Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37254 times)

Bhishma Kukreti

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       अल्मोड़ा बजार के एक भवन के छाज/झरोखे   (गजेंद्र छायचित्र संख्या २ ) में विशेष  काष्ठ , कला , उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of a House Window  (Chhaj) Almora Bazar,  Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 438 
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  सोशल मीडिया मित्र गजेंद्र ने अपने संग्रह से  अल्मोड़ा बजार के कई भवनों के छायाचित्र भेजे हैं जो आकर्षक व भिन्न  (Exclusive ) भी हैं। 
आज हम  गजेंद्र बिष्ट द्वारा  भेजी  गयी  चित्र सांख्य अनुसार अल्मोड़ा बजार के एक भवन के छाज/झरखे / ढुड्यार   में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 
 छाज के  में निम्न ढक्क्नों / नीचे वाला  स्तर में काष्ठ उत्कीर्णन विशेष उल्लेखनीय   हैं -
छाजों  के मुख्य स्तम्भ में काष्ठ कला अलंकरण
छाजों  के सहायक स्तम्भों में काष्ठ कला अलंकरण
 छाजों   के अंदरूनी भाग में ऊपर तोरणम में काष्ठ  कला अलंकरण
 छाज के निम्न स्तर (ढक्कन ? ) में  अनुपम काष्ठ  कला अंकन के दर्शन होते हैं।  कुछ कुछ बेलन या लम्बी पीपल /हृदयकार/ लालटेन नुमा  संरचना स्थापित हैं . आधार में  ऊर्घ्वाकार पद्म  पुष्प आकर अंकित हुआ है।  अब यहां से लालटेन के कांच का आकर या लौकी आकर  स्थापित (अंकित )  . है अंदर पत्तियों के नाड़ियों का अंकन मिलता है।  इस लौकी आकर के ऊपर चिलम जैसा कुछ आकार अंकित है जो कमल फूल पंखुड़ियोां  अंकन से निर्मित हुआ है।  इस तरह  की संरचना वाले  बल्लियां ७ हैं।  कटान /कुर्याण  आकर्षक व अनुपम है। अंकन  की महीनता व कला प्रशंसनीय है। 
छाज में दो प्रकार के स्तम्भ हैं।  मुख्य स्तम्भ के आधार में घट्नुमा आकृति (उल्टा  कमल दल ) अंकित है जिसके ऊपर ड्यूल (wooden ring  type plate  जो  वस्तु पानी की गागर रखने सर पर रखा जाता है ) है जिसके ऊपर पुनः घट्नुमा आकर अंकित है।  पुनः ड्युल  है व उसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का लम्बा आकर अंकित हुआ है।  इस आकर के आधार में भी कमल दलों का अंकन हुआ है।  अब यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण क्र ले ऊपर बढ़ता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है , अब ड्यूल , तब अधोगामी कमल दल से निर्मित कुम्भी व पुनः उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है।  इसके उपरांत पुनः इन्ही आकृतियों  की पुनरावृति हुयी है।  इसके ऊपर से स्तम्भ में दाणेदार आकृतियों का अंकन हुआ है जो स्तम्भ के मुरिन्ड /मथिण्ड /header  के स्तर निर्मित होने तक रहा है।
  इन्ही स्तम्भों के ऊपरी कमल दल स्थल से तोरणम भी निर्मित हुआ है।  तोरणम के स्कन्धों में दाणेदार आकृति का अंकन हुआ है। 
दूसरे  दो दो उपस्तम्भों के आधार में  अधोगामी कमल दल , ड्यूल व तब उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प के अंकन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।  ऊपरी कमल दल के ऊपर स्तम्भ में उभरते कमल पंखुड़ियों के अतिरिक्त ऊपर S आकार  की अंकन हुआ है जो महीन व आकर्षक हैं।  इसके ऊपर स्तम्भ में दाणेदार आकृति अंकन हुआ है। 
  छाज  के द्वारों पर सपाट  ज्यामितीय कला का अंकन से सपाट पत्तियों का समावेश हुआ है। 
  अल्मोड़ा बजार के प्रस्तुत भवन (गजेंद्र संख्या २ ) के छाज  में कहीं भी देव मूर्ति  व पशु -पक्षी -जलचरों का अंकन दृष्टिगोचर नहीं होती है। 
 अल्मोड़ा बजार के प्रस्तुत भवन (गजेंद्र संख्या २ ) के छाज  में उत्कृष्ट प्रकार व महीन  काष्ठ अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है व प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकन के दर्शन होते हैं। 

सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट के संग्रह से
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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किमोली  ( लोहाघाट , चम्पावत ) के एक भवन (संख्या १ )  के   जंगले  की  ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of  Wood Balcony Houses in Kimoli Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  की  ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -439
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती  
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चम्पावत से आकर्षक महीन उत्कीर्णित  कलयुक्त  भवनों की सूचना मिली है।  ये सूचनाएं बहुत ही उत्साहबर्धक हैं।  आज किमोली  (चम्पावत ) के एक भवन (संख्या १ )  के   जंगले  की  ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  पर चर्चा होगी।
 किमोली का प्रस्तुत भवन (संख्या १ )  तिपुर या ढैपुर   व दुखंड (वास्तव में तिखंड यदि बरमदे को जोड़ लें तो ) है  I   किमोली का प्रस्तुत भवन (संख्या १ ) के भ्यूं तल (ground floor )  बरामदा  व प्र्त्गम तल पर  छज्जा /बालकोनी , आलिंद है। 
भ्यूं तल के बरामदे में बाहर से दोनों ओर (सामने व खड़े में ) स्तम्भ स्थापित हैं।  छत की कड़ी से स्तम्भT  आकर में हैं।  स्तम्भ में सपाट ज्यामितीय कला दर्शनीय है। एक ओर (खड़े में ) बालकोनी सपाट काष्ठ  पटिलों (लकड़ी तख्तों ) के द्वारों से ढके हैं।  दरवाजों के पटिले बिलकुल सपाट हैं। 
सामने के छज्जे में भी जंगल बंधा है।  जंगले  में सात से अधिक स्तम्भ स्थापित हैं जो चौखट व सपाट हैं।  आधार में दो स्तम्भों के मध्य दो तीन फिट ऊँचे जंगल हैं।  इन जंगलों में कुछ कुछ बेलनाकार कलेक्ट उप स्तम्भों की कतरे हैं।  निम्न जंगल के ही ऊपर XX  आकर का उप जंगल भी है। 
काष्ठ के प्रत्येक संरचना ज्यामितीय कटान से निर्मित हुयी हैं याने सपाट  हैं।  भवन में काष्ठ संरचनाएं आकर्षक हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  किमोली (लोहाघाट , चम्पावत )  के भवन संख्या १ के बरामदे /बालकोनी में ज्यामितीय कटान के कला प्रयुक्त हुयी है।  भवन आकर्षक व पारम्परिक है। 
सूचना व फोटो आभार :  के  . एस  .  बोरा  (जय ठक्कर संग्रह )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


