Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37093 times)

Bhishma Kukreti

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   बागोरी उत्तरकाशी )  के  भवन  संख्या ४ में काष्ठ कला

  Traditional House wood Carving Art in , Bagori , Harsil   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,    के   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 478

 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 नेलंग डॉट कॉम से    नेलंग जडंग , बागोरी के भवनों  की सूचना नहीं मिलती अपितु  कई सांस्कृति आयामों की भी सूचना मिलती जाती है।   इसी  क्रम में बागोरी    भवन संख्या ४ में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन (बगोरी संख्या ४ )  तिपुर है व तिखंड  है।  भवन के तल मंजिल में गौशाला व भंडार गृह होंगे।  बागोरी के  पहले तल में बरामदा /बालकोनी है।  इस बरामदे /बालकोनी को ढकने हेतु स्तम्भ व उप स्तंभ  (जंगला ) है।  दोनों तलों में खड़े  स्तम्भ व पड़ी  कड़ियाँ  सब ज्यामितीय कटान की उपज हैं।  दोनों तलों में आधार पर  रेलिंग हैं व दो रेलिंग के मध्य दोनों तलों में XX XX नुमा उप स्तम्भ हैं।   छत के आधार की काष्ठ कड़ी /पसूण  भी ज्यामितीय कटान की ही उपज हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बागोरी भवन संख्या ४ में ज्यामितीय कला अलंकरण कटान ही हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार : नेलंग डॉट कॉम (मित्र फेसबुक )

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   

Bhishma Kukreti

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आंगन (चकराता , देहरादून )  के एक भवन काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन


गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली के 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन 479 -
Traditional House wood Carving art of , Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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जौनसार भाबर प्राचीन भवन व भवनों में ज्यामितीय काष्ठ कला व अभिनव शैली हेतु प्रसिद्ध रहा है।  आंगन  ( चकराता )  का प्रस्तुत भवन ढाई पुर है व कोटि बनाल शैली (लकड़ी व पत्थर मिलाकर भवन ) पर निर्मित  हुआ  है।  आंगन के प्रस्तुत भवन  वास्तव में ज्यामितीय कला से निर्मित शैली के सदा याद किया जायेगा।  इस तरह के खड़े स्तम्भ ६ से अधिक दिख रहे हैं।
प्रस्तुत भवन में भूतल (ground  floour ) में कुम्भी युक्त (उल्टा कलम दल, ड्यूल , सीधा कमल दल से निर्मित कुम्भियाँ युक्त ) स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  प्रस्तुत भवन में इन अलंकृत खड़े स्तम्भों को छोड़ शेष लकड़ी के अंग  (स्तम्भ व पटिले /तख्ते ) सभी ज्यामितीय कटान के श्रेष्ठ व उत्कृष्ट उदाहरण हैं।   ज्यामितीय कला में भवन का  सानी नहीं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  आंगन (चकराता )  का प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय कटान कला का उत्कृष्ट उदाहरण मिलता है व प्राकृतिक कला, अलंकरण  (कमल फूल दल )  भी उत्कृष्ट है।

सूचना व फोटो आभार :  सुरेंद्र सिंह (चकराता : हार्ट ऑफ़ जौनसार भाबर  FB ग्रुप  से )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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लालपुर कोटद्वार , पौड़ी गढ़वाल में  चंद्रमोहन खंतवाल की तिबारी में  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन


    Tibari House Wood Art in House of  Lalpur,  Kotdwara   , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, के भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,बाखली,खोली ,मोरी,कोटि बनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -480
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 अभी  कुछ समय पहले  चंद्रमोहन खंतवाल ने  लालपुर कोटद्वार में गढ़वाल के शिल्पकारों की सहायता से तिबारी स्थापित की।  तिबारी वास्तव में जंगले शैली में निर्मित हुयी है।  भवन दुपुर  है  और ९ या दस स्तम्भों की   तिबारी  पहली मंजिल में स्थापित हुयी है।  स्तम्भ आम तिबारी जैसे नहीं स्थापित हुए हैं अपितु जंगले  शैली के स्तम्भ जैसे स्थापित हैं।  आम जंगल के स्तम्भ सपाट होते हैं किन्तु खंतवाल ने  सपाट  स्तम्भों के स्थान पर  कलयुक्त स्तम्भ स्थापित किये हैं।  स्तम्भ के आधार में उलटे कमल से घुंडी /कुम्भी बनी है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधे कमल दल की कुम्भी बनी है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर चलता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां उलटे कमल दल की कुम्भी है फिर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल दल है।  यहां से स्तम्भ ऊपर छढ़ते थांत आकर लेयर शीर्षसे मिल जाता है।  यहीं तोरणम/मेहराब  का आंध्रा चाप  भी निकलता है।  तोरणम के स्कन्धों में सूरजमुखी या बहुदलीय पुष्प चित्रित हुआ है।  ूलों की फर्न नुमा पत्तियों ने घेरा हुआ है।
  लालपुर कोटद्वार में चंद्रमोहन  खंतवाल की तिबारी भव्य व कलयुक्त है जिसमे ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  कला  अंकन उत्कृष्ट  है। 

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   -  T


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कुटी (पिथौरागढ़ ) में पर्यटन भवन  की खोली में  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

Traditional House Wood Carving Art in  Kuti  of, Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली ' की  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -481

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 धारचूला क्षेत्र पारम्परिक व प्राचीन भवन काष्ठ कला हेतु प्रसिद्ध है।  आज इसी क्रम में   कुटी (पिथौरागढ़ ) में पर्यटन भवन  की खोली में  काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी।  बहती में पर्यटक भवन की खोली तल मंजिल से पहली मंजिल तक गयी है।  खोली में  सिंगाड़  (स्तम्भ ) ,  तौल  मुरिन्ड  (शीर्ष )  व मथि मुरिन्ड (ऊपरी)  पर काष्ठ कला उल्लेखनीय है।  खोली के बगल में  छाज के स्तम्भ भी दिख रहे हैं व काष्ठ कला विशिष्ट है।
  खोली में दोनों मुख्य स्तम्भ तीन उप स्तम्भों के योग से निर्मित हैं।  किनारे के दोनों उप स्तम्भ कला दृष्टि से एक सामान हैं जबकि बीच का उप स्तम्भ जड़ से ही भिन्न प्रकार के हैं।  बीच के उप स्तम्भ में फर्न  पत्ती  , लताफूल, का चित्रांकन हुआ है।  किरणारे के दोनों उप स्तम्भ के आधार में उलटे कमल दल , ड्युलवा सीधे कमलद दल से कुम्भियाँ / घुंडियां बनी हैं। उपररे सीधे कमल दल के बाद उप स्तम्भों की चित्रकार बीच के उप स्तम्भों जैसी ही है।
  तल मुरिन्ड (lower  header ) में तोरण  है व शीर्ष के  सतह स्तम्भों   से निर्मित हुए हैं अर्थात व्ही चित्रांकन के सतह । तल मुरिन्ड /शीर्ष    ऊपर भाग में  चत्तुरभुज गणेश जी की देव मूर्ति स्थापित है।   
 तोरणम (मेहराब ) के स्कन्धों में व भुजा में फर्न नुमा पत्तियों का अंकन हुआ है।
    ऊपरी मुरिन्ड header  में अर्धगोला मेहराब जैसे आकृति है अर्ध चाप के अंदर फ़ोल का चित्रांकन है और  दो मयूर चोंच भी लगते हैं।
  भवन के छाज  का एक स्तम्भ  के दो उप स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  इन  उप स्तम्भों में घुंडियां /कुम्भियाँ या परोठी नुमा आकृति चित्रित हैं।  इसके ऊपर उप स्तम्भों में पत्तियों व लता नुमा चित्रांकन हुआ है।  चुतरांकन आकर्षक व बारीक व सुडौल हैं।
  निष्कर्ष निकलता है कि   कुटी (पिथौरागढ़ ) में पर्यटन भवन  की खोली व छाज के उपस्तम्भों में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  चित्रांकन भव्य  हुआ हैं। 

