Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति

Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान

<< < (132/140) > >>

Bhishma Kukreti:
पुलाव इतिहास

सरोज शर्मा (भोजन इतिहास शोधार्थी)
इ तिहास बतांदु च कि पुलाव क जन्म पैल ह्वाई बाद म बिरयानि आई ,पुलाव क बार म ईरानी विद्वान अविसेना क किताबों म जिक्र मिलद ,इलै एक श्रेय ईरान थैं मिलद
पर संस्कृत साहित्य म भि येकि जड़ मिल जंदिन
 
हालांकि चौंलु कि खेति दक्षिण एशिया से मध्य एशिया और पश्चिम एशिया म बहुत पैल भटिक किए जांद, अब्बासी खलीफा जमन भटिक यि चौंल (पुलाव) पकाण क सगोर छाई यि तरीका स्पेन से लेकि एक विशाल क्षेत्र म फैल ग्या,
अफगानिस्तान और सरया दुनियाभर म स्पैनिश पेला और दक्षिण एशियाई पुलाव और बिरयानी विकसित हुयीं
केटी आचार्य क अनुसार भारतीय महाकाव्य महाभारत चौंल और मांस एक साथ पकये जांणक उदाहरण भि मिलद,
पिलाफ क खुण सबसे पैल लिखयूं नुसका दसवीं शताब्दि म फारसी विद्वान इब्नसिना से आंद जौंल अपणि पुस्तक म कै
प्रकार क पिलाफ क वर्णन कर दयाई ,17वीं शताब्दि म ईरानी दार्शनिक मुल्ला सदरा कि कि किताबो मा भि पुलाव क वर्णन आंद।

Bhishma Kukreti:
प्रेसर कुकर कु इतिहास
-
सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
-   
इंग्लैंड मा आर्चीबाल्ड केनरिंग एंड सन्स द्वारा निर्मित 1890 म निर्मित हुयीं,
1679 मा,फ्रांसिसी भौतिक वैज्ञानिक डेनिस पापिन जु भाप पर अध्ययन कनकु प्रसिद्ध छाई वू भि जणै जंदिन वून भोजन पकाण कु समय कम कनकु वास्ते स्टीम डाइजेस्टर कु आविष्कार कार,ऊंक एयर टाइट कुकर म क्वाथनांक बड़ान क वास्ते भाप क दबाव कु इस्तेमाल कार ,जनकैक खाण जल्द बण ग्या, 1681 म पापिन ल अपण आविष्कार क वैज्ञानिक अध्ययन क रूप म लंदन कि राॅयल सोसाइटी क समण प्रदर्शन कार, बाद मा ऊं थैं सदस्य क रूप म चुने ग्यायी,
1864 म स्टटगार्ड क जार्ज गुटब्रोड न टिन क कच्चा लोहा से कुकर कु निर्माण शुरू कार,
1910 मा इंदुमाधव मलिक न स्टीम कुकर कु आविष्कार कार जु IcMIc कुकर नाम से लोकप्रिय ह्वाई, जु चौंल दाल सब्जियों थैं भाप म तेजी से पकै सकदु छाई,
1918 म स्पेन ल जारागोजा क जोस एलिक्स मार्टिनेज कु प्रेसर कुकर खुण पेटेंट किये ग्या, मार्टिनेज न ये थै बुलेटिन ऑफिसियल डे ला प्रोपिडाड इंडस्ट्रीज म पेटेंट संख्या 71143 क तहत ओला एक्सप्रेस नाम दिये ग्या,1924 मा पैल पैल कुकिंग पाॅट बुक प्रकाशित ह्वाई जै थैं जोस एलिक्स न लिख, शीर्षक छाई 360 फार्मुलस डे कोकिना पैरा गुईसर कोन ला ओला एक्सप्रेस,
1938 मा अल्फ्रेड विस्चर न न्यूयार्क म फ्लैक्स सील स्पीड कुकर प्रस्तूत कार,
विस्चर क प्रेसर कुकर सबसे पैल घरेलु उपयोग म लिए ग्या ये कि सफलता न अमेरिका और यूरोपीय निर्माताओ क बीच प्रतिस्पर्धा कु जन्म दयाई, 1939 मा नाम बदलिक प्रैसटो इंडस्ट्रीज, अपणा स्वयं का कुकर बणाण कि शुरुआत कार।

