Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37154 times)

Bhishma Kukreti

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      कुमाटी, (रामगढ़, नैनीताल )  में एक बाखली युक्त  भव्य भवन  में  कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन   

   Traditional House Wood Carving Art in Kumati, Ramgarh, Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, कोटिबनाल)  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन-408
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी , इराकी , अरबी शदब न हों )

संकलन - भीष्म कुकरेती

 आज एक बहुत बड़ी परम्परागत बाखली (संभवतया होम स्टे )  की   काष्ठ कला , अलंकरण उत्कीर्णन  पर चर्चा होगी।  बाखलीयुक्त  भव्य भवन दुपुर  है व दुखंड है।  भवन के  भ्यूं तल (ground floor ) में गौशाला व भंडार के चिन्ह अभी भी शेष हैं।  भ्यूं तल के कक्षों के द्वारों , सिंगाड़ -म्वार -मुरिन्ड  ( Doors , Clumns , header ) में कोई काष्ठ उत्कीर्णन /अंकन  दृष्टिगोचर  नहीं हो रहा है।  खोली को भी संभवतया लघु आकर दे दिया गया है।
बाखलीयुक्त भवन के पहले तल में छाजों  के स्तम्भों , छाजों के ऊपरी तोरणम में ,  मुरिन्ड /मथिण्ड व छाजों  के छेद के नीचे तख्तों में कला उत्कीर्णन दृष्टिगोचर हो रहा है।  स्तम्भों के आधार में उल्टे कमल दल ड्यूल , सीधे कमल पंखुड़ियों के अंकन से घुंडियां निर्मित हुयी हैं।  इन्ही /इसी प्रकार के घुंडियों की पुनरावृति ऊपर भी हुयी हैं।  यहां ही छाज का आंतरिक तोरणम है। तोरणम के स्कन्धों में रिखडा कुर्याण  से उत्कीर्णन  हुआ है।
 छाजों के छेदों  (ढुड्यार ) के  निम्न स्तर  को पटलों  /तख्तों से ढका गया है। इन पटलों /तख्तों के ऊपर  काल्पनिक संभवतया पर्तीकात्मक व प्राकृतिक अलंकरण का अंकन दृष्टिगोचर हो रहा है। 
भवन के पहले तल की दीवारों में  ऐपण  नुमा कला अंकन भी हुआ है।
 भवन बाखली भव्य है व काष्ठ कला , अंकन व शैली दृष्टि से उत्कृष्ट व महत्वपूर्ण है। 
सूचना व फोटो आभार: रेणुका
 सूचना प्रेरणा पी.डी.पाठक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन   


