Author Topic: Gauchar and gauchar Fair Uttarakhand, गौचर का ब्यवसाहिक मेला उत्तराखंड  (Read 32940 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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बद्रीनाथ के मार्ग पर स्थित एक छोटा शहर गौचर, अपने ऐतिहासिक व्यापार मेला के लिये प्रसिद्ध है। यह उत्तरांचल के किसी सर्वाधिक बड़े समतल भूमिखण्ड पर अवस्थित है। यह एक लाभदायक भौगोलिक स्थिति है जिसने प्राचीन समय में इसका मान बढ़ाया है और भविष्य में भी विकास में मदद मिलेगी।

 यहां बन रहा हवाई पट्टी गौचर को विकास की ओर अग्रसर करेगा जो अपने आप में एक पर्यटकों के लिये अलौकिक आकर्षण है। अगर सब कुछ गौचर के मास्टर प्लान 2021 के अनुसार हो तो शहर का भविष्य वास्तव में उज्ज्वल है।दोस्तों अगर आप में से किसी के पास भी गौचर का बारे में फोटो और जानकारी हो तो आप यहाँ पोस्ट करें !



यम यस जाखी

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गौचर मेला

मेले किसी भी समाज के न सिर्फ लोगों के मिलन के अवसर होते है वरन संस्कृति, रोजमर्रे की आवश्यकता की पूर्ति के स्थल व विचारों और रचनाओं के भी साम्य स्थल होते है ।

 पर्वतीय समाज के मेलों का स्वरूप भी अपने में एक आकर्षण का केन्द्र है । उत्तराखण्ड में मेले संस्कृति और विचारों के मिलन स्थल रहे है । यहां के प्रसिद्ध मेलों में से एक अनूठा मेला गौचर मेला है ।

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गौचर मेले का स्वरुप

तिब्बत में लगने वाले दो जनपदों पिथौरागढ व चमोली में भोटिया जनजाति के लोगों की पहल पर शुरू हुआ यह मेला उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में जीवन के रोजमर्रे की आवश्यकताओं का हाट बाजार और यही हाट बाजार धीरे-धीरे मेले के स्वरूप में परिवर्तित हो गया ।

 चमोली जनपद में नीति माणा घाटी के जनजातिय क्षेत्र के प्रमुख व्यापारी एवं जागृत जनप्रतिनिधि स्व0 बालासिंह पॉल, पानसिंह बम्पाल एवं गोविन्द सिंह राणा ने चमोली जनपद में भी इसी प्रकार के व्यापारिक मेले के आयोजन का विचार प्रतिष्ठित पत्रकार एवं समाजसेवी स्व.गोविन्द प्रसाद नौटियाल के सम्मुख रखा ।

गढवाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर माह नवम्बर, 1943 में प्रथम बार गौचर में व्यापारिक मेले का आयोजन शुरू हुआ बाद में धीरे-धीरे औद्योगिक विकास मेले एवं सांस्कृतिक मेले का स्वरूप धारण कर लिया ।


http://hi.wikipedia.org

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गौचर मेले की तिथि

मेले में पहले तिथि का निर्धारण हर वर्ष भिन्न-भिन्न होता था, परन्तु आजादी के पश्चात गौचर में मेले का आयोजन भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन के अवसर पर 14 नवम्बर से एक सप्ताह की अवधि तक किये जाने का निर्णय लिया गया ।

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यह मेला संस्कृति, बाजार, उद्योग तीनों के समन्वय के कारण पूरे उत्तराखण्ड में लोकप्रिय बन गया है । मेले में जहां रोज की आवश्यक वस्तुओं की दुकाने लगाई जाती है वहीं जनपद में शासन की नीतियों के अनुसार प्राप्त उपलब्धियों के स्टॉल भी लगाये जाते है ।

मेले में स्वास्थ्य, पंचायत, सहकारिता, कृषि, पर्यटन आदि विषयों पर विचार गोष्ठियां होती है तथा मेले में स्वस्थ मनोरंजन, संस्कृति के आधार पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है । इस हेतु प्रत्येक वर्ष पर्यटन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा अनुदान की धनराशि उपलब्ध कराई जाती है ।

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