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Ganesh Chaturthi - गणेश चतुर्थी

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Rajen:
SHREE GANESH POOJA (online)


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पंकज सिंह महर:

भादों   शुक्ला   चतुर्थी   गणेश  चतुर्थी   के   नाम   से    विख्यात   है।इस   दिन    प्रातःकाल    स्नान   करके    सोने,   चाँदी, ताँबे, मिट्टी   या गौ  के    गोबर   से   गणेश   जी    की    प्रतिमा   बनाते   हैं। फिर   नए   घड़े   में   जल   भरकर   उसके   मुँह   पर   नया   वस्त्र   उड़ाकर  उस  पर  गणेश  जी   की   मूर्ति   स्थापित    करें और  पूष्प, धूप-दीप,नैवेद्ध   आदि  से   पूजन  करें। गणेश  जी  को   दक्षिणा   अर्पित  करें   और    आरती   करके   नमस्कार   करें। इस   पूजा   में    २१ लड्डू     रखने   चाहिये। उनमें   से   पाँच    तो   गणेश  जी   की   मूर्ति  के   आगे   और   शेष     ब्राह्मणों   को  देने   के   लिये   रखें।  ब्राह्मणों    के  लड्डू   उन्हें   दक्षिण   सहित  श्रद्धापूर्वक  दे  दें।यह  क्रिया   चतुर्थी   के  दिन   दोपहर  के  समय  करने   की   है। रात्रि  में  चन्द्रमा   के   उदय   होने   पर   चन्द्रमा   का   विधिपूर्वक  पूजन   करके   अर्ध्य     अर्पण   करें।तत्पश्चात   ब्राह्मणों    को   भोजन   कराकर   स्वयं    भी   भोजन   करें। फिर   वस्त्र  से   ढका  कलश   और  दक्षिणा   सहित   गणेश मूर्ति    को   आचार्य  को   देते   हुए   गणेश जी  का   विसर्जन   करें। इससे    सर्वसुख   प्राप्त   होता   है।इस  दिन   चन्द्रमा   का   दर्शन    करना   वर्जित   है।इस   दिन   बच्चों    के   मेंहदी   रचाकर,  मिठाई  और    पैसे   देकर   उनका   सिधारा   किया   जाता   है।

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