Bhishma Kukreti

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  पुराना अल्मोड़ा बजार में एक  बाखली  -भवन  में छाजों/ ढुड्यारों  में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of,  Old Bazar, Almora city,  Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -  409
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 अल्मोड़ा बाजार व पुराने अल्मोड़ा बजार से काष्ठ कला युक्त  भवनों की अच्छी संख्या में सूचनाएं मिली हैं।  इसी क्रम में आज पुराना  अल्मोड़ा बजार के एक भवन की कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर  चर्चा होगी।
प्रस्तुत भवन तिपुर  है, बहुखण्डी है  व छायाचित्र में  काष्ठ कला से संबंधी   पहला  तल  व दूसरा तल ही महत्वपूर्ण  है। 
पहले तल में छाजों (झरोखे ) के सिंगाड़ों (स्तम्भों )   , ढुड्यारों  ( छाज छेद )  के ढकणो ,  छाज  मुरिन्ड (शीर्ष, header  ) , मुरिन्ड के तोरणम  व दुसरे तल के छाजों  के सिंगाड़ों , छाजों  के ढुड्यारों  के ढक्क्नों में काष्ठ कला पर चर्चा की जायेगी।  दुसरे पुर या तल /second floor  में छाजों के मुरिन्ड /header .स्पष्ट चित्र में नई आये हैं।   पुराने बजार अल्मोड़ा  की यह    बाखली   परम्परागत कुमाउँनी  शैली की है व छाज, ढुड्यारों  ( छाज छेद )  के ढकण , मुरिन्ड , छाजों  के सिंगाड़ , तोरणम व मुरिन्ड परंरागत रूप /शैली/संरचना  के हैं। 
सभी सिंगाड/स्तम्भ  कला , अंकन दृष्टि से सामान हैं।  सिंगाड़ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल  अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल (a Ring type wood plate ) है जिसके ऊपर  कमलद दल अंकन के कारण घट पेट  निर्मित हुआ है।  घटपेट के ऊपर  ऊर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  यहां से सिंगाड लौकी आकर ले ऊपर चलता है. जहां पर सिंगाड़ /स्तम्भ की मोटाई न्यूनतम है वहां पर अधोगामी कमल दल अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल दल है व यहां से सिंगाड़ (स्तम्भ ) थांत ( Like Cricket Bat blade ) रूप धारण कर मुरिन्ड /header कड़ी से मिल जाता है।  यहीं से छाज के छेद के ऊपरी भाग का तोरणम भी निर्मित हुआ है।  तोरणम के स्कन्धों में आकर्षक कला अंकन /उत्कीर्णन हुआ है जो प्रतीकात्मक व प्राकृतिक अलंकरण का मिश्रित रूप दृष्टिगोचर हो रहा है।  तोरणम के ऊपर मुरिन्ड /header की कड़ी भी कला उत्कीर्णन युक्त है  एवं मुरिन्ड  में आकर्षक  प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।   
छाजों के ढुड्यार/छेद ढके भी हैं व खुले भी हैं।  निचले ढक्क्न में कला अंकन जैसे हुक्के की नई या छपते बेलन रूप अंकन हुआ है।   छाज  ढुड्यार/छेद  अंडाकार हैं व  निचले स्तर में कहीं कहीं  सपाट ढक्क्न है व कहीं कहीं  अंकन हुआ।   छाज के कुछ  ढुड्यार/छेद को आधुनिक तार जालीदार दरवाजों से भी ढका गया है जो परिवर्तन की सूचना देता है।   
दुसरे तल में छाज के कुछ  ढुड्यार/छेद ढक्क्नों  में भिन्नता है व आकर्षण है। 
  निष्कर्ष निकलता है जयमित्र सिंह बिष्ट द्वारा चित्रित प्रस्तुत  अल्मोड़ा पुराने बजार  की बाखली भव्य रही है।  बाखली की काष्ठ कला भी भव्य है।  भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण  कला उत्कीर्णन हुआ है।  भवन में किसी भी प्रकार का मानवीय अलंकरण  दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है। 
 फोटो आभार :   जय मित्र सिंह  बिष्ट 
सूचना प्रेरणा - बलवंत सिंह (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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कोट केन्द्री (चम्पावत ) के पांडेय परिवार  के जंगलेदार भवन में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of   Koti Kendri , Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,  जंगलेदार ,  खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन  -410
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती  

  कोट केन्द्री का उल्लेख जिम कॉर्बेट ने  था।  आज  कोट केन्द्री के एक पांडेय परिवार के जंगलेदार भवन में में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।   कोटि केन्द्री (चम्पावत ) का प्रस्तुत  भवन तिपुर  या ढाईपुर  है व दुघर /दुखंड है। भवन का जीर्णोद्धार हुआ है।   भवन के भ्यूंतल की काष्ठ कला छायाचित्र में दृष्टिगोचर नहीं होती है।  दूसरे (Top  Floor ) में भी खिड़कियों के द्वार - सिंगाड़  में ज्यामितीय कटान से कटान हुआ है। 
पहले तल में भवन के बरामदे में जंगल बंधा है। पहले तल में छज्जा  भी काष्ठ कड़ियों से निर्मित हुआ है।  छज्जे के बाहर की कड़ी से ुप्त स्तम्भ /खाम उठकर ऊपर मुरिन्ड /header  की कड़ी से मिलते हैं।  जंगले में 11  स्तम्भ हैं।  स्तम्भ चौखट हैं  व ज्यामितीय कटान से स्तम्भ ों का  चिरान हुआ है।  छज्जे के ढाई तीन फ़ीट ऊपर  चौखट रेलिंग कड़ी है. इस कड़ी व छज्जे के आधार की कड़ी के मध्य XX  की रेलिंग स्थापित हुयी है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कोट केन्द्री के पांडेय  परिवार के भवन  में ज्यामितीय कटान से कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :   श्रीधर पांडेय (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन 


