Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 37157 times)

Bhishma Kukreti

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 भोपती  ( धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल )  में दो भवनों  रावत निवास  व पड़ोसी भवन में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of  Rawat  Niwas ,  Bhopati  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -486

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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  धुमाकोट से अच्छी खासा संख्या में काष्ठ कलायुक्त भवनों की सूचना मिली हैं।  आज भोपति (धूमाकोट ) के दो भवनों एक रत्न सिंह रावत  भवन व इसी भवन से जुड़ा दूसरे  भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
दोनों भवनों (रावत निवास व बगल का भवन ) में जंगले  (बालकोनी )  स्थापित हैं . जहां रावत निवास में गोल कम  मोटाई के  स्तम्भ लगे हैं वहीं बगल के भवन में चौखट स्तम्भ हैं।
रावत निवास के बगल के भवन में नीची की ओर  दो कड़ियों के मध्य भी जंगला स्थापित हैं।  इन कड़ियों के मध्य हुक्के की नली में होने वाली काष्ठ कृति के उप स्तम्भ लगे हैं।  उप स्तम्भ काफी आकर्षक हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि भोपती  (धुमाकोट ) के दोनों भवनों में जंगले  सधे हैं व ज्यामितीय कटान की काष्ठ कला विद्यमान है।   
सूचना व फोटो आभार: रघुबीर सिंह बिष्ट
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021


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 मलारी (चमोली ) के भवन संख्या १० में  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन


  Traditional  House Wood Carving Art  from  Malari  , Chamoli   
 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, -
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 धौली गंगा तट के गाँव मलारी  से कई  भवनों की तस्वीरें उपलब्ध हुयी हैं।  आज मलारी के  भवन १० की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत मलारी भवन संख्या १० नितांत  आदिम शैली , आधारिक व बर्फीले प्रदेश के घर जैसा ही है।  प्रस्तुत घर संभवतया तिपुर या चौपुर  है।  भवन की दीवारें सभी हिस्से लकड़ी से निर्मित हुए हैं।  पत्थर व मिटटी केवल छत पर ही प्रयोग हुआ है।  इसमें शक नहीं होना चाहिए की दीवारें देवदारु की लकड़ी से निर्मित हैं। 
साड़ी लकड़ियां दो प्रकार से हैं तख्ते व कड़ियाँ व ज्यामितीय कला कटान के उमड़े उदाहरण  हैं। 
लकड़ी का जो  भी कार्य  दृष्टिगोचर हो रहा है व सपाट व ज्यामितीय कटान से ही हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 तोलगांव  (रुद्रप्रयाग ) के  एक भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण

Traditional House wood Carving Art of Tolganv, Rudraprayag         : 
गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 488   
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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तोलगांव  का प्रस्तुत भवन पहले मंजिल में जंगलादार है व  रुद्रपयाग संस्कृति अनुसार खोली भी महत्वपूर्ण है। 
तोलगांव  का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड है।  तोलगांव  का प्रस्तुत भवन की छत टिन  है अर्थात नया ही होगा। 
तोलगांव  का प्रस्तुत भवन में तल मंजिल में खोली है जिसके  दोनों ओर  तीन तीन उप सिंगाड़ों /स्तम्भों से मुख्य सिंगाड़ निर्मित है।  उप स्तम्भ /सिंगाडों  पर जालीदार प्राकृतिक सजावट हुयी है।  उप सिंगाड़  ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में जाकर मुरिन्ड के स्तर  निर्माण करते।  हैं मुरिन्ड में चतुर्भुज गणपति विराजमान हैं।
मुरिन्ड के दोनों ओर  दीवालगीर  हैं जिनमे हाथी मुख  स्थापित हैं।  हाथीमुख के नीची कलात्मक आधार हैं। '
 तोलगांव  का प्रस्तुत भवन के पहले मंजिल में  ज्यामितीय कटान के दस स्तम्भों से युक्त जंगला (बाल्कोनीदार )  बंधा है।   आधार पर लघु जंगला  लौह का है।  आधार व मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ियाँ भी सपाट हैं। 
 निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि  तोलगांव  का प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण के कला स्थापित है। 
सूचना व फोटो आभार:  भगवती नैनवाल
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
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    रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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       चौंड जसपुर (टिहरी )  भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of, Chund  Jaspur ,  Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-489   

संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 चौंड  जसपुर का भवन उत्कृष्ट प्रकार का  तिपुर  या ढैपुर भवन है।  भवन में उत्कृष्ट काष्ठ कला दृष्टिगोचर हो रही है। 
चौंड  जसपुर के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में तिबारी उत्कृष्ट किस्म की है।  तिबारी चार स्तम्भों की है। स्तम्भ में उलटे कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल दल दो स्थान में हैं।  मुरिन्ड सपाट है व तोरणम नहीं है। 
चौंड  जसपुर के प्रस्तुत भवन में छत के आधार पर दास में ज्यामितीय कटान की कला दर्शनीय व प्रशंसनीय है।  लगभग भवन में २० के  लकड़ी के दास हैं। 
दास/छत के आधार हेतु ब्रैकेट  में कायस्थ कला प्रशंसनीय है। 
आश्चर्य है कि  उत्कृष्ट भवन में मानवीय (देव या जंतु ) के चित्र नहीं हैं।  हो सकता है खोली में मानवीय चित्र अंकन हो किन्तु खोली छायाचित्र में दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। 
  सूचना व फोटो आभार:   अरविन्द भट्ट   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


Bhishma Kukreti

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नेलांग (हरसिल उत्तरकाशी ) के भवन संख्या १० (पुराना ) में काष्ठ  कला

  Traditional House wood Carving Art in , Nelong , Harsil   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,    के   भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की   काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 490

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 नेलांग (हरसिल , सीमा गाँव उत्तरकाशी ) का महत्व सीमावर्ती गाँव के ही कारण नहीं अपितु शीत जलवायु अनुसार संस्कृति जन्मने हेतु भी महत्वपूर्ण है।  नेलंग  के भवन आदि कालीन दीखते हैं व इनमे काष्ठ कार्य ही अधिक हुआ है (कोटी बनाल  शैली ) व बर्फ से बचने के उपाय भी भवन में  अंतर्हित हैं।    नेलांग  व मलारी , नीति के भवनों में बहुत अधिक साम्यता है। 
 नेलांग  का प्रस्तुत भवन महत्वपूर्ण  है कि  यह प्राचीन भवन है व छायाचित्र काला सफेद है।  प्रस्तुत भवन का documentation  आवश्यक है कि  भविष्य  में गढ़वाली भवन निर्माण  विकास इतिहास के लिए भी उपयोगी होगा।
प्रस्तुत नेलांग  भवन संख्या १० तिपुर  शैली में निर्मित है। तल मंजिल में भंडार व पशु निवास है।  पहले व दूसरे मंजिल में मनुष्य निवास कक्ष हैं।  प्रस्तुत नेलांग  भवन संख्या १० में भवन दीवारे काष्ठ तख्तों से निर्मित हैं व सपाट हैं।  इसी तरह कड़ियाँ भी सपाट हैं।
प्रस्तुत नेलांग  भवन संख्या १० पिरामिड नुमा है जो आदि कालीन भवन शैली व बर्फीली क्षेत्र के भवन शैली गत ही है।
 
सूचना व फोटो आभार : Nelong .com
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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रम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी


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  कोटि बनाल (जौनसार, देहरादून )  में रंजीत सिंह रावत के बहुमजले   भवन में काष्ठ कला
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली  की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -
Traditional House wood Carving art of Koti  Banal  , Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 कोटि बनाल जौनसार से कई भवनों की सूचना मिली है  . परस्तीत भवन दिनेश रावत के परिवार के बहुमंजिले भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत रणजीत सिंह रावत का भवन जौनसार , रवाईं क्षेत्र के जमींदारों के  पारम्परिक बहुमंजिले  भवन जैसे ही जैसे रैथल राजा का  ५०० साल पुराना  बहुमंजिला भवन है।  प्रस्तुत भवन भी छह मंजिल से ऊँचा है।  कुछ मंजिल सीधे हैं किन्तु ऊपर की तीन चार मंजिलें पिरामिड नुमा हैं।  भवन कोटि  बनाल (अधिक लकड़ी बहुत कम गारा )  शैली का है।
भवन शैलगर रूप से अद्भुत है।   छह सात मंजिल तक भवन में व ऊपर पिरामिड नुमा संरचना में भी लकड़ी का काम ज्यामितीय कटान से ही तख्ते व कड़ियाँ स्थापित हैं।  छायाचित्र में कोई प्राकृतिक (फूल , पत्ती , लता आदि ) व मानवीय (देव आकृति , पशु , मनुष्य आदि ) के कोई चिन्ह नहीं मिल रहे हैं।  कुछ स्थलों में शंकुनुमा संरचना भी मिले  हैं। 
भवन शैल्ग्त सदा याद रखा जायेगा व  रैथल (उत्तरकाशी )  के भवन जैसा ही है। 
सूचना व फोटो आभार : दिनेश रावत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कालसी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;    त्यूणी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     चकरोता जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  बड़कोट   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     भरम जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  हनुमानचट्टी   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  यमुनोत्री   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;


