Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति

Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान

<< < (135/140) > >>

Bhishma Kukreti:
समोसा ऐ बात क सबूत च कि ग्लोबलाइजेशन क्वी नै चीज नी च
-
सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी )
-
समोसा खाण क बाद ई समझ मा आंद कि कै भि चीज कि पैछाण देश सीमा से तै नि हूंदि,
ज्यादातर लोग मनदिन कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान च लेकिन ऐ से जुड़यू इतिहास कुछ और ही ब्वलद, दरअसल समोसा ईरान क प्राचीन साम्राज्य से आई, समोसा फारसी शब्द संबुशक शब्द से निकल,
समोसा कु जिक्र सबसे पैल 11 वीं सदी म अबुल फजल बेहाकी कि लेखणि मा मिलद, ऊन गजनवी साम्राज्य क शाही दरबार मा पेश किए जांण वलि नमकीन चीज कु जै म कीमा और सूखयां मेवा भवरयां हूंदा छाई,
ऐ थैं खस्ता हूण तक पकये जांद छाई,लेकिन लगातार भारत मा आंण वल प्रवासियो न ऐक रंगरूप बदल दयाई
समोसा भारत मा मध्य एशिया कि पहाड़ियो गुजरिक आई जैकु अब अफगानिस्तान बोलदिन ,
यूं प्रवासियुल भारत मा भौत कुछ बदल साथ हि समोसा क स्वरूप मा भि बदलाव आई,
भारतीय खाण का विशेषज्ञ पुष्पेश पंत का हिसाब से यू किसान लोगो क पकवान बण ग्या, पैल भि ई तलकी ही बणये जांद छाई ,लेकिन ऐ क भितर सूखा मेवा कि स्थान मा भेड़ बकरा क मीट न ले ल्या,समोसा ल हिनदुकुश पर्वत से ह्वै क भारतीय उपमहाद्वीप क सफर तै कार,
भारत म अपणि जरूरत क हिसाब से समोसा पूरी तरह बदलिक अपण हिसाब से बणै दयाई, भारत मा अल्लु मर्च भोरिक स्वादिष्ट समोसा बणयें जंदिन, समोसा मा लगातार बदलाव हूंणू च,कखी भि जाव समोसा अलग ही रूप मा मिललू, एक ही बजार मा अलग अलग दुकानु मा ऐ क स्वाद अलग मिललू।

Bhishma Kukreti:
झंगोरा कि खीर, बिना दूध बिना चिन्नी कि,

सरोज शर्मा सहारनपुर बटिक।

झंगरू ध्वै कि 1/2 घंटा भिगै दयाव- 1/2 कटोरि
अब गरम पाणि म गैस पर चढाव
गलण दयाव, जब गैल जा तब गैस बन्द कैर दयाव अब ये मा 1/2 कटवरि खजूर बीज निकालिक डाल दयाव नारियल कु दूध 1/2 लीटर और केशर भि अच्छा से मिलाव। ह्वै गै तैयार।

Bhishma Kukreti:
कद्दू, मूली क पत्तो कि भुज्जी
-
सरोज शर्मा
-
झंगोरू मा लौकि डालिक पुलाव, और मूंग दाल कि रवटि,
झंगोरू एक कटवर ध्वै क भिगै क, एक छवटि लौकि घीसिक, जीरू एक छवट चम्मच, हींग चुटकी भर लाल मर्च एक छवट चम्मच, हैर मर्च बरीक काटिक कम ज्यादा अपण हिसाब से लूण स्वादानुसार घी एक बड़ चम्मच, तेल गरम कैरिक हींग जीरा कू तड़काव वै मा लौकि डालिक भून ल्याव अब झंगोरू भि डाल दयाव भून ल्याव लूण मर्च स्वादानुसार डालिक चलाव द्वी कटवर पाणि डालिक कुकर क ढक्कन लगै क 2-3 सीटि दयाव, भाप खत्म हुण दयाव अब ढक्कन खोलिक गर्मा गर्म परोसा, जौं क बरत नी उ लोग लासण अदरक प्याज टमाटर हलदी डालिक भि बणै सकदन।

Bhishma Kukreti:
शिमला मर्च कु इतिहास
-
सरोज शर्मा ( भोजन शोधार्थी)
-
शिमला मर्च क नाम से लोगों कि राय च कि शिमला मर्च कि खेति शिमला म हूंद ह्ववैलि इलै एकु नां शिमला मर्च पवाड़।
शिमला मर्च ( कैपसिकम) मूल रूप से दक्षिण अमेरिका कि सब्जी च, वख 3000 साल से ऐकि खेति हूंद।
इन्डियन कुकिंग पुस्तक क अनुसार शिमला मर्च सन 1510 मा अन्नानास और पपिता दगड़ गोवा ल्या छा।
हिमाचल प्रदेश क नौणि विश्वविद्यालय का बागवानि विशेषज्ञ डाक्टर विशाल डोगरा न बताई कि अंग्रेज ऐ क बीज भारत म लैं, शिमला कि पहाड़ी मिट्टी और मौसम ऐ सब्जी क अनुकूल छा उन यखी ऐकु बीज रोप दयाई,
यीं सब्जी क उगण वास्ते यख कु मौसम अनुकूल राय बंपर फसल हूण लगी, लोगो न स्वाच कि शिमला मर्च शिमला मा हि हूंद, बस ऐ क नाम शिमला मर्च पोड़ ग्या पैल या हैर रंग की हि हूंद छै पर आज लाल पीला रंग मा भि मिल जांद।

Bhishma Kukreti:
अचार इतिहास क झरोखों( खिड़की)मा
-
सरोज शर्मा (भोजन मूल शोधार्थी)
-
अचार देशभर मा विभिन्न नामो से जणैं जांद, कन्नड मा उपपिनकायी, तेलगू मा पचादी, तमिल मा उरकाई, मलयालम मा उप्पिलुथू, मराठी मा लोंचा, गुजराती मा अथानू और हिन्दी मा अचार-एक पारंपरिक रूप मा हजारों-हजार वर्ष पिछनै हट जांद, न्यूयॉर्क फूड संग्रहालयो क अचार इतिहास क मुताबिक भारत का मूल निवासी पैल बार टिग्रीस घाटी मा 230बीसि मा उठये ग्या।
भारतीय खाद्य ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड मा इतिहासकार केटी आचाया न नोट कार कि अचार बिना खाण पकाण की श्रेणी मा आंद, हालांकि आजकल भौत सा अचार मा आग कु प्रयोग हूंद, भारत मा अचार कु एक समृद्ध विरासत च, इतिहासकार क बोलण च कि गुरूलिंग देसिका क लिंगापुराना मा पचास प्रकार का अचार कु उल्लेख मिलद, भारत का अचार मूल तीन प्रकार छन सिरका मा, नमक मा, और तेल मा संरक्षित, भारत मा तेल अचार म इस्तेमाल किये जाण वल लोकप्रिय माध्यम च, यू मसलादार भोजन कि आवश्यकता पूरी करद,यात्रा मा भि आदर्श मने जांद।

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version