Bhishma Kukreti

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 भण्डारीगांव (देवथल , पिथौरागढ़ ) में सूबेदार चन्दर सिंह बसेड़ा  के भव्य भवन  में  कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  bhandariganv , Devathal  , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -440
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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एक मित्र ने फेसबुक द्वारा भंडारीगांव से सूबेदार चंदर  सिंह बसेड़ा  के भव्य भवन (बाखली )  की सूचना भेजी किन्तु संदर्भ पुस्तिका में नाम टंकण रह गया।  क्षमा।   सिद्धांत अनुसार यह भव्य भवन बाखली (सामूहिक भवन ) है किन्तु छाज  पारम्परिक कुमाऊं शैली  को परिवर्तित करने  से भवन विशेष हो गया है।  भवन निर्माण शैली में  ब्रिटिश शैली को मिश्रण किया गया है। 
   भण्डारीगांव (देवथल , पिथौरागढ़ ) में सूबेदार चन्दर सिंह बसेड़ा  का प्रस्तुत   भव्य भवन   तिपुर है  किन्तु कुछ भाग साढ़ेतिपुर  (भ्यूं तल   +२ १/२ ) व तिखंड है। 
  भण्डारीगांव (देवथल , पिथौरागढ़ ) में सूबेदार चन्दर सिंह बसेड़ा  के  प्रस्तुत भव्य भवन में काष्ठ  कला जान्ने हेतु निम्न स्थलों में काष्ठ कला की जांच परख आवश्यक है। 
खोली व खोली स्तम्भों में काष्ठ कला अंकन
खड़कियों में खिड़कियों के स्तम्भों में काष्ठ कला अंकन
छाजों  के नीचे बौळी /शहतीर में  काष्ठ कला
छाजों /झरोखों /ढुड्यारों  में काष्ठ कला अंकन
 अन्य स्थलों में काष्ठ कला अंकन
   भण्डारीगांव (देवथल , पिथौरागढ़ ) में सूबेदार चन्दर सिंह बसेड़ा  के भव्य भवन में  भ्यूंतल (ground floor ) में भंडार कक्ष ही दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  खोली  (आंतरिक सीधी प्रवेश द्वार ) भ्यूंतल से पहले तल तक गई है।  खोली में स्तम्भों , व ऊपर शीर्ष में टॉर्न व टॉर्न के ऊपर के संरचना में  भिन्न /विशेष काष्ठ कला दृष्टिगोचर हो रही है। दोनों ओर   मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं व उप स्तम्भ  उल्टे , सीधे कमल दलों, ड्यूलों  से निर्मित कुम्भियाँ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 
खोली के शीर्ष में तोरणम निर्मित हुए हैं।  तोरणम में ज्यामितीय कटान दिख रहा है।  तोरणम संरचना के ऊपर चौखट हैं जिनमें बेलनाकार संरचना का कला अंकन दिख रहे हैं।   
 खिड़कियों  के द्वारों दरवाजों व द्वार स्तम्भ में ज्यामितीय कटान से संरचना निर्मित हुए हैं। 
  छाजों  के नीचे मेहराब /बौळियां चौखट हैं व रेखांकन रिखड़ा  शैली का अंकन हुआ है।  छाजों के मुख्य स्तम्भ खोली अनुसार ही उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं व उपस्तम्भों में काष्ठ कला खोली के उप स्तम्भों जैसे  ( कमल दलों से कुम्भी निर्माण )   ही हैं। छाजों  के  तोरणम  का अंकन पूरी तरह नहीं दिख रहा है किन्तु ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अंकन झलक दिख रही है। 
 छज्जों के ढक्क्न खड़कियों के प्लेट  जैसे ही हैं।
  निष्कर्ष निकलता है कि   भण्डारीगांव (देवथल , पिथौरागढ़ ) में सूबेदार चन्दर सिंह बसेड़ा  के भव्य भवन में  ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कटान की कला विद्यमान है।  भवन भव्य है। 
  छाज कुछ भिन्न दृष्टिगोचर हुए हैं। 
 
सूचना व फोटो आभार: फेसबुक मित्र
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued



Bhishma Kukreti

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अजमेर  ( गंगा सलाण ,पौड़ी गढ़वाल  ) गांव के  एक भवन  की गढ़वाली शैली में काठ कुर्याण ' की काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , उत्कीर्णन
Traditional House Wood Carving art of a  Village  Ajmer.
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , मोरी , खोली , कोटी बनाल    ) काष्ठ कला , अलंकरण   नक्कासी  -  441

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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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अजमेर से कई  काष्ठ कला अंकित भवनों की सुचना मिलीं थीं।  इसी क्रम में मित्र मदन कंडवाल ने एक छाया  चित्र  भेजा था किन्तु गाँव नाम  देना बिसर  गए।  आज अजमेर के इसी भवन की काठ कला व उत्कीर्ण पर चर्चा होगी।
मदन कंडवाल द्वारा सूचित भवन (अजमेर )  ढैपुर  है व दुखंड है।  भवन के पहले तल के बरामदे को ढकने हेतु दरवाजे स्थापित  हुए हैं।  दरवाजों में काष्ठ पर कोई कलात्मक उत्कीर्णन न होकर सपाट कटान से  सज्जित हुए हैं। 
दरवाजों के देहरी पट्टी , फलक पट्टी , टला फलक , पैड़ी फलक , मध्य फलकों , सरदल , ऊपरी शीर्ष कड़ी आदि में ज्यामितीय कटान की ही कला दर्शनीय है।
 भवन  को इस कर्म में शैली विशेष होने हेतु लिया गया है।  इस  काठ कला को सौंदर्यशास्त्र में  उच्च प्रकार की ज्यामितीय कला मानी जाएगी। 
सूचना व फोटो आभार : मदन मोहन कंडवाल
  यह लेख  भवन  कला,  नक्कासी संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं . 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020

  Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों, कोटि  बनाल     में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण  श्रृंखला 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   


Bhishma Kukreti

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  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन में काष्ठ कला

  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन में गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन
    Tibari House Wood Art in House of  Thamana , Sitensyun Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ,के भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली ,मोरी,कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 कुछ समय पहले मित्र राकेश पुंडीर ने  सूचना देते  थमाण (सितौनस्यूं ) के  दो भवनों पर लिखिए , मनोहर सिंह बिष्ट ( कफोला बिष्ट , ७८ वर्ष में मृत्यु 1975 ) के दादा ने भवन निर्माण किया था।  दयाल  बिष्ट (सीला बिष्ट ) ९२ वर्ष में , २००५ में मृत्यु ) और लिखा कि  भवन कब निर्मित हुआ होगा का आकलन करना होगा।  दो चार दिन में ही सुदेश  नेगी ने भी  बिष्ट परिवार के तीन तलों वाले भवन की सूचना दी।  राकेश पुंडीर ने सूचना दी है कि ऊपरी कड़ी में १७९० (वास्तव में तब १९९० को ऐसे ही लिखा जाता था जैसे १७९० ) तो  मेरा आकलन है कि यह तिबारी १९९० में निर्मित हुयी है क्योंकि सर्वेक्षण में भी अभी तक इस प्रकार की तिबारी  शैली के भवन नहीं मिले।  टिल्लू रौतेली व  सबसे पुराणी  अठारवीं सदी में निर्मित बनगर स्यूं के भवन की शैली भिन्न है। 
थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) मनोहर बिष्ट परिवार का  प्रस्तुत भवन (संख्या १ )  तिपुर  भवन है व   उत्तराखंड के भव्यतम भवनों में से एक भवन है।  भवन के प्रत्येक तल (floor ) में उच्च काष्ठ कला के दर्शन होते हैं। 
भवन में लोक कला विश्लेषण हेतु निम्न स्थलोंमें ध्यान देना होगा। 
भवन  के भ्यूंतल (ground  floor ) में  कक्षों के सिंगाड़ों (द्वार स्तम्भ ) ,  द्वार के शीर्ष /मुरिन्ड (door Head ) , खिड़कियों के सिंगाड़ों में काष्ठ कला , दासों (छज्जों के आधार ब्रैकेट्स ) के मध्य  चौखटों में लोक कला। 
पहले तल (first floor ) में तिबारी , खिड़कियों के द्वारों , सिगाड़ों  आदि में काष्ठ कला व लोक कला। 
दुसरे तल में तिबारी व खिड़कियों में काष्ठ कला।
भ्यूंतल में द्वारों व खड़कियों के  उप सिंगाड़ों   के युग्म से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं।  उप सिंगाड़ों में  जाल व रस्सी जैसे कला उत्कीर्णन हुआ है।  इसी शैली का  उत्कीर्णन  द्वारों के मुरिन्ड और खड़िकी के सिंगड़ों  व मुरिन्ड  में भी दृष्टिगोचर हो रहा है। 
  भ्यूं  तल में छज्जे के आधार दासों में मध्य चौखट निर्मित हैं   इन चौखटों में भिन्न भिन्न आकर की आकृतियां स्थापित /उत्कीर्णित हुए है।  दो चौखटों में जाल है , तीन  चौखटों में  देव मूर्तियां  अंकित हुयी हैं व शेषों में पशु अंकित हुए हैं। 
  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन   के  पहले तल पर खिड़कियों में लगभग भ्यूंतल की खडियों जैसे ही रचना अंकित हुयी हैं।  इन खिड़कियों के ऊपर मुरिन्ड में चक्र की डिण्डियों के ऊपर  ारड़गोला अंकन हुए हैं। 
पहले तल की तिबारी में चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की तिबारी स्थापित हुयी है।   सिंघाड़ों के व दिवार के मध्य की कष्ट कड़ी में जाली लड़ी युक्त अंकन हुआ है।  प्रत्येक सिंगाड़  के आधार में  कलयुक्त अंकित अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है जो आधार में टिका है।  उल्टी कुम्भी के ऊपर  ड्यूल आकृति है जिसके ऊपर कलयुक्त उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल उत्कीर्णित है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर बढ़ता है।  यहां स्तम्भ में गड्ढे व उभर की लकीरें हैं।  जहां स्तम्भ /सिंगाड की सबसे  न्यूनतम मोटाई है वहां से स्तम्भ ऊपर थांत (cricket Bat blade ) आकर ले ऊपर शीर्ष header  से मिलता है व दूसरी और तोरणम का अर्ध चाप भी शुरू होता है।  तोरणम  (मेहराब ) आकर्षक है  व तोरणम के स्कन्धों में लता लड़ियों के अतिरिक्त  तट में दो दो  शुभम संकेत चक्र अंकित हुए हैं। मध्य तोरणम में चर नहीं अंकित हुए हैं।  ऊपर शीर्ष की कड़ियों में लड़ी , लता नुमा अंकन हुआ है।
  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन   के  पहले तल में ऊपर छज्जे के आधारों दो दासों के मध्य चौखट आकृतियां हैं।  इन चक्रों में  मानव आकृतियां , दो दो या एक चक्र , जाल लड़ी का अंकन हुआ है जो भवन को अति विशेष बनाते हैं।
थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन   के   दूसरे  तल में भी तिबारी है जो इस भवन को   गढ़वाल की तिबारी युक्त भवन से भिन्न क्र देती है।  तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की है व कला दृष्टि  व शैली दृष्टि से पहले तल की तिबारी की ही प्रतिलिपि है।
     थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन   के दूसरे  तल में दो खिड़कियां हैं व इन खिड़कियों के मुरिन्ड भी तल तलों से भिन्न ही हैं।  इन खड़कियों के मुरिन्डों में एक मुरिन्ड में  गणेश  मूर्ति व दुसरे में  हनुमान     मूर्ति अंकन हुआ है (वैसे बिना बजती सरस्वती का भी भरम हो जाता है ).
 निष्कर्ष निकलने में कोई अबेर नहीं होती कि  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य   में उच्चतम भवततम शैली व आकर्षक है व ऐसी ही कला  उत्कीर्णन भी है।  थमाण (सितौनस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में बिष्ट परिवार के  भव्य भवन  में प्राकृतिक , ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकृत कला अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार : राकेश पुंडीर व सुदेश नेगी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन


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घेस  (चमोली ) के एक भवन में काष्ठ कला

  घेस के एक भवन में पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन
  Traditional  House Wood Carving Art  from  Ghes , Dewal , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में  पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 443
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
-
 चमोली से कई  काष्ठ युक्त भवनों  की सुचना मिलती जा रही हैं।  आज इसी क्रम में घेस के एक भवन में पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा की जाएगी। 
प्रस्तुत घेस (चमोली ) का भवन दुपुर है व आश्चर्य है कि  प्रस्तुत भवन कुमाऊं की तर्ज वाला छाज /झरोखे वाला भवन है जो  गढ़वाल में पूर्वी  गढ़वाल क्षेत्र में कहीं कहीं मिलते हैं। 
 घेस का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड है।   घेस के प्रस्तुत भवन में  भ्यूं तल  में भंडार कक्ष ही हैं।   खोली भ्यूंतल (ground floor ) से चलकर पहले तल तक स्थापित है। घेस के प्रस्तुत भवन की खोली के मुख्य स्तम्भ /सिंगड़ तीन तीन उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं।  प्रत्येक उप सिंगाड़ /स्तम्भ एक सामान हैं।  उप स्तम्भ के आधार में चौखट है , चौखट के ऊपर के चौखट में झुम्पा नुमा कृति अंकित हुयी है।  इस आकृति के ऊपर ड्यूल  (सर के ऊपर गागर /भर रखने हेतु ) आकृति है।  ड्यूल के ऊपर घुंडी आकृति अंकित है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म   पुष्प  दल अंकित है।  यहाँ से सिंगाड़ में त्रिफूल , जंजीर, पुष्प ,  लड़ी नुमा आकृति अंकन हुआ है जो यही कला  सिंगाड़  द्वारा ऊपर  मुरिन्ड के स्तर निर्मित होने में भी दृष्टिगोचर होता है।  ऊपर छप्परिका के नीचे के मुरिन्ड /header  के प्रत्येक चौखटो   में  क्रमश  देव , गणेश व  गंधमंडन पर्वत  उठाये हनुमान की मूर्ति अंकन हैं व ऊपर आभा में माला अंकन हुआ है व पत्तियों का भी अंकन हुआ है। 
  प्रस्तुत घेस के भवन में पहले तल पर  दो प्रमुख छाज /झरोखे हैं जिन में काष्ठ कला दृष्टिगोचर होती है।  छाज के मुख्य स्तम्भ दो दो उप स्तम्भ से निर्मित हुए हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल दल से कुम्भी निर्मित हुयी है , तब ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल फूल है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण कर ऊपर बढ़ता है।  जहां सबसे न्यून मोटाई है वहां उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल हैं  व सबसे ऊपर सीधा कमल दल अंकित हुआ है।  यहां से गोल पुष्प , लड़ी आदि का आकर्षक अंकन हुआ है।  स्तम्भ ऊपर छाज के  मुरिन्ड /हैडर   के स्तर बन जाते हैं।  अर्थात मुरिन्ड स्तरों में स्तम्भ की कला विद्यमान है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  घेस (चमोली गढ़वाल ) के प्रस्तुत भवन (संभवतया होम स्टे ) में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  भवन व भवन कला उच्च स्तर की है। 
सूचना व फोटो आभार:   राजिव शाह /हुकुम सिंह 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


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जसोली (रुद्रप्रयाग ) एक भवन में पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

