Author Topic: Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान  (Read 178768 times)

Bhishma Kukreti

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 फ़ूड स्टाइलिंग  अर्थात  भोजन प्र्स्तुतिकरण कला
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फ़ूड  फोटोग्राफी वास्ता  फ़ूड स्टाइलिंग पर कुछ   ध्यान दीण  लैक बथ
 फ़ूड फोटोग्रॉफी वास्ता  फ़ूड स्टाइलिंग , भाग - 2
जसपुर तैं  छायाचित्रों द्वारा प्रसिद्धि दिलाण वळ  फोटोग्राफर श्री चंद्र मोहन जखमोला तैं  समर्पित
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   भीष्म कुकरेती  यदि विश्लेषण करे
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 फोटोग्राफी वास्ता फूड स्टाइलिंग अर्थात प्रस्तुतिकरण , अर  भोजन प्रस्तुतिकरण वास्तव म एक कला च , एक शिल्प च , कौशल च।  भोजन प्रस्तुतिकरण याने फोटो या वास्तव म देखि लाळ  चूण मिसे जा , भूख जग जा। 
 फूड स्टाइलिंगौ  अर्थ हून्द  भोजन इन सजाण कि   सजायुं भोजन  स्वादिस्ट अर  ताजो , फ्रेस लगो।  जब हम खाणा  खांदवां  त हमर भौत सी इंद्री जन  सुंगण , स्वाद , दिखण , स्पर्श (गरम , ठंडो , मुलैम  आदि ) - नाक , जीव , आंख , त्वचा अर कंदूड़ तक  सक्रिय ।  जबकि फोटो म केवल आंख इन्द्रिय ही सक्रिय हूंद।  बस   फोटो मगक  भोजन  देखि स्वाद , स्पर्श अर गंध को आभास हूण  चयेंद।  यु सब  फ़ूड स्टाइलिंग से संभव च।  भोजन स्टाइलिंग  से दर्शक का स्वाद ग्रंथि , दृश्य ग्रंथि , गंध ग्रंथि कार्यावनित हूण  चयेंद .
 भौत सा  लोक सोशल मीडिया म  भोजन बि बढ़िया सजांदन , फोटो बि ठीकि  लीन्दन किन्तु दर्शक तै आकर्षित नि कर  सकदन किलैकि भांड  भोजन  कु  स्टैंडर्ड का साथ मेल नि खांदो या खपटणा जन प्लेट म शाही कोरमा परोसे जाय तो प्रस्तुतिकरण बेढंगा ही बोले जाल।  या प्लेट कु  रंग म कॉन्ट्रास्ट नि  हूण से भोजन म निखार नि  दिखेंद।  त  फोटोग्राफी से पैल  स्टाइलिंग  पर पूरो ध्यान हूण  आवश्यक च I
 फोटोग्राफी वास्ता फूड  स्टाइलिंग को कार्य च दर्शक की स्वाद , गंध व दृश्य ग्रंथि सक्रिय करण अर अमाशय म भूख जगाण  व वै  भोजन की इच्छा जगाण।
  उन  दिखे  जाय त  समाजम भौत सि महिलाओं क कुकिंग की प्रशंसा अधिक हूंद अर  विश्लेषण करे जाव तो पाए जांद कि प्रशंसित महिलाओं क भोजन प्रस्तुतिकरण व भोजन परोसण  म ंहरत हूंदी। या ही फोटो ग्राफ़ी म फ़ूड स्टाइलिंग को महत्व हूंद। 
  जन कि  एक मेकअप मैं फोटोग्राफी वास्ता कार्य करदो  ऊनि  फूड फोटोग्राफी वास्ता फ़ूड स्टाइलिंग महत्वपूर्ण च। 
 रसोइया कार्य भोजन तै स्वादिस्ट बणानो च तो फोड़ स्टाइलिंग को उद्देश्य भोजन तै स्वादिष्ट दिख्याणो  हूंद। 
 आकर्षक फ़ूड स्टाइलिंग से आकर्षक फोटो लिए जांद  अर  आकर्षक फोटो से सोशल मीडिया म प्रसिद्धि मिलदी व होटल या भोजन खलाण  वळ  व्यापारियों तै प्रसिद्धि मिलदी। 
होटल म फ़ूड स्टाइलिंग से होटल कु नाम प्रसिद्ध हूंद। 

 सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती
 


Bhishma Kukreti

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     आयूर्वेदिक  खाणा , झंगोरा गैथ फाणू, रायता ओर सलाद
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रैसिपी सामग्री
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 रूसाळ: उषा बिजल्वाण
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एक कटोरी झंगोरा,
एक कटोरी गैथ दाल,
दही,टमाटर, प्याज हरी मिर्च दो खीरा ,
थोड़ा जीरा पाउडर ,
काला नमक
,चुटकी भर हींग
, एक चम्मच सफेद नमक।
विधि
गैथ दाल को धोकर रात भर के लिए पानी में भिगो दें सुबह दाल को मिक्सी में दरदरा पीस लें
गैस में लोहे की कढ़ाई पर दो चम्मच तेल डालें उसमें जीरा हींग,जख्या , प्याज और लहसुन का तड़का डाल दें जब वह अच्छे से भुन जाए तब उसमे पीसी दाल डाल दें धीमी आच पर लगभग आधा घंटा पका ले लीजिए तयार गैथ का फाणा I
रायता - दही को अच्छे से फेंट लें अब उसमे कसा खीरा ,काला नमक , एक बारीक कटी हरी मिर्च, बारीक कटा प्याज चुटकी भर बारीक कटा पुदीना डाल दें और मिक्स कर ले जीरा पाउडर और पुदीना से गार्निश करें.
सलाद - साथ मे खीरा,टमाटर और प्याज का हरा भरा सलाद I
झंगोरा – कुटे झंगोरा को साफ़ कर लें व एक घंटे के लिए भीगा दें . तब झंगोरा को डिगची, छोटा भड्डूनुमा प्रेशर कूकर में २ अंगुल पानी उपर पानी में पकाएं I

Bhishma Kukreti

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मक्खन (नौणी  से घी बनाने की विधि
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रुपेश कुकरेती -


इसे कहते हैं नौणी...यान बंडदू है घी....इससे घी बनने की विधि इन है....सबसे पहले छन्नी(गौशाला) में जाओ वख बिययीं भैंसी या गौड़ी पिजाओ.....रोज गौड़ी भैंसी पिजाने के बाद जो दूध मिला उसे डखुली(दूध रखने का पात्र पहले काठ का रहता था अब चीनी मिट्टी का आजकल बियाम बोलते हैं) में रख दो...इन्नी क्वी आठ दस दिन बाद उस डखुली में रख्यूं दूध जमणे के बाद दै (दही) में बदल जाता है अब इस दै को पर्या में अंखड्यावो(पलट दो)....
पर्या के अन्दर रै डालों अर वीं दै तै छोलो(मथो)...दै छोलने के लगभग अधा घण्टक बाद कभी कभी ज्यादा टैम(टाइम) भी लग जाता है दै नौणी में बदल जाती है...शेष पाणी वाला भाग छांछ कहलाता है.... अब इस नौणी को कड़े(कढ़ाई) में रखकर आग जले हुये चुल(चूल्हे) में रखो...चुल में रखते ही ये नौणी थड थड थड़कने के बाद गौल(गल) जाती है और घी में बदल जाती है अब उस कड़े(कढ़ाई) में रखे हुये घी को छानो बच्यूं शेष भाग मयडु कहलाता है उस मयडु को चुनक(मण्डवे की) रुट्टी में लगाके खावो परम आनन्द की प्राप्ति होती है....पहले कैक भी घौर में छांछ छोलने की खबर पूर गाँव में आग की तरह फैलती थी छांछ अधिकतर या तो रात को या फिर सुबेर के टैम में छोली जाती थी तो सुबेर सब उस घौर में अपनी अपनी परोठी लेके आ जाते थे छांछ लेने के लिए.....कि दिन में खट्टू पल्यो बनायेंगे और सपोडा सपोड़ करके खायेंगे....मुर्या लूण के साथ...नौणी तै मुखड़ी पे लगाने से मुखड़ी चिपली और चमन चट(साफ) रहती है....क्वी क्वी लोग तो नौणी में भी पुटुक भौर के रुटुुल खा लेते हैं....नौणी तै डा पर(चोट लगे स्थान पर) लगाने से डा भी मौल(ठीक हो) जाता है....त या छे नौणी गुंदकी से घी बनने की विधि..

