Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37285 times)

Bhishma Kukreti

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    धानाचुली  (नैनीताल ) के एक भवन (संखय ५ )  के  छाज /झरोखे में काष्ठ कला

   Traditional House Wood Carving Art Dhanachuli, in Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 458
(प्रयत्न किया है कि आलेख में इरानी,  इराकी , अरबी   शब्द न हों )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 धानाचुली  व मुक्तेश्वर से अच्छी संख्या में  कला युक्त  प्राचीन व आधुनिक भवनों  की सूची मिलीं हैं। 
आज धानाचुली (नैनीताल )  के एक भवन (संख्या ५ ) के छाज के काष्ठ कला , अलंकरण अंकन पर चर्चा  होगी।   
छाज पहले तल पर स्थापित हुआ है।  छाज भ्यूंतल (ground floor )  के एक  आयताकार पसूण /बौळी /शहतीर / wood beam   के ऊपर टिकी है। शक्तिशाली शहतीर न्यून से न्यून २ फ़ीट चौड़ा व आठ फ़ीट लम्बा होगा।    शक्तिशाली पसूण /शहतीर के  अंदर  छेनी हथोड़ी से काटकर कई आयत निर्मित हुए हैं और प्रत्येक आयत में छेनी  हथोड़ी से कुर्या कर /उत्कीर्णन   हुआ है व कलात्मक कुर्यान/उत्कीर्णन हुआ है।  शहतीर /पसूण /बौळी  के  सबसे अंदर के आयात में लता , पुष्प कुछ पत्तियों जैसे समुद्र या नदी की लहरें हों का अंकन हुआ है।  बाहर की ओर  दूसरे  आयत कुछ मूर्त अमूर्त या abstract  नुमा  अंकन दीखता है।  सबसे बाहर के स्तर के आयत में )) से बने जंजीर सरेखा अंकन हुआ है।  शहतीर के अंदर  महीन  उत्कीर्णन  हुआ है।  कायस्थ शिल्पी की जितनी प्रशंसा हो उतनी कम पड़ेगी।
 छाज का आधार भी  मोटा आयताकार पसूण /बौळी  है। इस आयताकार  काष्ठ  आकार के ऊपर छाज के स्तम्भ (जो उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं )   
उप स्तम्भों से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं और सभी उप स्तम्भ कला द्रष्टि से एक सामान हैं।  उप स्तम्भ का  आधार अधोगामी  पद्म पुष्प के दल आकर से लम्बा घड़ा जैसा बना है। इस कुम्भी के ऊपर दो ड्यूल हैं जिसके ऊपर घड़ा निर्मित हुआ है तब ड्यूल है व तब ऊपर  उर्घ्वगामी  कमल पंखुड़ियों से भिन्न प्रकार का कुम्भी निर्मित हुआ है कमल पंखुड़ियां ऊपर जाकर नीचे झुके हैं जैसे कुत्ते के  कान लटके हों।  यहां से उप स्तम्भ लौकी आकर में ऊपर बढ़ते हैं व जहां सबसे कम मोटाई है वहां पुनः उल्टा कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल पंखुड़ियों की पुनरावृति हुयी है।
छाज के ढक्क्नों में ज्यामितीय कटान की कला भी दर्शनीय है।  छाज के शेष भागों में भी सपाट  कटान  है।  आश्चर्य की छायाचित्र में छाज  तोरणम   के दर्शन नहु हुए।
 नुश्कॉश सरलता से निकलता है कि  धानाचुली  के प्रस्तुत भवन (५ ) के छाज में आकर्षक व ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्ण हुआ है।  कला , उत्कीर्णन की जितनी प्रशंसा हो न्यून ही होगी।  नमन शिल्प विद  को।
सूचना नवीन पांडे 
फोटो - सुमंत व मुक्त नाईक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 


