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  • गंगा दशहरा/दशौर: June 21, 2010

Author Topic: Ganga Dusshera: Dasaur - गंगा दशहरा: दशौर  (Read 45090 times)

प्रहलाद तडियाल

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #20 on: June 13, 2008, 05:51:38 PM »
dhanybad ho daju....

aap सभी को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाये|

Risky Pathak

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #21 on: June 15, 2008, 09:25:05 AM »
गंगा दशहरा: श्रद्धालुओं के सैलाब से जाम हुआ हरि का द्वार
हरिद्वार, जागरण संवाददताता : गंगा दशहरा के मौके पर पवित्र स्नान के लिए यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों लोगों की भीड़ से शहर में तमाम व्यवस्थाएं धरी रह गई। सड़कों पर जाम से इस देवनगरी की रफ्तार कई घंटे थमी रही। पुलिस की कड़ी मशक्कत के बाद शहर में यातायात व्यवस्था सामान्य हो पाई। इस मौके पर आठ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। पंडितों के बीच तिथि भ्रम को लेकर इस बार गंगा दशहरा दो दिन मनाया गया। बीते गुरुवार को भी पवित्र स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। शुक्रवार को तो श्रद्धालुओं की भीड़ इस कदर बढ़ गई कि व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए प्रशासन व पुलिस को घंटों पसीना बहाना पड़ा।

पंकज सिंह महर

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #22 on: June 16, 2008, 11:09:48 AM »



हिमांशु गुरु की जै हो,
 +१ कर्मा के साथ धन्यवाद, इस संस्कृति के बिन्दु से फोरम को अवगत कराने के लिये।

पंकज सिंह महर

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #23 on: June 16, 2008, 11:13:47 AM »
नमामि गंगे तव पादपंकजं सुरासुरैर्वन्दितदिव्यरूपम् ।
भुक्तिं च मुक्तिं च ददासि नित्यं भावानुसारेण सदा नराणाम् ।।

 
`हे माता गंगे ! देवताओं और राक्षसों द्वारा वंदित आपके दिव्य चरणकमलों को  मैं नमस्कार करता हूँ, जो मनुष्यों को नित्य ही उनके भावानुसार भुक्ति और मुक्ति प्रदान करते हैं।'
 
गंगाजी देव नदी हैं। स्वर्ग से धरती पर इनका अवतरण ज्येष्ट शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ। अत: यह तिथि उनके नाम पर गंगा दशहरा के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस तिथिको यदि बुधवार और हस्तनक्षत्र हो तो यह तिथि सब पापों का हरण करने वाली मानी जाती है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी संवत्सरका मुख कही जाती है। इस दिन दान का विशेष महत्व है ।

पंकज सिंह महर

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #24 on: June 16, 2008, 11:15:39 AM »
गंगा दशहरा पर गंगा-स्नान का महत्त्व

इस तिथि को गंगा-स्नान एवं श्रीगंगाजी के पूजन से १० प्रकार के पापों (तीन कायिक, चार वाचिक तथा तीन मानसिक) का नाश होता है।  इसलिए इसे गंगा दशहरा कहा गया है। (बिना दिए हुए दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्र वर्जित हिंसा करना तथा परस्त्रीगमन करना-ये शारीरिक (कायिक) पाप हैं। कटु बोलना, झूठ बोलना, किसी की अनुपस्थिति में उसके दोष बताना तथा निष्प्रयोजन बातें करना वाचिक पाप हैं। दूसरों की संपत्ति को अन्याय से लेने का विचार, मन से दूसरे का अनिष्ट चिंतन तथा नास्तिक बुद्धि मानसिक पाप हैं।) आपका ब्राउज़र इस छवि के प्रदर्शन का समर्थन नहीं भी कर सकता.
 