Traditional  House Wood Carving Art  from  Jasoli, Rudraprayag
गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में  पारम्परिक गढवाली  शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 444
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
-

 रुद्रप्रयाग से कई काष्ठ कला युक्त  भवनों की सोचना मिली हैं I इसी क्रम में आज  जसोली (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन में पारम्परिक काष्ठ कला , अंकन उत्कीर्णन पर चर्चा होगी .
 रसोली का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड भवन है I
भवन के भ्यूंतल (Ground Floor) में भंडार व गौशाला कक्ष हैं I
भवन के पहले तल में चार सिंगाड़ो  /स्तम्भों की तिबारी है I स्तम्भ /सिंगाड़ों में आधार पर काट कर घुंडी निर्मित हैं . शेष स्तम्भों व शीर्ष /मुरिंड की कड़ी में ज्यामितीय सपाट कटन कला द्रष्टिगोचर होती है I
 निष्कर्ष निकलता है कि जसोली (रुद्रप्रयाग ) के प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय कटान की कला विद्यमान है I
 सूचना व फोटो आभार:अरविन्द भट्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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     कांड  (बडियार गढ़, टिहरी  ) में   मनमोहन सिंह पंवार के   भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of, Kanda, Badiyargarh Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-445   
(लेख में ईरानी, इराकी, अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती 

  टिहरी गढ़वाल से अच्छे संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिलती रही हैं।  इसी क्रम में आज  कांड  (बडियार गढ़, टिहरी  ) में   मनमोहन सिंह पंवार के   भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन पर चर्चा होगी। मनमोहन सिंह पंवार  का    भवन  दुपुर व दुखंड है।  भवन के भ्यूं तल( Ground  floor ) में गौशाला व भंडार गृह हैं अतः  द्वारों में कोई विशेष कला अकन नहीं दीखता है।  कांड  (बडियार गढ़ ) के मनमोहन सिंह पंवार के   भवन  में  पहले तल में सात स्तम्भों /खामों /सिंगाड़ों  की भव्य तिबारी स्थापित है। 
तिबारी के प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामो पद्म पुष्प दल का आकर्षक व महीन अंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार धारण कर लेता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है , पुनः ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर   उर्घ्वगामी कमल दल है व यहां से स्तम्भ थांत (cricket bat blade type ) आकर धारण कर सीधे ऊपर मुरिन्ड /header  की कड़ी से मिल जाता है।  यहीं से  तोरणम का अर्ध चाप  शुरू होता है व दूसरे  स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर तोरणम निर्माण होता ै।  तोरणम के किनारे पर सूर्यमुखी या पूजा में गोबर का  गणेश आकृति  नुमा पुष्प अंकन हुआ है।  मुरिन्ड के कड़ियों में जल नुमा अंकन हुआ है।
 ऐसा लगता है थांतों  के ऊपर कभी दीवालगीर भी थे।   
निष्कर्ष निकलता है कि  कांड  (बडियार गढ़ , टिहरी ) के मनमोहन सिंह पंवार के   भवन  में प्राकृतिक अलंकरण व ज्यामितीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। 