Bhishma Kukreti:
हलवा को  इतिहास
-
सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
-
बनि बनि कु हलवा बणद, जन आटा कु, बेसण कु,राजगिरा, रागी, सूजि ल दाल ल फल सब्जियों कु और बीजों कु खसखस, बदाम, कार्न फ्लार ल बर्फी क तरह जमण वलु हलवा भि बणद,
तुर्की बटिक हलवा कु जन्म ह्वाई, हलवा शब्द कि उत्पत्ति अरबी क शब्द हलव से ह्वाई, बोलै जांद कि तुर्की म तेरहवीं शताब्दि क आसपास दूध खजूर से मिलैक एक व्यंजन बण जैथैं हल्व ब्वले ग्या बाद म ऑटोमन साम्राज्य क समय तरह-तरह क हलवा बणाण खुण अलग पाकशाला बणयै ग्या जख बनि बनि का हलवा बणद छाई, यि हलवा चाशनी म बणै जांद छाई बीजों क पौडर मिलैक जमये जांद छाई, मिश्र मा हलावा बोलदिन, यूक्रेन से ह्वै कि हल्व अमेरिका म 19वी शताब्दि मा पौंछ,भारत मा हलवा मुगलो क दगड़ आई दिल्ली मा वखि बटेक सरया देश मा फैल, लखनऊ का भोजन विशेषज्ञ हलीम अकबर अपणि किताब "गुजिशता लखनऊ मा " जिक्र करदिन कि भारत म हलवा अरब से पर्शिया बटेक भारत आई, हां सूजि क हलवा कि कहानी अलग च ये ल भारत म प्रयोगात्मक रूप म जन्म ल्याई पर यू बणू तभि च जब भैर बटिक हलवा भारत म आई, सत्यनारायण भगवान कि कथा म भोग क रूप म हलवा चढयै जांद इन समझा कि सत्यनारायण कि कथा भि हलवा क प्रचलन क बाद शुरू ह्वाई, हमरा कै भि आदि ग्रन्थ मा हलवा कु कखि जिक्र नी हां लापसी कु उल्लेख मिल जांद, नवरात्र मा हलवा पूड़ी कु चलन भि ज्यादा पुरण नी।

Bhishma Kukreti:
जलेबि क इतिहास
-
सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
-
जलेबी क इतिहास  भि जलेबि कि हि जन गोल च जन जगह उन्नी नाम

जलेबि की शुरुआत हौब्सन - जॉब्सन क अनुसार जलेबी शब्द अरेबिक शब्द जलाबिया या फारसी शब्द जलिबिया से आई, मध्यकालीन पुस्तक 'किताब अल तबीक ,म जलबिया नौ कि मिठै क वर्णन मिलद, जै कि शुरुआत पश्चिम एशिया म ह्वाई, ईरान म या जुलाबिया, जुलुबिया नाम ल मिलद, 10 वीं शताब्दी की अरेबिक पाक कला पुस्तक म ये कि रेसिपी मिलद, 17 वीं शताब्दी म भोजन कुटुहला नाम कि किताब म भि और संस्कृत पुस्तक गुणयगुणबोधनी म जलेबि क बारे म लिखै ग्या, भारत मा तुर्की आक्रमणकारियो क दगड़ आई, बोल सकदां कि भारत म जलेबि क इतिहास 500 साल पुरण च, पांच सदियो म यै क रूप मा कई बदलाव हवीं, सर्व व्यापी रूप म जलेबि उत्सव क पर्यायवाची बण गै,
विदेशो म जलेबि
लेबनान म जेलाबिया, ईरान म जुलूबिया, ट्यूनिशिया म ज'लाबिया, नाम से मिलद।
अफगानिस्तान मा जलेबि पारंपरिक रूप म माछौं दगड सर्व किये जांद, मध्यपूर्व मा खये जाण वली जलेबि हमरी जलेबि से कम मिट्ठठी पतली और कुरकुरि हूंद। श्री लंका कि पानी वलालु मिठै जलेबि क प्रकार च जु उड़द और चौंल क आटु से बणद, नेपाल मा जेरी जलेबि कु ही रूप च।

Bhishma Kukreti:
फ्रेंच फ्राइज कु इतिहास
-
सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
-
के. एफ सी KFC  ,कु फ्राइड चिकन ह्वा, मैकडोनाल्ड क बर्गर, यूं क सच्चु साथि फ्रेंच फ्राइज च दुनिया क हर कोणा म मिल जाल, कनाडा म यै क पोटीन रूप प्रसिद्ध च,त पेरिस म स्ट्रीक फ्रिटे, और बेल्जियम म फ्रीटेन, तलयां अलु क यूं टुकडों पर सबया देश अपण दावा ठोकदिन, नाम क अधार से त फ्रांस कि देन मनै जांद, लेकिन अमरीका भि अपड़ दावा ठोकद, वखी कनाडा क क्यूबेक सूबा का लोग अपणी खोज बतंदिन, बेल्जियम क लेखक अल्बर्ट वर्देयन कु दावा च कि फ्रेंच फ्राइज पैल पैल बेल्जियम म बणयै गेन, अल्बर्ट न किताब लिखि कैरेमैंट फ्राइज इतिहास क पन्ना खंगलती च किताब
वु बोलदिन अमेरिकन कु दावा गलत च, असल म फ्रेंच फ्राइज बेल्जियम म सबसे पैल बणये ग्या, जख फ्रेंच भाषा ब्वले जांद,
बेल्जियम म किस्सा मशहूर च कि बेल्जियम क नामूर इलाका म सबसे पैल बणयै गैन, तामूर क बाशिंदो थैं तलयां माछा भौत पसंद छा, लेकिन 1680 म वख की म्यूज नदी जम ग्या, और माछा मिलणा बंद ह्वै गिन त लोगुल अल्लु काटिक तैलिक खाण शुरू कैर दयाई
यखि बटेक फ्रेंच फ्राइज कि शुरुआत ह्वाई, यीं कहानि पर यकीन करण वला लोग बोलदिन फ्रेंच फ्राइज क नाम पैल विश्व युद्ध क दौरान यख बसेरा बणाण वला अमेरिकी सैनिकों ल दयाई किलै कि यख क लोग फ्रेंच बोलदा छाई।

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version