Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37263 times)

Bhishma Kukreti

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 अल्मोड़ा बजार के एक छाज (गजेंद्र छायाचित्र संख्या १ )  में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of,  Almora Bazar Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 428 
 (प्रयत्नहै कि इरानी, इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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सोशल मीडिया मित्र  गजेंद्र बिष्ट  ने FB  द्वारा   प्रसिद्ध अल्मोड़ा  बजार के कई छाजों /झरोखों /गवाक्षों /ढुड्यार  की सूचना भेजी हैं जो काष्ठ कला दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।  आज इसी क्रम में  अल्मोड़ा बजार के एक छाज (गजेंद्र छायाचित्र संख्या १ )  में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
 प्रसिद्ध अल्मोड़ा बजार का यह प्रस्तुत  छाज पहले या दूसरे तल पर स्थापित है व इसका कुछ जीर्णोद्धार हुआ है।   छाज  के दो ढक्क्नों में भिन्न भिन्न कला दृष्टिगोचर होता है।  एक छाज /गवाक्ष ढक्क्न में उठते  केशर पुष्प  की कला युक्त अंकन हुआ है तथा  पुष्प लता का अंकन भी हुआ है।  दूसरे ढक्क्न /दरवाजे  में प्राकृतिक जाली नुमा  जैसी आकृति अंकन हुआ है।  छाज के स्तम्भों , तोरणमों में व कड़ियों में   कर जालीनुमा  प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार  में छाज  (गजेंद्र संख्या -१ )  में ज्यामितीय व प्राकृतिक अधिकतर जालनुमा अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :   : गजेंद्र बिष्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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अगर (चमपवत ) के भवन २  में कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन 

Traditional House Wood carving Art of   Agar village  (number 2), Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन  -429
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 चम्पावत से   काष्ठ कला युक्त भवनों  की सुचना मिल रही हैं।  आज अगर के भवन संख्या २ की कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 
  अगर (चमपवत ) के  बाखली युक्त    भवन २    दुपुर व दुघर है।  भवन में भ्यूं तल में भंडार  गौशाला कक्ष हैं व भ्यूंतल में काष्ठ  कला सामन्य ज्यामितीय कटान से हुए द्वार आदि ही हैं।
   अगर (चमपवत ) के  बाखली युक्त भवन २     के पहले तल में काष्ठ कला विश्लेषण हेतु निम्न स्थलों  का निरीक्षण आवश्यक हैं।  -
भ्यूंतल से ऊपर पहले तल तक  उठी खोली में काष्ठ कला
शहतीर /बौळी में काष्ठ कला 
ढुड्यार /छाज/गवाक्षों /झरोखों  के स्तम्भों में काष्ठ कला
छाजों के आंतरिक भाग के  ऊपर  तोरणमें में काष्ठ कला
  ढुड्यार /छाज/गवाक्षों /झरोखों  निम्न भाग के ढक्क्नों  के ऊपर काष्ठ    कला
भवन के  छाजों   के ऊपर  मुरिन्ड  header कड़ियों में काष्ठ कला अंकन
  अगर (चमपवत ) के  बाखली युक्त भवन २    में  आधे भ्यूंतल से पहले तल तक खोली स्थापित है।   
खोली के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए है।  प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में उल्टे  कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल दल से घुंडियां /कुम्भियाँ निर्मित हुयी है जो कुछ उप स्तम्भों में ऊपर की ओर  भी हैं।  खोली के मुरिन्ड /हैडर के आंतरिक भाग में तोरणम /आर्च /मेहराब स्थापित हैं और तोरणम के स्कन्धों में संभवतया प्राकृतिक काष्ठ कला अंकन हुआ है।  खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /हैडर  के ऊपर  देव मूर्ति स्थापित है। 
 अगर के बाखली युक्त भवन में तीनों बौळी/ शहतीर  आयताकार हैं।    आयताकार बौळियों के अंदर आयत में ही ज्यामितीय  चिरान /कटान   हुआ है जो अंदर दो दो आयत निर्माण करते हैं। 
  पहले तल में चार छाज हैं जो उप छाजों  से निर्मित हुए हैं।  छाजों के  उप स्तम्भ ों से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं व प्रत्येक छाज  के मुरिन्ड /header  में  तोरणम स्थापित हुए हैं।   छाजों  के स्तम्भों व तोरणम में काष्ठ कला उत्कीर्णन खोली के स्तम्भ व तोरणम सामान ही हैं। 
 छाजों के  निम्न ढक्क्नों  में ज्यामितीय काष्ठ कला उत्कीर्णन अंकन हुआ है।
  निष्कर्ष निकालना सरल है कि  अगर (चमपवत ) के  बाखली युक्त भवन संख्या २ में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय   काष्ठ अलंकरण अंकन हुआ है। 

