Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38212 times)

Bhishma Kukreti

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गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला के अनोखे मकान में काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी - 223
  Tibari House Wood Art in Goom , Bijlot   , Pauri Garhwal   

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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नैनीडांडा , धुमाकोट पूड़ी गढ़वाल क्षेत्र से कई तिबारियों व निमदारियों (जंगलेदार मकान ) की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज धुमाकोट  तहसील के गूम   गाँव में स्व खीमा नंद काला द्वारा बनाये गए जंगलेदार मकान व तिबारी की काष्ठ कला की विवेचना होगी।   स्व खिमा  नंद कला ने यह मकान संबत 1985  अर्थात सन  1928 में निर्मित किया था व समय उनके मकान के दरवाजे पर खुदा हुआ है। मिस्त्री थे ग्राम पटोटिया  (नैनीडांडा ) के जसमल।  जसमल का नाम भी दरवाजे पर अंकित है।
  गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद  काला  का  दुपुर , दुघर मकान अनोखा इसलिए है कि  ऐसे बहुत कम मकान पाए गए हैं जहां जंगला पहली मंजिल पर बंधा है व तिबारी तल मंजिल में स्थापित है (पंडित विश्वंबर दत्त देवरानी , ज्याठ गांव जैसे ) I      गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में लकड़ी नक्कासी विवेचना हेतु इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा - तल मंजिल में तिबारी , खोली , दरवाजे पर अंकन , पहली मंजिल में स्तम्भ व जंगल में  लकड़ी कारीगरी।
    गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला  के तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला , अलंकरण :-   स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में तल मंजिल में परम्परागत खोली है।  खोली के  दोनों ओर मुख्य स्तम्भ  चार चार तीन तीन उप स्तम्भों के युग्म से बने हैं।  चारों उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष ) की सतह (layers ) बनते हैं।  चार उप स्तम्भों में तीन उप स्तम्भ लगभग एक जैसे हैं जो आधार से सीधे ऊपर चलते जाते हैं व इन उप स्तम्भों में प्राकृतिक (लता पर्ण ) कला अंकित हुयी है।   चौथे  उप स्तम्भ  के आधार में अधोगामी /उल्टा कमल दल है , इसके ऊपर ड्यूल है व फिर सीधा कमल दल है व यहां से  उप स्तम्भ पर्ण  लतायुक्त नक्कासी हो ऊपर मुरिन्ड की और चले जाते हैं। 
खोली के मुरिन्ड के चौखट स्तर जो खोली का निम्न स्तर है के ऊपर  मेहराब है।  मेहराब के अंदर चाप के पटिले (तख्ता ) में पट्टी आदि की नक्काशी हुयी है।  मेहराब के ऊपर त्रिभुजों (स्कन्धों ) में एक एक बहुदलीय फूल है व बाकी स्थान में प्राकृतिक अलंकृत कला अंकित हुयी है।  मुरिन्ड का सबसे ऊपरी स्तर चौखट है।  मुरिन्ड के अगल बगल में ऊपर से दीवालगीर हैं जिन पर ज्यामितीय कला के अतिरिक्त हाथी का भी अंकन है।  खोळी मुरिन्ड के  ऊपर छप्परिका  आधार से शंकु लटके हैं।
  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में  तल मंजिल में तिबारी में काष्ठ कला उत्कीर्णन :-   तिबारी चार  सिंगाड़ों (स्तम्भों  ) की बनी है व तीन ख्वाळदार तिबारी है।  प्रत्येक  काष्ठ स्तम्भ के आधार  में  अधोगामी (उल्टा ) कमल दल से क्मम्भी बनी है कुम्भी के ऊपर ड्यूल (ring type wood plate  जैसे बोझा धोने हेतु सर पर गोल  कपड़ा या रस्सीनुमा  पगड़ी रखी जाती है ) है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ) कमल दल है , यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता है व ऊपर बढ़ता है। जहां सबसे कम मोटाई है वहां से स्तम्भ दो भागों में बंट जाता है - १- मेहराब का  अर्ध चाप व  २- स्तम्भ सीधा थांत आकृति धारण क्र मुरिन्ड चौखट की कड़ी से मिल जाता है।  मेहराब  का अर्ध चाप सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूरा मेहराब बनता है।  मेहराब के ऊपरी तरभुजों (स्कंध ) में एक त्रिभुज में एक किनारे हाथी है व दुसरे किनारे परं लताएं  अंकित हुयी है।  एक त्रिभुज में अष्टदलीय फूल है।  मुरिन्ड के चौखट कड़ी के ऊपर की कड़ी में तरंगित पत्तियां -लताओं का अंकन हुआ है।  तिबारी के मुरिन्ड के ऊपर  छज्जे  आधार से लकड़ी के शंकु लटके हुए हैं।
गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के दरवाजे में काष्ठ कला अंकन -  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में तल मंजिल के दरवाजे में काष्ठ कला अंकन मिलता है।  दरवाजे  का  नीचे का भाग
 सपाट  है जिसके ऊपरी भाग में लेख अंकन के अतिरिक्त बहुदलीय पुष्प अंकित है।  इस भाग के ऊपर आकर्षक चतुष्दलीय  पुष्प अंकित हैं।  इस भाग के बाद दो सपाट पत्तियां दिखती है जिसके ऊपर  पत्तियों का अंकन जिसमे पट्टी की धमनिया भी नजर आ रही हैं। इसके ऊपरी भाग में गुंथी छोटी जैसा अंकन हुआ है जिसके ऊपर  गोल आकार की पत्तियों का अंकन हुआ है।
  गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के  पहली मंजिल में जंगले /निमदारी में  काष्ठ अंकन :-   गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के  पहली मंजिल में  भव्य जंगला बंधा है।  निमदारी  में 20 खाम  / स्तम्भ  हैं।  प्रत्येक  स्तम्भ  आधार व ऊपर मोटे  कटे हैं व बीच में कम मोटे  हैं।  प्रत्येक दो स्तम्भ के ख्वाळ  में दो लकड़ी की चौकोर लकड़ी की कड़ी से रेलिंग बनी हैं व रेलिंग के बीच लौह सीक से जंगला बना है।
  निष्कर्ष निकलता है कि  गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के भव्य मकान  में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :  कवि , शिक्षा विद रमा कान्त ध्यानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 


