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Harela Festival Of Uttarakhand - हरेला(हरयाव)

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Risky Pathak:
हरेला: हरयाव

हरेला उत्तराखंड का १ प्रमुख त्यौहार है| हरेला उत्तराखंड की संस्कृति का १ विभिन्न अंग है| ये त्यौहार सामाजिक सोहार्द के साथ  साथ कृषि व मौसम से भी सम्बन्ध रखता है|

हरेला: भिन्न प्रकार के खाद्यानों के बीजो को एक साथ उगाकर, दस दिन के बाद काटा जाता है| 

हरेला साल में तीन बार मनाया जाता है|

१. चैत्र: चैत्र मास के प्रथम दिन बोया जाता है और नवमी को काटा जाता है|
२. श्रावण: श्रावन लगने से नौ दिन पहले अषअड़ में बोया जाता है और १० दिन बाद काटा  जाता है|
३. आशिवन: आश्विन  नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा  के दिन काटा जाता है|

पिठां (तिलक), चन्दन और अक्षत के साथ थाली में रखा हुआ हरेला..

Risky Pathak:
श्रावण मास के हरेला का अपना महत्व है| जैसे की विदित है की श्रावण मास भगवान शंकर के प्रिय मास है, इसलिए इस हरेले को कही कही हर-काली के नाम से भी जन जाता है|

चैत्र व आश्विन मास के हरेले मौसम के बदलाव के सूचक है|
चैत्र मास के हरेला गर्मी के आने की सूचना देता है और आश्विन मास के हरेला सर्दी के आने की सूचना|

Risky Pathak:
हरेला काटने से १० दिन पहले हरेला बोया जाता है|
१ थाली या टोकरी में मिटटी दाल के उसके ऊपर विभिन्न प्रकार के बीज छिडके जाते है| ये बीज ५ या ७ प्रकार के होते है| जैसे गेहूं, धान, जौ, गहत, मास, सरसों, भट्ट| फ़िर इन सबके ऊपर मिटटी रख दी जाती है| और उस टोकरी या थाली को घर में ही दयाप्तन थान(मन्दिर) में रख दिया जाता है| और रोज थोड़ा थोड़ा पानी छिड़का जाता है| ३-४ दिन के बाद उन बीजो में से अंकुर निकल जाते है| ९-१० दिन के बाद ४-५ इंच के छोटे छोटे पौधे निकल जाते है, इन्हे ही हरयाव(हरेला कहा जाता है)| दसवे दिन इनको काटा जाता है|

Risky Pathak:
सूर्य की रोशनी से दूर रहने के कारण इनका रंग पीला होता है| काटने के बाद इसे देवता को चढ़या जाता है| फ़िर घर के सभी सदस्यों को ये लगाया जाता है| यहा लगाने से अर्थ है की सर व कान पर हरेला के तिनके रखे जाते है|

हरेला शुभ कामनाओं के साथ रखा जाता है| छोटे बच्चो को हरेला पैर से ले जाकर सर तक लगाया जाता है| इसके साथ ही १ शुभ गीत "जी रये-जाग रये" गाया जाता है| इस गीत में दीर्घायु होने की कामना की जाती है|   

Risky Pathak:
हरेला काटने के बाद इसमे अक्षत-चंदन डालकर भगवान को लगाया जाता है|

हरेला घर मे सुख, समृधि व शान्ति के लिए बोया व काटा जाता है| हरेला अच्छी कृषि का सूचक है| हरेला इस कामना के साथ बोया जाता है की इस साल फसलो को नुक्सान ना हो|

हरेला के साथ जुड़ी ये मान्यता है की जिसका हरेला जितना बडा होगा उसे कृषि मे उतना ही फायदा होगा|

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