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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल
Bhishma Kukreti:
बिगुल (बागेश्वर ) में एक बाखली (सामूहिक भवन) की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
Tradiitonal House wood Carving Art in Bigul Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल) में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन-
संकलन - भीष्म कुकरेती
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प्रस्तुत बाखली बड़ी है व इसमें कई परिवारों के घर हैं। काष्ठ कला दृष्टिकोण से खोली व ६ छाजों का विश्लेषण आवश्यक है। बाखली दुपुर है। खोली तल मंजिल से पहली मंजिल तक है। छाज पहले मंजिल पर हैं।
खोली वा छाजों के स्तम्भ कला दृष्टि से एक सामान हैं। खोली के शीर्ष में तोरणम है जिसमें लकड़ी का काम चित्र में नहीं दिख रहा है। किन्तु शीर्ष में देव मूर्ति दिख रही है।
स्तम्भों में अधोगामी कमल दल , ड्यूल , सीधे कमल दल का अंकन हुआ है। छाजों के तोरणमों में महीन नक्कासी हुयी है जो ठीक से नहीं दिख रही है। छाजों के नीचे के ढक्क्न व ऊपर के ढक्क्न सपाट तख्तों के हैं। खिड़कियों व अन्य दरवाजों में ज्यामितीय कटान की सपाट कला है।
निष्कर्ष निकलता है कि बिगुल (बागेश्वर ) के भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है व देव मूर्ति भी है।
सूचना व फोटो आभार: सुरेंद्र मेहरा (FB )
यह लेख भवन कला संबंधित है नकि मिल्कियत संबंधी Iभौगोलिक व मालिकाना सूचना श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन ; गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन ; कपकोट , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )
Bhishma Kukreti:
दुग्तू में दुग्तालों के भवन में काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन
Traditional House Wood Carving Art of Dugtu , Pithoragarh
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -५०६
संकलन - भीष्म कुकरेती
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दुग्तू पिथौरागढ़ में दारमा घाटी का सीमावर्ती गाँव है। दुग्तू में भवन काष्ठ कला प्रसिद्ध है। प्रस्तुत दुग्तू के एक भवन का एक भाग की सूचना मिली है। यह भाग छाज का हिस्सा लगता है। प्रस्तुत संरचना पहली मंजिल पर है। यह भाग तल मजिल के ऊपर शहतीर /बौळी के ऊपर है। शहतीर पर पत्ती आकर का उत्कीर्णन हुआ है जो तरंग नुमा दीखता है।
शहतीर ऊपर छः जे दो स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , फिर ड्यूल व उसके ऊपर अधोगामी पद्म पुष्प डीके उत्कीर्णन हुआ है। यही दोहराव स्तम्भ के ऊपरी हिस्से में भी है। स्तम्भों के ऊपरी भाग में अधोगामी पदम पुष्प दल के ऊपर लकड़ी पर सुंदर महीन ज्यामितीय अलंकरण हुआ है।
छाज के ढक्कन पर चार (दो दो मिले हुए ) आँख नुमा आकृति का उत्कीर्णन हुआ है व इसके ऊपर बंद पुष्प दल की आकृति अंकित हुयी है।
भवन के इस भाग में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण कला दृष्टिगोचर होती है व अंकन उत्कृष्ट है।
सूचना व फोटो आभार: विनीता यश्वनी
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . भौगोलिक मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
कैलाश यात्रा मार्ग पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला ; धारचूला पिथोरागढ़ के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन उत्कीर्णन ; डीडीहाट पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन -उत्कीर्णन ; गोंगोलीहाट पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त उत्कीर्णन ; बेरीनाग पिथोरागढ़ के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन ; House wood Carving of Bakhali art in Pithoragarh to be continued
Bhishma Kukreti:
बरसुड़ी (लंगूर , पौड़ी ) के दो भवनों के जंगले में काष्ठ कला , अलंकरण
Traditional House Wood Art in Barsuri Langur , Pauri Garhwal
लंगूर , गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - ५०७
संकलन - भीष्म कुकरेती
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बरसुड़ी से कई काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिली थीं। प्रस्तुत दो भवन जंगलेदार भवन हैं। दोनों भवनों में जंगले प्रथम मजिल में स्थापित हैं। दोनों भवनों के जंगलों के स्तम्भ सपाट ज्यामितीय कटान से निर्मित हैं व आधार में दो तख्ते लगाकर स्तम्भ आधार में मोटे दीखते हैं। बरामदे के आधार व शीर्ष में भी कड़ियाँ व तख्ते सपाट ही हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि बरसुड़ी के इन दो भवनों के जंगलों (बरामदे या बालकोनी ) में ज्यामितीय कटान की कला है।
सूचना व फोटो आभार : नरेंद्र चौहान
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्कासी -
Bhishma Kukreti:
मलारी के भवन संख्या १३ में काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन
Traditional House Wood Carving Art from Malari , Chamoli
गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन, - ५०८
(अलंकरण व कला पर केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
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मलारी का प्रस्तुत भवन संख्या १३ लगता है चौपुर भाग है। या मकान के ऊपर यह एक मंजिला संरचना है। भवन भाग लकड़ी का निर्मित है व छत छोड़ कहीं भी मिट्टी गारे से निर्मित नहीं है।
सभी दीवारें लकड़ी की हैं। मध्य के रेलिंग के मध्य लघु स्तम्भों को छोड़ सर्वत्र ज्यामितीय कटान की कड़ियाँ या तख्ते हैं। लघु स्तम्भ चारपाई के पायों की कला वाले लघु स्तम्भ है। या हुक्के के नाई (ऊपरी नली ) वाली कलाकृति समान कलायुक्त हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि मलारी के भवन संख्या १३ में ज्यामितीय कटान की कष्ट कला दृष्टिगोचर हो रही है।
सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी संग्रह
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तु स्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरी , खोली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , श्रंखला जारी
कर्णप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; गपेश्वर में भवन काष्ठ कला, ; नीति, घाटी में भवन काष्ठ कला, ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, , पोखरी -गैरसैण में भवन काष्ठ कला, श्रृंखला जारी रहेगी
Bhishma Kukreti:
जसोली (रुद्रप्रयाग ) के एक भवन के तिबारी में काष्ठ कला
Traditional House wood Carving Art of Jasoli , Rudraprayag :
गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार मकान, खोलियों ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन-509
संकलन - भीष्म कुकरेती
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जखोली के ा प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड है , तल मंजिल में वर्तमान में भंडार कक्ष हैं व पहले गौशाला कक्ष रहे होंगे । भवन की तिबारी पहले तल ंव स्थापित है। तिबारी चार सिंगाड़ों ( स्तम्भों ) की तिबारी है। स्तम्भ सपाट व ज्यामितीय कटान से निर्मित चौखट सिंगाड़ हैं। आधार में भी ज्यामितीय कटान आकृति चौखट की ही है। व लगता है शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ी भी सपाट चौखट की कड़ी ही है।
निष्कर्ष निकलता है कि प्रस्तुत जसोली के प्रस्तुत भवन में काष्ठ कला ज्यामितीय कटान की है।
सूचना व फोटो आभार: अरविन्द भट्ट
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी। भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021
रुद्रप्रयाग , गढवाल तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों ,खोली, कोटि बनाल ) में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of Rudraprayag Tehsil, Rudraprayag Garhwal Traditional House wood Carving Art of Ukhimath Rudraprayag. Garhwal; Traditional House wood Carving Art of Jakholi, Rudraprayag , Garhwal, नक्काशी, जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला अंकन, उत्कीर्णन , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन , रुद्रप्रयाग में द्वारों में उत्कीर्णन श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी
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