Bhishma Kukreti

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  उत्तराखंड का पारम्परिक  आयुर्वेदिक  कच्चा पपीता भरवां परोठा पाक विधि
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उत्तराखंडौ   पारम्परिक   आयुर्वेदिक   पकाणै  पाक विधि
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 उत्तराखंडी पारम्परिक  आयुर्वेदिक   पकाने की पाक विधि
  Recipe of Ayurvedic Traditional Recipe of  Papaya Stuffed  Paratha
 पहाड़ी भोजन  अर्थात  आयुर्वेदिक   भोजन   !
उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - १७ 
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part- 17 
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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पपीता उत्तराखंडौ पुरण  वनस्पति  नी च अर पहाड़ों म शीत /खारुपड़न /ओस पड़न  कारण कम उत्पादन हूंद , मैदानी इलाकों म भरपूर हूंद।  पहाड़ों म कम पैदावर हूण से अमूनन आम  पहाड़ी पपीता टी उपेक्षा ही करद जनकि  उत्तराखंडम   कम से कम २०० वर्षों से पपीता उगाये जांद किन्तु अभि बि  पारम्परिक भोजन म स्थान नि  मील।  जबकि  पपीता दगड  अयां  , अल्लू , मर्सू ,    कद्दू , खीरा  /   मुंगरी , मकई व लीची तै पारम्परिक भोजनो  दर्जा मिल्युं च समाज से। 
    आज कच्चो  पपीता  का भर्यां  रुटि पकाणौ  ब्यूंत बताये जाली -
कच्चा पपीता भरवां परोठा  पकाणो  कुण समान - मात्रा आवश्यकतानुसार
कच्चो पपीता - ५०० लगभग याने अद्धा 
ग्यूं आटो - ४०० से ५०० ग्राम
कड़ु  तेल या घी - द्वी चमच
जीरो -आधा चमच
हौरि मर्च - २  बरीक कटीं
आदो - एक इंच कुरस्यूं  आदो (कद्दूकस कर्युं )
लूण - स्वाद अनुसार
कट्युं हौर धणिया - एक चमच
सहभोजन
घी/ नौणी  - 
चटनी
दही
अचार या टोमेटो कैच अप
भुज्जी
  कच्चा पपीता भरवां परोठा  पकाणो ब्यूंत /पाक विधि -
 कच्चो पपीता  तै चोलिक क चार फाड़ी  कर दीण, बीज भैर कर दीण   अर  फिर  कद्दूकस पर कुर्सी दीण। 
 इथगाम ग्यूं  क आटु  ओल  दीण  अर कुछ देरौ  कुण  धर  दीण।
 अब कड़ै  तै  चुलम धर  दीण  अर  गरम करण।  गरम कड़ै म तेल डाळि  दीण अर तेल गरम करण।  जीरो अर जख्या डाळि  तड़कण  द्यावो।  अब मर्च , धणिया , आदु  डाळि कुछ क्षण पकावो  फिर कुरस्यूं पपीता  ४ -५ मिनट  पकाण ,  पलटा न खरोळण रौण।
  अब  ये पकयूं कुरस्यूं पपीता भीम  तस्तरी म सळाण  द्यावो।   
जब  चुलम  तवा गरम  करणो  धौर दीण I
 उल्युं  आटो क ग्वाळ  पर बेलन चलैक   ३ इंच व्यास म  बेल दीण रुटि पुटुक  पकायुं   कस्युं पपीता  भोर दीण  अर  फिर बंद करि  फिर  से बेल  दीण अर  आम रुटि आकर तक बेल द्यावो अर तवा म पकावो . आधा पकणो  बाद उल्टा  द्यावो अर  जन  रोट पक जावो तो चाहो घी  या तेल म म पराठा  पकाई सकदा।   यि इनि  पकाण  जन  भरीं   रुटि  पकाये जांद। 
  गरम  गरम  पराठा   परोसो या सळाण  द्यावो।
पराठा  या भरीं  रुटि  घी , नौणी , चटनी , दही अचार या कैचप, भुज्जी   क दगड़  खाये सक्यांद। 
 एक दुसर तरीका बि  च . पकायुं पपीता तै आटो  दगड़  मिलैक ओलो   अर पराठा बणा ल्यावो। 
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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2021
उत्तरखंड की   आयुर्वैदिक पारम्परिक भोजन  पका कला , Recipe for Ayurvedic  Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की आयुर्वेदिक   पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की  आयुर्वेदीय पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर ; गढ़वाल में    पारम्परिक  आयुर्वेदिक  कच्चा पपीता भरवां परोठा पाक विधि। कुमाऊं में    पारम्परिक  आयुर्वेदिक  कच्चा पपीता भरवां परोठा पाक विधि  ; हरिद्वार में   पारम्परिक  आयुर्वेदिक  कच्चा पपीता भरवां परोठा पाक विधि


