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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल

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Bhishma Kukreti:
पुंगदेव  (लिलाम , पिथौरागढ़ ) के एक भवन में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन


   Traditional House Wood Carving Art  of   Pungdeo village , Lilam , Pithoragarh  सपाट कटान के हैं। 
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -496

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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सीमावर्ती जौहर घाटी आदि में कई उत्कृष्ट काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली है।  इसी क्रम में पुंगदेव गाँव के एक भवन की तस्वीर मिली जिसमे काष्ठ अंकन नहीं किन्तु शैली गत विशेषता होने के कारण इस  श्रृंखला में स्थान दिया गया है।
भवन दुपुर  व दुखंड  है।  लगभग बाखली जैसा है किन्तु बहुत छोटा एक या दो परिवार का भवन।  भवन के तल मंजिल में भंडार गृह या गौशाला घर है जिसके सिंगाड़  व मुरिन्ड  सभी सपाट कटान के हैं। 
भवन की खोली तल मंजिल से शुरू हो पहले मंजिल तक पंहुची है व यहां भी ज्यामितीय कटान (सपाट ) की कला है। 
भवन में पहले मंजिल पर छाज है जिसके सिंगाड़ों /स्तम्भों , ढक्क्नों /दरवाजों में ज्यामितीय कटान ही दृष्टिगोचर हो रहा है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कुमाऊं में खोली व छाजों  में उत्कीर्णन मिलता था किन्तु आश्चर्य कि  इस भवन में काष्ठ उत्कीर्णन नहीं मिला।  इसीलिए यह विशेष भवन हुआ। 
सूचना व फोटो आभार: जगदीश एस  दसौनी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है  लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला नक्कासी

Bhishma Kukreti:

सिसई (बीरों खाल , पौड़ी गढ़वाल ) में बंगारी नेगी बंधुओं के भवन में  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari House Wood Art in House of   Sisai village  , Beerokhal Pauri Garhwal       
गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में    काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -497

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 बीरों खाल से भी अच्छी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूची मिली है।  इसी क्रम में आज  सिसई (बीरों खाल क्षेत्र ) में बंगारी नेगी बंधुओं के भवन की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। 
सिसई के बंगारी नेगी बंधुओं का भवन दुपुर व दुखंड है।  भवन में काष्ठ कला चर्चा लायक स्थल तिबारी पहली मंजिल में है।  तिबारी चार समान सिंगाड़ / स्तम्भों की है।  सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार में  उल्टा   कमल दल  है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल का अंकन हुआ है , यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता है , जहां मोटाई कम है वहां फिर कमल दलों का दोहराव है।  शीर्ष /मुरिन्ड में तोरणम (मेहराव ) है।  तोरणम में अंकन दिखाई नहीं दे रहा है। 
  सिसई के बंगारी बंधों के भवन में शेष स्थानों में  छायाचित्र में कला दिखाई  नई दी जा रही है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बंगारी बंधों के भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार: विवेका नंद जखमोला
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   -

Bhishma Kukreti:
 
    मलारी के भवन संख्या 11 , 12  में  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

  Traditional House Wood Carving Art from  Malari   , Chamoli   
 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, -  498
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 मलारी व नीति क्षेत्र से   काष्ठ  कला युक्त कई भवनों की  सुचना मिली है।  आज मलारी  के दो भवनों की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
मलारी के भवन संख्या ११ में  भवन दीवारें सपाट तख्तों की निर्मित हुयी हैं। भवन  दुमंजिला  लगता है।  भवन आदिकालीन भवन  ही है जिसमे दीवारें  लकड़ी की हैं जो बरफ  व अति शीत  से बचाने हेतु  बनाई जातीं थीं।
 मलारी के इस छायाचित्र में दूसरा घर  वर्तमान में निर्मित घर है जो एकमंजिला है।  पहले मंजिल में जंगला  बंधा है और जंगले के स्तम्भ ( खड़ी कड़ी  ) सपाट है। आधार  नीचे के जंगले  में भी स्तम्भ व कड़ियाँ सपाट हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि मलारी के भवन संख्या ११ ,१२   दोनों घरों में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है।  ११  वां भवन आदिकालीन भवनों में से एक भवन है। 
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
    कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

Bhishma Kukreti:

कोटी बड़कोटी के कोठा (लघु किला या जमींदार गृह ) की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of Koti Barkoti  Rudraprayag         : 
गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,-499 

 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 ब्रिटिश काल में गढ़वाल में  अधिकतर जमींदार /पधानों /थोकदारों   ने कोठा भितर  नुमा  भवन निर्माण किये।  प्रस्तुत भवन भी कोठा है।  भवन दुपुर व दुखंड नुमा है।  अधिकतर कोठा भितरों  में  तल मंजिल में खोली व पहले मंजिल में तिबारी होतीं थीं किन्तु इस कोठे की खोली स्पष्ट चित्र नहीं मिलता है।  पहले मंजिल में जंगला है। जंगले  के मुख्य स्तम्भ गोल हैं।
आधारिक जंगले  में भी रेलिंग व उप स्तम्भ  सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित  सपाट  शैली के हैं। 


