Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38410 times)

Bhishma Kukreti

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पुंगदेव  (लिलाम , पिथौरागढ़ ) के एक भवन में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन


   Traditional House Wood Carving Art  of   Pungdeo village , Lilam , Pithoragarh  सपाट कटान के हैं। 
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -496

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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सीमावर्ती जौहर घाटी आदि में कई उत्कृष्ट काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली है।  इसी क्रम में पुंगदेव गाँव के एक भवन की तस्वीर मिली जिसमे काष्ठ अंकन नहीं किन्तु शैली गत विशेषता होने के कारण इस  श्रृंखला में स्थान दिया गया है।
भवन दुपुर  व दुखंड  है।  लगभग बाखली जैसा है किन्तु बहुत छोटा एक या दो परिवार का भवन।  भवन के तल मंजिल में भंडार गृह या गौशाला घर है जिसके सिंगाड़  व मुरिन्ड  सभी सपाट कटान के हैं। 
भवन की खोली तल मंजिल से शुरू हो पहले मंजिल तक पंहुची है व यहां भी ज्यामितीय कटान (सपाट ) की कला है। 
भवन में पहले मंजिल पर छाज है जिसके सिंगाड़ों /स्तम्भों , ढक्क्नों /दरवाजों में ज्यामितीय कटान ही दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कुमाऊं में खोली व छाजों  में उत्कीर्णन मिलता था किन्तु आश्चर्य कि  इस भवन में काष्ठ उत्कीर्णन नहीं मिला।  इसीलिए यह विशेष भवन हुआ। 
सूचना व फोटो आभार: जगदीश एस  दसौनी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है  लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला नक्कासी

Bhishma Kukreti

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सिसई (बीरों खाल , पौड़ी गढ़वाल ) में बंगारी नेगी बंधुओं के भवन में  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of   Sisai village  , Beerokhal Pauri Garhwal       
गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में    काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -497

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 बीरों खाल से भी अच्छी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली है।  इसी क्रम में आज  सिसई (बीरों खाल क्षेत्र ) में बंगारी नेगी बंधुओं के भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। 
सिसई के बंगारी नेगी बंधुओं का भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन में काष्ठ कला चर्चा लायक स्थल तिबारी पहली मंजिल में है।  तिबारी चार समान सिंगाड़ / स्तम्भों की है।  सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार में  उल्टा   कमल दल  है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल का अंकन हुआ है , यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता है , जहां मोटाई कम है वहां फिर कमल दलों का दोहराव है।  शीर्ष /मुरिन्ड में तोरणम (मेहराव ) है।  तोरणम में अंकन दिखाई नहीं दे रहा है। 
  सिसई के बंगारी बंधों के भवन में शेष स्थानों में  छायाचित्र में कला दिखाई  नई दी जा रही है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बंगारी बंधों के भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार: विवेका नंद जखमोला
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   -


Bhishma Kukreti

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    मलारी के भवन संख्या 11 , 12  में  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

  Traditional House Wood Carving Art from  Malari   , Chamoli   
 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, -  498
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 मलारी व नीति क्षेत्र से   काष्ठ  कला युक्त कई भवनों की  सुचना मिली है।  आज मलारी  के दो भवनों की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
मलारी के भवन संख्या ११ में  भवन दीवारें सपाट तख्तों की निर्मित हुयी हैं। भवन  दुमंजिला  लगता है।  भवन आदिकालीन भवन  ही है जिसमे दीवारें  लकड़ी की हैं जो बरफ  व अति शीत  से बचाने हेतु  बनाई जातीं थीं।
 मलारी के इस छायाचित्र में दूसरा घर  वर्तमान में निर्मित घर है जो एकमंजिला है।  पहले मंजिल में जंगला  बंधा है और जंगले के स्तम्भ ( खड़ी कड़ी  ) सपाट है। आधार  नीचे के जंगले  में भी स्तम्भ व कड़ियाँ सपाट हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि मलारी के भवन संख्या ११ ,१२   दोनों घरों में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है।  ११  वां भवन आदिकालीन भवनों में से एक भवन है। 
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
    कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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कोटी बड़कोटी के कोठा (लघु किला या जमींदार गृह ) की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of Koti Barkoti  Rudraprayag         : 
गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-499 

