पशु बलि रोकने के लिए प्रशासन की कवायद तेज
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बूंखाल मेले में पशु बलि रोकने के लिए प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। प्रशासन की ओर से गांव-गांव भ्रमण करके लोगों तक पशु बलि न करने का अनुरोध किया जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि कुछ गांव के लोगों ने पशु बलि न देने का संकल्प लिया है।
आगामी 26 नवंबर को तहसील थलीसैण के तहत बूंखाल कालिंका मंदिर में बूंखाल मेला है, जिसमें बीते कई सालों से हजारों नर भैंसों व बकरों की बलि दी जाती रही है। प्रशासन व स्थानीय संस्थाओं की ओर से बलि रोकने संबंधी मुहिम चलाई जा रही है।
प्रशासन ने इस बार पुश बलि रोकने के लिए कमर कस ली है। जिलाधिकारी एमसी उप्रेती ने पत्रकारों को बताया कि इस बार पशु बलि रोकने के लिए प्रशासन की ओर से गांव-गांव तक संदेश पहुंचाया गया है।
प्रशासन का कहना है कि मलुंड, नलई, गोदा, मथिगांव, नौगांव व चोपड़ा के ग्रामीण बलि बंद करने के लिए तैयार हो गए हैं और इस बार बूंखाल में बलि बंद हो जाएगी। डीएम ने बताया कि 25 नवंबर को बूंखाल मंदिर समिति सात्विक यज्ञ करेगी। इस यज्ञ में स्थानीय लोगों की भी हिस्सेदारी होगी।
उल्खागढ़ी को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि भट्टी गांव के लोग उल्खागढ़ी में बलि करते थे और इस बार वे बूंखाल के गांवों में प्रचार प्रसार अभियान में जुटे हैं।
प्रचार-प्रसार समिति में घनश्याम पंत, सुखराम पंत, पवन, यशराम, कैलाश, सूरज मणि समेत अन्य लोग शामिल रहे। जिलाधिकारी ने बताया कि बूंखाल में बलि रोकने की दिशा में पूर्व सैनिक भी आगे आए हैं और इससे बलि रुकने की संभावनाएं और अधिक बढ़ गई है।
Source Dainik jagran