत की। इस दौरान ग्रामीणों ने पशुओं की बलि न देने का संकल्प लिया।



Source Dainik jagran

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
गाँव में देवी पूजन : अष्टबलि


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1



इस बार गर्मियों की छुट्टियों में बच्‍चे  गाँव जाने के लिए बेहद उतावले थे। क्योंकि घर में आपसी चर्चा में वे जान गए थे कि  इस बार गाँव में देवी पूजन (अष्टबलि) का आयोजन पक्‍का है।


http://kavitarawatbpl.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 353
  • Karma: +2/-0

This should be stopped. It will take time but gradually good awareness can stop this.

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पशु बलि से प्रसन्न नहीं होते भगवान
===================



 हिंदू समाज में पर्वों के दौरान निरीह एवं मूक पशुओं की दी जाने वाली बलि से भगवान के प्रसन्न होेने का कोई भी उदाहरण पुराणों में वर्णित नहीं है। पुराणों के मर्मज्ञ डा. प्रेमबल्लभ शास्त्री का कहना है कि पहले बलिष्ठ पशुओं को पूजा के बाद स्पर्श कराकर उसे मुक्त कर दिया जाता था, लेकिन उसकी बलि कदापि नहीं दी जाती थी। उन्होंने श्रीमद भागवत गीता का उदाहरण देते हुए कहा कि यशोशलभनं न हिंसा।

 अर्थात जो लोग इस रहस्य को न जानकर, दूसरों से भी न पूछकर अपने को ही पंडित समझते हुए ईश्वर के नाम पर पशु मारते हैं या बलि कार्य करवाते हैं, वे मरने के बाद मारे गए पशुओं द्वारा ही खाये जाते हैं।उन्होंने पुराणों का ही उदाहरण देते हुए कहा कि पूजा में हिंसा करने वाला भगवान से विमुख हो जाता है तथा मरने के बाद उसे नरक मिलता है।

डा. शास्त्री का कहना है कि भारत एक कृ षि प्रधान देश रहा है, यहां पशुओं की भी पूजा की जाती है। पहले पशुओं को देव समर्पण करके उनके बलि रूप में मुक्त करना ही प्रधान लक्ष्य हुआ करता था, लेकिन किसी भी रूप में पशु की बलि नहीं दी जाती थी। पुराणों में बलि देने एवं इसके लिए प्रेरित करने वाले व्यक्तियों पर लगने वाले पाप से वह कभी मुक्त नहीं हो सकते।


http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
गंगोलीहाट के इस सदियों पुराने कालिंका मंदिर में अभी दी जाती है पशु बलि
====================================



गंगोलीहाट।  कालिका के मंदिर में सदियों से शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को लगते आ रहे मेले में मंगलवार को भारी संख्या में लोग जुटे। हजारों लोगों ने मां महाकाली की पूजा, अर्चना की। मंदिर में मध्य रात्रि तक कार्यक्रम चले।

चैत्र और आश्विन की अष्टमी का हाट कालिका के मंदिर में विशेष महत्व है। भगवती कालरात्रि की पूजा के लिए नियत इस दिन को महाष्टमी के नाम से जाना जाता है। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मंगलवार को प्रात: 4 बजे से ही मंदिर में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था।

उजाला होते-होते मंदिर में अपार भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर दर्शन के बाद परंपरा के अनुसार लोग गंगोलीहाट बाजार में एकत्र हुए। मेले में शिरकत कर         घर के लिए खरीददारी की। मेले     में बाहरी क्षेत्र से आए व्यापारियों   ने दुकानें सजा रखी थीं।             अपरान्ह 5 बजे तक मेले में खूब भीड़ रही।


महाकाली मंदिर में महाष्टमी पर्व पर मनौती मांगने वाले लोगों ने पशुओं की बलि दी। रात को सिमलकोट गांव के मेहता उपजाति के लोगों ने एक भैंसे और एक बकरे की बलि दी। शयन आरती के बाद रात में 11 बजे मंदिर के कपाट बंद हुए। अन्य दिनों शाम को 7.30 बजे मंदिर के किवाड़ बंद हो जाते हैं। उधर, पांखू के कोटगाड़ी देवी मंदिर में भी आज सैकड़ों भक्त जुटे। मेले में पूरे दिन चहल पहल बनी रही।


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
उल्खागढ़ी मंदिर में बंद हुई बलि प्रथा




 पौड़ी गढ़वाल,  : उल्खागढ़ी में हर दशमी तिथि को चली आ रही बलि प्रथा की परंपरा परम्परा आखिर समाप्त हो गई। इस बार यहां बलि के बजाय दूध-फूल और यज्ञ में आहुतियां देकर पूजा सम्पन्न की गई।

बावन गढ़ों में से एक उल्खागढ़ी में हर साल शरद व चैत्र नवरात्रे की दशमी तिथि को बकरों की बलि दी जाती थी, लेकिन इस बार यहां ग्रामीणों के निर्णय के बाद बलि बंद कर दी गई है। पौड़ी जिले की पट्टी कठुलस्यूं, चलणस्यूं, विडोलस्यूं व घुडदौड़स्यूं के करीब ढाई सौ गांव जुड़े हुए हैं। इन गांवों में इस बार बैठक कर बलि बंद करने का निर्णय लिया गया और क्षेत्र के लोगों ने इसे स्वीकार किया। मंदिर के पुरोहितों के प्रयास से यह हुआ है।

अब उल्खागढ़ी मंदिर में देवी की पूजा सात्विक ही होगी और इस परंपरा में गुरुवार को पुरोहितों ने पूजा के बाद विशाल यज्ञ का भी आयोजन किया जिसमें क्षेत्र के कई गांवों के लोगों ने भाग लिया। ग्राम सभा भट्टी गांव के पंत जाति के लोग इस मंदिर के पुजारी है।

पुजारी लालमणि पंत, वीरेन्द्र प्रसाद पंत, दिगम्बर पंत, कन्हैया लाल पंत, कैलाश पंत समेत अन्य कहते हैं कि इस मंदिर में बलि प्रथा बंद किए जाने के बाद अब अन्य मंदिरों में भी बलि बंद की जाएगी। उन्होंने कहा कि निरीह पशुओं की किसी भी मंदिर में बलि उचित नहीं है।
   


Source Dainik jagran

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22