Bhishma Kukreti

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अल्मोड़ा बजार  में एक बाखली छाज (गजेंद्र  संग्रह संखया  ४ ) में कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of, a  Chhaj (window )  of a  Bakhali, of  Almora  Bazar,   Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 459 
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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अल्मोड़ा बज़ार से गजेंद्र बिष्ट ने अच्छे संख्या में भवनों की फोटो सूचना दी है।  आज  अल्मोड़ा बजार के एक बाखली के छाज की काष्ठ अलंकरण , कला उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  छाज बड़ा ही आकर्षक है व महीन उत्कीर्णन का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है।
 अल्मोड़ा बजार के   प्रस्तुत भवन  छाज के दोनों ओर मुख्य स्तम्भ हैं व मुख्य स्तम्भ तीन ( , एक मोटा ,  व दो  न्यून मोटाई  वाले उप स्तम्भों  के युग्म से निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भों के मध्य भी कलायुक्त स्तम्भ नुमा काश्त कड़ी है।   मोठे उप स्तम्भ  व न्यून मोठे स्तम्भों   के आधार  कला में लगभग समानता  भी है । व ऊपरी भाग में असमानता  भी। 
मोठे उप स्तम्भ के आधार में उलटे कमल दल से गागर/ बड़े गर्दन की तमोली  नुमा आकृति है  जिसके ऊपर ड्यूल है उसके ऊपर सीधे कमल  पंखुड़ियां से बनी आकृति बड़ी आकर्षक है व कमल पंखुड़ियां दिखती हैं।  इसके ऊपर स्तम्भ लौकी आकर लेता है।  जहां मोटाई कम है वहां इन कमल पंझडियों  के अंकन का पुनरावृति हुयी है।  ऊपरी कमल दल के ऊपर से स्तम्भ में दाणेदार  दानों के आकृतियों का अंकन हुआ है। 
दूसरे प्रकार के उप स्तम्भों में  अधोगामी पद्म पुष्प , ड्यूल , उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल के अंकन से  कुम्भिया वैसे ही निर्मित हुयी हैं जैसे मोठे उप स्तम्भ में।  सीधे कमल दल के  ऊपर     S  व सामने S उल्टे  एंड उसके ऊपर  भी सुल्टे  व उलटे   S  आकृति का  आमने सामने  आकर्षक अंकन हुआ है।   यहां से उप स्तम्भ के ऊपर दाणे दार दाणों  का अंकन हुआ है।  सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर  मुरिन्ड /मथिण्ड/ शीर्ष /  header  कड़ी के स्तर  बन जाते हैं।  उप स्तम्भों के मध्य कड़ी में दाणे दार जालीनुमा अंकन हुआ है।
 आंतरिक याने मोटे  उप स्तम्भ में जहां ऊपरी भाग का सीधा कमल दल से कुम्भी बनती हैं व्हेन से अर्ध चाप निकलकर सामने वाले उप स्तम्भ के अर्ध चाप के साथ मिल तोरणम निर्माण होता है।  तोरणम /मेहराब निर्मित होता है।  तोरणम के स्कन्धों में ^ ^  आकर के लड़ियों का अंकन हुआ है व साथ में दाणे  दार दानों का भी अंकन हुआ है। 
छाज के  ढकनों (दरवाजे ) के नीचे के चौखट आधार में चारपाई के  सात संख्या के पायों की आकृति स्थापित हुयी हैं।  इन आकृतियों के ऊपर फर्न की पत्तियों जैसे आकृतियों का महीन उत्कीर्णन हुआ है। पायों के नीचे  नीचे टहनी नुमा आकार में  सीधे कमल पंझडियों का महीन उत्कीर्णन हुआ है।
 निष्कर्ष निकलता है कि  गजेंद्र सिंह बिष्ट संग्रह के अल्मोड़ा बाज़ार के  भवन संख्या ५  का छाज काष्ठ कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।  कला उत्कीर्णन बहुत ही महीन हुआ है , भवन छाज में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण का उत्कीर्णन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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  पाली (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) के क्रिकेटर  ऋषभ पंत का पैतृक भवन में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art of   Rishabh Pant at  Pali , Gangolihat,  , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -461