 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 ब्रिटिश काल में गढ़वाल में  अधिकतर जमींदार /पधानों /थोकदारों   ने कोठा भितर  नुमा  भवन निर्माण किये।  प्रस्तुत भवन भी कोठा है।  भवन दुपुर व दुखंड नुमा है।  अधिकतर कोठा भितरों  में  तल मंजिल में खोली व पहले मंजिल में तिबारी होतीं थीं किन्तु इस कोठे की खोली स्पष्ट चित्र नहीं मिलता है।  पहले मंजिल में जंगला है। जंगले  के मुख्य स्तम्भ गोल हैं।
आधारिक जंगले  में भी रेलिंग व उप स्तम्भ  सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित  सपाट  शैली के हैं। 


सूचना व फोटो आभार:  उमेश पुरोहित
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


Bhishma Kukreti

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  ग्वील (ढांगू , द्वारीखाल पौड़ी ग ) के  पधान  ख्वाळ का भव्य   कोठाभितर  में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन

Traditional House wood Carving ing Art of   Kotha Bhitar   Gweel  (Dhangu ) Pauri  Garhwal   
 उत्तराखंड के  भवनों  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  )  काष्ठ कला अलंकरण अंकन- 500
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 जैसे पहले कई अध्याओं में उल्लेख हो चूका है कि  गढ़वाल में उन्नीसवीं सदी  के अंत में पधानों , जमींदारों व थोकदारों ने अपने भवन को कोठाभितर (कोष्ठक ) शैली में निर्माण करना शुरू किया।  ढांगू में तिबारी तो बहुत गाँवों में निर्मित हुए किंतु  भव्य कोठाभितर  केवल ग्वील गाँव में ही मिलता है।  आज भी ग्वील  की शान /प्रसिद्धि के साथ कोठाभितर जुड़ा है। 
 प्रस्तुत कोठाभितर  पधान परिवार की संजैत  भवन है।  प्रस्तुत भवन दुपुर व  दुखंड है।  सभी कमरों के द्वार अंदर चौक की ओर खुलते हैं जो कोठाभितर की विशेषता होती है।  भवन में भव्य खोली भी है किंतु  किसी भी छायाचित्र में खोली का चित्र नहीं मिला ।
   भवन में निम्न स्थलों में   उल्लेख निय  विशेष भवन कला दृष्टिगोचर हो रही है।
   १- तल मंजिल के दीवालगीर व ऊपरी मंजिल के दीवालगीरों में काष्ठ कला
२- स्तम्भों  में काष्ठ कला
३-  तिबारी के  निम्न  शीर्ष /header /मुरिन्ड  में  काष्ठ कला
४- तिबारी के ऊपरी शीर्ष /header /मुरिन्ड में काष्ठ कला
५- छत आधार से नीचे काष्ठ कला
   तल मंजिल व ऊपरी मंजिल में कई दीवालगीर स्थापित हैं जो कई प्रकार से कला अंकित हुए हैं।  दीवालगीर में अर्धचक्र फूल , चिड़िया मुख व मोर मुख के चित्र अंकित हैं।  व्हिडिया व मोर के पंखों में  सांप की केंचुली जैसी पपड़ी जैसे  महीन  चित्रकारी  हुयी है। 
  ग्वील कोठाभीतर  की तिबारी के चार सामान छह  स्तम्भ  हैं।  प्रत्येक   के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  इसके ऊपर ड्यूल (round plate ) है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पुष्प दल  का अंकन हुआ है।  इसके ऊपर स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर बढ़ता है।  जहां मोटाई कम है वहां एक अधोगामी कमल दल अंकन हुआ है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है। यहां से अर्धचाप शुरू होते हैं व  स्तम्भ सीध में थांत  रूप ले ऊपर बढ़ता है।  दो स्तम्भों के मध्य ऊपर निम्न मुरिन्ड में तोरणम /मेहराब /arch है।  सभी तोरणम के स्कन्धों में सूरजमुखी फूल अंकित हुयी हैं मध्य तोरणम के स्कन्धों में मानव खोपड़ी अंकित है।
निम्न मुरिन्ड/शीर्ष  के ऊपर   कड़ियों में /  व // व कई दो प्रकार की कलाकृतियां अंकित हुयी है
ऊपरी मुरिन्ड में शंकुनुमा आकृतियां लगी हैं।
छत आधार जो लकड़ी का तख्ता ही है के नीचे भी दो तीन प्रकार की आकर की शंकु नुमा आकृतियां लटके  हुयी हैं।
तिबारी के स्तम्भ आधार में रेलिंग भी लकड़ी है जो ज्यामितीय कला का हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  ढांगू का गर्व  अर्थात  ग्वील  के कोठाभितर  में काष्ठ कला में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण की कला अंकन हुआ है। 
भवन में काष्ठ कला हेतु रामपुर से विशेष  बढ़ई  आये हुए थे व कई किंबदन्तियाँ भी क्षेत्र म उड़ती रहती हैं जैसे रामपुर के बढ़ई की मृत्यु हुयी थी रास्ते में।
ग्वील के क्वाठाभितर को सौड़  (द्वारीखाल , ढांगू )  के  प्रसिद्ध ओड  शेर सिंह नेगी व बण्वा सिंह  अथवा उनके पुरखे  थे।  लकड़ी के लघु कार्य  सौड़ (मल्ला ढांगू )  सौड़  के लूड़ा सिंह नेगी के पिता ने किया था ( स्व  मोहन लाल  कुकरेती जसपुर का कथ्य )
 
