Author Topic: Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान  (Read 177733 times)

Bhishma Kukreti

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तिल का लड्डू रेसिपी
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सरोज शर्मा
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250 ग्राम तिल
1/2 किलोग्राम मावा
250 ग्राम बूरा
तिलू थै हल्की आंच पर भून ल्याव हल्का गुलाबी
मावा भि हल्की आंच म भून ल्याव
अब तिल और बूरा मावा मा मिलै दयाव मसल ल्याव बढ़िया से ,और लडडू क आकार दयाव थोड़ा तिल भूनिक ऊं मा लड्डू लपेट ल्याव ह्वै गै तैयार सवदि और सेहत मंद लड्डू तैयार।

Bhishma Kukreti

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मिक्स वेजिटेबल,
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सरोज शर्मा सहारनपुर बटिक
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सरया सब्जी (अपणि मनपसन्द) ध्वै क पतल पतल काटिक अलग अलग धैर दयाव प्याज बरीक काटिक, टमाटर बीज निकालिक काटिक अलग धैर दयाव लासण अदरक हैर मर्च बरीक काटिक धैर दयाव अब एक भारी तला कि कड़ै मा सब्जी क अनुसार तेल डालिक हींग जीरा या जखया कु तड़का लगाव अब यै मा लासण अदरक प्याज हैर मर्च डालिक भून ल्याव सब्जी जु देर मा गलद वू पैल डाल दयाव, धीरे धीरे सब्या सब्जी एक एक कैरिक डाल दयाव हल्दी लूण मर्च स्वादानुसार सुखयू धणया भि डालिक भूनिक पकाव बिना ढकयां पकाण धीमी आंचम
पक जाणक बाद बरीक कटयूं हैर धणया से सजाव ह्वै गे सवदि सब्जी तैयार।


Bhishma Kukreti

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आज पाव भाजी

सरोज शर्मा सहारनपुर बटिक

ताजी ताजि ज्वी भि सब्जी आपका पास ह्वा ध्वै कि बरीक काटिक धैर दयाव ,प्याज टमाटर लासण अदरक हैर मर्च भि बरीक काट ल्याव  ,अब ऐक कढ़ै मा एक चम्मच तेल और मक्खन बढ़ चम्मच डालिक गरम कैरिक हींग जीरा कु तड़का लगै कि प्याज भूनिक वै मा अदरक लासण हैर मर्च टमाटर डालिक खूब भून ल्याव तेल छवड़ण तक,हल्दी लूण मर्च सुखयू धणया भि डालिक भूना ,अब यै मा सब्जियां डालिक भून ल्याव हल्की आंच मा थोड़ा पाणि डालिक ढकै दयाव सब्जी गलण तक ,जब गल जाव मैशर न घोट ल्याव पाव भाजी मसला ह्वा त डालिक थडकै क उतार ल्याव माथ बटिक पनीर और मक्खन से सजाव, ह्वै गै सवदि सब्जी तैयार।

Bhishma Kukreti

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एक गिलास कीवी जूसल तरोताजा ह्वे जाओ!
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बलवंत सिंह डंगवाल
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कीवी, हरी सेब और पुदीना रस
य एक भौते भल स्वादिष्ट, स्वाथ्यवर्धक और थोड़ तिख रस छू, जो भरपूर मात्रा मा विटामिन सी द्वारा भरी हुई छू। ताज़ पुदीनल य और ले स्वादिष्ट और भौत तरोताज़ पेय बन जांच्छ्।
अवयव:
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4 ठुल दांड़ कीवी
1 हरी सेब
20 ग्राम ताज पुदीन पात टहनी दगड मा
तरीक:
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कीवी कै छीलबेर जूस निकाल लियो। बाद में हरि सेब और, पुदीनके पात और पूरी ढाँकक रस निकाली लियो। फिर सब जूस के एक साथ मिले लियो। अब छवट गिलासों में पीन वास्ते परोसो, और यदि आपु चाहो तो आइस क्यूब ले डाल सक्छा।
अब भरपूर आनंद क साथ मा यो जूस कैं पियो!
घन्यवाद।
बलवन्तसिंह डंगवाल


Bhishma Kukreti

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आज दही बड़ा बणै।
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सरोज शर्मा
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सामान
500 ग्राम दै
250 ग्राम उड़द दाल
बूंदी थोड़ा-बहुत
विधि /सगोर/रेसिपी
उड़द दाल रात भिगै दयाव ,सुबेर पाणि निथारिक मिक्सर म डाल दयाव वै मा हींग चुटकी भर, एक छवट चम्मच जीरू, लूण स्वादानुसार डालिक पीस ल्याव अब निकालिक छवट छवट पकड़वा तेल मा तल ल्याव ,निवाया पाणि मा डालिक 10 मिनट धैर दयाव, बूंदी भि डाल दयाव दगड़ मा
अब दै फेंट ल्याव थोड़ा-बहुत दूध या पाणि डालिक लूण, लाल मर्च पौडर, थोड़ा-बहुत गरम मसला कालि मर्च चुटकी भर डालिक पतल कैरिक वै मा पकवड़ और बूंदी निचोड़िक डाल दयाव और मिलाव माथ बटिक मर्च पौडर और भुनीयू जीरा से सजाव।
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सर्वाधिकार @ सरोज शर्मा