सूचना व फोटो आभार:  उमेश पुरोहित
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी

Bhishma Kukreti:
  ग्वील (ढांगू , द्वारीखाल पौड़ी ग ) के  पधान  ख्वाळ का भव्य   कोठाभितर  में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन

Traditional House wood Carving ing Art of   Kotha Bhitar   Gweel  (Dhangu ) Pauri  Garhwal   
 उत्तराखंड के  भवनों  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  )  काष्ठ कला अलंकरण अंकन- 500
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 जैसे पहले कई अध्याओं में उल्लेख हो चूका है कि  गढ़वाल में उन्नीसवीं सदी  के अंत में पधानों , जमींदारों व थोकदारों ने अपने भवन को कोठाभितर (कोष्ठक ) शैली में निर्माण करना शुरू किया।  ढांगू में तिबारी तो बहुत गाँवों में निर्मित हुए किंतु  भव्य कोठाभितर  केवल ग्वील गाँव में ही मिलता है।  आज भी ग्वील  की शान /प्रसिद्धि के साथ कोठाभितर जुड़ा है। 
 प्रस्तुत कोठाभितर  पधान परिवार की संजैत  भवन है।  प्रस्तुत भवन दुपुर व  दुखंड है।  सभी कमरों के द्वार अंदर चौक की ओर खुलते हैं जो कोठाभितर की विशेषता होती है।  भवन में भव्य खोली भी है किंतु  किसी भी छायाचित्र में खोली का चित्र नहीं मिला ।
   भवन में निम्न स्थलों में   उल्लेख निय  विशेष भवन कला दृष्टिगोचर हो रही है।
   १- तल मंजिल के दीवालगीर व ऊपरी मंजिल के दीवालगीरों में काष्ठ कला
२- स्तम्भों  में काष्ठ कला
३-  तिबारी के  निम्न  शीर्ष /header /मुरिन्ड  में  काष्ठ कला
४- तिबारी के ऊपरी शीर्ष /header /मुरिन्ड में काष्ठ कला
५- छत आधार से नीचे काष्ठ कला
   तल मंजिल व ऊपरी मंजिल में कई दीवालगीर स्थापित हैं जो कई प्रकार से कला अंकित हुए हैं।  दीवालगीर में अर्धचक्र फूल , चिड़िया मुख व मोर मुख के चित्र अंकित हैं।  व्हिडिया व मोर के पंखों में  सांप की केंचुली जैसी पपड़ी जैसे  महीन  चित्रकारी  हुयी है। 
  ग्वील कोठाभीतर  की तिबारी के चार सामान छह  स्तम्भ  हैं।  प्रत्येक   के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  इसके ऊपर ड्यूल (round plate ) है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पुष्प दल  का अंकन हुआ है।  इसके ऊपर स्तम्भ लौकी आकर ले ऊपर बढ़ता है।  जहां मोटाई कम है वहां एक अधोगामी कमल दल अंकन हुआ है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है। यहां से अर्धचाप शुरू होते हैं व  स्तम्भ सीध में थांत  रूप ले ऊपर बढ़ता है।  दो स्तम्भों के मध्य ऊपर निम्न मुरिन्ड में तोरणम /मेहराब /arch है।  सभी तोरणम के स्कन्धों में सूरजमुखी फूल अंकित हुयी हैं मध्य तोरणम के स्कन्धों में मानव खोपड़ी अंकित है।
निम्न मुरिन्ड/शीर्ष  के ऊपर   कड़ियों में /  व // व कई दो प्रकार की कलाकृतियां अंकित हुयी है
ऊपरी मुरिन्ड में शंकुनुमा आकृतियां लगी हैं।
छत आधार जो लकड़ी का तख्ता ही है के नीचे भी दो तीन प्रकार की आकर की शंकु नुमा आकृतियां लटके  हुयी हैं।
तिबारी के स्तम्भ आधार में रेलिंग भी लकड़ी है जो ज्यामितीय कला का हैं।
 निष्कर्ष निकलता है कि  ढांगू का गर्व  अर्थात  ग्वील  के कोठाभितर  में काष्ठ कला में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण की कला अंकन हुआ है। 
भवन में काष्ठ कला हेतु रामपुर से विशेष  बढ़ई  आये हुए थे व कई किंबदन्तियाँ भी क्षेत्र म उड़ती रहती हैं जैसे रामपुर के बढ़ई की मृत्यु हुयी थी रास्ते में।
ग्वील के क्वाठाभितर को सौड़  (द्वारीखाल , ढांगू )  के  प्रसिद्ध ओड  शेर सिंह नेगी व बण्वा सिंह  अथवा उनके पुरखे  थे।  लकड़ी के लघु कार्य  सौड़ (मल्ला ढांगू )  सौड़  के लूड़ा सिंह नेगी के पिता ने किया था ( स्व  मोहन लाल  कुकरेती जसपुर का कथ्य )
 
सूचना व फोटो आभार: बिनोद कुकरेती , राकेश कुकरेती व अन्य कई 
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तु स्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur, Shila ),  Uttarakhand, Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,   श्रृंखला 

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