सूचना व फोटो आभार: वीरेंद्र गर्ब्याल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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कैन्डुळ ( ढांगू , द्वारीखाल, पौड़ी  ) के एक भवन की खोली  की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन

Traditional House wood Carving Art of Kaindul  village , Dhangoo  Pauri  Garhwal   
  गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  ) ' काठ - कुर्याण-ब्यूंत '   काष्ठ कला अलंकरण अंकन,- 482   
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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ढांगू से कई भवनों व खोलियों की सूचना मिली हैं।  आज  इसी क्रम में कैन्डूल ढांगू के एक भवन की खोली की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
   प्रस्तुत भवन के बारे में रवि जुयाल ने सूचना दी  कि  भवन २०० वर्ष पुराना  है याने १८२) ।  .   किन्तु इतिहास  प्रामाणिक हैं कि  ऐसे भवन १८९० के उपरांत ही निर्मित हुए। 
 प्रस्तुत भवन दूपुर  व दुखंड है।  खोली तल मंजिल पर है।  खोली के काष्ठ युक्त   सिंगाड़  (स्तम्भ ) कलायुक्त है।  सिंगाड़ों  आधार के ऊपर  चित्रकारी जो गुल्म , लता व पुष्पों से सुसज्जित है यही कला ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड।/header  के स्थान में भी दृष्टिगोचर हो रही है।  ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष /header के ऊपर चतुर्भुज गणेश मूर्ति बिराजमान है। 
 शीर्ष या मुरिन्ड के बगल में छज्जे से दोनों ओर  डेवलगीर प्रकट होते हैं दीवालगीर में केले के फल , उलटे कमल दल या चीड़ के  फल के दल जैसे आकर की चित्रकारी हुयी है।  दीवालगीर  /ब्रैकेट्स   के बगल में चक्र ( जैसे पूजा समय चौकल में बनाया जाता है।)  स्थापित हैं। 
  भवन अपने समय का  गांव वालों हेतु गर्व मील पत्थर था।
भवन में तीनों प्रकार की अलंकृत कला प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय कला का चित्रांकन हुआ है।  कला प्रशंसनीय है। 
सूचना व फोटो आभार: रवि जुयाल   
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तु स्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun, Langur, Shila ),  Uttarakhand, Himalaya   
 


Bhishma Kukreti

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    भवाली  (नैनीताल ) के एक भवन में  कुमाऊं शैली की '' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन 

   Traditional House Wood Carving Art in  Bhovali  ,Nainital; 
   कुमाऊँ, के भवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की '' की काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 482
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 नैनीताल के ग्रामीण क्षेत्र भवन काष्ठ कला हेतु प्रसिद्ध रहे है हैं।   इसी  क्रम में अज्ज भवाली के एक भवन की काष्ठ अलंकरण कला पर चर्चा होगी। 
प्रस्तुत भवन संभवतया कोई होम स्टे है।  हमें भवन के एक छाज की ही सूचना मिली है।  छाज याने झरोखा जो पहले या दुसरे तल में होते हैं।  छाज के  उप  स्तम्भ , ऊपर तोरणम व आधार में पटिला या  तख्ते पर काष्ठ चित्रकारी हुयी हैं। 
एक छाज  के दोनों मुख्य स्तम्भ  चार चार  उप स्तम्भों के युग्म से  निर्मित  हुए है। एक उप स्तम्भ अलग है जबकि तीन उप स्तम्भ  एक सामान कला युक्त हैं.  चरों उप स्तम्भों के आधार में उलटे कमल दल , ड्यूल ,  सीधा  कमल दलों से हंडे /कुम्भी निर्मित हुए हैं।  चौथे विशेष उप स्तम्भ में सीधे कमल दल के बात रस्सी या लता नुमा आकृति ांकन हुयी है जो शीर्ष /मुरिन्ड /header  की सतह में भी दृष्टिगोचर होती है।
अन्य तीन उप स्तम्भों में सीधे कमल दल के बाद स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर बढ़ते हैं जहां सबसे कम मोटाई है वहां आधार वाली आकृतियों का दोहराव  दो बार हुआ है।  यहीं मेहराब या तोरणम का अर्ध चाप भी है।  तोरणम के स्कन्धों में फर्न पत्ती  व अन्य प्रकार की पत्तियों के आकृति अंकन हुआ है।
इस छाज के आधार में पटिल्या /तख्ते में  विशेष प्राकृतिक  आकर्षक आकृतियां अंकित हुए हैं। 
दूसरे  छाज में एक स्तम्भ तो पहले छाज के स्तम्भ भाग ही है।
 दूसरे  छाज के दूसरा उप स्तम्भ चौखट नुमा है प्राकृतिक व सरल सपाट कला अंकन का समावेश  हुआ है।   नीचे का पटिला  में सपाट पन  व आईने के फ्रेम जैसे ाँकब हुआ है।
 निष्कर्ष निकलता है कि भवन का छाज रंगीन व ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण से सजा है। 
सूचना व फोटो आभार: अमित शाह  संग्रह
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अल्मोड़ा शर के एक भवन  (संख्या १२)  में कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
Traditional House Wood Carving art of, house of   Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -  ४८३