भगवती गंगाजी सर्वपापहारिणी हैं। दस प्रकार के पापों की निवृत्ति के लिए इस दिन दान की जाने वाली सभी वस्तुएं दस की संख्या में ही होना चाहिए। स्नान कररते समय गोते भी दस बार ही लगाए जाते हैं। इस दिन सत्तू का भी दान किया जाता है व गंगावतरण की कथा सुनने का विधान है।

पंकज सिंह महर

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #25 on: June 16, 2008, 11:17:26 AM »
गंगा दशहरा व्रत कथा :-

एक बार महाराज सगर ने बव्यापक यज्ञ किया। उस यज्ञ की रक्षा का भार उनके पौत्र अंशुमान ने संभाला। इंद्र ने सगर के यज्ञीय अश्व का अपहरण कर लिया। यह यज्ञ के लिए विघ्न था। परिणामतः अंशुमान ने सगर की साठ हजार प्रजा लेकर अश्व को खोजना शुरू कर दिया। सारा भूमंडल खोज लिया पर अश्व नहीं मिला।

फिर अश्व को पाताल लोक में खोजने के लिए पृथ्वी को खोदा गया। खुदाई पर उन्होंने देखा कि साक्षात्‌ भगवान 'महर्षि कपिल' के रूप में तपस्या कर रहे हैं। उन्हीं के पास महाराज सगर का अश्व घास चर रहा है। प्रजा उन्हें देखकर 'चोर-चोर' चिल्लाने लगी।

महर्षि कपिल की समाधि टूट गई। ज्यों ही महर्षि ने अपने आग्नेय नेत्र खोले, त्यों ही सारी प्रजा भस्म हो गई। इन मृत लोगों के उद्धार के लिए ही महाराज दिलीप के पुत्र भगीरथ ने कठोर तप किया था।

भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उनसे वर माँगने को कहा तो भगीरथ ने 'गंगा' की माँग की। इस पर ब्रह्मा ने कहा- 'राजन! तुम गंगा का पृथ्वी पर अवतरण तो चाहते हो? परंतु क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है कि वह गंगा के भार तथा वेग को संभाल पाएगी? मेरा विचार है कि गंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शंकर में है। इसलिए उचित यह होगा कि गंगा का भार एवं वेग संभालने के लिए भगवान शिव का अनुग्रह प्राप्त कर लिया जाए।'

महाराज भगीरथ ने वैसे ही किया। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छो। तब भगवान शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएँ बाँध लीं। इसका परिणाम यह हुआ कि गंगा को जटाओं से बाहर निकलने का पथ नहीं मिल सका।

अब महाराज भगीरथ को और भी अधिक चिंता हुई। उन्होंने एक बार फिर भगवान शिव की आराधना में घोर तप शुरू किया। तब कहीं भगवान शिव ने गंगा की धारा को मुक्त करने का वरदान दिया। इस प्रकार शिवजी की जटाओं से छूटकर गंगाजी हिमालय की घाटियों में कल-कल निनाद करके मैदान की ओर मुड़ी।

इस प्रकार भगीरथ पृथ्वी पर गंगा का वरण करके बभाग्यशाली हुए। उन्होंने जनमानस को अपने पुण्य से उपकृत कर दिया। युगों-युगों तक बहने वाली गंगा की धारा महाराज भगीरथ की कष्टमयी साधना की गाथा कहती है। गंगा प्राणीमात्र को जीवनदान ही नहीं देती, मुक्ति भी देती है। इसी कारण भारत तथा विदेशों तक में गंगा की महिमा गाई जाती है।

पंकज सिंह महर

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #26 on: June 16, 2008, 11:20:27 AM »
उत्तराखण्ड में गंगा दशहरा

ज्येष्ठ सुदी १० को गंगा दशहरा मनाया जाता है। यह भारत-व्यापी पर्व है। गंगा-स्नान, शरबत-दान इस दिन होता है। परन्तु कुमाऊँ में "अगस्व्यश्च पुलस्व्यश्च" इत्यादि तीन श्लोक एक कागज के पर्चे में लिखकर प्रत्येक घर में ब्राह्मणों के द्वारा चिपकाये जाते हैं। ब्राह्मणों को स्वल्प दक्षिणा पुरस्कार में दी जाती है। वज्रपात, बिजली आदि का भय इस 'दशहरे के पत्र' के लगाने से नहीं होता, यह माना जाता है।

Narendras

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #27 on: June 16, 2008, 12:52:04 PM »
Hi All
Thanks for your effort to remind us about our calture

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #28 on: June 16, 2008, 04:44:20 PM »
Jai ho Mahar ji Maharaj aapne to poori katha hi prastut kar di.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: गंगा दशहरा: दशौर - Ganga Dusshehra: Dashaur
« Reply #29 on: June 16, 2008, 04:44:56 PM »
Narendra ji humara to maksad hi yahi hai.

Hi All
Thanks for your effort to remind us about our calture


 

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