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 त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के रौथाण परिवार के  भवन की तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी-236   
  Traditional House Wood Carving Art of  Tyudi  , Tehri
 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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  टिहरी गढ़वाल के सभी भागों से तिबारियों , निमदारियों व जंगलेदार मकानों की सूचनाएं प्रचुर मात्रा में मिल रही हैं।   आज इसी क्रम में त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के एक भवन की तिबारी में काष्ठ कला, अलंकरण व नक्काशी पर चर्चा होगी। 
तिबारी चौखम्या , तिख्वळया है। त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के  प्रस्तुत रौथाणपरिवार के  भवन की तिबारी के सिंगाड़ (स्तम्भ /खाम ) कुछ अलग प्रकार  के हैं।  काष्ठ स्तम्भ पाषाण देहरी  के ऊपर चौकोर पाषाण डौळ के ऊपर स्थापित हैं।  आम गढ़वाली तिबारियों के सिंगाड़ /स्तम्भ /खाम जैसे त्यूड़  की इस तिबारी के स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल फूल पंखुड़ियों (अधोगामी पद्म पुष्प दल ) से कुम्भी नहीं खुदी है अपितु कुछ कुछ चौड़ा है व इसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर लम्बोतर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल  (सीधे में कमल पंखुड़ियां ) की आकृति है। कमल दल के ऊपर भी पर्ण-लता की बारीक नक्काशी हुयी है।  कमल दल के ऊपर सिंगाड़  षटाकार या अस्टाकार  रूप में ऊपर बढ़ता है और ऊपर चौखटिय मुरिन्ड /मथिण्ड (शीर्ष ) से मिल जाते हैं।  कमल दल से मुरिन्ड तक सिंगाड़ /स्तम्भ में उभर -गड्ढे (fleut -flitted ) नक्काशी है व उभार में पर्ण-लता अंकन हुआ है।  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की कड़ी कई स्तर की है व इन स्तरों  में पर्ण -लता आकृति अंकन हुआ है जो बारीकी का उम्दा उदाहरण है। 
 निष्कर्ष है निकलता है कि त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) में रौथण परिवार के  इस  भवन की तिबारी में सिंगाडों /स्तम्भों व मुरिन्ड कड़ी में बहुत सुंदर व बारीक , मन लुभावनी नक्काशी हुयी है।  निर्माण स्व सटे सिंह रौथाण ने पचास साल पहले किया था .
सूचना व फोटो आभार :    जगमोहन सिंह जयाड़ा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी  - 
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखनी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri;


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दुगड्डा (पौड़ी गढ़वाल ) में डालूराम केदारनाथ  के  जंगलेदार मकान में  काष्ठ कला