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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अल्मोड़ा  शहर का  भवन संख्या १२  तिपुर (१ +२ ) शैली का है।   भवन के तल मंजिल (भ्यूंतळ ) में बरामदे को जालीदार लकड़ी के ढक्क्नों /तख्तों से ढका गया है अतः  यहां ज्यामितीय कटान के दर्शन होते हैं।  पहली मंजिल में  एक बड़ी सुडौल मेहराब है जो तल मंजिल  के ऊपर में स्थापित हुयी है।  पहली मंजिल में सात छाज हैं व प्रत्येक छाज में उप  सिंगाड़ों /स्तम्भों के युगमसे मुख्य  सिंगाड़ / स्तम्भ निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भ के आधार में उलटे कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल दल से कुम्भियाँ /घट बने हैं।  सीधे कमल दल के ऊपर उप स्तम्भ लौकी आकर लेते हैं व जब बहुत कम मोटाई होती है तो इसी तरह किकुम्भियों का दोहराब होता है।  छाज के शीर्ष /header में अर्ध चाप मेहराब हैं जिनके एंड स्कंध में नक्कासी हुयी है।  तीन स छाजों  के आधार छेदों  कोजालीदार पटिलों /तख्तों से ढके गए हैं।  चार छज्जों के आधार व मुझे छेड़ भी सपाट तख्तों से ढके हैं ,.  चार छाजों  के ऊपर  उलटा गुंबद नुमा कोई जटिल  आकृति अंकित हुयी है। 
दुसरे मंजिल में भी सात  छाज हैं जहां  सपाट ज्यामितीय कला दर्शन होते हैं।  एक छज पहले मंजिल के छाज का प्रतिरूप है।
अल्मोड़ा शर का प्रस्तुत भवन में काष्ठ अंकन , उत्कीर्णन कार्य महीन व उत्कृष्ट किस्म का है व मानवीय अलंकरण छोड़ बाकी ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला का उम्दा उदाहरण है। 
सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट  संग्रह फोटो ६
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इसेरा गाँव (चम्पावत )  के भवन 2   में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of Isera, Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -484
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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इसेरा के एक भवन की काष्ठ  कला  पर चर्चा हो चुकी है।  आज इसी भवन के बगल वाले भवन  के (संख्या २ )  के काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  जग प्रसिद्ध नक्कासी विशेषज्ञ जय ठक्कर ने इन्हे बालकोनी हाउसेज नाम दिया याने छज्जेदार , बारजेदार या आलिंदनुमा शैली का भवन है।  इसेरा  पर प्रस्तुत भवन संख्या २ दुपुर  है व तल मंजिल मर बरामदा व पिलर बंधे हैं जिसके ऊपर इस भवन के बाइलकोनी या जंगला स्थापित है। 
प्रस्तुत इसेरा (चम्पावत )  के भवन संख्या २  में जंगला पहले मंजिल में बंधा है।  जंगल में  १२ , से अधिक स्तम्भ हैं जिनके आधार मोठे हैं व आधार के बाद मोटाई कम है।   सभी स्तम्भ सपाट ज्यामितीय कला के सुंदर उदाहरण है।  ऊपर शीर्ष में भी सपाट कड़ी है जिनसे सभी स्तम्भ मिलते हैं।  नीचे के आधारिक कडी  छज्जे के बौळी /शहतीर के ऊपर तिकी है जहां स्तम्भ ठीके हैं।  इन आधारिक कड़ियों के समानांतर ऊपर दो कड़ियाँ स्थापित हैं।  आधारिक कड़ी व पहली समानांतर कड़ी के मध्य जंगला बंधा है जिसपर XX   आकार  उप स्तम्भ स्थापित हैं।  पहली समानांतर कड़ी व दुसरी कड़ी मध्य के जंगल में खड़े छोटे उप स्तम्भ हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  इसेरा  गांव  (चम्पावत ) में ज्यामितीय कटान  की कला उत्कीर्णन हुआ है व उच्च प्रकार  का कटान  हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : जय ठक्कर संग्रह 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