सूचना व फोटो आभार: बिनोद कुकरेती , राकेश कुकरेती व अन्य कई 
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तु स्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur, Shila ),  Uttarakhand, Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,   श्रृंखला 


Bhishma Kukreti

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  मुखीम  (टिहरी )  में  थोकदार  के भवन की काष्ठ कला  

        मुखीम  (टिहरी )  में  थोकदार  के भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Mukhim Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल )  की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-  501 

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 टिहरी गढ़वाल से तिबारियों की अच्छी संख्या में सूचनाएं मिलीं हैं।   आज इसी क्रम में मुखीम में थोकदार भवन की तिबारी की काष्ठ कला पर चर्चा करेंगे।
मुखीम  का  थोकदार भवन  बैठ  तिबारी भवन आदि शैली का है  (जैसे  नेलंग उत्तरकाशी , मलारी  में ) शैली का है केवल ११/२ पुर है व एक बड़ी तिबारी के ऊपर दूसरी तिबारी सजी है।  तिबारी में निम्न तल पर पांच स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं व इसके ऊपर की तिबारी के सात स्तम्भ दिख रहे हैं सभी स्तम्भों में कला एक सामान है।
स्तम्भों के आधार में उलटे कमल दल का अंकन है जिसके ऊपर   ड्यूल   है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल अंकन हुआ है। यही क्रम स्तम्भ के ऊपर भी मिलता है फिर ऊपरी उर्घ्वगामी कमल दल के ऊपर स्तम्भ थांत  आकर (cricket  bat नुमा ) ले शीर्ष कड़ी से मिल जाता है व ऊपरी कमल दाल से अर्ध चाप भी शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल तोरणम  (मेहराब ) बनाते है।   तोरणम के स्कन्धों में प्राकृतिक लता जैसे आकर की चित्रकारी मिलती हैं।  शीर्ष कड़ी में भी लता जैसे आकर की चित्रकारी हुयी है
 ऊपरी तोबारी के भी स्तम्भ  भी एक कड़ी से मिलते हैं और कड़ी में  उत्कीर्णन हुआ है।  इस कड़ी के ऊपर एक  अन्य स्तम्भ है जो ऊपर   पिरामिड नुमा छत  के लकड़ी आधार पर मिलता है।
छत आधार से नीचे की ओर  छोटे छोटे स्तम्भ हैं व इसके नीचे की कड़ी से सैकड़ों शंकु आकर की आकृतियां लटक रही हैं।
 भवन में तल आधार में जंगला  है जिसके स्तम्भ, कड़ी सपाट  हैं।
मूखीम का थोकदार  भवन  आदि कालीन शैली का होते हुए भी भव्य है और विशेष भवनों में इसकी गिनती होनी चाहिए। 
मुखीम  के थोकदार भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है व कला उत्कृष्ट है।  आश्चर्य है कि पंवार वंशी  थोकदार  होने के बाबजूद इस भवन में खिन भी देवी देवताओं व पशु पक्षियों  चित्रों का उत्कीर्णन  नहीं हुआ है। 