सूचना व फोटो  आभार :  सुंदर सिंह बिष्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


Bhishma Kukreti

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अलगड़ा (बुंगाछीना, पिथौरागढ़ ) के एक  भव्य बाखली भवन में कुमाऊं शैली की  'जगतड़ी'  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  Algara near Bungachhina   , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की  'जगतड़ी'  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -430
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 अलगड़ा  से एक पुराने  भव्य बाखली भवन  की सूचना महत्वपूर्ण है।  आज  अलगड़ा (बुंगाछीना, पिथौरागढ़ ) के एक  भव्य बाखली भवन में   कुमाऊं शैली की  'जगतड़ी'  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी। भव्य  बाखली का निर्माण काल १९१७ अंकित है। 
  अलगड़ा (बुंगाछीना, पिथौरागढ़ )  प्रस्तुत बाखली  (सामूहिक भवन ) दुपुर  व दुखंड है।  भ्यूंतल (ground floor )  में गौशाला व भंडार हेतु कक्ष है जिनके द्वारों आदि में ज्यामितीय कटान (सपाट ) कला दृष्टिगोचर होती है। 
काष्ठ कला दृष्टि से प्रस्तुत  अलगड़ा (बुंगाछीना, पिथौरागढ़ ) के एक  भव्य बाखली भवन में निम्न स्थलों में काष्ठ कला उल्लेखनीय है -
१- खोली के सिंगाड़ /स्तम्भों , तोरणम व मुरिन्ड में काष्ठ कला अलंकरण अंकन
२- भ्यूंतल के ऊपर पहले तल के चौखट  धरणी   (बौळी /शहतीर ) में काष्ठ कला
३- छाजों /गवाक्षों झरोखों ) के स्तम्भों , तोरणमों , मुरिन्ड /header में काष्ठ कला , अलंकरण आदि
४ - छाजों (गवाक्षों /ढुड्यारों  के ढक्क्नों में काष्ठ कला अंकन
 कुमाऊं और गढ़वाल में खोली का अत्यंत महत्व है।  काष्ठ की खोली कलयुक्त होती हैं।  प्रस्तुत बाखली में भी खोलियाँ (भूतल से आंतरिक सीढ़ियां प्रवेश द्वार ) कलायुक्त हैं।   खोली के स्तम्भ  /सिंगाड़  उपस्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  एक प्रकार के उप सिंगाड़ / उप स्तम्भ के आधार में   अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है इसके ऊपर ड्यूल  है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प के अंकन से कुम्भी या घुंडी निर्मित हुयी है।  यहां से 
स्तम्भ के ऊपर प्राकृतिक जाल जैसे कला अंकन हुआ है और उप स्तम्भ ऊपर जाकर खोली के मुरिन्ड /header  का स्तर बन जाते हैं अर्थात  वही कला मुरिन्ड में दृष्टिगोचर होती है।  खोली के दूसरे प्रकार के उप स्तम्भ में लतानुमा जाली जैसे चितकराई हुयी होती है। 
खोली के मुरिन्ड /header  में कलायुक्त तोरणम है।  तोरणम के स्कन्धों में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण के दर्श होते हैं।  ऐसा लगता है मध्य में कोई देव चित्र भी है। 