(प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पिथौरागढ़ से भवनों की अच्छी संख्या में सूचना मिली है।  आज इसी क्रम में   पाली (पिथौरागढ़ ) में  प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाडी ऋषभ पंत के पैतृक भवन  के काष्ठ  पर चर्चा की जाएगी। 
संभवतया ऋषभ पंत के  दादा  चंद्र  बल्लभ पंत व उनके भ्राता लक्ष्मी दत्त पंत, लोकमणी पंत  व वासुदेव पंत   ने निर्माण  किया होगा।  चूँकि भवन की छत चद्दर  की है तो १९५० लगभग का ही होगा।   ऋषभ पंत  का  पैतृक भवन  आम कुमाउनी भवन जैसा दुपुर -दुखंड है।  भवन में खोली दृष्टिकोण नहीं रहा है यह आश्चर्य है।  भवन में  भ्यूं तल में  खिड़की छोड़ अन्य स्थलों में ज्यामितीय कला ही दृष्टिगोचर हो रही है।  खिड़की के स्तम्भ /सिंगाड़ में घुंडियां दृष्टिगोचर हो रही हैं। 
पहले तल में  दो छाज (झरोखे , ढुड्यार ) हैं।  पारम्परिक  छाजों  के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ उप स्तम्भों के युक्त से निर्मित हुए हैं।  सभी उप स्तम्भ एक जैसे हैं।  उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी हैं , इसके ऊपर है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है।  एक घुंडी और भी दृष्टिगोचर हो रही है।  इसके ऊपर का उत्कीर्णन स्पष्ट नहीं दिख रहा है।   अन्य खड़कियों के प्लेट्स व  जेब आदि सपाट ज्यामितीय कटान के उदाहरण हैं। 
भवन अपने शैशव काल में उत्कृष्ट भव्य भवनों की श्रेणी में आता रहा होगा। 
निष्कर्ष निकलता है कि    भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: नवल रावल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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  चोपड़ा  (इडवालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में  गुसाईं परिवार की निमदारी  में काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of  Chopra, Idwalsyun   , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊ के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलदार मकान,,बाखली,खोली ,मोरी,कोटि बनाल ) में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन - 462
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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चोपड़ा के गुसाईं परिवार की निमदारी  काष्ठ कला या  काष्ठ अलंकृत  उत्कीर्णन कला हेतु महत्वपूर्ण नहीं है अपितु शैलीगत भवन हेतु महत्वपूर्ण है।  यदि ये छायाचित्र  डिजिटली  संरक्षित नहीं होंगे  तो उत्तराखंड की वास्तु /भवन शैलियों का इतिहास समझना कठिन हो जायेगा।  इस भवन की शैली को अगली साख /जनरेसन को पंहुचना आवश्यक है। 
चोपड़ा के गुसाईं परिवार का प्रस्तुत  निम दारी भवन लम्बा व भव्य है और तिपुर (ground +२ ) व दुखंड है।  गुसाई परिवार के भवन में भ्यूं तल व दूसरे तल में काष्ठ कला संदर्भ कोई विशेष उल्लेखनीय वास्तु नहीं है।  भवन के पहले तल में निमदारी /जंगला बंधा है।  भवन में निमदारी में अग्यारह से अधिक सपाट  कटान के स्तम्भ लगे हैं।  स्तम्भ के आधारिक व शीर्ष ी कड़ियाँ भी स्पॉट हैं।   दो स्तम्भों  के मध्य आधार पर दो ढाई फिट में उप जंगला  बंधा है जिसके रेलिंग मध्य XXX  नुमा आकृतियां स्थापित हैं।  भवन भव्य दीखता है।
 निष्कर्ष निकलता है कि  चोपड़ा , इडवालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल के गुसाईं परिवार के भव्य जंगले /निमदारी में ज्यामितीय कटान की कला प्रदर्शित हुयी है।  भवन में  काष्ठ पर प्राकतिक  व मानवीय अलंकरण के दर्शन नहीं होते हैं।  निमदारी उत्कृष्ट श्रेणी में आती है। 
सूचना व फोटो आभार: जयेन्द्र गुसाईं
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 