Bhishma Kukreti

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  दही बडा  बनाने  की रेसिपी
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ऊषा बिजल्वाण
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दही बडा  हेतु सामग्री-
छिलका रहित उड़द दाल एक कटोरी किशमिश 100 ग्राम दही ढाई सौ ग्राम तलने के लिए तेल काला नमक, भुना जीरा , भुजिया अनार चाट मसाला हरा धनिया पुदीने की हरि चटनी और इमली की मीठी चटनी विधी- दाल का पानी निकालकर दाल को मिक्सी में बारीक पीस लें अब दाल को किसी बावल में निकाल कर अच्छे से फेंट ले छोटी छोटी गोली निकाल कर किसी बेस पर चार पांच किशमिश भरकर गुजिया का शेप दे दे कढ़ाई में तेल डालें और गैस पर गरम होने के लिए रख दें अब धीरे-धीरे करके एक एक बड़े को डालकर सुनहरा भूरा होने तक तल ले किसी बर्तन में पानी लेकर सारे बड़ों पानी में डाल दे ,
  दही को भी अच्छे से फेंट लेऔर उसमे चीनी मिला दे अब दही बड़ों को निचोड़ कर एक प्लेट में निकाल दें सजावट अवश्य - उसके ऊपर दही के ऊपर हरी चटनी उसके ऊपर लाल चटनी जीरा पाउडर काला नमक भुजिया और अनारदाना लो तैयार है आप का दही बड़ा I
सर्वाधिकार @ उषा बिजल्वाण

Bhishma Kukreti

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   आयुर्वेदिक ताजे आम की मिट्ठी चटनी

रेसिपी – प्रेमलता सजवाण
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समान -
कच्चे आम - 500 ग्राम
चीनी - 1 कप
खजूर - 6 से 7 (बारीक पतले कटे हुए)
लाल मिर्च पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच से कम
भुने जीरे का पाउडर - 1/2 छोटी चम्मच
अदरक पाउडर (सोंठ पाउडर) - 1/4 छोटी चम्मच
काला नमक - 1/2 छोटी चम्मच
नमक - 1/2 छोटी चम्मच या स्वादानुसार
===
पकाणो ब्यूंत -
निशा मधुलिका
कढ़ाही गरम कीजिए और इसमें कद्दूकस किया हुआ आम का गूदा डाल दीजिए. इसमें चीनी और आधा कप पानी डाल कर मिला दीजिए. साथ ही नमक और काला नमक भी मिक्स कर दीजिए और इसे ढककर अच्छे से उबाल आने तक पकने दीजिए. इसे बीच बीच में चमचे से चला लीजिए.
उबाल आने के बाद, इसे चैक कीजिए. इसमें अदरक पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला और जीरा डाल मिलाइए. साथ ही खजूर भी डालकर मिला दीजिए. चटनी को मध्यम आग पर गाढ़ा होने तक पका लीजिए.
चटनी के गाढ़ा होते ही चटनी बनकर तैयार है, इसे प्याले में निकाल लीजिए. कच्चे आम की खट्टी मीठी चटनी खाने के लिए तैयार है. इसे आम का जैम भी कह सकते हैं. इस आयुर्वेदिक चटनी को फ्रिज में रखकर 1 से 2 महीने तक खाया जा सकता है. इस आम की चटनी को पूरी, परांठे या ब्रेड किसी के साथ भी खाइए या जब भी आप आलू भल्ले, दही बड़े या कोई भी चाट बनायें, मीठी चटनी (Sweet Mango Chutney) के साथ खायें.
 सर्वाधिकार @ प्रेमलता सजवाण