  सभी छाज भ्यूंतल  के ऊपर  चौकोर धरणी /बौळी log  पर स्थित हैं ।  चौकोर धरणी  के अंदर रेखाों से चौकोर आयत  बने हैं  व अब कला अलंकरण  अस्पष्ट  है।
  छाजों /गवाक्षों /ढुडयारों  के उप स्तम्भों व तोरणम में वही कला अलंकरण अकन दृष्टिगोचर होता है जो कि  खोली के उप स्तम्भों/सिंगाड़ों  व तोरणम में दृष्टिगोचर होता है केवल आकार का अंतर् है। 
  छाजों  के निम्न ढक्क्न  खिन वर्तमान  कल के खिड़कियों के पैनल /द्वारपक्ष होते हैं।  इन द्वारपक्षों /पैनलों में संभवतया ज्यामितीय कटान से रेखायुक्त अंकन हुआ है। 
बाखली के एक मुरिन्ड के भाग का अलग से चित्र मिला है जिसमे भवन स्थापना सं तो अंकित हुआ ही है अपितु कुछ  आकर्षक कला पक्ष भी दृष्टिगोचर होता है।  दास (जो छज्जों को संभालते हैं ) भी चिड़िया चोंच जैसे हैं व निम्न स्तर पर लता पुष्प के मिलन युक्त अंकन हुआ है और लगता है जैसे धमेली/ स्त्री चोटी जैसे आकर्षक दिखती हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  अलगड़ा (बुंगाछीना, पिथौरागढ़ ) के एक  भव्य बाखली भवन में आकर्षक ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।  शिल्पकार जग तड़ी  को नमन। 
सूचना व फोटो आभार:पप्पू आर्य
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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  सिबियाधार (नैनीडांडा , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व रामेश्वर  प्रसाद ध्यानी के भवन
में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन
    Tibari House Wood Art in House of Sibiyadhar (Gujuru, Nainidanda )   , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -431
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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नैनीडांडा से काश्त कला युक्त भवनों की सूचना  मिली है।  आज सिबियाधार (नैनीडांडा , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व रामेश्वर प्रसाद  ध्यानी के  भव्य भवन में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी।  आज सिबियाधार (नैनीडांडा , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व रामेश्वर  प्रसाद ध्यानी  का भवन  ढैपुर  व दुखंड है।  भवन के भ्यूंतल  के कक्षों के द्वार व सिंगाड़ों  में ज्यामितीय कटान की कला है। 
 आज सिबियाधार (नैनीडांडा , पौड़ी गढ़वाल ) में  स्व रामेश्वर  प्रसाद ध्यानी  का भवन  के पहले तल में बरामदे के बाहर  जंगला  स्थापित है।  जंगले में १३ खां स्तम्भ  हैं व स्तम्भों के मध्य आधार में  रेलिंग मध्य लघु जंगला भी है।   शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान से निर्मित कला ही दृष्टिगोचर हॉ रही है। 
सूचना व फोटो आभार: सतीश ध्यानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन


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मलारी  (चमोली ) में  पारम्परिक भवन संख्या ५  में गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

  Traditional  House Wood Carving Art  from  Malari   , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में  पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 432
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती      
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आज मलारी के  एक पारम्परिक भवन संख्या ५  में गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।  मलारी  (चमोली ) में  पारम्परिक भवन संख्या ५   आदिकला  का स्मरण दिला देता है।  भवन  ह्यूं  /बर्फीली स्थल हेतु निर्मित  हुआ है।  भवन ढाई या तिपुर  है।  भवन की विशेषता है कि  भवन  कोटि बनाल शैली से निमृत हुआ है (काष्ठ  व पत्थर से दीवारें ) I   प्रत्येक तल को संभालने हेतु काष्ठ कड़ियों का प्रयोग हुआ है।  कड़ियों  के मध्य ढुड्यार /छेद /झरोखे /गवाक्षों को ढकने हेतु सपाट पटिलों  (plain wood  plates  ) का प्रयोग हुआ है।  दीवारें काष्ठ पटिलों व  कड़ियों से निर्मित की गयी हैं।  मलारी  (चमोली ) में  पारम्परिक भवन संख्या ५  ज्यामितीय कटान का ही प्रयोग हुआ है व कईं भी कुर्याण /उत्कीर्णन से कला निर्मित नहीं की गयी है।   
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के एक भवन में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of Chaur,   Rudraprayag     
  गढ़वाल, कुमाऊँ, के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलेदार  मकान, खोलियों  ) में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-  433
(लेख में ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना )
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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रुद्रप्रयाग में गढ़वाली भवन कला आकर्षक रूप में विकसित हुयी जिसका साक्ष्य चौड़  का  एक आकर्षक भवन है।  आज चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के एक भवन में पारम्परिक  गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।  चौड़ (रुद्रप्रयाग )  का  प्रस्तुत  भवन  दुपुर व दुखंड है।  चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के   प्रस्तुत  भवन में भ्यूं  तल ( ground  floor ) में खोली व  पहले तल में तो तिबारियों में काष्ठ  ,  उत्कीर्णन उल्लेखनीय है।  खोली में मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ तीन तीन उप सिंगाड़ों /स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  उप स्तम्भ में दो प्रकार की कला उत्कीर्णन हुआ है।  एक प्रकार उप स्तम्भों में प्राकृतिक लता जालिका जैसे अंकन हुआ है। चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के  प्रस्तुत  भवन  की खोली के दुसरे प्रकार में उलटे कमल दल , ड्यूल , सीधे कमल दल से कुम्भी  या घुंडियां निर्मित हुयी हैं।  कुम्भियों के ऊपर लता जालिका जैसा अंकन हुआ है।  खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /header  में उप स्तम्भों जैसे जालीदार कला उत्कीर्णित हुयी है।  भवन खोली के मुरिन्ड /header  के ऊपर एक चौखट में देव मूर्ति स्थापित है। 
  चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के   प्रस्तुत  भवन    की खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के दाएं बाएं दोनों और दीवालगीर (bracket ) स्थापित हैं।   चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के   प्रस्तुत  भवन  के खोली के दीवालगीरों में चिड़िया ,  हाथी  , शंकु  का अंकन हुआ है। 
  चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के   प्रस्तुत  भवन  में दो तिबारियां स्थापित हुयी है।  दोनों तिबारियों चार चार स्तम्भों से निर्मित हुयी हैं।  एक तिबारी के स्तम्भ के आधार में कमल दल , ड्यूलों का उत्तीर्ण आधार में हुआ है किन्तु ऊपर स्तम्भ सपाट  चौखट हैं व स्तम्भ मुरिन्ड  की आयताकार कड़ी से मिल जाती हैं।
   चौड़ (रुद्रप्रयाग )  के   प्रस्तुत  भवन के  दूसरी  तिबारी के स्तम्भ के आधार में आकर्षक  कमल दलों व ड्यूल से कुम्भी  निर्मित हुयी हैं।  ऊपर भी यही  क्रम अर्थात  अधोगामी पुष्प दल , ड्यूल व ऊपर सीधे कमल दल की  पुनरावृति होती है।  ऊपर स्तम्भ थांत में बदल ऊपर की कड़ी से मिलते हैं।  यहां  आकर्षक तोरणम भी  निर्मित हुए हैं।  तोरणम के स्कन्धों में सूर्यफुल अंकित हुयी हैं। थांत  के ऊपर दीवालगीर  स्थापित हुए हैं।  दीवालगीर  में हाथी अंकन हुआ है।  इस तिबारी के मुरिन्ड /header  की कड़ी सपाट  है।
निष्कर्ष निकलता है कि  चौड़ (रुद्रप्रयाग ) के  आकर्षक काष्ठ  कलायुक्त भवन में  ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण के कला उत्कीर्णन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:  सुनील भट्ट
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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सौड़  (कंतौल टिहरी ) के एक भवन (संख्या 5 ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

        भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Saur, Kantaul , Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ, भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी,) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-434   
(लेख में ईरानी, इराकी, अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 
 टिहरी से अच्छी संख्या में    कलायुक्त भवनों की सुचना मिलती जा रही है।  आज  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के एक भवन (संख्या 5 ) में    पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन पर चर्चा होगी।   प्रस्तुत भवन दुपुर -दुघर है।  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के प्रस्तुत  भवन  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के प्रस्तुत  भवन के भ्यूंतल (ground floor ) में भंडार व गौशाला कक्ष हैं व कक्षों के द्वारों-सिंगाडों  व खंडकियों के द्वारों सिंगाड़ों पर ज्यामितीय कटानों से कार्य हुआ है। 
  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के प्रस्तुत  भवन के पहले तल में सतखाम्या (  सात  सिंगाड़ों /स्तम्भों  ) तिबारी स्थापित है।  सभी सात सिंगाड एक सामान  हैं।  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के प्रस्तुत  भवन  के तिबारी के सिंगाड़ /स्तम्भ सामन्य गढ़वाली तिबारियों के सिंगाड़ों /स्तम्भों से कुछ भिन्न है।  प्रत्येक सिंगाड़  चार चार उप सिंगाड़ों  के युग्म से निर्मित हैं।  प्रत्येक उप सिंगड़ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प , फिर ड्यूल व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प अंकन /उत्कीर्णन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी है जो आकर्षक हैं।  पुरे  उप सिंगड़ में कुम्भियाँ हैं।  उप सिंगाड  ये युग्म निर्मित सिंगाड़  ऊपर की कड़ी से मिलते हैं। 
पहले तल में दो मोरियाँ (window ) के सिंगाड़  व मुरिन्ड /header   पर  आकषक    कला अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  सौड़  (कंतौल टिहरी ) के प्रस्तुत  भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक  और मानवीय अलंकरण काष्ठ  कला  अंकन हुआ है। 
 

  प्रेरणा  सोत्र  सूचना व फोटो आभार:  देवेंद्र रतूड़ी       
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


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नेलंग  (उत्तरकाशी )  के  गोवर्धन के   भवन  (संख्या ७ ) में पारम्पपरिक  गढवाली शैली  की  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन

  Traditional House wood Carving Art in  Nelong ,  Harsil ,  Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ, के   भवन  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार मकान ,बाखली,खोली , कोटि बनाल ) में पारम्पपरिक  गढवाली शैली  की  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन-435
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
-
 नेलंग, बागोरी जडंग  से नेलंग . कॉम   भी कई भवनों की सूचना मिली है।  इसी क्रम में आज  १९७३ में स्थापित  नेलंग  (उत्तरकाशी )  के  गोवर्धन के   भवन     गढवाली शैली  की  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन पर चर्चा होगी।  भवन तिपुर -दुखंड व आदि काल शैली , कोटि बनाल निर्माण शैली  का भवन है।  भवन के बौळी slab  प्रत्येक तल को संभालने हेतु लगाई गयीं हैं। 
प्रस्तुत भवन में पहले तल के बरामदे पर टिबरीनुमा संरचना है , इस संरचना में काष्ठ  के सपाट ज्यामितीय कटान के कटे सात स्तम्भ /सिंगाड़ हैं।  इन स्तम्भों के आधार में दो सत्मव्हों मध्य जंगले  स्थापित हैं।  जंगलों  में भी सपाट ज्यामितीय कटान से कटे कड़ियाँ लगे हैं।  जंगले में XX  आकर में उप स्तम्भ हैं। 
नेलंग  (हरसिल क्षेत्र , उत्तरकाशी ) के प्रस्तुत   भवन में ज्यामितीय कटान की काष्ठ कला दृष्टिगोचर हो रही है।  भवन आदि कालीन शैली का ही है। 
सूचना व फोटो आभार : नेलंग. कॉम
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


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जिवाणु  ( चकराता , देहरादून ) के एक भवन  (संख्या १ ) में  की पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण


  Traditional House wood Carving Art of  Jiwanu  , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊ के भवन(तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  में  पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण-  436

