Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37929 times)

Bhishma Kukreti

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चमेड़थल  (बागेश्वर ) के पोस्ट ऑफिस भवन  में  कुमाऊं शैली की काष्ठ कला व शैली 

Traditional House wood Carving Art in Chamerthal , Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन-  469
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 चमेड़थल   आधारिक विद्यालय भवन    कि  भवन के भ्यूंतल (Ground Floor ) व पहले तल में बरामदे हैं व दोनों तलों में बरामदे के बाहर जंगले सधे हैं।
दोनों तल के जंगलों में लकड़ी के सपाट स्तम्भ /सिंगाड़  हैं।  सिंगाड़ों /स्तम्भों के अतिरिक्त कड़ियाँ जो भ्यूंतल व पहले तल के संधि स्थलों में स्थापित हैं भी सपाट  हैं।  भवन के सभी दरवाजे बरामदे को ढकने वाले तख्ते भी सपाट ही ज्यामितीय कटान शैली से निर्मित हैं। 
  चमेड़थल    पोस्आट ऑफिस  भवन   काष्ठ कला के लिए नहीं अपितु सरल जंगले  की शैली हेतु याद किया जायेगा। 
  चमेड़थल    में स्थित आधारिक विद्यालय भवन    में ज्यामितीय काष्ठ अलंकरण ही है अन्य अलंकरण नहीं दीखते हैं।   
सूचना व फोटो आभार:कौस्तुभ  चंदोला
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )


Bhishma Kukreti

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सिरायी (लंगूर , पौड़ी गढ़वाल ) में  जंगलेदार  बड़थ्वाल भवन में काष्ठ कला  व उत्कीर्णन
 Traditional  House Wood Art in Sirai Village of  Langur , Pauri Garhwal   
लंगूर ,  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी  -  470
   संकलन - भीष्म कुकरेती
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लंगूर (पौड़ी गढ़वाल ) से भी कुछ  काष्ठ कलायुक्त    भवनों की  सूचना मिली है।  आज इसी क्रम में  सिराई (लंगूर ) के स्व मगना नंद बड़थ्वाल व स्व आनंद मणि बड़थ्वाल के जंगलेदार भवन में काष्ठ कटा शैली पर चर्चा होगी।  बड़थ्वाल भाईयों का भवन दुपुर व दुखंड है।
  भवन का जंगला आम  गंगा सलाण  के जंगल जैसा ही पहले तल (first floor )  पर स्थापित है।  छज्जे पर सात या आठ सपाट कटान के स्तम्भ लगे हैं।  इन खम्भों /स्तम्भों में किसी प्रकार का  कुर्यांण /उत्कीर्णन नहीं हुआ है। बड़थ्वाल बंधु भवन में शेष कड़ियां  , दरवाजे  व दरवाजों के सिंगाड़ो  में भी ज्यामितीय कटान से कटे स्पॉट आयताकार आकृति में हैं।  वर्तमान में भवन पुराना जीर्ण शीर्ण लग रहा है किंतु एक समय भवन सिरायी का गर्व था। 
इसी छायाचित्र में दूसरे भवन की फोटो भी है उसमे भी जंगले के स्तम्भ आयात आकर में हैं 
  निष्कर्ष निकलता है कि  स्व मगना नंद बड़थ्वाल व स्व आनंद मणि बड़थ्वाल के जंगलेदार भवन में ज्यामितीय कटान की ही कला दृष्टिगोचर होती है। अपने समय का यह उत्कृष्ट जंगल था।


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सूचना व फोटो आभार : प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot, Pauri Garhwal; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी, भवन नक्कासी  नक्कासी


