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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल

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Bhishma Kukreti:

  मुखीम  (टिहरी )  में  थोकदार  के भवन की काष्ठ कला  

        मुखीम  (टिहरी )  में  थोकदार  के भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, Mukhim Tehri   
गढ़वाल, कुमाऊँ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल )  की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-  501 

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 टिहरी गढ़वाल से तिबारियों की अच्छी संख्या में सूचनाएं मिलीं हैं।   आज इसी क्रम में मुखीम में थोकदार भवन की तिबारी की काष्ठ कला पर चर्चा करेंगे।
मुखीम  का  थोकदार भवन  बैठ  तिबारी भवन आदि शैली का है  (जैसे  नेलंग उत्तरकाशी , मलारी  में ) शैली का है केवल ११/२ पुर है व एक बड़ी तिबारी के ऊपर दूसरी तिबारी सजी है।  तिबारी में निम्न तल पर पांच स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं व इसके ऊपर की तिबारी के सात स्तम्भ दिख रहे हैं सभी स्तम्भों में कला एक सामान है।
स्तम्भों के आधार में उलटे कमल दल का अंकन है जिसके ऊपर   ड्यूल   है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल अंकन हुआ है। यही क्रम स्तम्भ के ऊपर भी मिलता है फिर ऊपरी उर्घ्वगामी कमल दल के ऊपर स्तम्भ थांत  आकर (cricket  bat नुमा ) ले शीर्ष कड़ी से मिल जाता है व ऊपरी कमल दाल से अर्ध चाप भी शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल तोरणम  (मेहराब ) बनाते है।   तोरणम के स्कन्धों में प्राकृतिक लता जैसे आकर की चित्रकारी मिलती हैं।  शीर्ष कड़ी में भी लता जैसे आकर की चित्रकारी हुयी है
 ऊपरी तोबारी के भी स्तम्भ  भी एक कड़ी से मिलते हैं और कड़ी में  उत्कीर्णन हुआ है।  इस कड़ी के ऊपर एक  अन्य स्तम्भ है जो ऊपर   पिरामिड नुमा छत  के लकड़ी आधार पर मिलता है।
छत आधार से नीचे की ओर  छोटे छोटे स्तम्भ हैं व इसके नीचे की कड़ी से सैकड़ों शंकु आकर की आकृतियां लटक रही हैं।
 भवन में तल आधार में जंगला  है जिसके स्तम्भ, कड़ी सपाट  हैं।
मूखीम का थोकदार  भवन  आदि कालीन शैली का होते हुए भी भव्य है और विशेष भवनों में इसकी गिनती होनी चाहिए। 
मुखीम  के थोकदार भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है व कला उत्कृष्ट है।  आश्चर्य है कि पंवार वंशी  थोकदार  होने के बाबजूद इस भवन में खिन भी देवी देवताओं व पशु पक्षियों  चित्रों का उत्कीर्णन  नहीं हुआ है। 

  सूचना व फोटो आभार:  पूजा राणा   
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की पारम्परिक भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में   पारम्परिक भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  पारम्परिक  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; Traditional House Wood carving Art from  Tehri;

Bhishma Kukreti:
    नैटवाड़ (उत्तरकाशी ) में फारेस्ट रेस्ट हाउस में  काष्ठ  कला

नैटवाड़ (उत्तरकाशी ) में फारेस्ट रेस्ट हाउस में  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, उत्कीर्णन
  Traditional House wood Carving Art in Naitwar   ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ ,  के भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- ५०२

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 उत्तरकाशी  विभिन्न भवन काष्ठ  कला उत्कीर्णन  हेतु भंडारगृह है।  आज इसी क्रम में नैटवाड़ के फारेस्ट रेस्ट हॉउस की काष्ठ कला , अलंकरण व उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत  नैटवाड़ का फारेस्ट हाउस भ्यूंतळ (Ground floor ) अर्थात एक पुर भवन है।  नैटवाड़ का फारेस्ट रेस्ट हाउस बिलकुल न्य है व इसकी छत लकड़ी की नहीं अपितु चद्दर की है।
नैटवाड़ फारेस्ट हाउस  के बाहर एक ढका बरामदा है जिसके बाहर स्तम्भ स्थापित हैं  , चौखट  स्तम्भ सपाट कटान के आठ हैं।  बरामदे के एक कोने में एक लकड़ी व कांच की कैबिन भी है जिसमे दीवारें आदि सपाट लकड़ी कटान से निर्मित हैं।
 नैटवाड़  फारेस्ट रेस्ट हाउस भवन आकर्षक  है  और भवन में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर होती है। 
सूचना व फोटो आभार : जय प्रकाश पंवार
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   

Bhishma Kukreti:
  लाखामंडल  भवन संख्या ५   में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन

गढ़वाल,  कुमाऊँ , के  भवन  ( कोटि बनाल   , तिबारी , बाखली , निमदारी)  में   पारम्परिक गढ़वाली शैली   की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -५०३
Traditional House wood Carving art of  Lakhamandal , Jaunsar , Dehradun
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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लाखा मंडल में काष्ठ कला युक्त गृहों की अच्छी खासी संख्या है। 
आज इसी क्रम में लाखामंडल के भवन संख्या ५ में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
लाखामंडल का  भवन संख्या ५  तिपुर या चौपुर  है। तीसरे व चौथे मंजिल में लकड़ी की कला दृष्टिगोचर हो रही है।
तीसरे  व चौथे मंजिल में बरामदे के बाहर तिबारी नुमा आकर की संरचना है।   तीसरे मंजिल में इस संरचना में  ६ स्तम्भ हैं और चौथे में आठ स्तम्भ हैं ।  सभी स्तम्भों के आधार पर सपाट पटिलाओं (तख्ते ) का जंगल बंधा है। सभी   स्तम्भ सामान हैं।  स्तम्भों के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प अंकित है फिर ड्यूल अंकन है व उसके ऊपर सीधा कमल दल अंकित है। इसके ऊपर स्तम्भ ऊपर बढ़ता है व पुनः इसी क्रम में पद्म पुष्पों का अंकन हुआ है। ऊपरी कमल दल से स्तम्भ सीधा हो शीर्ष कड़ी से मिलता है व यहीं ऊपरी कमल दल से तोरणम /मेहराब का ार्ध चाप भी शुरू होता है।  ऊपर दो स्तम्भों के मध्य तोरणम /मेहराब स्थापित हैं।  तोरणम के स्कन्धों की कला स्पष्ट नहीं दिख रहा है किन्तु प्राकृतिक कला अंकन अवश्य है।चाहते मंजिल में बरामदे के तिबारी नुमा संरचना के ऊपर कड़ी के ऊपर  सपाट पटिला ओ  का सरंचना है जो दीवार जैसे संरचना निर्मित करते हैं।
 लाखामंडल के ५ वे भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय कटान की कला अकन हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार : कुलदीप सिंह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
 Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Dehradun; Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Uttarkashi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Chakrata;     Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar, Kalsi;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar Devdhar;  Koti Banal House Wood carving art in Jaunsar , Bharam ;  Koti Banal House Wood carving art in  Tyuni, Jaunsar ;   कालसी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;    त्यूणी जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     चकरोता जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  बड़कोट   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;     भरम जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  हनुमानचट्टी   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;  यमुनोत्री   जौनसार में भवन काष्ठ कला, नक्कासी  कोटि बनाल ;

Bhishma Kukreti:
ल्मोड़ा  बजार  के भवन १४ में  ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of, Almora, Kumaon   
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -  504

 संकलन - भीष्म कुकरेती
 अल्मोड़ा से गजेंद्र बिष्ट के संग्रह से कई  काष्ठ कला युक्त भवनों  की सूचना मिली है।
आज  अल्मोड़ा  बजार के भवन १४ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
 प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार  भवन  १४ तिपुर ( तल +२ )   व बाखली का एक भाग का है व छाया चित्र  में दो तल के झरोखों /छाजों  की ही सुचना मिली है। प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार के भवन में काष्ठ कला उत्कृष्ट है।
  प्रस्तुत भवन में काष्ठ कला समझने हेतु निम्न स्थलों की काष्ठ उत्कीर्णन समझना आवश्यक है -
छाजों  के सिंगाड़ों /स्तम्भों में काष्ठ कला
छाजों के निम्न भाग के ढक्क्नों में काष्ठ कला
मुख्य छाजों  के अतिरिक्त अन्य छज्जों में जालीदार कला
छाजों  में तोरणम की काष्ठ कला
अन्य
मुख्य स्तम्भों के आधार में  उलटे कमल दल का उत्कीर्णन हुआ है फिर ड्यूल है व ऊपर सीधे कमल दल का अंकन हुआ है व पुनः कुछ ऊपर इन्ही आकारों का दोहराव है।
तीन  मुख्य  छाज जिनके  उनके नीचे आधार ढक्क्न पर चारपाई के पाए या हुक्के की नई /खड़ी छड़ी  के आकृतियों के छोटे छोटे स्तम्भ हैं।
बाकी कुछ छाजों  के नीचे जालीदार XXX  नुमा आकृति का उत्कीर्णन हुआ है।
छाजों  के तोरणमों में ज्यामितीय कटान की नक्कासी हुयी है।
 शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर हो रही है।
हर चार छाजों के बाद संगाड़ों  में दो स्थलों में चतुर्भुज गणपति का उत्कीर्णन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १४ के छाजों  में ज्यामितीय कटान , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरणों की कला उत्कीर्णन हुआ है व  उकृष्भट   कला उत्कीर्णन हुआ है।
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सूचना व फोटो आभार :  गजेंद्र बिष्ट संग्रह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020

Bhishma Kukreti:
कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of  Koti Kendri  a  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -505
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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चम्पावत से अच्छी खासी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचि मिलीं हैं।  आज कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन चर्चा होगी।  कोट केन्द्री (चम्पावत )  का प्रस्तुत   भवन  दुपुर या डेढ़ तल वाला  व दुखंड है। 
प्रथम या तल मंजिल में जंगला बंधा था।  जंगला बरामदे पर बंधा है।  जंगले पर 11 सपाट ज्यामिति कटान के स्तम्भ हैं जिनके आधार व शीर्ष में सपाट ज्यामितीय कटान से कटी कड़ी हैं।  आधार में भी लघु जंगले हैं जो XX  आकार के हैं।  इन लघु जंगलों के लघु स्तम्भ भी सपाट चौखट रूप में हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  कोट केन्द्री (चम्पावत ) के एक भवन में सर्व्रत्र ज्यामितीय कटान है। 
सूचना व फोटो आभार :  गणेश  पांडे (FB )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

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