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी- 237 
  Tibari House Wood Art in Dugadda, Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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  ब्रिटिश काल के में दुगड्डा  गढ़वाल की प्रसिद्ध मंडी बन गयी थी।  गढ़वाल से ग्रामीण ढाकर (ढो कर ) लेने दुगड्डा आते थे।  दुगड्डा में बिजनौर से  दुकानदार स्थानांतर  हुए और यहां उन्होंने बड़े अच्छे शानदार भवन बनवाये . ऐसे ही एक मकान है (जिसमे पोस्ट ऑफिस है )  डालूराम -केदारनाथ का जंगलेदार मकान।  दुगड्डा में डालूराम केदारनाथ का मकान दुपुर है व तिघर (   तीन कमरे वाला ) . पहली मंजिल पर अपने समय का भव्य जंगला स्थापित है।  मकान के पहली मंजिल में  दोनों ओर  (सामने व  बगल  में ) 14  खाम (स्तम्भ हैं ) . सभी खाम (स्तम्भ )  लकड़ी के मजबूत छज्जे पर स्थापित हैं।  सभी खामों  के आधार के दोनों ओर खमटियाँ /खमचियां /पट्टिका लगे हैं जिससे खाम  का आधार मोटा दिखता है।  इसके बाद खाम  सीधा ऊपर मुरिन्ड (शीर्ष ) की कड़ी से मिल जाते हैं। 
आधार पर  दो खामों  के मध्य के ख्वाळ  में आधार से  दो फ़ीट ऊंचाई पर लकड़ी की कड़ी /रेलिंग है व आधार की कड़ी  के मध्य लोहे का जंगल बंधा है।
निष्कर्ष निकलता है बल  दुगड्डा में डालूराम केदारनाथ  के मकान में  अपने समय का भव्य जंगला  बंधा है।  खामों व अन्य  लकड़ी में केवल ज्यामितीय कला अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार :  जागेश्वर जोशी  (फोटो , M  S  Negi )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श


Bhishma Kukreti

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द्यूका  ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल सिंह रौथाण के जुड़वां मकानों में आकर्षक काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी-238   
  Traditional House Wood Carving Art of  Dyuka , Hindolakhal  , Tehri 

संकलन - भीष्म कुकरेती
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  टिहरी गढ़वाल से अलग अलग रूप   की तिबारियों की सूचना मिल रही हैं जो इस बात का द्योत्तक है कि काष्ठ कला , अंकन , अलंकरण के मामले  में टिहरी क्षेत्र भाग्यशाली क्षेत्र रहा है।  ऐसी ही एक तिबारी की  सूचना  द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के मकान में दो तिबारियों की सूचना मिली , मकान व तिबारी भव्य हैं व कुछ विशेष भी हैं। 
 द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के मकान  में काष्ठ  कला समझने हेतु दो भागों में विशेष ध्यान देना आवश्यक है।  द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के मकान के तल मंजिल में लकड़ी पर नक्काशी व पहली मंजिल में दोनों तिबारियों में लकड़ी नक्काशी।   द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के दोनों  मकान   एक दूसरे से बिलकुल सटे हैं दोनों मकान  दुपुर व दुघर हैं।  पहले पहली मंजिल में जाने की खोली थी व अब सीढ़ियां बाहर हैं। 
 द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के मकान में कमरों के बड़े बड़े दरवाजों में ज्यामितीय कटान से  अंकन हुआ है।  मकानों के तल मंजिल में पहली मंजिल में जाने हेतु  मुख्य प्रवेशद्वार  खोली थी।  खोली  के स्तम्भ नक्काशीदार हैं व  खोली मुरिन्ड में मेहराब हैं।  मेहराब भी आकर्षक हैं।
द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के दोनों  मकानों  पहली मंजिल में तिबारी स्थापित हैं।  द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के एक  मकान की एक तिबारी  में साथ स्तम्भ व छह ख्वाळ  हैं।  द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के  दूसरे मकान में  बारह  सिंगाड़ /खाम स्तम्भ  हैं व ग्यारह ख्वाळ  हैं।  प्रत्येक सिंगाड़ /खाम /स्तम्भ आकार , आकृति व कला अंकन के हिसाब से बिलकुल सामान हैं।   तिबारी का प्रत्येक खाम /सिंगाड़ /स्तम्भ  देहरी के ऊपर  एक चौकोर पत्थर डौळ  के ऊपर स्थापित हैं।  तिबारी के स्तम्भ के आधार में उल्टे  कमल फूल से कुम्भी आकृति बनी  है , फिर ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है जहां से स्तम्भ लौकी  आकर लेकर कड़ी रूप (shaft of  column ) ले ऊपर चलता है व जहां  खाम की सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल (कमल फूल ) है।  यहां से स्तम्भ  दो भागों में विभक्त होता है।  सिंगाड़ /स्तम्भ का  एक  भाग   थांत बन  ऊपर मुरिन्ड (शीर्ष ) से मिलता है व दूसरा भाग से अर्ध चाप निकलता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण तोरणम (मेहराब ) बनता है।   तोरणम के ऊपर मुरिन्ड बड़े चौड़ा  है व खूबसूरत नक्काशीदार है। 
 निष्कर्ष निकलता है कि द्यूका   ( हिंडोलाखाळ, टिहरी ) में कुशाल  सिंह रौथाण  के दोनों  मकान  भव्य हैं ,  दोनों  मकानों में  भव्य तिबारियां हैं तिबारियों में छह से अधिक  खाम स्तम्भ  स्थापित है जो अपने आप में विशेष (exclusive ) हैं।   काष्ठ कला दृष्टि से ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण सामने आये हैं। 