Bhishma Kukreti

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 गल्लागांव (चमपवत )  के भवन संख्या ३ , में कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  '  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन, लकड़ी नक्कासी
Traditional House Wood carving Art of   Gallganv , Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  पारम्परिक  '  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -471
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 गल्लागांव (चम्पावत ) से भवनों की सूचनानायें मिली हैं।   आज एक जंगलेदार भवन की काष्ठ कला ,  लकड़ी कटान शैली  पर चर्चा होगी। गल्लागांव का प्रस्तुत भवन तिपुर है व दुखंड है।  गल्लागांव (चमपवत ) के  प्रस्तुत  भवन में  तल मंजिल में  बरामदा है व पहले मंजिल में बालकोनी है जिसमें जंगला  बिठाया गया है।  प्रस्तुत तिपुर  भवन के जंगले में आठ  सपाट स्तम्भ लगे हैं।  सभी स्तम्भ सपाट व ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं।  ध्यान देने से भी जंगले  के स्तम्भों में कुर्याण /उत्कीर्णन नहीं दिखा।  भवन की कड़ियों , दरवाजों व दरवाजों के स्तम्भों में भी ज्यामितीय कटान की शैली ही दिखती है।
 निष्कर्ष निकलता है कि गल्लागांव   (चम्पावत ) के भवन ३ जो   जंगलादार है में केवल ज्यामितीय कटान की शैली है। इसमें कोई संदेह नहीं कि शैलीगत रूप से  गल्लागांव का यह  भवन अपने समय का भव्य भवनों में गिना गया ही होगा। 
सूचना व फोटो आभार : जय ठक्कर टीम।  kumaun and its houses .the Vernacular Archtechture of Kumaun
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


Bhishma Kukreti

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ग्वील (द्वारीखाल , ढांगू ) में   बिनोद  कुकरेती , दिवाकर कुकरेती के भवन में काष्ठ कला,  शैली


    Tibari House Wood Art in House of  Gweel, Dwarikhal,   , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊ के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,बाखली,खोली ,मोरी,कोटि बनाल ) में  गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन - 472

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 ग्वील थोकदारों का गाँव रहा है व एक धनी गाँव भी रहा है  तो यहां तिबारी व जंगलेदार भवन की संख्या उचित मात्रा में हैं।  प्रसिद्ध क्वाठा भितर  पर अभी चर्चा करनी बाकी है। इसी क्रम में आज बिनोद व दिवाकर कुकरेती के भवन  में काष्ठ कला व शैली पर चर्चा होगी।
  ग्वील में प्रस्तुत बिनोद कुकरेती व दिवाकर कुकरेती  के भवन का महत्व कुर्याण , खुरचना , उत्कीर्णन हेतु नहीं है अपितु  भवन में बंधे   विशेष जंगले  के कारण है।  इस भवन का महत्व ,  जगह कम होने पर क़िस तरह पहले मंजिल में बरामदे को कवर किया जा सकता है वाली शैली अपनाने के कारण है। 
बहन दुपुर -दुखंड  है।  भवन के भ्यूंतल /ground  floor में खोली भी है जिसके  स्तम्भ (सिंगाड़ ) व मुरिन्ड  के तोरणम  (arch  of  Header ) में कला उत्कीर्णित हुयी है किन्तु छायांकन में अस्पष्ट नहीं है। 
पहले मंजिल में बरामदे के बाहर जंगला बंधा है।  जंगल में  कुल कितने स्तम्भ हैं यह नहीं स्पष्ट है किन्तु पारम्परिक दृष्टि से आठ स्तम्भ का जंगला तो होगा ही।  स्तम्भ उलटे थांत  /क्रिकेट बैट  ब्लेड  नुमा हैं।  स्तम्भों के आधार में ढाई फिट लगभग  लकड़ी की रेलिंग है।  रेलिंग व आधार के मध्य लकड़ी के चौखट डंडों  (उप  या लघु स्तम्भ ) से जंगला  सधा है।
 आज इस जंगलेदार  भवन का महत्व नहीं हो किन्तु एक समय हरसिल राजा विल्सन द्वारा शुरू की गयी (1860 )  इस प्रकार के भवनों का बड़ा मान  था व महत्व था। 
बिनोद कुकरी - दिवाकर कुकरेती के भवन में सभी स्थानों में ज्यामितीय कटान की कला ही दृष्टिगोचर हो रही है ( खोली छोड़कर ) व उत्कृष्ट प्रकार के हैं।
 मेरी  सूचना अनुसार भवन के शिल्पकार   सौड़  निवासी  शेर सिंह नेगी थे  व  सौड़  के ही लकड़ी शिल्पकार  गल्ला सिंह नेगी थे।   
सूचना व फोटो आभार:दाता राम कुकरेती।  ग्वील
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 