Bhishma Kukreti

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 मलारी (जोशीमठ , चमोली गढ़वाल ) के  भवन संख्या ६  में  गढ़वाली  शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन,


  Traditional  House Wood Carving Art  from  Malari, Joshimath , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में पारम्परिक गढवाली  शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, -463
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 मलारी  चमोली गढ़वाल का एक सुंदर  गाँव है और हेमंत डिमरी के संग्रह से  नाना प्रकार के   काष्ठ कला -शैली  युक्त भवनों के छाया चित्र मिले हैं।   हेमंत    डिमरी के मलारी के चित्रों से लगता है कि   मलारी के काष्ठ युक्त पारम्परिक भवन व   नेलंग उत्तरकाशी रवाई ,   जौनसार के प्राचीन भवन शैली मिलती हैं।  वास्तव में जाड़ों में बर्फ पड़ती है व लोग घर छोड़ नीचे प्रवास पर आते हैं तो पिघलती बर्फ से बचने हेतु भ्यूंतल उस प्रकार के नहीं हटे जैसे साधारण गढ़वाल के भवन होते हैं। 
प्रस्तुत  भवन संख्या ६ का भवन तीन तल से अधिक तल वाला दिखता  है।  व छायाचित्र से लगता है पूरा भवन काष्ठ का ही है।  छत छोड़ खिन भी मिटी पत्थर नहीं दिखाई दिए।  भवन पिरामिड नुमा है व छत ढलुवाँ हैं।
 मलारे के प्रस्तुत भवन संख्या ६ के  भ्यूं तल /ground floor  का छाया चुतर नहीं मिला है किन्तु छाया चित्र से स्पष्ट है कि पहले , दूसरे  व तीसरे तल या साढ़े तीन वें  तल में दीवारें देवदारु के काष्ठ पटिलों /तख्तों से निर्मित हुए हैं।  दीवार तख्ते /पटले  सपाट ज्यामितीय कटान के उदाहरण हैं। 
ढलुवाँ पाषाण छत  के आधार में सपाट ज्यामितीय अलंकरण की    काष्ठ की  कड़ी व एक पसूण नुमा /शहतीरनुमा आकार  छत व भवन को शक्ति देता है।  इस पसूण  से नीचे की ओर सौ लगभग हुक्के की नै  जैसे आकृतियां दोल रही हैं जो भवन संख्या ६ को मलारी  चमोली में  अन्य भवनों में विशेष भवन की पदावली में रख देता है।  हुक्के की नै  आकृतियां या बेलन नुमा आकृतियां महीन कला का द्योत्तक हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  मलारी (चमोली गढ़वाल ) के भवन संख्या ६ में ज्यामितीय काष्ठ  कटान आकर्षक है ,  छत से आकृतियां भवन को विशेष  हैं।  भकण बहुत प्राचीन ही है।  और देवदारु काष्ठ उपयोग हुयी होगी। 
 भवन अपने निर्माण शैली के लिए भी महवतपूर्ण है कि  मलारी में ही किस प्रकार भवन शैली , कला आधार में विकसित हुयी हैं।  यह भवन आधार बहुत शैली व कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। 
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह  (यूउत्तरांचल फेसबुक ) 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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बरसु (अगस्तमुनि, रुद्रप्रयाग ) के एक भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन

Traditional House wood Carving Art of  Barsu, Augustmuni, Rudraprayag         : 
गढ़वाल, कुमाऊँ,के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली, जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन,-464   
(लेख में ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना )
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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बरसु    (रुद्रप्रयाग )  का  प्रस्तुत भवन  अब बंद पड़ा है।    बरसु का प्रस्तुत  भवन दुपुर व दुखंड /तिभित्या  है।   बरसु के प्रस्तुत भवन में भ्यूं तल में पारम्परिक खोली है।  खोली के स्तम्भों /सिंघाड़ों के आधारिक भाग द्रस्तिगोचर नहीं हो रहे हैं।  खोली के मुरिन्ड /header  में चक्राकार फूल (Compositea  family ) का अंकन हुआ है।  फूल के अंदर देव मूर्ति का अंकन हुआ है।
बरसु के इस भवन में पहले तल पर गढ़वाल की   चर  खम्या (स्तम्भ )    पारम्परिक तिबारी  स्थापित है।  तिबारी के प्रत्येक स्तम्भ एक जैसे हैं।  आधार में अधोगामी पदम् पुष्प दल अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है।  इस कुम्भी में भी ऊपर चित्रकारी अंकन हुआ है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व  ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प  दल से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी है। इस कुम्भी में   कमल दल  स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार धारण कर ऊपर बढ़ता है।  जहां सबसे न्यून मोटाई है वहां उलटे कमल दल , ड्यूल व ऊपर ऊर्घ्वाकार पद्म पुष्प का अंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ थांत (Cricket bat  blade type ) आकर धारण कर शीर्ष /header  से मिल जाता है।  यहां से अर्ध चाप भी शुरू होता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूरा चाप (Arch ) /तोरणम निर्मित हुआ है।  तोरणम /चाप के स्कन्धों में प्राकृतिक लड़ियों व जल व दो दो चक्राकार पुष्पों का भी अंकन हुआ है।  तिबारी के मुरिन्ड /मथिण्ड /header की कड़ियाँ सपाट ज्यामितीय कटान का उदाहरण हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  बरसु के प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक , मानवीय अलंकरण कला का अंकन हुआ है। 
सूचना ; अरविन्द भट्ट
फोटो आभार: सुबिन्दो सेनगुप्ता 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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थन्यूल (नरेंद्र नगर , टिहरी ) के तहसीलदार (सेवानिवृत ) के भवन में काष्ठ कला , अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

        भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Thanyul , Narendra Nagar , Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन- 465   
(लेख में ईरानी, इराकी, अरबी की वर्जना हुयी है।)
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संकलन - भीष्म कुकरेती 

  टिहरी से अच्छी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिली हैं।  आज थन्यूल (नरेंद्र नगर , टिहरी ) के तहसीलदार (सेवानिवृत ) के भवन में काष्ठ कला , अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन पर चर्चा होगी।  थन्यूल  में  तहसीलदार का भवन  अभी निर्माण अवस्था में है।  थन्यूल का प्रस्तुत भवन ढैपुर र व दुखंड है। प्रस्तुत थन्यूल के  भवन के   भ्यूंतल /ground floor में द्वारों व मोरियों /खिड़कियों के द्वार काष्ठ पर ज्यामितीय कटान से आकर्षक कटान के वस्तु बने हैं। थन्यूल के  पहले तल पर दो तिबारी हैं और एक खोली नुमा निर्माण है जिसमें काष्ठ कला विशेष है ।
पहले तिबारी में ६/छह  सिंगाड़ /स्तम्भ हैं। दूसरी तिबारी के स्तम्भ संख्या ज्ञात नहीं है।  सभी के सिंगाड़  एक समान हैं।  सिंगाड़  के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प आकर से कुम्भी निर्मित हुयी है। कुम्भी के ऊपर ड्यूल  है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प की कुम्भी निर्मित हुयी है।  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प आकृति के ऊपर से सिंगाड़ /स्तम्भ लौकी आकृति धारण कर लेता है।  जहां पर स्तम्भ की  न्यूनतम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल और ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प के आकर उभरकर आये हैं।  यहां से सिंगाड़ थांत  (cricket bat blade )  आकृति में परिवर्तित हो ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड header  की कड़ी से मिल जाता है।  मुरिन्ड तीन चार कड़ियाँ सपाट हैं जिनके ऊपर एक में तरंग नुमा कला दृष्टिगोचर होती है ।
खोली आकृति के सिंगाड़ों /स्तम्भों में कला वैसे ही है जैसे तिबारी के स्तम्भों में ही है।  खोली के मुरिन्ड /header में तोरणम नुमा आकृति स्थापित हुयी है।  तोरणम में तरंग याल्टा नुमा आकृति अंकित है।
आश्चर्य है कि  भवन में देव मूर्ति स्थापित नहीं हुयी है।  संभावना है कि भवन होम स्टे हेतु निर्माण हो रहा है। 
  सूचना व फोटो आभार: वीरेंद्र बर्तवाल     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;