गढवाली भोजन पाक कला , गढवाली रेसिपी , चौन्दकोट का पारम्परिक भोजन , कोटद्वार का पारम्परिक दही बड़ा


Bhishma Kukreti

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                        रस्वाड़ी
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प्रस्तुत च गढ़वाल की प्राचीन रस्वाड़ी (रसोईघर) कु एक दृश्य लोकभाषा गढ़वाली कविता मा।
A Garhwali Traditional Kitchen of Old Time
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By Mahenda Bartwal
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वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
कुटुंबदरियू अधाण धरियूँ च,
फूळु पुत्यायूँ भात धरियूँ च।
भड्डू पर त्वौरे दाळ धरीं च,
ऐंच मा काँसे बाठुळि धरीं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
साग-पात कू भदयाळू भरियूं च,
तैं मा तवाळो डट्टा धरियूँ च।
डाडुळी दाळ घुमोंण लंगी च,
भातौ पौंळू भि त्यार ह्वयूं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
बन्ठा, गागर पाणि भरियूं च,
ट्वोखुणु तौंका मुंड धरियूँ च।
झंगरवळया घ्यू की कमोळि भरीं च,
नौणी ग्वन्दगी परियळि धरीं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
खित -खित दै कू परवठु भरियूँ च,
लतपत छाँसिन पर्या ह्वयूं च।
माँदण- न्यौतण साज सज्यों च,
कापण पर्ये खाँप अड्यूं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
चुलखंदा दूधे बाट्टी भरीं च,
तै मा बकळी कापड़ि लंगी च।
घ्यू गलायूँ च मयडु बच्यों च,
चौंळू कणकूँ राळ रळायूँ च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
सिल्वटा घर्यो ल्वोंण पिस्यूँ च,
खदरा धरयूँ अर क्वसुडु भरियूँ च।
खारियूं क्वडूँ, कुठार भरियूं च,
डल्वणु, पाथु, स्यौर धारियों च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
( रचनाकार: महेन्द्र सिंह बर्त्वाल)
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित: महेंद्र सिंह बर्त्वाल, स्यूपुरी ( वीरजवाँणा) सतेराखाल, रुद्रप्रयाग। रचना कु मूल उद्देश्य लोकभाषा गढ़वाली का प्राचीन शब्दों कु रिवाज कु संरक्षण च आप सभ्यों कु आशीर्वाद की अपेक्षा मा।


Bhishma Kukreti

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[b]जड्डौं मा शरीर तैं गरम रखणूं गडवली पेय[/b]
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अनिता ढौंडियाल
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गुड़जोली:  गुड का हलवा
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सामान
एक कट्वरी ग्यूं क आटु
एक कट्वरी गुड़
एक छ्वटु चम्मच सौंफ
पांच कट्वरी पाणी
एक बड़ू चम्मच घी
बणाणू सगोर
पाणी मा गुड़ डालिकि गुड़ गलण तक गरम करा
कढै गैसम धैरिकि घी गरम कैरी आटु खूब कैरी भूना
अब गुड़ौ गरम पाणी डालिकि खूब कैरी मिलावा
गुरमुला नि होण चयेंदा सौंफ भि डाल द्या
ह्वैगी तैयार गुड़जोली गरम गरम प्यावा
उन त ये मा ज्यादा कुछ डलणै जरुरत नि होंदी पर मनपसंद सूखा मेवा भि डाल सकदां


Bhishma Kukreti

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अपरि स्वगड़ि का अपरा लगैयाँ अल्लु का "दम अल्लु"
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Premlata Sajwan
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सामग्री - दस बारह अल्लु
भुटणा खुणे तेल
एक मुट्ठ कटीं हैरि कसूरी मैथी
जीरा,राई,जख्या,हींग
लूण,मर्च,हल्दु,धनिया पौडर,भुन्या जीरा पौडर
द्वी टमाटर
हारु धनिया।
सगोर- दस बारह अल्लु ध्वै पौंछि कि राखा।
एक कढै़ मा भूटण जुगा कढु़ तेल ( सरसों कु तेल ) डालि गरम हूण फर वैमा जख्या,राई,जीरा,हींग कु तुड़का डाला। फिर अल्लु डालि कि भून द्यावा।फिर एक मुट्ठ हैरि कसूरी मैथि काटि छिड़क द्यावा। एक ढकणा लगै ढकै द्यावा। दस बारह मिनट पकै कि लूण,मर्च,हल्दु,धनिया मसलु,भुन्यु जीरा मसलु,डालि कि रल्यै मिल्यै द्यावा। अब द्वी बड़ा टमाटर भि बरीक काटि कि डालि द्यावा। जब पकि जालु त मथि भटै हारु कट्यु धनिया बुरबुरे द्यावा।
दम अल्लु तैयार छन।
खावा अर वोट द्ये कि आवा। अपणि पसंदा कि सरकार बणावा। देश बचावा।


 

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