Bhishma Kukreti

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कुटी (धारचूला , पिथौरागढ़ ) में एक भवन (संख्या २ )  की काष्ठ कला

   Traditional House Wood Carving Art  of  Kuti , Dharchula   , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -473
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 फेसबुक मीडिया से मित्रों द्वारा  कुछ विशेष क्षेत्रों  क्र भवनों की सूचना स्रोत   मिलने लगे हैं। इसी क्रम इ आज पांडव स्वर्गारोहण कथा से संबंधी वा भारत चीन सीमा के गाँव कुटी   (धारचूला, पिथौरागढ़ ) में भवन संख्या २  की खोली की काष्ठ कला , उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
कुटी (धारचूला ) का  भवन संख्या २   संभवतया दुपुर -दुखंड  है।  खोली तल मंजिल से पहली मंजिल तक गयी लग रही है।
कुटी के प्रस्तुत भवन की खोली के दोनों ओर के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ दो दो  उप  सिंगाड़ों / उप स्तम्भों के युग्म (योग/जोड़  )  से निर्मित हुए हैं।  आधार में दोनों उप स्तम्भ में कला एक सामान है।  उप सिंगाड़ों    के आधार में लम्बे उलटे कमल दल से  लंबोतरी घुंडी निर्मित हुयी है।  घुंडी /कुम्भी ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर  घड़ी /लोटनुमा आकृति है फिर दिल है फिर सीधे कमल दलों से बनी घुंडी है  जिसके ऊपर  एक आंतरिक सिंगाड़  में फर्न नुमा या नाड़ीनुमा आकृतियों की आकृतियां ऊपर  कुछ दूर तक अंकित हुए हैं। उसके ऊपर से सिंगाड़ में रेखा येन है व यह स्तम्भ ऊपर  मुरिन्ड /header के स्तर  बन जाते हैं।  दूसरे  बाहरी सिंगाड़  में ऊपरी कुम्भी फूलों से सिंगाड़ों  में कई प्रकार की बारीक , आकर्षक  पत्तियों , लताओं।  घुंघराले पुष्प दलों के मिश्रित  की आकृतियां अंकित हुयी हैं।  चारों उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड  के स्तर बन जाते हैं।  मुरिन्ड की कड़ियाँ  में उसी प्रकार की कला उत्कीर्णित हुयी है जो सिंगाड़ों  में थीं।   मुरिन्ड में चतुर्भुज  देव मूर्ति बिठाई गयी है। 
छप्परिका  व आधार की तख्तियां सपाट कटान की हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि  कुटी (पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या २ की खोली में तीनों प्रकार के अलंकरण - प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है। 
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सूचना व फोटो आभार: अमित शाह संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bhishma Kukreti