Bhishma Kukreti

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गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ )  में  महर परिवार के  भव्य बाखली / सामूहिक भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  Gangolihat , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड,के भवनों ( बाखली,तिबारी, निमदारी,छाजों,खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -411
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ से मित्रों ने अच्छी संख्या में बाखलियों , भवनों , खोलियों की सूचना भेजी है।  आज इसी क्रम में  गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ )  में  महर परिवार के  भव्य बाखली / सामूहिक भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण,  काष्ठ उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी।
गंगोली घात के महर परिवार का यह भवन अपने युवा काल नहीं उत्तर काल में भी भव्य है। गंगोलीहाट (पिथौरगढ़ )  में महर परिवार का प्रस्तुत  बाखली/सामूहिक भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन के पहले तल में गौशाला व भंडार कक्षों का होना निश्चित है।  भवन का महवत्व काष्ठ उत्कीर्णन या काष्ठ कुर्याण /लेखनी हेतु नहीं है अपितु भवन /बाखली की संरचना हेतु महत्व है व ऐसे  महत्वपूर्ण भवनों  के बाह्य  छायाचित्र ही नहीं आंतरिक छायाचित्र भी इंटरनेट में या अन्य माध्यमों में संरक्षित होने ही चाहिए। 
  भवन की संरचना अन्य कुमाउँनी बाखलियों के छाजों जैसे  काष्ठ चित्रकारी अंकन युक्त नहीं है अपितु भ्यूं तल खोली में भी कोई अंकन न होना आश्चर्य है।  भ्यूं तल में खोली के द्वार , सिंगाड़ व अन्य कक्षों के द्वार सिंगाड़ो में ज्यामितीय कटान की सपाट  कला दृष्टिगोचर हो रही है।
पहले तल में काष्ठ की बौळियां /शहतीर, कई छाज , छाजों  के छेदों (झरोखों /ढुड्यारों )  के ढक्क्न  , कुछ छाजों के छेदों में तोरणम , इन छाजों के सिंगाड़  सभी काष्ठ की हैं व ज्यामितीय कटान  के उत्कृष्ट उदाहरण है। 
पहले तल में बीम /शहतीर (बौळी) हैं जो पहले तल को संभाले हैं।  इन बौळियों के अंदर भी कोई कुर्याण /कला उत्कीर्णन नहीं हुआ है बस ज्यामितीय कटान है। इसी तरह गंगोलीहाट (पिथौरागढ़ )  में  महर परिवार के  भव्य बाखली / सामूहिक भवन के पहले तल  में  सर्व स्थलों में   ज्यामितीय कटान से ही काष्ठ कला उभर कर आयी है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  गंगोलीहाट के महर परिवार के भव्य बाखली , सामूहिक  भवन में सर्वत्र  ज्यामितीय कटान ही उभर कर आया है व भवन में काष्ठ अंग संरचना भी भव्य ही है।     
सूचना व फोटो आभार: पंकज महर