Bhishma Kukreti

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आयुर्वेदिक अंगूर की चटनी /चटणी रेसिपी
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रेसिपी – प्रेमलता सजवाण

बणाणा कु सगोर

अंगूर,
भुन्यां तिल,
हैरि मर्च, भुन्या
टमाटर,
लूण,
लसुण की चार छः फलि,
 पुदीना,
लिम्बु
अंगूर, भुन्यां तिल, हैरि मर्च, भुन्या टमाटर, लूण, लसुण की चार छः फलि, पुदीना,धणिया सिल्वटु म पीसि कि चटणि तैयार   सिल्वटु म पीसि कि चटणि तैयार।
निंबू डाला चा नि आपकि मर्जि
 सर्वाधिकार @ प्रेमलता सजवाण
परम्परागत  गढवाली  भोजन  आयुर्वेदिक अंगूर की चटणी रेसिपी , परम्परागत  देहरादूनी भोजन  आयुर्वेदिक अंगूर की चटणी रेसिपी परम्परागत  हरद्वार से  गढवाली  भोजन  आयुर्वेदिक अंगूर की चटणी रेसिपी

Bhishma Kukreti

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आम कु खट्टू-मिट्ठु अचार
(Sweet and Sour Mango Pickle)
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पाक कला – अंजना कंडवाल
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1/2 किलो आम
1/2 किलो चिन्नी या गुड़ (या द्वि मिलैक बराबर मात्रा मा)
1/4 चम्मच हल्दी
1/2 चम्मच मिर्च
1/4 चम्मच सफेद लूण
1/4 चम्मच काळू लूण
1/4 चम्मच कलौंजी
1 चम्मच सौंफ
1 चम्मच मेथी
1 चम्मच पिसियूँ जीरु
5-6 गन्देला (करी) क पत्ता
बिधि:- आम थें बरीक बरीक काट ल्या या फिर कोर ल्या। फिर वेमा सभी सामग्री मिले की एक गिलास पाणी डाली हल्की आंच मा शहद के बराबर गाढ़ हूण तक पकावा।
बाद म ठन्दू हूण पन कांच की बरनी या चिन्नी मिट्टी की बरनी मा धैरी द्या।
सर्वाधिकार @ अंजना कंडवाल
 आम , गोभी अचार , आम , करेला आचार , आम , निम्बू आचार , आम,  कटहल आचार, आम लहसुन अचार , आम गीन्ठी आचार  बनाने की रेसिपी श्रृंखला जारी राली


Bhishma Kukreti

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पारम्परिक  आयुर्वेदिक  तैड़ूs  तळ्यां  गुटका  फ्राइड  गुटका  पकाणो  पाक विधि


 पारम्परिक आयुर्वेदिक तैड़ू/रतालू /कंद  के तले  गुटके पकाने की पाक विधि
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 उत्तराखंडी पारम्परिक  आयुर्वेदिक   पकाने की पाक विधि
  Recipe of Ayurvedic Traditional Recipe of  Gutka  of White  Yam

 पहाड़ी भोजन  अर्थात  आयुर्वेदिक   भोजन   !

उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - १८
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part- 18
s  = आधी अ
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 तैड़ू  उत्तराखंडौ  का प्राचीनतम कंद च जु  २००० वर्ष पैल  से पकाये जांद या खाये जांद।
 तैड़ू  कंद का भुज्जी खाये जांद।  तैड़ू  आम तौर पर  सूखी भुज्जी  व पंद्यारि  साग  अर  थिन्च्वणि  बणाइ  बि खाये जांद।  अल्लू , हौर  प्याज आदि   भुज्यूं  दगड़ बि पकाये जांद।
  अब जबकि उत्तराखंडी वैश्विक परिवेश म छन तो  भोजन पकाणो  सगोर बि  बदलणु च।  अब पहाड़ी भोजन पकाणम बि  नित नया प्रयोग करणा  छन।  जनकि  नक्वळो / नास्ता कुण  तैड़ू  तळ्यूं  गुटका। 
 समान -
 तैडू - लगभग  पौण  किलो  या आवश्यकता कथगा  च।
   विशेष  मसाला - भून्युं  जीरा , मर्च , आदो ,  धनिया बीज , काळी मिर्च ,  हींग , सौंफ ,  अमचूर , लौंग काळो लूण तै पीसिक बण्यु  मसाला।
लिम्बु - १
कड़ो  तेल
धणिया  पत्ता