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श्री योगेन्द्र सिंह नेगी का भवन मा काष्ठ कला
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जगा--थाती कठूड़ बूढाकेदार
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड
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तीन खंख्या, छै खंब्या अर नौखंब्या तिबार तक त भौतऽ तिबार आज भी जूंदि छिन पर यन बेमिसाल तिबार जैमा अठ्ठार तड़तड़ा मजबूत खंबा ह्वौन, त यन तिबार बेमिसाल धरोहर ही छिन, हमारी संस्कृति की।
थाती कठूड़ बूढाकेदार टीरि गढ़वाल की या तिबार वाकई कुछ खास छैंच।
लगभग पैंतीस ऊर्ध्वाधर कड़ी तिबार का ऐंच काकड़ तक लेटी छिन। लगभग चालीस पचास तक कड़ी छज्जा का पैंद बटि तिबार की डिंडयाळि तै मजबूती द्यौणा छिन।
तिबार का हरेक स्तंभ ऐंच बटि बेहतरीन नक्काशी का डिजाइन से सज्या छिन अर अंग्रेजी का यू आकार मा हर द्वी स्तंभों का बीच स्वांणि झालर बणेतै तिबार का हर स्तंभ तै जोड़णा छिन।
स्तंभ का ऐंच अर पैंद पुष्प-दलपत्र की नक्काशी च।
हर स्तंभ अपडि 'चौ' पर छज्जा अर डंडयळी पठ्ठाळि पर मजबूती दगडि खडु च।
तिबार बटि, छै म्वौर-संगाड़ छिन जु भितर खंड जैक कमरा बटिन फिर भितर्या हैकि तिबार दगडि जुडया छिन। भितरै तिबार लगभग चौदह साधारण स्तंभ पर खड़ि च।
मतलब अगनै-पिछनै तिबार अर बीच मा कमरा ।
घाम बरखा का हिसाब से भर्या सामूहिक परिवार का हर सदस्य, महिला पुरुष, मैमान-न्यूतेर पूरु समाज देखी, सोची तै हर दशा मा फिट लगणी च तिबार।
द्वी तरफां एकदम मौसमानुकूल, यन मांणा कि एक तरफ तड़तडु घाम त भितरै तरफ सुखिलि तिबार मा छैल।
तिबार मा चिरपुराचीन कंडा-मळकंडा कुठार जन कै विरासत का न्यूजा निसांण अजूबि सैंकि समाळी रख्या ही छिन।
पहाडों की दिशा अर दशा कु हर तरफां बै अध्ययन करीतै ही यन नक्शा तैयार ह्वै सकदन।
त वाकई सैल्यूट यन मकानों का डिजाइन तैयार कर्दरा हमारा तौं इंजीनियरौ तै जौंका अगनै आज की हर इंजीनियरिंग डिगरी नतमस्तक च।
योगेंद्र सिंह नेगी जी सपरिवार ईं पैतृक विरासत कि अपडा स्तर पर देखभाल कना छिन।
आंदि-जांदि मनख्यूं कु ध्यान भी जरूर खैंचि द्यौंदि या तिबार ।
------@अश्विनी गौड़ दानकोट रूद्रप्रयाग ------


Bhishma Kukreti

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सिराईं (लंगूर , पौड़ी गढ़वाल ) में विशेश्वर दत्त देवरानी भवन में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी  

 Traditional  House Wood Art in Sirain  Langur , Pauri Garhwal   
लंगूर ,  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी  -  474

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 लंगूर् से भी भवनों की सूची मिल रही हैं।  आज  सिराईं (पौड़ी गढ़वाल )  के बिशेश्वर दत्त देवरानी के भवन में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।   सिराईं (पौड़ी गढ़वाल )  के बिशेश्वर दत्त देवरानी  का प्रस्तुत भवन दुपुर -दुखंड है।  भवन में भ्यूंतल/ ground floor  से ऊपर पहली मंजिल तक खोली गयी है। खोली के सिंगाड़ (स्तम्भ ) व मुरिन्ड header की सपाट  कड़ियाँ सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं।  मुरिन्ड में बहुभुजीय देव आकृति स्थापित हुयी है।  भ्यूं तल में कमरों के सिंगाड़ , सरवाजे व मुरिन्ड /header में ज्यामितीय कटान ही है (सपाट )। 
   सिराईं (पौड़ी गढ़वाल )  के बिशेश्वर दत्त देवरानी के भवन के पहले मंजिल में दो तिबारियां हैं।  एक तिबारी में  पांच स्तम्भ /सिंगाड़  हैं तो दूसरी तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की है।  सभी नौ के नौ सिंगाड़  ज्यामितीय कटान से सपाट पन  लिए    हुए  हैं। 
पत्थर के छज्जेदार प्रस्तुत   सिराईं (पौड़ी गढ़वाल )  के बिशेश्वर दत्त देवरानी भवन अपने समय में सिराईं  ही नहीं अपितु लंगूर गढ़ निकट के गाँवों में छवि लिए प्रसिद्ध भवन था। 
निष्कर्ष निकलता है कि  शैलीगत रूप से आकर्षक  सिराईं (पौड़ी गढ़वाल )  के बिशेश्वर दत्त देवरानी भवन में ज्यामितीय कटान अलंकरण हुआ है।  देव आकृति यदि काष्ठ  की है तो मानवीय अलंकरण भी भवन में हैं। 
सूचना व फोटो आभार : विकास बड़थ्वाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी, भवन नक्कासी  नक्कासी