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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  कोलिंडा ( बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व आयुर्वेदाचार्य कृपाराम सेमवाल  की खोली में   'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of   ,  Kolinda , Bironkhal,  Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -412
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 बीरोंखाल ब्लॉक से कई भवनों की सूचना मिली हैं।  कोलिंडा (पौड़ी गढ़वाल )  से  स्व कृपराम  सेमवाल की खोली युक्त  तिबारी   की सूचना मिली है किन्तु छाया चित्र केवल  भव्य खोली की ही मिल सकीय है।  कोलिंडा ( बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व आयुर्वेदाचार्य कृपाराम सेमवाल  की खोली में  प्रत्येक मुख्य स्तम्भ पांच उप स्तम्भों (सिंगाड़ों ) के योग से निर्मित हुए हैं।   दो  उप सिंगाड  आधार से लेकर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड के स्तर तक जंजीर , चार दलीय पुष्प लता आदि जैसे कला से प्रयुक्त हैं।  शेष तीन उप स्तम्भों में तीनों के आधार में  उल्टे कमल दल , ड्यूल व पुनः सीधे कमल दल से कुम्भियाँ /घुंडियां बनी हैं।  दो कुम्भी युक्त  उप स्तम्भों  में ऊपरी उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन के ऊपर प्राकृतिक लता पर्ण के संगम की  नयनाभिरामी , आकर्षक कला  अंकन हुआ है जो मुरिन्ड  के स्तरों में भी है।  तीसरे स्तम्भ में कमल दल अंकन पुनः ऊपर भी हुआ है।  शेष स्थलों में परं , लता आदि की प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है। मुरिन्ड स्तम्भों के स्तरों (layers ) से निर्मित हुआ है व मुख्य चार खंड हैं।  प्रथम स्तर  पर  चक्राकार शगुन आकृति स्थापित हुयी है।  दुसरे स्तर पर चतुर्भुज  गणेश श्री स्थापित हैं  व तीसरे स्तर में चक्राकार सूर्यमुखी पुष्प जैसा पुष्प स्थापित है। 
चौथा स्तर में कड़ी स्पॉट है व ऊपर से छपपरिका के कष्ट आधार में शंकु लटके हैं। 
मुरिन्ड के परस्पर में  दोनों ओर  दीवालगीर  स्थापित हैं।  दीवालगीर चिड़िया चोंच रूपी भी है साथ में नीचे  कोईप्रतीकात्मक पशु सर है जो शगुन है व पशु सर पर त्रिशूल अंकन हुआ है।
 प्रस्तुत भवन हेतु काष्ठ बिरगणा  गाँव के यजमानों द्वारा दिए गए तूण  लकड़ी का प्रयोग हुआ था। 
 निष्कर्ष निकलता है कि    कोलिंडा ( बीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व आयुर्वेदाचार्य कृपाराम सेमवाल  की खोली में   प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन /उत्कीर्णनन हुआ है। काष्ठ उत्कीर्णन महीन व आकर्षक व उत्कृष्ट है। 
 सूचना व फोटो आभार: भगत राम सेमवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 