Bhishma Kukreti

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  नेलंग  (हरसिल , उत्तरकाशी  के भवन ९ ( नया  )  की काश्त कला व अलंकरण

  Traditional House wood Carving Art in , Nelong valley    Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,    के   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 466
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 फेसबुक में मित्र नैन डॉट कॉम (ट्रैकिंग ) ने नेलंग जडंग , बागोरी से कई भवनों की सूचना भेजी हैं . इन अनजान मित्र ने नेलंग घाटी विषय में कई अन्य जानकारी  जैसे वहां   ,मेले  भोजन , गहने आदि भी दी हैं  जो बड़े महत्व की हैं।  आज नेलंग के भवन ९ की काष्ठ कला , अलंकरण , उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
मुख्य भवन  ढाई तल (two and  half  floored ) का है व पहले  तल में  दीर्घ बरामदे के  बॉउंड्री ढकते एक  काष्ठ तख्तों  से निर्मित संरचना है जो आदि काल शैली की याद दिला देते हैं।  इस ढकते संरचना जो भवन जैसे ही दीखता है में सभी तख्ते व कड़ियाँ ज्यामितीय कटान से सपाट  ही हैं।  पुरे भवन में केवल ज्यामितीय कटान का कार्य दृष्टिगोचर हो रहा है। 
सूचना व फोटो आभार : नेलंग डॉट कॉम
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी

Bhishma Kukreti

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             शिरगुल मंदिर (मोइला डांडा , चकराता , देहरादून )  में काष्ठ  कला व अलंकरण


  Traditional House wood Carving Art of   Old Shirgul Temple, Moila  Danda  Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊ के भवन(तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  में  पारम्परिक  गढ़वाली शैली  की  काठ कुर्याण  की  काष्ठ कला,अलंकरण-  467

 संकलन - भीष्म कुकरेती

 चकराता , जौनसार से कई प्रकार के भवनों व मंदिरों की सूचनाएं मिलीं हैं।  आज शिरगुल मंदिर मोइला डांडा  के भवन में काष्ठ  कला पर चर्चा होगी  . मंदिर भवन की पुरानी फोटो मिली है।  आज भी भवन ऐसा ही है।  शिरगुल मंदिर भवन (मोइला डांडा )   कुछ कुछ बौद्ध संस्कृति की याद दिलाता है और ऐसा ही मंदिर  देवलसारी जौनपुर के  एक देवालय भी है जिसकी चर्चा हो चुकी है।
 प्रस्तुत शिरगुल मंदिर भवन  के भ्यूं तल के ऊपर त्रिभुजाकार एक छत के ऊपर छोटी तिकोनी  लकड़ी के तख्तों से निर्मित छत है जो    तिब्बती बौद्ध मंदिरों की याद दिलाते हैं। संपूर्ण  शिरगुल मंदिर भवन  व छतें  लकड़ी के तख्तों से ही निर्मित हुआ है। 
सभी तख्ते  शर्तिया देवदारु के तख्ते ही होंगे व सभी तख्ते ज्यामितीय कटान से सपाट ही हैं।
ऊपरी छोटी छत के आधार से लकड़ी के  सैकड़ों झम्पे /लड़ियाँ मिलती हैं।  मंदिर भवन  दरवाजों में भी सपाट पन  ही
निष्कर्ष निकलता है शिरगुल का मंदिर भवन शैली उत्तरकाशी , जौनसार के प्राचीन आधार भूत   भवनों जैसा  है  , ज्यामितीय कटानों से कटे तख्तों से निर्मित हुए हैं।  शिरगुल मंदिर भवन  का महत्व  काष्ठ कला , अलंकरण , उत्कीर्णन हेतु नहीं है अपितु  काष्ठ  निर्माण शैली  हेतु महत्वपूर्ण है।  भवन भविष्य में गढ़वाल में  भवन शैली गत  इतिहास हेतु अति महत्वपूर्ण है।  क्योंकि तख्तों में कोई उत्कीर्णन या कुर्याण  नहीं मिलता है। 
सूचना व फोटो आभार:    जितेंद्र चौहान 
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of  Dehradun, Garhwal  Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन 