Bhishma Kukreti

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धानाचूली (नैनीताल )  के भवन संख्या ७ की एक खिड़की में अभिनव  काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन

   Traditional House Wood Carving Art in Dhanachuli,  Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की  काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 492

संकलन - भीष्म कुकरेती
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 धानाचुली में कई काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना  मिली है।  आज हम धानाचूली के भवन संख्या ७ की खिड़की की काष्ठ कला व उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  खड़की चौखट है व खिड़की के सिंगाड़ (स्तम्भ ) व मुरिन्ड /म्वार /शीर्ष header भी चौखट व ज्यामितीय कटान के उदाहरण है।  चौखट के अंदर खिड़की के दरवाजे पर  उत्कृष्ट काष्ठ कला अंकित हुयी है।  दरवाजे के तख्ते में चतुर्भुज बैठे गणपति की मूर्ति उत्कीर्णित है।  गणपति के नीचे केले के पत्ते नुमा या कमल दल नुमा आकृति उत्कीर्ण हुयी हैं।  गणपति व केले पत्र या कमल दल के मध्य में तीन सूरजमुखी नुमा फूल उत्कीर्णित हैं।  गणपति के ऊपर तोरणम हैं जिसके स्कंध सपाट हैं। 
 मुरिन्ड के ऊपर एक आवर मुरिन्ड है जिसमे किसी लिपि में कुछ लिखा है। 
खिड़की ब्रिटिश काल की याद दिलाती है क्योंकि खिड़की के बाहर ऊपर पत्थर के चाप है जो ब्रिटिश स्टाइल की है अर्थात भवन १८९० से पहले का नहीं होगा। 
 धानाचूली के भवन ७ की खिड़की  की काष्ठ कला महीन व उत्कृष्ट व स्मरणीय है। 
सूचना व फोटो आभार:मुक्ता नायक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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अल्मोड़ा बजार के भवन (संख्या १३ ) के दरवाजों में कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of,  Almora  Bazar  (House  13  ) Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -493   

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 अल्मोड़ा से गजेंद्र बिष्ट द्वारा कई उत्कृष्ट काष्ठ कला युक्त  भवनों की  सुचना मिली है। 
आज अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १३ के दरवाजों पर काष्ठ कला उत्कीर्णन पर चर्चा की जाएगी।
दरवाजों को चौखट में बनता गया है।  प्रत्येक चौखट के अंदर तख्ते में काष्ठ कला उत्कीर्ण हुयी है।  चौखट के अंदर लता व पुष्प दलों का उत्कीर्णन हुआ है जो महीन हैं।  एक चौखट में तोरणम  चित्रित है है जिसके ऊपर प्राकृतिक कटान अलंकरण का कटान हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १३ के दरवाजों में प्रकृति व ज्यामितीय कटान की महीन उत्कीर्णन कला के दर्शन होते हैं। 

सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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फुलाराकोट (पाटी , चम्पावत ) के एक भवन की छाजों में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन


Traditional House Wood carving Art of Fularakot,  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -494
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 चम्पावत जनपद से कई काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली हैं।  इसी क्रम में आज फुलाराकोट (पाटी , चम्पावत ) के एक भवन की छाजों में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
फुलाराकोट का  प्रस्तुत भवन  दुपुर  या तिपुर प्रतीत होता है।  छायाचित्र में दो छाज व शहतीर /चौखट बौळी  दृष्टिगोचर हो रही हैं जिनमे उत्तम प्रकार की काश्त कला के दर्शन हो रहे हैं।
शहतीर का आयत  दो  आयतों में विभक्त है व प्रत्येक आयत में पुष्प दल , लता व गुंथी  चोटी  (धमेली )  जैसे आकार  उत्कीर्ण हुए हैं।  उत्कीर्णन सब स्थलों में महीन हैं।  शहतीर के ऊपर दो छाज हैं।  छज्जों के दोनों व मध्य में तीन तीन उप स्तम्भ  मुख्य स्तम्भ निर्मित करते हैं।
 चाजों के आधारिक ढक्क्नों के तख्तों में एक में सूरजमुखी के अंदर सूरज मुखी आकार का महीन उत्कीर्णन हुआ है व दुसरे आधारिक ढक्क्न में जालीदार उत्कीर्णन हुआ है।  दोनों उत्कीर्णन आकषक हैं
 छज्जों के उप स्तम्भ में आधार में उल्टा कमल , ड्यूल व फिर सीधे कमल दल का उत्कीर्णन हुआ है जिसके ऊपर  उतककीर्णित महीन चित्रकारी भी हुयी है।   सीधे कमल दल  से उप स्तम्भ लौकी आकर में ऊपर बढ़ते हैं व जहां सबसे कम मोटाई है वहां फिर यही दोहराव है।  उप स्तम्भ ही मुरिन्ड /शीर्ष /हैडर के तह /स्तर बनाते हैं।  मुरिन्ड में अंदर मेहराब /तोरणम उत्कीर्णित हुआ है जिसके स्कन्धों में सूरजमुखी पुष्प आकर उत्कीर्णित हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि प्रस्तुत  फुलाराकोट (पाटी , चम्पावत ) के एक भवन की छाजों  की काष्ठ कला में प्राकृतिक व ज्यामितीय कटान का कार्य अलंकरण हुआ है  व उत्कृष्ट प्रकार का उत्कीर्णन उदाहरण है। 
सूचना व फोटो आभार : रजनीकर कपिल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


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  नघर (बागेश्वर ) में रमेश सिंह  कालाकोटी के भवन में काष्ठ कला , उत्कीर्णन

Traditional House wood Carving Art in Naghar , Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन- 495
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 बागेश्वर से  काष्ठ कला युक्त भवनों  की सुचना मिलती जा रही हैं।  आज नघर के रमेश सिंह कालाकोटी के भवन की काष्ठ कला , अलंकरण , उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। 
रमेश सिंह कालाकोटी का भवन बाखली जैसा ही है छोटा है।  यह भवन दुपुर  है।  नघर के रमेश सिंह के भवन के तल मंजिल में भंडार गृह हैं जिनके दरवाजे सिंगाड़ों में ज्यामितीय कटान की सपार कतई हुयी है।  तल मंजिल से खोली शुरू होती है।  खोली के दोनों ओर  मुख्य सिंगाड़ (स्तम्भ ) उप सिंगाड़ों  से युग्म हो निर्मित हुए हैं।  उप स्तम्बों के आधार में  अधोगामी   पंकज  दल , ड्यूल व फिर उर्घ्वगामी पंकज दल उत्कीर्ण हुआ है।  ऊपरी भाग में भी यही क्रम दोहरा गया है।  खोली में निम्न मुरिन्ड /शीर्ष /header में तोरणम है  और  ऊपरी तोरणम  भी कलायुक्त है।  तोरणम के ऊपर  टिन  प्लेट में कोई देव आकृति लगी दृष्टिगोचर हो रही है।
 भवन में दो छाज शहतीरों के ऊपर  टिके   हैं।  ऐसा लगता है शहतीर पर कला अंकन हुआ है।
 छाजों    उप सिंगाड़ों  में व्ही प्राकृतिक कला दोहराई गयी है जो खोली के उप सिंघाड़ों में है।  छाजों  (झरोखों ) के  शीर्ष /header में आंतरिक तोरणम हैं तो बाह्य शीर्ष में ज्यामितीय कटान के चौखट आकृतियां हैं।  छज्जों के आधार पर जंगला नुमा नई के आकर की आकृतियां हैं। 
शेष स्थानों में जैसे खिड़कियों में ज्यामितीय कटान ही दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  नघर , बागेश्वर के रमेश सिंह कालाकोटी के भवन  ( उत्तम  प्रकार का )  में ज्यामितीय , प्राकृतिक काष्ठ व ज्यामितीय काष्ठ कला उत्कीर्णन हुआ है।  मानवीय कला टिन प्लेट में दिखती है। 
सूचना व फोटो आभार: सी. एस.  कालाकोटी (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )


 

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