Bhishma Kukreti

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   Traditional House Wood Carving Art from Ida, Badhani   , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 413
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती      
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 प्रस्तुत  जंगलादार  भवन जोशी परिवार  का है।  जोशी परिवार  पौड़ी गढ़वाल  से कर्णप्रयाग की ओर आये पहले सिमली में बसर फिर इड़ा बधाणी  में बसे।  प्रस्तुत भवन ६ पीढ़ी पहले का निर्मित है।  भवन भव्य है किन्तु छायाचित्र स्पष्ट न होने से खोली आदि की जानकारी नहीं मिल सक रही है।  प्रस्तुत जोशी परिवार  के भवन की विशेषता यह है कि  खोली के नीचे स्नानघर भी हैं (तब सोचा नहीं जा सकता था)।  भवन धाइपुर है व दुघर है।
भवन की खोलियों की उत्कृष्ट उत्कीर्णन कला के दर्शन नहीं हो सक रहे हैं।
पहले तल (first floor ) में बरामदे /बड़े छज्जे के बाहर रेलिंग जंगला बंधा है।  14 स्तम्भों से युक्त  जंगला  भव्य है।  जंगले के प्रत्येक स्तम्भ ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं व आयताकार हैं।  स्तम्भ के आधार में दोनों ओर दो ढाई फ़ीट ऊंचाई तक पट्टिकाएं चिपके हैं।  स्तम्भ आधार से ऊपर  मुरिन्ड  (header ) के सपाट कड़ी से मिलते हैं।  स्तम्भों के दो ढाई ऊंचाई में रेलिंग कड़ी हैं व रेलिंग के नीचे XX  जंगला बना है। 
निष्कर्ष निकलता है कि इड़ा बधाणी (कर्ण प्रयाग , चमोली ) में जोशी परिवार के प्रस्तुत  भवन में ज्यामितीय कटान का अलंकरण अंकन /उत्कीर्णन ही दृष्टिगोचर हो रहा है।  निश्चर रूप से  खोली में  ज्यामितीय कला के अतिरिक्त भिन्न कला अंकन हुआ होगा। 
सूचना व फोटो आभार:गिरीशजोशी 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना     जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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बावई (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन की भव्य खोली में काष्ठ कला अलंकरण  उत्कीर्णन  अंकन
Traditional House wood Carving Art of  Bawai, Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ, के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली, जंगलेदार  मकान, खोलियों) में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण  उत्कीर्णन  अंकन,-414   
  (लेख में ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना ) 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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   रुद्रप्रयाग में कहावत है कि  जिसकी सुंदर खोली (ऊपर तल में चढ़ने के सीढ़ियों का आंतरिक प्रवेश  द्वार ) न हो व घर ही नहीं माना जायेगा।  बावली केएक भवन की खोली  की काष्ठ कला , काष्ठ उत्कीर्णन कला  रुद्रप्रयाग के उस  कहावत की साक्षी है।
खोली के दोनों ओर मुख्य स्तम्भ / सिंगाड़  चार चार उप सिंगाड़ों /स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं। 
एक प्रकार का अर्थात किनारे के उप सिंगाड शेष  तीन उप स्तम्भों से भिन्न हैं।  आंतरिक उप सिंघाड़ों के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , ऊपर ड्यूल उसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है।  ऊपरी कमल दल के ऊपर भिन्न प्रकार के पुष्प , लता व पर्णों  का अंकन हुआ है।  इस आकृति से भी घुंडियां /कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।  इस कुम्भी आकृति के ऊपर जंजीर , जाली आदि का अंकन हुआ है। उप स्तम्भ का  यही अंकन  ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header  का स्तर  बन जाते हैं। 
बाह्य उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी कमल दल व ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी  पद्म पुष्प दल  से कुम्भी निर्मित हुयी है।  उप स्तम्भ के कमल दल के ऊपर स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है व उल्टे कमल दल ड्यूल व सीधे कमल दल  के अंकन की पुनरावृति हुयी है।  यहां से   उप स्तम्भ /उप सिंगाड़ में  जंजीर नुमा आकृति का  अंकन हुआ है और यही आकृति ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के स्तर में कला अंकन हुआ है।  मुरिन्ड /मथिण्ड /header में कई स्तर केन जो उप स्तम्भों के उप स्तम्भों से ही निर्मित हुयी हैं।  मुरिन्ड /मथिण्ड /header क चौखट हैं।   मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के मध्य  चक्र ाकारी पुष्प  निर्मित हुआ है, जिसके बाहर मंडोला  नुमा आकृतियां अंकित हुए हैं।  चक्र अंदर पुष्प kmpojit /composit  परिवार का पुष्प जैसा है.  यह आकृति बहुत ही आकर्षक है। 
   बावई (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन की भव्य खोली के ऊपर दीवालगीर स्थापित हैं।  दीवालगीर में चिड़िया चोंच , केशर पुष्प व आधार के आकर सजे हैं।   
   निष्कर्ष निकलता है कि बावई (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन की भव्य खोली   में आकर्षक ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय  अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:  जयभूषण
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,


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पुराने टिहरी में टिहरी राज भवन /तिहरी न्यायालय प्रवेश द्वार में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन

Traditional House Wood Carving Art of Tehri Palace  door  , old Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों   (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल  ) में  पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन,  415   
( लेख में ईरानी , इराकी , अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 
प्रसिद्ध पत्रकार मनोज इष्टवाल ने अपनी यात्राओं में गढ़वाल कुमाऊं ही नहीं नेपाल के भवनों व राजमहलों  की भवन कला पर शोध ही नहीं किया अपितु इस कला को आम जन तक भी सुगमता से पंहुचाया।  आज गढ़वाल के भवनों में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन, कड़ी में मनोज इष्टवाल द्वारा  दी गयी सूचना आधार पर पुराने टिहरी राज प्रासाद /टिहरी न्यायालय भवन के प्रवेश द्वार में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन, पर चर्चा होगी।
 मनोज इष्टवाल की इस टिहरी राज प्रासाद / टिहरी न्यायालय भवन की सूचना कई कारणों व उद्देश्यों हेतु महत्वपूर्ण सूचना है।   प्रासाद भवन दीवार  संरचना (काष्ठ कड़ी व पत्थर )  पारम्परिक जौनसार भवनों  की कोटि बनाल शैली से शत प्रतिशत मिलती है।  दीवार की संरचना कुछ कुछ खल  नागराजाधार के स्व बनवारी लाल भट्ट  के भवन (निर्माण वर्ष १८८७) से मिलती जुलती है।  अर्थात सन  १८१५ से  1900 तक  गढ़वाल भवन निर्माण शैली बीसवीं  सदी से भिन्न अवश्य थी।  टिहरी प्रासाद का प्रस्तुत भवन एक कड़ी है जो भविष्य में गढ़वाल में भवन शैली हेतु भी महत्वपूर्ण है।
इस  पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन  श्रृंखला  की दृष्टि से टिहरी  प्रासाद/ टिहरी न्यायालय  के प्रवेश द्वार में अभिनव काष्ठ कला भी महत्वपूर्ण है जो द्योतक है कि  गढ़वाल में क्योंकर खोली  का गढ़वाल में अत्तयंत महत्व है।  टिहरी प्रासाद का प्रवेश द्वार में काश्त कला भी द्योत्तक है कि टिहरी नरेश खोली में गणेश आगमन को महत्व देते थे जैसे बद्रीनाथ मंदिरों को महत्व देते थे।
प्रासाद/ टिहरी न्यायालय  के द्वारों में  दोनों ओर मुख्य  सिंगाड़ /स्तम्भ  तीन तीन उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए है और बहुत ही शक्ति शाली हैं। दो उप स्तम्भ हैं तीसरे उप स्तम्भ से कटान व काष्ठ कला उत्कीर्णन में भीं हैं।  तीनों उप स्तम्भ ऊपर जाकर प्रवेश द्वार के मुरिन्ड /मथिण्ड /header का निम्न स्तर निर्माण करते दीखते हैं।  बाहर के दो उप स्तम्भों में सर्पाकार गुंथी लताएं , चुटिया /धमेली  नुमा प्राकृतिक  कला अंकन हुआ है।  आंतरिक स्तम्भ   सपाट ज्यामितीय कटान का सक्षम उदाहरण है। इन आंतरिक सपाट  उप स्तम्भों के ऊपर मुरिन्ड का निम्न भाग है व इस शक्तिशाली पटिले पर पुष्प , लता , पत्तियों , ॐ आदि का मिश्रित आकषक काष्ठ कला उत्कीर्ण हुयी है।  अब तक के भवन सर्वेक्षणों में गढ़वाल में इस प्रकार का कला उत्कीर्णन अवश्य मिला है किन्तु टिहरी प्रासाद / टिहरी न्यायालय के प्रवेश द्वार के मुरिन्ड /header के निम्न स्तर में यह उत्कीर्र्ण उतकृहत उदाहरण है।  कलाकारों /शिल्पकारों को नमन। 
मुरिन्ड के दो स्तर   में उप स्तम्भों की  कला का प्रति रुपण हुआ है किन्तु मध्य में आयातकार  काष्ठ गट्टे बिठाये गए हैं व नीचे स्तर में चारपाई के आधार के पाए जैसी आकृति   बिठाई गयी हैं। 
 टिहरी राज प्रासाद / टिहरी न्यायालय के प्रवेश द्वार के मुरिन्ड के दाहिने व बायीं ओर  एक एक विशेष  काष्ठ दीवालगीर  स्थापित है। यह दीवालगीर  प्रतीकात्मक है जिसका प्रयोजन  इष्ट देवता को प्रसन्न करने हेतु तो है ही अपितु छल कपटियों को सूचना देने हेतु भी है कि छल कपट करोगे तो तुम्हारी खैर नहीं।  यह आकृति मुंह खोले मगरमच्छ /मगर की है जो शगुन का भी प्रतीक है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  पुराने टिहरी के राज प्रासाद/ टिहरी न्यायालय की दीवारों की निर्माण शैली व द्वार  खोली  में काष्ठ  उत्कीर्णन शैली गढ़वाल के भवनों की संरचना शैली व काष्ठ कला हेतु महत्वपूर्ण है और इस छाया चित्र का प्रचार प्रसार व संरक्षण आवश्यक है जिससे भविष्य में शोधकर्ताओं को सुविधा हो।
 निष्कर्ष निकलता है कि पुराने टिहरी के राज प्रासाद / टिहरी न्यायालय के प्रवेश द्वार /खोली में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला उत्कीर्ण हुए हैं।  कला भव्य है।   