  सूचना व फोटो आभार: संदीप रावत       
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


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कोटी   ( मोरी  उत्तरकाशी ) में एक भवन में  गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,

  Traditional House wood Carving Art in  Koti , Purola   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,    के   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 446
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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  उत्तरकाशी  काष्टकला युक्त भवनों के लिए सदा से प्रसिद्ध रहा है।   आज कोटी (मोरी , उत्तरकाशी ) एक भवन (संभवतया होम स्टे ) में  गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन  उत्तरकाशी के आदिकालीन व  आधुनिक तकनीक व शैली हेतु महत्वपूर्ण है ना कि  महीन उत्कीर्णन /अंकन हेतु।  भवन १ १/२ पुर है।  भवन के भ्यूंतल में व पहले तल में दीवारें व पहले तल की छत काष्ठ की बनी हैं।
 भ्यूंतल (ground floor ) में बाहर की ओर स्पॉट स्तम्भ  स्थापित हैं।  बाकी काष्ठ दीवारें स्पॉट हैं जो ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं।  सम्पूर्ण भवन में ज्यामितीय कटान की ही कला दृष्टिगोचर होती है।  ज्यामितीय कटान का आकषक भवन इस भवन की विशेषता है। 
सूचना व फोटो आभार : जय प्रकाश पंवार
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


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चकराता  (देहरादून ) के एक भवन  (१ ) में पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण
  Traditional House wood Carving Art of a House Chakrata , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊ के भवन(तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  में  पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण- 447 

 संकलन - भीष्म कुकरेती

जौनसार  पारम्परिक काष्ठ कलयुक्त भवनों हेतु प्रसिद्ध क्षेत्र रहा है।  जौनसार व उत्तरकाशी के भवन काष्ठ कला उत्कीर्णन हेतु नहीं जाने जाते अपितु  ज्यामितीय कटान का सपाट शैली हेतु जाना जाता है। 
प्रस्तुत  चकराता  (देहरादून )  का  एक भवन  (१ ) दुपुर व दुखंड है।  प्रस्तुत बहन का महत्व काष्ठ कला उत्कीर्र्ण हेतु महत्व नहीं है अपितु शैली हेतु महत्व है। 
भवन के भ्यूंतल (Ground floor ) में  भवन दीवालें गारे  पत्थर  मिट्टी की हैं व  बरामदे के बाह्य ओर ५ से ऊपर स्पॉट चौखट स्तम्भ हैं।  ये स्तम्भ ऊपर पहले माले के आधार कड़ी /बौळी  से मिलते हैं। भ्यूं  तल में  कक्षों के द्वार सपाट हैं।   दुसरे नव भवन में भी काष्ठ कला सपाट ज्यामितीय कटान की है।
भवन के पहले तल में सामने की और मिटटी पत्थर की दिवार दृष्टिगोचर नहीं होती अपितु दिवार सपाट  काष्ठ पत्तियों /तख्तों से निर्मित हुयी हैं जो जौनसार व उत्तरकाशी , नीति आदि क्षेत्रों का आदि कालीन भवन कला के उदाहरण हैं।  द्वारों  में भी सपाट  ज्यामितीय कटान की ही कला है। 
  निष्कर्ष निकलता है कि  चकराता  (देहरादून ) के एक भवन  (१ ) में  ज्यामितीय कटान की ही काष्ठ  कला उपस्थित है। 
सूचना व फोटो आभार:  Mahendra Chauhan , 
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of  Dehradun, Garhwal  Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन


 

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