  सूचना व फोटो आभार:  पूजा राणा   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;


Bhishma Kukreti

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    नैटवाड़ (उत्तरकाशी ) में फारेस्ट रेस्ट हाउस में  काष्ठ  कला

नैटवाड़ (उत्तरकाशी ) में फारेस्ट रेस्ट हाउस में  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, उत्कीर्णन
  Traditional House wood Carving Art in Naitwar   ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,  के भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- ५०२

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 उत्तरकाशी  विभिन्न भवन काष्ठ  कला उत्कीर्णन  हेतु भंडारगृह है।  आज इसी क्रम में नैटवाड़ के फारेस्ट रेस्ट हॉउस की काष्ठ कला , अलंकरण व उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत  नैटवाड़ का फारेस्ट हाउस भ्यूंतळ (Ground floor ) अर्थात एक पुर भवन है।  नैटवाड़ का फारेस्ट रेस्ट हाउस बिलकुल न्य है व इसकी छत लकड़ी की नहीं अपितु चद्दर की है।
नैटवाड़ फारेस्ट हाउस  के बाहर एक ढका बरामदा है जिसके बाहर स्तम्भ स्थापित हैं  , चौखट  स्तम्भ सपाट कटान के आठ हैं।  बरामदे के एक कोने में एक लकड़ी व कांच की कैबिन भी है जिसमे दीवारें आदि सपाट लकड़ी कटान से निर्मित हैं।
 नैटवाड़  फारेस्ट रेस्ट हाउस भवन आकर्षक  है  और भवन में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर होती है। 
सूचना व फोटो आभार : जय प्रकाश पंवार
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


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  लाखामंडल  भवन संख्या ५   में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन

गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली   की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -५०३
Traditional House wood Carving art of  Lakhamandal , Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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लाखा मंडल में काष्ठ कला युक्त गृहों की अच्छी खासी संख्या है। 
आज इसी क्रम में लाखामंडल के भवन संख्या ५ में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
लाखामंडल का  भवन संख्या ५  तिपुर या चौपुर  है। तीसरे व चौथे मंजिल में लकड़ी की कला दृष्टिगोचर हो रही है।
तीसरे  व चौथे मंजिल में बरामदे के बाहर तिबारी नुमा आकर की संरचना है।   तीसरे मंजिल में इस संरचना में  ६ स्तम्भ हैं और चौथे में आठ स्तम्भ हैं ।  सभी स्तम्भों के आधार पर सपाट पटिलाओं (तख्ते ) का जंगल बंधा है। सभी   स्तम्भ सामान हैं।  स्तम्भों के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प अंकित है फिर ड्यूल अंकन है व उसके ऊपर सीधा कमल दल अंकित है। इसके ऊपर स्तम्भ ऊपर बढ़ता है व पुनः इसी क्रम में पद्म पुष्पों का अंकन हुआ है। ऊपरी कमल दल से स्तम्भ सीधा हो शीर्ष कड़ी से मिलता है व यहीं ऊपरी कमल दल से तोरणम /मेहराब का ार्ध चाप भी शुरू होता है।  ऊपर दो स्तम्भों के मध्य तोरणम /मेहराब स्थापित हैं।  तोरणम के स्कन्धों की कला स्पष्ट नहीं दिख रहा है किन्तु प्राकृतिक कला अंकन अवश्य है।चाहते मंजिल में बरामदे के तिबारी नुमा संरचना के ऊपर कड़ी के ऊपर  सपाट पटिला ओ  का सरंचना है जो दीवार जैसे संरचना निर्मित करते हैं।
 लाखामंडल के ५ वे भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय कटान की कला अकन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार : कुलदीप सिंह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
 Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Dehradun; Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Uttarkashi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Chakrata;     Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Kalsi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Devdhar;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Bharam ;  Koti Banal House Wood carving art in  Tyuni, Jaunsar ;   कालसी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;    त्यूणी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     चकरोता जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  बड़कोट   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     भरम जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  हनुमानचट्टी   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  यमुनोत्री   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;