  सूचना व फोटो आभार:प्रसिद्ध पत्रकार  मनोज इष्टवाल     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;  जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from   Tehri;  टिहरी राज प्रसाद की भवन निर्माण कला , टिहरी राज प्रासाद प्रवेश द्वार में काष्ठ उत्कीर्णन कला , Wood carving on Tehri   Palace door

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   वाघोरी (हरसिल, उत्तरकाशी ) में  एक भवन (भवन संख्या ४ )  में पारम्परिक  गढ़वाली  शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

  Traditional House wood Carving Art in , Vaghori (Harsil )   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड ,  की  पारम्पपरिक   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन- 416
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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  हरसिल , मुखबा से अच्छी संख्या में  आकर्षक , विशेष भवनों  की सूची विशेषकर सोसल मीडिया से मिली हैं।  इसी क्रम में आज   वाघोरी (हरसिल, उत्तरकाशी ) में  एक भवन (भवन संख्या ४ )  में पारम्परिक  गढ़वाली  शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन पर च्चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन ढाई पुर व दुघर है।  भ्यूंतल (ground floor ) संभवतया भंडार या गौशाला है।  पृथक तल व ढाईवां तल रहने वास हेतु है।  भवन  उत्तरकाशी के उत्तरी क्षेत्र में आदि रूप (अति प्राचीन )  का भवन शैली का है किन्तु छत चद्दर की होने से जीर्णोद्धार या होम स्टे की सूचना देता है।  पहले व  दूसरे तल की दीवारें काष्ठ पटिलों /तख्तों से निर्मित हैं किन्तु पहले तल में बरामदा को ढके तिबारी दृष्टिगोचर हो रही है।  तिबारी में चार सिंगाड़ /स्तम्भ की संभावना दिख रही है।  स्तम्भ /सिंगाड़ के आधार में उल्टे कमल दल , ड्यूल व पुनः सीधे कमल दल अंकन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण करता है व  पुनः कमल दलों की पुनरावृति होती है।  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल के ऊपर से स्तम्भ थांत (Cricket Bat Blade जैसा ) रूप धारण कर ऊपर शक्तिशाली आयताकार बौळी /शहतीर से मिल जाता है।  जहां से स्तम्भ थांत आकृति धारण करता है वहीं से तोरणम ( मेहराब arch )  का अर्ध चाप भी निकलता है।  तोरणम के स्तम्भों में प्राकृतिक  काष्ठ कला अंकन हुआ है।  तिबारी नुमा आकृति भव्य है व शक्तिशाली काष्ठ (शतप्रतिशत देवदारु ) से निर्मित है। 
ढैपुर  की संरचना दीवालें ज्यामितीय कटान की  सपाट पटिलों से निर्मित हैं।  भवन के अन्य स्थलों में भी ज्यामितीय कटान के काष्ठ पतीलों (तख्तों ) का निर्माण है। 
निष्कर्ष निकलता है कि   वाघोरी (हरसिल, उत्तरकाशी ) में  एक भवन (भवन संख्या ४ )  में  काष्ठ  कला हेतु   जयमितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन  का  प्रयोग हुआ है।   भवन कुछ कुछ पिरामिडा कर है अर्थात कम से कम २०० वर्ष पहले नींव रखी गयी ही होगी। 