  सूचना व फोटो आभार :   जगमोहन जयाड़ा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी  - 
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखनी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri; 


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 चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार  खूंटी नेगी  परिवार  के क्वाठा भितर में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी- 239 

  Tibari House Wood Art in  Chamda , Bungi, Pauri Garhwal     

 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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पौड़ी गढ़वाल में बूंगी पट्टी एक समृद्ध पट्टी मानी जाती रही है।  लोक काष्ठ कला श्रृंखला में  आज बूंगी   पट्टी में चमाड़ा गाँव के थोकदार जंग बहादुर नेगी  के भव्य कोठा-भितर  (लघु किला या हवेली )  के लकड़ी नक्काशी पर  गुफ्तुगू होगी।  क्वाठा याने  कोष्ठ याने तीन ओर से घिरा कोष्टक नुमा मकान या हवेली।   थोकदार जंगबाहदुर नेगी का क्वाठा   भितर   ढैपुर , दुघर व काफी सजीला है।  इस क्वाठा  भीतर में अंदर की ओर  एक भव्य तिबारी है व एक बाहर की ओर  तिबारी है।  चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में नेगी थोकदारों के क्वाठा भितर में  काष्ठ कला समझने हेतु निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है -

चामडा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर  खूंटी नेगी   परिवार के क्वाठा भितर के तल मंजिल  में   खोली में  काष्ठ कला

 चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर  खूँटी नेगी परिवार  के क्वाठा भितर के पहली मंजिल  में बाहर भीतर स्थापित दो तिबारियों में  लकड़ी नक्काशी

  चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर खूँटी  नेगी  के क्वाठा भितर के पहली मंजिल  के कमरे के दरवाजे -सिंगाड़ में काष्ठ कला अंकन

 चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार  के क्वाठा भितर में अन्य स्थानों में काष्ठ कला।

 क्वाठा (कोष्ठक ) भितर  के तल मंजिल में सजीली खोली है।   खोली के दोनों और के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  चार चार  उप स्तम्भों  के युग्म /जोड़ से बने हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ आधार से सीधे ऊपर जाकर मुरिन्ड की तह /लेयर बनते हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ (सिंगाड़ का भाग )  में प्राकृतिक (पर्ण -लता , फूल ) के चित्र खुदे हैं व अलग अलग उप स्तम्भ में भिन्न  भिन्न प्रकार की नक्काशी हई है।  उप स्तम्भों से ही चौखट मुरिन्ड की तह बनी हैं।  चौखट नुमा मुरिन्ड के ऊपर तोरणम है।  तोरणम  तीन  छापों की तह से बना है।  निम्न चापीय  तह में द्विभुज गणपति , दो मोर व बेल बूटों की नक्काशी हुयी है।  मध्य तह तोरणम का गोल भाग है।  तोरणम के स्कंध याने दोनों त्रिभुजों में बेल बूटों , फूल आदि की बारीक खुदाई हई है।

 चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी  परिवार के क्वाठा भितर के पहली मंजिल  में भीतर की ओर छह स्तम्भों /खामों (खटखम्या ) की तिबारी है।  इसका सीधा अर्थ है कि  तिबारी तीन कमरों से बनाये गए बरामदे में स्थापित है।   तिबारी के सभी स्तम्भ /खाम  /सिंगाड़  एक जैसे ही हैं। प्रत्येक  स्तम्भ पत्थर की देहरी के ऊपर पत्थर के चौकोर आधार पर आधारित है व आधार में उल्टे कमल फूल से कुम्भी / दबल रूप बना है, अधोगामी कमल दल के ऊपर ड्यूल है व जिसके ऊपर खिला कमल फूल की पंखुड़ियां है , ध्यान देने योग्य बात है कि कमल की पंखुड़ियों में भी नक्काशी हुयी है।  सीधे कमल दल से स्तम्भ लौकी आकर धारण करता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां स्तम्भ में उल्टा कमल है , जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल पुष्प है।  यहां से स्तम्भ दो भागों में विभक्त होता है।  एक भाग सीधा थांत  है जिसके ऊपर गीवालगीर (brackert) हैं व दूसरे हिज्जे से मेहराब शुरू होता है।  मेहराब कुछ भिन्न है व मेहराब के स्कंध में बारीक लज्जतदार नक्काशी हुयी है।  दीवालजीत ऊपर छत आधार से शरू होते हैं।  दीवालगीर में चिड़िया का गला व चोंच  व बड़े फूल के केशर नाभि आकृति  जड़ी है।  दीवालगीर काफी खूबसूरत हैं।  दीवालगीर में चिड़िया गले के अगल बगल में सुरीनुमा फूल खुदे हैं। 

चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार  के क्वाठा भितर के  बाहर की ओर तिबारी में काष्ठ कला लगभग अंदर की तिबारी जैसे ही है। 

चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर नेगी  के क्वाठा भितर के पहली मंजिल में एक झरोखा /छाज भी है।  झरोखे या खिड़की /मोरी के सिंगाड  तेन उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित है।  स्तम्भों में बेल बूटों की खुदाई हुयी है।

झरोखे का निम्न भाग पटिला नुमा तख्ते से बंद है किन्तु ऊपरी भाग में ज्यामितीय रूप में छेद /दुंळ  हैं। 

चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर नेगी  के क्वाठा भितर के  पहली मंजिल में तिबारी से अंदर जाने के लिए कमरे में भी खोली /खोळी है।   इस खोली के मुख्य स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।  खोली से ऊपरी मुरिन्ड तोरणम नुमा है व तोरणम के त्रिभुज  या स्कंध में एक एक फूल खुदे हैं।  व प्राकृतिक  चित्रकारी हुयी है। 

  निष्कर्ष निकलता है कि चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में  थोकदार जंगबहादुर नेगी  के  भव्य क्वाठा भितर  में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है  व नक्काशी बारीक हुयी है।   

 क्वाठा भितर लम्बा है व सीधे फोटो लेना कठिन है अतः  कवि धर्मेंद्र नेगी ने अलग अलग भागों की फोटो भेजी हैं। 

सूचना व फोटो आभार :  धर्मेंद्र नेगी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

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  सुभई (जोशीमठ, चमोली)  में  एक जंगलेदार मकान   में कला अलंकरण अंकन, नक्काशी 

 गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी- 241
  House Wood Carving Art  from  Subhai , Joshimath  , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 चमोली व रुद्रप्रयाग  जिलों से तिबारी , जंगलेदार मकान ,  निमदारियों की सो सूचना मिलीं है।  इसी क्रम में चरण सिंह केदारखण्डी की यात्रा वृतांत से चमोली गढ़वाल  सुभई गाँव से एक  जंगलेदार मकान की सूचना मिली।  मकान दुपुर -दुघर है।
  सुभई (जोशीमठ, चमोली)  में एक मकान का  जंगला   पहली मंजिल में स्थापित है।  जंगला  लकड़ी के छज्जे में स्थापित है। जंगले    में 12 खाम /स्तम्भों से अधिक स्तम्भ हैं।  स्तम्भ सीधे हैं व केवल ज्यामितीय कटान से सजे हैं।  मुरिन्ड की कड़ी भी सपाट   है।   जंगले  के  आधार के ऊपर एक कड़ी /रेलिंग है।  आधार व रेलिंग के मध्य XIX  आकर की आकृति  है। 
 मकान में  जंगले  को छोड़ कोई विशेष काष्ठ  वस्तु नहीं है जिसकी चर्चा की जाय .
निष्कर्ष निकलता है कि  सुभई (जोशीमठ, चमोली)  में  एक जंगलेदार मकान   में  लकड़ी पर केवल  ज्यामितीय कटान ही दिखी।   सुभई (जोशीमठ, चमोली)  में  एक जंगलेदार मकान   अपने समय में सुभई की  विशेष पहचान  (identity ) थी। 
सूचना व फोटो आभार: चरण सिंह केदारखण्डी   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तुस्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी


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ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में  काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी- 240 
 Traditional House wood Carving Art of Nari,    Rudraprayag 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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आज विकास गौड़ द्वारा भेजी गयी सूचना आधारित ग्राम  नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी .   
   ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के वर्तमान दुपुर -दुखंड (दुघर ) मकान में  काष्ठ कला अंकन  विवेचना हेतु तीन बिंदुओं में ध्यान देना होगा
ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में  तिबारी स्तम्भों में काष्ठ कला अंकन , 
ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में निमदारी खाम स्तम्भों में यदि  काष्ठ कला अंकन हुआ तो विवेचना
 ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में  पहली मंजिल में मोरी (खिड़की /झरोखा ) सिंगाड़ों / स्तम्भों में  काष्ठ कला अंकन ,
ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में पहली मंजिल में स्थित तिबारी  काष्ठ कला अंकन:- तिबारी पहली मंजिल में है, तिबारी में दो सिंगाड़ों /स्तम्भ व तीन सिंगाड़ों /स्तम्भों  के मध्य दीवाल है।  लगभग प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ कला में एक जैसे ही हैं। स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर पत्थर की देहरी के ऊपर पत्थर के चौकोर आधार पर टिके हैं।  स्तम्भ के आधार  में उल्टा कलम फूल कुम्भी बनाता है जिसके ऊपर ड्यूल है और ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी /सीधा कमल पुष्प है।  कमल फूल से स्तम्भ लौकी आकार लेने लगता है। जहां स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल फूल की आकृति अंकित है , इसके ऊपर ड्यूल व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल अंकित है।  कमल दल के ऊपर स्तम्भ थांत  (cricket bat blade जैसा ) रूप धारण कर  ऊपर चौखट मुरिन्ड से मिल जाता है।  थांत में अंकित दीवालगीर भी हैं। 
ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में  निमदारी में काष्ठ कला अंकन:- तिबारी के बगल में ही छह खामों (स्तम्भ ) व पांच ख्वाळ की निमदारी स्थापित है।  निमदारी के स्तम्भों व मुरिन्ड में ज्यामितीय कटान हुआ है। 
ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में मोरी (खिड़की ( में  काष्ठ कला अंकन-  मकान के पहली मंजिल में  एक मोरी / खिड़की  भी स्थापित है।  मोरी के दोनों ओर के स्तम्भ के आधार में कुम्भी  है फिर  ड्यूल फिर कुम्भी  जैसा अंकन हुआ है।  मोरी स्तम्भ में ऊपरी कुम्भी  के ऊपर स्तम्भ सीधा ऊपर चढ़ता है व ऊपर जाकर तोरणम में बदल जाता है।
निष्कर्ष निकलता है कि   ग्राम नारी (रुद्रप्रयाग ) में मलवाल परिवार के मकान में  काष्ठ में  ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण  हुआ है।   मकान विशेष मकान की श्रेणी में अत है क्योंकि मकान में तिबारी भी व निम दारी दोनों स्थापित हैं। ,
सूचना –फोटो आभार:विकास गौड़
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं .  लेख अन्य पुरुष में है अपितु श्री व जी प्रयोग नहीं किये गए हैं
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रपयाग में दरवाजों में नक्काशी , रुद्रप्रायग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


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श्री लक्ष्मण सिद्ध पीठ मंदिर देहरादून में सूचना पट के घर पर  काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, नक्कासी 

