लाग बग्वाई, लाग बसंत पंचमी
लाग हर्यावा, लाग बिरुर पंचमी
जी रए, जाग रए
हिमाल में हयू छन तक, गंग ज्यू में पानी छन तक
सिल ल्वाड़ भात खान तक, जात टेक बेर हगन जाण तक
स्याव जै बुद्धि ऐ जो , सि जै तरान
आकाश बराबर उच् है जै, धरती बराबर चकोव
जी रए, जाग रए, बची रए