  फोटो आभार : माधवी दाबदा
  सूचना प्रेरणा : गजेन्द्र सजवाण
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   

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  कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के  रावत परिवार के जंगलेदार, तिबारीयुक्त  भवन (संख्या 3 ) पारम्परिक गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन
गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -417
Traditional House wood Carving art of ,  Koti Banal , Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती

कोटि बनाल  से दिनेश रावत ने रावत परिवार के कई भवनों की सूची व छायाचित्र भेजी हैं जिसमें काष्ठ कला  व काष्ठ कला शैली के उत्कृष्ट  उदाहरण मिलते हैं। 
आज कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के  रावत परिवार के जंगलेदार  तिबारी युक्त भवन (संख्या 3 ) पारम्परिक गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।   प्रस्तुत भवन दुपुर , दुघर है व जौनसारी व रवाईं  के पारम्परिक भवनों से कुछ भिन्न है कि  भवन पिरामिड नुमा आकर में न हो पारम्परिक गढ़वाली जंगलेदार भवन जैसा ही है। 
भवन में  भ्यूंतल में तोरणम युक्त कक्ष हैं जो संभवतया गौशाला या भंडार हेतु संरक्षित हैं।  भ्युं तल में काष्ठ  कला में ज्यामितीय कटान  से कटी पट्टियों /पटिलों /कड़ियों का प्रयोग हुआ है।  पहले तल में भवन में दो प्रकार की काष्ठ कला शैली के दर्शन होते हैं।  एक  पहले तल में बरामदे पर तिबारी स्थापित हुयी है व बाहर तिबारी के बाएं ओर  जंगल बंधा है।
  तिबारी चार पारम्परिक गढ़वाली शैली के सिंगाड़ों /स्तम्भों से निर्मित है।  सिंगाड के आधार में ाधगामी पद्म पुष्प ,  इसके ऊपर ड्यूल, ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का अंकन /उत्कीर्णन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी है व कुछ ऊपर जाकर स्तम्भ में यही कला उत्कीर्णन (कंडल दलों का उत्कीर्णन )  दुहरायी गयी है।  ऊपरी कमल दल से स्तम्भ थांत आकर धारण कर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड header  की कड़ी से मिल जाता है।  यहीं से स्तम्भों में तोरणम के अर्ध चाप निकलते हैं व तोरणम निर्माण करते हैं।  तोरणम स्कन्धों में प्राकृतिक काष्ठ अंकन के चिन्ह स्पष्ट दीखते हैं। 
तिबारी के बायें ओर  पाषाण छज्जे के ऊपर  जंगल बंधा है।  जंगल के स्तम्भ, रेलिन्ह कड़ियों  व कड़ियों, उप कड़ियों में व उप स्तम्भों में  ज्यामितीय कटान से निर्मित सपाट कला दर्शन होते हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के  रावत परिवार के जंगलेदार, तिबारीयुक्त  भवन (संख्या 3 ) में ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है।  भवन आम जौनसारी भवन से कुछ भिन्न है व पूरबी गढ़वाल के भवनों जैसे हैं। 
सूचना व फोटो आभार : दिनेश रावत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Dehradun; Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Uttarkashi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Chakrata;     Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Kalsi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Devdhar;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Bharam ;  Koti Banal House Wood carving art in  Tyuni, Jaunsar ;   कालसी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;    त्यूणी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     चकरोता जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  बड़कोट   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     भरम जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  हनुमानचट्टी   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  यमुनोत्री   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;


 

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