सनगाड़ मंदिर में बलि के बदले देनी होगी दक्षिणा
बागेश्वर : सनगाड़ मंदिर में लगभग 500 साल पुरानी बलि प्रथा तो पिछले सप्ताह ही बंद करने का निर्णय ले लिया गया था लेकिन पहली नवरात्र को मंदिर में बलि के बदले दक्षिणा चढ़ाने की नई परंपरा शुरू की गई है।
पहली नवरात्र को मंदिर कमेटी और श्रद्धालुओं की बैठक आयोजित की गई, जिसमें बलि प्रथा को हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया। कमेटी व श्रद्धालुओं ने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए यह फैसला ले रहे हैं। निरीह पशुओं की बलि हमेशा के लिए बंद की जाएगी, लेकिन मंदिर में आयोजित होने वाला सनगाड़ मेला और भव्य व आकर्षक बनाया जाएगा।
कमेटी ने मांग की कि शासन प्रशासन भी मेला आयोजन के लिए कमेटी को समय समय पर धन मुहैया कराये ताकि मेला संचालित किया जा सके। एसडीएम केएस टोलिया, तहसीलदार मदन सिंह ने भी ग्रामीणों व मंदिर समिति के फैसले की सराहना की है। बैठक में समिति के अध्यक्ष राजेंद्र महर, क्षेपंस दीपा महर, प्रधान सुरेश महर व मोहन सिंह महर, धन सिंह भौर्याल, धन सिंह बाफिला आदि मौजूद थे।
अंतिम फैसला फूल उठाकर हुआ
बलि प्रथा बंद की जाए या फिर जारी रखाजाए, इस बात का फैसला पहली नवरात्र को फूल उठाकर किया गया। फूल उठाकर ही गांव के अधिकतर पेचीदे मामले सुलझाए जाते हैं। फूल उठाना एक किस्म का लाटरी सिस्टम है।
मंदिर के शक्ति स्थल में हां व ना के दो फूल रखे जाते हैं। अबोध बच्चे से एक फूल उठाने को कहा जाता है, जो भी फूल बच्चे ने उठा दिया उसे दैवीय आदेश माना जाता है। बलि प्रथा में भी यही किया गया बच्चे ने नहीं का फूल उठाया, जिससे यह माना गया कि देवता भी यही चाहते हैं कि बलि नहीं हो।
बलि के बदले दी 5 हजार की राशि
बलि प्रथा के बदले मंदिर को दक्षिणा देने की परंपरा शुरू हो गयी है। श्रद्धालु राजेंद्र सिंह राठौर ने मंदिर में मनौती मांगी थी। पूरी होने पर इस नवरात्र में अष्टमी के दिन बकरा काटना था, लेकिन मंदिर समिति के फैसले के बाद राजेंद्र सिंह राठौर ने मंदिर में बलि न देते हुए 5 हजार की राशि मंदिर को दक्षिणा स्वरूप दी। दक्षिणा के साथ ही मंदिर में नई परंपरा की शुरूआत हो गयी है।
Source Dainik Jagran