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Festival Dates - उत्तराखंड के विभिन्न त्योहारों एव मेलो को मनाने की निश्चित तिथि

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मेले / त्यौहार का नाम : बैकुण्ठ चर्तुदशी मेला, श्रीनगर
स्थान :  (SRINGAR GARWAL)

मेले / त्यौहार लगने की तिथि : सामान्यतः दीपावली तिथि से 14 वे दिन बाद आने वाले साल का यह पर्व धार्मिक महत्व का है।

मेले / त्यौहार लगने की पृष्टिभूमि :

UTTARAKHAND के गढ़वाल अंचल में श्रीनगर में बैकुंठ चतुर्दशी का मेला प्रतिवर्ष लगा करता है। विभिन्न पर्वों की भांति वैकुण्ठ चतुर्दशी वर्षभर में पडने वाला हिन्दू समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। सामान्यतः दीपावली तिथि से 14 वे दिन बाद आने वाले साल का यह पर्व धार्मिक महत्व का है। इस अवसर पर विभिन्न शिवालयों में पूजा/अर्चना साधना का विशेष महत्व है। गढवाल जनपद के प्रसिद्ध शिवालयों श्रीनगर में कमलेश्वर तथा थलीसैण में बिन्सर शिवालय में इस पर्व पर अधिकाधिक संख्या में श्रृद्धालु दर्शन हेतु आते हैं तथा इस पर्व को आराधना व मनोकामना पूर्ति का मुख्य पर्व मानते हैं। श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मन्दिर पौराणिक मन्दिरों में से है। इसकी अतिशय धार्मिक महत्ता है, किवदंती है कि यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है। इस शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्री राम ने रावण वध के उपरान्त ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति हेतु कामना अर्पण कर शिव जी को प्रसन्न किया व पापमुक्त हुए।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


मेले / त्यौहार का नाम :  माघ मेला, उत्तरकाशी

स्थान : Uttarashi,

मेले / त्यौहार लगने की तिथि :  यह मेला 14 जनवरी मकर संक्राति से प्रारम्भ हो 21 जनवरी तक चलता है।

मेले / त्यौहार लगने की पृष्टिभूमि :

माघ मेला उत्तरकाशी इस जनपद का काफी पुराना धार्मिक/सांस्कृति तथा व्यावसायिक मेले के रूप में प्रसिद्ध है। इस मेले का प्रतिवर्ष मकर संक्राति के दिन पाटा-संग्राली गांवों से कंडार देवता के साथ -साथ अन्य देवी देवताओं की डोलियों का उत्तरकाशी पहुंचने पर शुभारम्भ होता है। यह मेला 14 जनवरी मकर संक्राति से प्रारम्भ हो 21 जनवरी तक चलता है। इस मेले में जनपद के दूर दराज से धार्मिक प्रवृत्ति के लोग जहाँ गंगा स्नान के लिये आते है। वहीं सुदूर गांव के ग्रामवासी अपने-अपने क्षेत्र के ऊन एवं अन्य हस्तनिर्मित उत्पादों को बेचने के लिये भी इस मेले में आते है। इसके अतिरिक्त प्राचीन समय में यहाँ के लोग स्थानीय जडी-बूटियों को भी उपचार के लिये लाते थे किन्तु वर्तमान समय में इस पर प्रतिबन्ध लगने के कारण अब मात्र ऊन आदि के उत्पादों का ही यहाँ पर विक्रय होता है।

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Name of Festivel : Kang Dali Festival

Place : Pithoragarh District

Date of Festivel :  After every 12 yrs.

BACKGROUND :

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The festival of Kang Dali is celebrated by the Shauka tribe of Uttaranchal. The Shaukas inhabit the Chaudas, Vyas and Darma valley in Pithoragarh District.
According to folklore, a boy died on applying the paste of the root of a local shrub called Kang-Dali, on his boil. Following his death, his mother cursed the shrub that the women of the tribe will pull it up when in full bloom, every 12 years. It is believed that since then, a victory dance is performed every 12 years after decimating this shrub in bloom. After the victory dance and the extermination of the shrub, the festival is concluded with a feast.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


NAME OF FESTIVEL : Jadaukhand Festival

PLACE : Pauri Garhwal

HELD l This annual event of celebration is held on 26th January

backgrdound :

Jadaukhand is a prominent festival of Pauri Garhwal District in Uttaranchal. It is an important part of the local culture. It celebrates an historical event of this region. This annual event of celebration is held on 26th January.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Name of Fair : Uttayarni,

Place   : Near Suryu River - Bageshwar

Date :  14 Jan to 16 Jan every year.

उत्तरायणी मेला उत्तरांचल राज्य के बागेश्वर शहर में आयोजित होता है। तहसील व जनपद बागेश्वर के अन्तर्गत सरयू गोमती व सुष्प्त भागीरथी नदियों के पावन सगंम पर उत्तरायणी मेला बागेश्वर का भव्य आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सगंम में स्नान करने से पाप कट जाते है बागेश्वर दो पर्वत शिखरों की उपत्यका में स्थित है इसके एक ओर नीलेश्वर तथा दूसरी ओर भीलेश्वर शिखर विद्यमान हैं बागेश्वर समुद्र तट से लगभग 960 मीटर की ऊचांई पर स्थित है।

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