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मलारी (चमोली ) में भवन संख्या ७ - ९ तक तीन भवनों में काष्ठ  कला उत्कीर्णन

  Traditional  House Wood Carving Art  in Houses  of  Malari  , Chamoli   
 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 475
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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   धौळी  गंगा घाटी के मलारी गाँव की मिनि  तिब्बत  भी कहते हैं।  गाँव में शीतकाल में अति ह्यूं /हिम गिरता है और मलारी निवासी निम्न तल की और बसने आ जाते हैं।  चार महीने मलारी जन शून्य रहता है।  यही कारण है कि  मलारी में तल मंजिल में भंडार या गौशालएं हिन् हिअ क्योंकि जब ह्यूं  पिघलता होगा तो आंगन जल  से भर  जाता होगा।  मलारी एक तिबत -गढ़वाल का महत्वपूर्ण व्यापारिक कनेद्र भी रहा है तो यहां भवन एक दुसरे से सटे  हैं।  शीट से बचने हेतु देवदारु के दीवारों वाले भवन आज भी प्रचलित हैं। 
 आज हेमंत डिमरी के संग्रह में संग्रहित मलारी के तीन जंगलेदार  भवनों की काष्ठ कला  पर चर्चा होगी।  सभी भवन तीन मंजिल से अधिक मंजिल वाले हैं।  तीनों भवनों में जंगलों  (बालकोनी के बाहर स्तम्भ वाला संरचना ) में सत्मव्ह हैं व  दो घरों  के (हरे व नीले ) उप जंगलोंमें XX  आकर के लघु स्तम्भ संरचना भी है। 
तीनों घर प्राचीन हैं व सभी घरों के स्तम्भों व दरवाजों ,  खिड़कियों के दरवाजों , स्तम्भों या बालकोनी ढकने के लकड़ी के तख्तों में सपाट ज्यामितीय कटान  की कला ही दृष्टिगोचर होती है।  सारे स्थलों की कड़ियाँ भी सपाट हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि मलारी के भवन ७ , ८ , ९ में ज्यामितीय कटान की कला ही दृष्टिगोचर हुयी है।  भवन की शैलियां प्राचीन हैं जैसे उत्तरी पश्चिम उत्तरकाशी (नेलंग, बागोरी  ) में मिलते हैं या जौनसार में मिलते हैं।  भवन आधारिक कला से समृद्ध हैं।  जिनमे अलंकरण व अंकन नहीं मिलते हैं जैसे कि   चमोली दक्षिण क्षेत्रों के भवनों में मिलते हैं। 
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath , Chamoli Garhwal, Uttarakhand;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli Garhwal, Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


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बरसु (अगस्तमुनि, रुद्रप्रयाग )  में भवन  (२ ) की तिबारी में पारम्परिक  गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण


Traditional House wood Carving Art of  Barsu (Augstmuni ) Rudraprayag         : 
गढ़वाल, कुमाऊँ,केभवन (तिबारी, निमदारी, बाखली, जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक  गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-476   