 संकलन - भीष्म कुकरेती

जौनसार पारम्परिक व पुराने  व अति  विशेष काष्ठ  कला हेतु प्रसिद्ध क्षेत्र है।   इसी  क्रम  में आज  जिवाणु  (देहरादून ) के एक भवन  (संख्या १ ) में  की   पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण  परचर्चा होगी। 
प्रस्तुत  जिवाणु  (देहरादून ) के एक भवन  (संख्या १ ) तिपुर दुखंड , कोटि बनाल निर्माण शैली में निर्मित प्राचीन /आदि कालीन जौनसार, उत्तरी पश्चमी  उत्तरकाशी  व हिमाचल में  बहु प्रचलित  शैली का भवन है।  जिवाणु  (देहरादून ) के  प्रस्तुत  भवन संख्या १  पारम्परिक शैली का  पिरामिड नुमा भवन है और परम्परानुसार  जिसके भ्यूं  तल में भंडार या गौशाला कक्ष हैं (यह प्रथा नीति -माणा  क्षेत्र व पिथौरागढ़ भोटान्तिक क्षेत्र  में भी प्रचलित है ) ।भ्यूं  तल में कक्ष के द्वार में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रहा है।   पहले व दूसरे  तल के बरामदे में किवाड़ नहीं अपितु स्तम्भ हैं।  इस भवन में पहले तल में चार   सपाट चौकोर स्तम्भ /सिंगाड़  हैं व अंदर कक्षों के द्वारों में भी सपाट कटान का प्रदर्शन हुआ है।  कक्षों के द्वार या द्वार ढक्क्न  में  चौकोर के अंदर चौकोर संरचना का ज्यामितीय  कटान  के उत्कृष्ट उदाहरण है।
ऊपरी तल में भी टीकों संरचना /पिरामिड  में गांज  व बौळी व छत आधार की कड़ियों में  सभी ज्यामितीय कटान की संरचना दृष्टिगोचर होता है।
 जिवाणु  (देहरादून ) के प्रस्तुत भवन संख्या १  में केवल ज्यामितीय कटान की कला ही दृष्टिगोचर हो रही है।
   
सूचना व फोटो आभार:  मनोज इष्टवाल   
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of  Dehradun, Garhwal  Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन 


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  धानाचूली (नैनीताल ) के एक भवन (संख्या ५ )  के  छाज में काष्ठ कला व अलंकरण

   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli, Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 437
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी, इराकी , अरबी   शब्द न हों )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 धानाचूली में कई भवनों के छाजों  की सुचना मिली है।  इसी क्रम में आज धानाचूली के भवन संख्या ५ की छाज /गवाक्ष /झरोखे /ढुड्यार  में काष्ठ कला , अलंकरण उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 
पहले तल के छाज चौकोर कलायुक्त  भ्यूं तल (ground floor ) की  बौळी ( girder, शहतीर  )  पर टिके  हैं।   बौळी  में कटान से रेखाओं से कई आयत निर्मित हुए हैं।  मध्य आयत में पड़े S  नुमा आकार उत्कीर्ण हुए हैं।  कला आकर्षक है।   मध्य से बाहर के आयतों में //  आदि कटान का अंकन हुआ है।  इन आयतों के बाहर दो आयतों में भी ज्यामितीय कटान से उत्कीर्णन हुआ है।  बौळी के ऊपर दो छाज हैं।  छाज के मुख्य स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ में  उलटे , सुल्टे पद्म पुष्प, ड्यूल से निर्मित कुम्भियाँ,  हृदय नुमा आकृति या पीपल पत्ते की आकृति व लताओं , फर्न आकृति आदि का आकर्षक अलंकरण अंकन हुआ है।  छाज के अंदर ऊपर तोरणम में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकृत   कला अंकन  हुआ है।  छाज के नीचे वाले ढक्क्नों में  प्राकृति लता , गुल्म आदि का उत्कीर्णन हुआ है। 
छाज के शीर्ष /मुरिन्ड/मथिण्ड  में  भी कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  धानाचूली के भवन संख्या ५ के छाज में ज्यामितीय , प्राकृतिक कटान के अलंकरण कला अंकन हुआ है।  कुर्यांण  या उत्कीर्णन बड़ी महीन हुयी हैं। 
सुचना प्रेरणा सत्य प्रसाद
सूचना व फोटो आभार:  मुक्त नाईक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 


 

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