पकाणो सगोर /पाक विधि
सात आठ मिनट  तक तैड़ू तक प्रेसर कुकर म उस्यावो। 
जब  तैड़ू  /रतालू उसि  जावन तो ठंड  हूण  द्यावो।
 उसयां   तैड़ू  तै  छीलि छुक्यल गाडी  दीण।
 अब ये  छिल्यां  तैड़ू  तै बड़ा बड़ा आयत लगभग (  लगभग  १  इंच चौड़ - १ २  इंच लम्बो, १ इंच गहरो  या छूट ।)  म काटि  द्यावो।
 अब  चुलुम  कड़ै  धरी  तेल ग्राम कर द्यावो।  अर कट्यां  तैडू  तै मध्यम आंच म तळ  द्यावो। 
 अब तळ्यां  तैड़ू  गुटका तैयार च। 
वैमा  गुटका  विशेष मसाला मिलाओ।  जु   तीखो चयेणु  त   तो कुछ लाल मर्च चूरा बि  डाळ  सकदा।
खांद  दैं  लिम्बु रस डाळ  द्या।  हरो धणया काटि  डाळो।   
 चाय या अन्य पेय दगड़  स्वादिष्ट आयुर्वेदिक चखना /नास्ता। 

विकल्प -
  तैड़ू  / रतालू गुटका क बोड़ी  दगड़  साग बि  बण  सकद।
 तैड़ू /रतालू गुटका अर  हरी भुज्जी  बि पकाये जांद। 

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2021
उत्तरखंड की   आयुर्वैदिक पारम्परिक भोजन  पका कला , Recipe for Ayurvedic  Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की आयुर्वेदिक   पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की  आयुर्वेदीय पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर ; रतालू /तैड़ू  का गुटका पाक विधि , हरिद्वार की रतालू /तैड़ू गुटका पकाने की रेसिपी , आयुर्वेदिक तैड़ूs / रतालू के  स्वादिष्ट गुटका पकाणो  सगोर


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उत्तराखंडी पारम्परिक  आयुर्वेदिक राज कचौड़ी   पकाने की पाक विधि
  Recipe of Ayurvedic Traditional Recipe of Raj  Kachauri
 पहाड़ी भोजन  अर्थात  आयुर्वेदिक   भोजन   !
उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - १९
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part-19 
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संकलन - उषा बिजल्वाण
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सामग्री –
 
एक कप मैदा एक चम्मच
रिफाइंड तेल
चुटकी नमक भीगा हुआ
 उबली  चना दाल मूंग दाल भुजिया
एक कप दही
धनिया पुदीना की हरी चटनी
इमली की लाल चटनी
जीरा पाउडर काला नमक और अनारदाना
अगर आप चाहे तो आलू भी ऐड कर सकते हैं
एक प्याज बारीक कटा हुआ
एक हरी मिर्च कटी .
 राज कचौड़ी  पाक विधी
 मैदे को एक बॉल में लेकर उसने दो चुटकी नमक एक चम्मच रिफाइंड तेल और आधा चम्मच कॉर्न फ्लोर मिला दे फिर उसको अच्छे से गूद लें दालों को हलके
से उबाल ले मैदे की छोटी छोटी लोइयां वना ले और पूरी की साइज की बेल ले और तल ले और सुनहरी होने पर किसी प्लेट में निकाल कर उसके उपर की परत
निकाल कर उसमें उबली दाल हरी मिर्च बारीक कटा प्याज आलू भरकर उसके ऊपर से दही हरी चटनी लाल चटनी भुना हुआ जीरा काला नमक भुजिया और अनार
से सजा दे और सर्व करें तैयार है राज कचोरी

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सर्वाधिकार @ उषा बिजल्वाण
  उत्तरखंड की   आयुर्वैदिक पारम्परिक भोजन  पका कला , Recipe for Ayurvedic  Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की आयुर्वेदिक   पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की  आयुर्वेदीय पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर ;  देहरादून की  राज कचौड़ी    रेसिपी , हरिद्वार की राज कचौड़ी रेसिपी , श्रीनगर गढ़वाल की राज कचौड़ी रेसिपी


 

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