 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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आजकल मित्र उन भवनों की आधी फोटो भी भेज रहे हैं जहां पुरे भवन की फोटो संभव   नहीं है।  उनके प्रयास को नमन। 
आज  बरसु (अगस्तमुनि, रुद्रप्रयाग )  में  एक भवन   की तिबारी में काष्ठ कला अलंकरण पर चर्चा होगी।  बरसु  का प्रस्तुत भवन सुदृढ़ व दुपुर -दुखंड है।  छायाचित्र में तिबारी ा एक स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहा है।  स्तम्भ देख क्र अनुमान लगाना सरल है कि तिबारी युक्त भवन बड़ी तबियत व ध्यान से  निर्मित हुआ है।  स्तम्भ के  आधार  में अलङ्कतित ड्यूल है जिसके ऊपर अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी बनी है।  कुम्भी के आकर्षक  पात अंकन हुआ है। कुम्भी के ऊपर ड्यूल है।  ड्यूल के ऊपर खिले चीड़ फूल (चिलगोजा फूल दल  ) या कमल दल अंकन हुआ है , जिसके ऊपर बड़ा कमल दल दृष्टिगोचर हो रहे हैं जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल ०बड़े आकर ) अंकन हुआ है। पुष्प दल से स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर बढ़ता है और जहां सबसे कम मोटाई है वहां  अधोगामी पदम् पुष्प दल अंकित हैं फिर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर आकर्षक  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल आंकना हुआ है।  यहां से स्तम्भ थांत एकत्र लेता है ाव दोस्सरी और अर्धचाप बनता है।  निष्कर्ष निकलता है कि  बरसु  गांव के प्रस्तुत भवन की तिबारी उत्कृष्ट है व ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण कला  अंकन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार:   अरविन्द भट्ट
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
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  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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सिरसेड़  (कीर्ति नगर , टिहरी ) के भवन संख्या २ में पा रम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

        भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Sirsed , Kirtinagar Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-477   

संकलन - भीष्म कुकरेती 

 सिरसेड़  से तीन भवनों की सूचना मिली है।  प्रस्तुत भवन संख्या २  दुपुर - दुखंड है।  काष्ठ कला विश्लेषण हेतु पहली मंजिल में बारमदे को ढकती  तिबारी  है।  सिरसेड़  के भवन सँख्या  २ की तिबारी चौखम्या अथवा चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की तिबारी है।  प्रत्येक सिंगाड के आधार में उल्टे कमल पंखुड़ियों से कुम्भी बनी है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधे कमल पंखुड़ियों से बनी कुंभीआई है। यहां से स्तम्भ लौकी आकार ग्रहण करता है ऊपर बढ़ता है। सिंगाड़  जहां सबसे कम मोटाई है   वहां चार ड्यूल या wood ring  उभरी है।  आखरी  ड्यूल  के ऊपर बड़ा कमल पंखुड़ी से कुम्भी बना है।  कमल पुष्प से स्तम्भ कई  छोटी बरीक   कड़ियों में  शक्ल  अख्तियार  कर ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड /header  से  मिल जाता है।  यहीं से   तोरणम/ मेहराब    के अर्ध चाप  भी नकलते हैं।  तोरणम के स्कन्धों में तरंगों लताओं की कलाकारी  है। 
तिबारी के ऊपर दीवाल में धम्म चक्र जैसे आकृति स्थापित हुयी है।  यह जानना मुश्किल है कि  धम्म चक्र लकड़ी आधार पर है मिटटी पत्थर के चौखट पर है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  सिरसेड़  में भवन संख्या २ में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्ण हुयी है।  भवन की कला महीन व  उत्कृष्ट है। 

  सूचना : राजेंद्र कुंवर फरियादी
 फोटो आभार:  सुरेंद्र भंडारी     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


 

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