Bhishma Kukreti

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धानाचूली (नैनीताल ) के एक जीर्ण शीर्ण भवन संख्या ६   में कुमाऊं शैली की ' काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन   

   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli, Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली  की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 468

संकलन - भीष्म कुकरेती
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धानाचूली  (नैनीताल ) का भवन संख्या ६ एक जीर्णशीर्ण भवन है जो दर्शाता है कि  इसकी बनावट में बल है।  भवन के छायाचित्र से स्पष्ट है कि  भवन दुपुर  या ढैपुर  व दुघर है।  प्रस्तुत छायाचित्र से स्पष्ट है कि  खोली भ्यूंतल /ग्राउंड फ्लोर  से पहले तल (first floor ) तक गयी है।
 खोली (आंतरिक सीढ़ी प्रवेश द्वार ) के मुख्य सिंगाड़  (स्तम्भ ) तीन तीन मुख्य सिंगाडों के  योग  से निर्मित हैं।  दो उप स्तम्भ सीधे पतले /बारीख़ें  प्राकृतिक अलंकरण से युक्त हैं।  मोटे  उप सिंगाड़   के आधार में उलटे कमल दल से कुम्भी निर्मित हुयी है।  कुम्भी ंरचना के ऊपर ड्यूल आकृति है जिसके ऊपर कमल दल की दूसरी कुम्भी निर्मित है जिसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल दल की पंखुड़ियों से निर्मित कुम्भी है।  इस कुम्भी के ऊपर स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर मुरिन्ड /header  का भाग बन जाता है।  ऊकला उत्कृष्ठ प्रकार की है।   कुम्भी के ऊपर स्तम्भ में लता नुमा व जाली जाली उत्कीर्णन दृष्टिगोचर हो रहा है।  खोली  मुरिन्ड /header  कई स्तरों (जो स्तम्भों से निर्मित हुए हैं।  इस मुरिन्ड /header  के ऊपर छपरिका के नीचे एक चौखट मुरिन्ड हैडर और है जिस्म ेचर चौखाने हैं और  हर चौखाने में देव मूर्ति है किस देव की है छायाचित्र में स्पष्ट नहीं हो सक रहा है।
पहले तल में एक  आकर्षक छाज (झरोखा ) भी है जो एकक शहतीर/ पसूण  पर आधारित है। शहतीर आयताकार (rectangular )  है व अंदर कई आयतों  कटान हुआ है। आयत उत्कीर्णित हैं जैसे मध्य आयत में जंजीर जैसी आकृति उत्कीर्णित हुयी हैं।
   छाज के मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  भूप स्तम्भों के योग से निर्मित  हुए हैं।  छाज के आधारिक उत्कीर्णन यान िकुम्भी आदि वैसे ही हैं जैस ेखोली के स्तम्भों में कला कृति हैं।  छाज के उप स्तम्भों में ये कुम्भियाँ पुनः ऊपर  भी अवतरित होती हैं।  छाज के ढक्क्न सपाट हैं और ऊपरी ढक्क्न में तोरणम हैं। तोरणम  /मेहराब  में क्या कला उत्कीर्णन हुआ है यह स्पष्ट नहीं है।   छाज के नीचे  वाले ढक्कन जो शहतीर पर आधारित हैं वे सपाट ही हैं।
    निष्कर्ष निकलता है कि  धानाचूली के भवन संख्या ६ जीर्ण शीर्ण है किंतु भवन भव्य व आकर्षक भवन था इसमें कोई संदेह नहीं है।  भवन के काष्ठ में प्राकृतिक, ज्यामितीय और मानवीय अलंकरणों से पुष्ट हैं।
सूचना व फोटो आभार: समंत व मुक्ता नाईक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar, Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन ,  ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण, ; रामनगर  नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण,  ; लालकुंआ नैनीताल में मकान  काष्ठ कला अलंकरण , उत्कीर्णन 


 

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