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाली , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में  काष्ठ अंकन , लोक कला  अलंकरण, नक्कासी  - 243
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Lakshman  Siddha  Temple , Dehradun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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देहरादून बस स्थानक से  देहरादून हरिद्वार राष्ट्रीय मार्ग पर  श्री लक्ष्मण सिद्ध (शिव बाबा मंदिर ) एक प्राचीन व प्रसिद्ध  मंदिर  है।   लोक कथ्यों में मंदिर त्रेता युग के लक्ष्मण से नाता जोड़ा गया है।  मंदिर के सूचना पट  में  विशेष काष्ठ कला दृष्टिगोचर होने से लक्ष्मण सिद्ध मंदिर को इस श्रृंखला से जोड़ा गया है।
 संगमरमर  का सूचना पट पत्थर के ऊपर चिपकाया गया है।  सूचना पट के बाहर  से काष्ठ आकृति से ढका गया है।  बाहर  दोनों और स्तम्भ हैं।  दोनों स्तम्भ इकजनि हैं।  सूचना पट के स्तम्भ पत्थर या सीमेंट की चौकी पर आधारित हैं।  स्तम्भ का कड़ी का आधार  कुम्भी फूला दबल  जन  है।  कुम्भी के ऊपर स्तम्भ लौकी आकार के हैं याने नीचे गोल  मोटा और ऊपर मोटाई कम होती जाती है।  जहां स्तम्भों की मोटाई सबसे कम  ड्यूल है व उस ड्यूल के ऊपर दो और ड्यूल हैं  ड्यूलों के ऊपर  लकड़ी का तोरणम है।  मेहराब /तोरणम  तिपत्ति  (trefoli )  आकार का है।  मेहराब या तोरणम के स्कंध  (त्रिभुजाकार ) में कोई लकड़ी की नक्काशी नहीं हुयी हैं।  तोरणम के ऊपर आयताकार  छप्परिका  है।  छप्परिका से तोरणम की और कई शंकुनुमा  आकृतियां लटकीं हैं।  शंकु सूचना पट घर की शान बढ़ाने में सहायक हैं।
   श्री लक्ष्मण सिद्ध पीठ मंदिर देहरादून में सूचना पट के घर  की सबसे बड़ी विशेषता है कि सूचना पट  घर नया होने के उपरान्त भी  घर के छप्परिका  के ऊपर  शीर्ष  आकृतियां  शैव्य मंदिर आकृतियां नहीं  अपितु बुद्ध मंदिर शैली से  प्रभावित  महासू मंदिर का शीर्ष या  बौद्ध  मंदिर  शैली से प्रभावित नरकंडा देवी मंदिर के शीर्ष जैसे हैं  .
  निष्कर्ष निकलता है कि  श्री लक्ष्मण सिद्ध पीठ मंदिर देहरादून में सूचना पट के घर  में काष्ठ  कला  में स्तम्भ ,  तोरणम /मेहराब , छप्परिका  से लटकते शंकु तो   गढ़वाल के तिबारियों की कला से मेल खाते हैं किन्तु सूचना पट   घर  की छप्परिका  के ऊपर की आकृतियां जौनसार के महासू मंदिर व   नरकंडा देवी मंदिर के शीर्ष जैसे हैं। 
सूचना व फोटो आभार : बी के डबराल
यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनायें  श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत:  मिल्कियत  सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए  संकलन कर्ता व  सूचनादाता  उत्तरदायी नही हैं .
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देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषीकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी   


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मलारी   (चमोली ) मे राशन दुकान भवन   की  निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी- 248 
  House Wood Carving Art  from  Malari, Niti , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती -
 
  मलारी , गमशाली के कुछ  भवनों के मिल्कियत की जानकारी न होने से इन्हें संख्या नाम दिया गया है जैसे प्रस्तुत मकान का नाम मलारी भवन संख्या 2 या सरकारी राशन गल्ले की दुकान  भवन I
राशन दुकान भवन दुखंड (तिभित्या-एक कमरा अन्दर व एक भर ) , व ढाईपुर शैली का है Iमलारी का   राशन दुकान भवन हर सूरत में  कुछ साल पहले ही सीमेंट से निर्मित हुआ या पुन: निर्मित हुआ या मरोम्मत हुआ हैI भवन के तल मंजिल में लकड़ी का बड़ा दरवाजा है जिस पर आयताकार आकृति कटान (ज्यामितीय कला /अलंकरण ) हुआ है I तल मंजिल के उपर  पहली मंजिल पर छज्जा बंधा है व छज्जे के उपर टिन की छत है जो इस भवन की अधुन्किता को प्रकट करता हैI .छत आधार कड़ी पर धातु की बेल बूटेदार खुदाई की लम्बी पट्टी  चिपकी हुयी है I मकान में  धातु की  कलायुक्त   पट्टी उपयोग भी नव युग मकान की सूचना दे देता है I
  छज्जे की आधार कड़ी के उपर सामने की ओर 9 व बगल की ओर (सीढ़ी की ओर ) एक स्तम्भ स्थापित हैं I सामने के 9 स्तम्भ आठ ख्वाळ/खोली बनाते हैंI  स्तम्भों के आधार में दो ढाई फिट ऊँचाई तक स्तम्भ के दोनों काष्ठ पट्टिका लगी हैं जो स्तम्भ को मोटा होने का आभास देते हैं I इस ऊँचाई के बाद स्तम्भ सीधे सपाट और छतकी कड़ी से मिल जाते हैं I स्तम्भ व छत की कड़ी में कोई कलाकृति उभर कर नही आई है I
  स्तम्भ आधार से एक फूट उपर तक एक रेलिंग कड़ी है जिसके ख्वाळ में नीचे लकड़ी के बेलन नुमा 9 आकृति स्थापित है याने  निमदारी  के जंगले में इस भाग में कुल 72 बेलन नुमा आकृति स्थापित हैंजो भवन की सुन्दरता वृद्धि अकरने में बहुत योगदान देते हैं I . बेलन नुमा आकृति का  निचला भाग उल्टी लौकी फल जैसा है जिसके नीचे छोड़ा व बड़ा ड्यूलहैं I बेलन नुमा आकृति के निह्क्ले भाग के उपर ड्यूल है जहाँ से सीधी लौकी आकार है व उपर  ड्यूल हैं I याने बेलन आकृति में दो  लौकी फल  विरोधी दिशा में है जो   हुश्न बढ़ाने का काम करते हैं . निचले रेलिंग की कड़ी के उपर धातु के जंगले हैं जिसके  एक फूट में उपर लकड़ी की रेलिंग है व इन कड़ीयों के बीच में धातु जाली है I स्तम्भ के बीच  ख्वाळओं  में नीचे लकड़ी की बेलननुमा आकृति व उपरी रेलिंग /जंगले में धातु जाली भवन सुन्दरता में चार चाँद लगाने में सफल हुए हैंI
  पहली मंजिल की खिडकियों व कमरे के दरवाजे में व ढाईपुर की खडकी में ज्यामितीय कटान ही हुआ है . ढाईपुर की छत . ढलवां है व छत के आधार नीचे लकड़ी की  सपाट पट्टी है उस पर कोई नक्कासी नही हुयी है .
    निष्कर्ष निकलता है कि मलारी (चमोली गढवाल ) में राशन दूकान भवन में ज्यामितीय कटान अलंकरण हुआ है व यही कटान मकान की सुन्दरता कायम रखने को सफल हुए हैं I बेलन आक्रति ने तो  आशियाना हुश्न (मकान की सुन्दरता ) बढ़ाने में  बहुत कामयाबी हासिल की है I गमशाली में भवन संख्या 3 या  पंच नाग भक्त की निमदारी की रेलिंग में 100 हुक्के की नै  आकृतियों ने ‘आशियाना –ए- हुश्न ‘ बढ़ाने में कामयाबी की तो मलारी के राशन दुकान भवन की निमदारी म की रेलिंग में 72बेलन नुमा  आकृतियों ने ‘ आशियाना –ए –हुश्न ‘ बढाई है I
 