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 कापकोट (बागेश्वर ) के एक भवन  में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन

Traditional House wood Carving Art in Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन- 485 

संकलन - भीष्म कुकरेती
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कापकोट का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन में काष्ठ कला विश्लेषण हेतु हमें तल मंजिल में दो कमरों के सिंगाड़ /स्तम्भों उनके मुरिन्डों  (header ). तल मंजिल से पहली मंजिल तक पंहुची खोली व पहली मंजिल के छाजों  पर ध्यान देना होगा।
कापकोट , बागेश्वर के प्रस्तुत भवन  में प्रथम तल या भ्यूंतल के दोनों कमरों के दरवाजों , सिंगाड़ों (स्तम्भों ) , मुरिन्डों (headers , शीर्ष ) में  ज्यामितीय कटान हुआ है व अन्य किसी तरह का अंकन नहीं हुआ है। 
खोली के तल , सिंघाड़ों , मुरिन्डों  , तोरणम /मेहराब में भी ज्यामितीय सपाट कटान का ही कार्य हुआ है। 
सभी छाजों के आधारिक ढकनों , सिंगाड़ों , तोरणम , शीर्ष /मुरिन्ड  में भी सपाट ज्यामितीय कटान हुआ है। 
सभी खिड़कियों में भी स्पॉट कटान का काष्ठ कार्य दृष्टिगोचर हो रहे है।
निष्कर्ष निकलता है कि  भव्य शैली के प्रस्तुत कापकोट  के प्रस्तुत भवन में सब जगह  सपाट ज्यामितीय कटान से ही कार्य हुआ है और आकर्षक कार्य हुआ है । 
सूचना व फोटो आभार: : गिरधर पाठक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कुटी (पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या ४ में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला,  अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  Kuti  , Pithoragarh
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला,  अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -485
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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  कुटी से कई घरों की सूचना मिली है।  प्रस्तुत भवन संख्या ४ में खोली की ही सूचना मिली है।  खोली तल मंजिल पर है।  खोली के दोनों ओर  तीन तीन  उप सिंगाड़ों (स्तम्भों ) से युग्म हुए सिंगाड़ हैं।  दो दो  उप स्तम्भ में काष्ठ कला अंकित हुयी है।   इन सिंगाड़ों के आधार में  उल्टे  व्सी धे  कमल पंखुड़ियों  व ड्यूल से निर्मित कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।इन कुम्भियों के ऊपर स्तम्भों में फर्न पत्ती नुमा अंकन व लता व लता युक्त पुष्प  का अंकन हुआ है। 
खोली के मुरिन्ड (header )   स्तर /layer भी  स्तम्भों   से ही निर्मित हैं व  स्तरों में वही चित्रकला दिखती है।  मुरिन्ड  में  चतुर्भुज देव मूर्ति भी स्थापित हुयी है।  छपरिका के मध्य कोई प्रतीक भी दृष्टिगोचर हो रहा है।
 शेष स्थानों में ज्यामितीय कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि कुटी के भवन संख्या ४ में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय  काष्ठ अलंकरण कला हुआ है।  अलंकरण उत्तम प्रकार का  है व महीन है। 
सूचना व फोटो आभार:अमित शाह संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 


 

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