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ल्मोड़ा  बजार  के भवन १४ में  ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of, Almora, Kumaon   
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -  504

 संकलन - भीष्म कुकरेती
 अल्मोड़ा से गजेंद्र बिष्ट के संग्रह से कई  काष्ठ कला युक्त भवनों  की सूचना मिली है।
आज  अल्मोड़ा  बजार के भवन १४ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
 प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार  भवन  १४ तिपुर ( तल +२ )   व बाखली का एक भाग का है व छाया चित्र  में दो तल के झरोखों /छाजों  की ही सुचना मिली है। प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार के भवन में काष्ठ कला उत्कृष्ट है।
  प्रस्तुत भवन में काष्ठ कला समझने हेतु निम्न स्थलों की काष्ठ उत्कीर्णन समझना आवश्यक है -
छाजों  के सिंगाड़ों /स्तम्भों में काष्ठ कला
छाजों के निम्न भाग के ढक्क्नों में काष्ठ कला
मुख्य छाजों  के अतिरिक्त अन्य छज्जों में जालीदार कला
छाजों  में तोरणम की काष्ठ कला
अन्य
मुख्य स्तम्भों के आधार में  उलटे कमल दल का उत्कीर्णन हुआ है फिर ड्यूल है व ऊपर सीधे कमल दल का अंकन हुआ है व पुनः कुछ ऊपर इन्ही आकारों का दोहराव है।
तीन  मुख्य  छाज जिनके  उनके नीचे आधार ढक्क्न पर चारपाई के पाए या हुक्के की नई /खड़ी छड़ी  के आकृतियों के छोटे छोटे स्तम्भ हैं।
बाकी कुछ छाजों  के नीचे जालीदार XXX  नुमा आकृति का उत्कीर्णन हुआ है।
छाजों  के तोरणमों में ज्यामितीय कटान की नक्कासी हुयी है।
 शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है।
हर चार छाजों के बाद संगाड़ों  में दो स्थलों में चतुर्भुज गणपति का उत्कीर्णन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १४ के छाजों  में ज्यामितीय कटान , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरणों की कला उत्कीर्णन हुआ है व  उकृष्भट   कला उत्कीर्णन हुआ है।
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सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020


Bhishma Kukreti

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कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of  Koti Kendri  a  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -505
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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चम्पावत से अच्छी खासी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचि मिलीं हैं।  आज कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन चर्चा होगी।  कोट केन्द्री (चम्पावत )  का प्रस्तुत   भवन  दुपुर या डेढ़ तल वाला  व दुखंड है। 
प्रथम या तल मंजिल में जंगला बंधा था।  जंगला बरामदे पर बंधा है।  जंगले पर 11 सपाट ज्यामिति कटान के स्तम्भ हैं जिनके आधार व शीर्ष में सपाट ज्यामितीय कटान से कटी कड़ी हैं।  आधार में भी लघु जंगले हैं जो XX  आकार के हैं।  इन लघु जंगलों के लघु स्तम्भ भी सपाट चौखट रूप में हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन में सर्व्रत्र ज्यामितीय कटान है। 
सूचना व फोटो आभार :  गणेश  पांडे (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
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