सूचना व फोटो आभार:   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी

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बिंजोली (एकेश्वर,  चौंदकोट, पौड़ी  गढ़वाल )  में केदार दत्त धस्माना की तिबारी में   काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी 

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी-247   
  Tibari House Wood Art in Binjoi, Chaundkot  , Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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   एकेश्वर , चौंदकोट क्षेत्र से कई तिबारियों ,  क्वाठों, निमदारियों   की सूचना मिली है  जो इस क्षेत्र  की  समृद्धि के सूचक हैं।  आज  इसी क्रम में  बिंजोली गाँव के केदार दत्त धस्माना की तिबारी की विवेचना की जायेगी।
  बिंजोली (एकेश्वर,  पौड़ी  गढ़वाल )  में केदार दत्त धस्माना  का मकान दुपुर व दुघर /दुखंड है  व  पहली मंजिल में  छज्जे के ऊपर देहरी के ऊपर तिबारी   स्थापित है।  केदार दत्त  धस्माना  की तिबारी चौखम्या व तिख्वळ्या  (चार सिंगाड /स्तम्भ व तीन ख्वाळ ) है।  तिबारी के प्रत्येक  सिगाड़ /स्तम्भ एक जैसे  हैं।  स्तम्भ  का आधार की कुम्भी /दबल आकर उल्टे कमल दल से  निर्मित है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल कटान है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प (सीधा कमल फूल ) है व यहां से  स्तम्भ लौकी आकर ले लेकर ऊपर बढ़ता है।  जहां पर सबसे कम मोटाई है वहां स्तम्भ में उल्टा कमल है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल   के ऊपर सीधा कमल फूल है।  कमल फूल के ऊपर से स्तम्भ दो भागों में विभक्त तोता है।  एक सीधा भाग जो सीधे मुरिन्ड से मिलता है वह  थांत आकृति का है व यहीं से महराब /तोरणम के अर्ध चाप भी निकलते हैं जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप स  मिलकर  पूरा तोरणम बनाते हैं।  मेहराब /तोरणम तिपत्ति (trefoil ) रूपी हैं।   तोरणम के स्तम्भ में फूल व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  मुरिन्ड सीधी कड़ियों से निर्मित है व छप्परिका  के आधार का ही भाग लगता है।
निष्कर्ष निकलता है कि  काष्ठ कला  (house  wood  carving art ) की दृष्टि से  बिंजोली (एकेश्वर,  चौंदकोट, पौड़ी  गढ़वाल )  में केदार दत्त धस्माना की तिबारी में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला अंकन हुआ है।  मानवीय चित्रांकन नहीं देखा गया है। 
सूचना व फोटो आभार :उमेश असवाल 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 

 

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