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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल
Bhishma Kukreti:
लोखंडी (जौनसार , देहरादून ) के एक भवन में काष्ठ कला
गढ़वाल, कुमाऊँ , के भवन ( कोटि बनाल , तिबारी , बाखली , निमदारी) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -634
Traditional House wood Carving art of , Lokhandi , Jaunsar , Dehradun
संकलन - भीष्म कुकरेती
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जौनसार व रवाई क्षेत्र भवन काष्ठ कला हेतु उत्तराखंड में उच्च स्थान पर है। शीत जलवायु के कारण इन क्षेत्रों में पूरा भवन काष्ठ का निर्मित केवल कुछ भाग में मिटटी व पत्थर प्रयोग होता है। प्रस्तुत लोखंडी (जौनसार , देहरादून ) का भवन तिपुर व दुखंड है। भवन में कोटि बनाल शैली साफ़ दृष्टिगोचर होता है।
भवन केदूसरे तल में सपाट शक्तिशाली स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। तीसरे तल में मिटटी पत्थर की दिवार के स्थान पर काष्ठ दीवार निर्मित हुयी है। दीवार काष्ठ पट्टियों से निर्मित हुयी हैं। सभी पट्टियां सपाट व ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं।
दोनों भवनों में पट्टियां व स्तम्भ सपाट व ज्यामितीय कला के उदाहरण हैं।
यद्यपि दोनों भवनों में काष्ठ कला ज्यामितीय कटान से निर्मित व सपाट है किन्तु समग्र रूप से भवन में काष्ठ कला आकर्षक है। यही जौनसारी व रवायीं , हर्षिल घाटी के भवनों की विशेषता है।
सूचना व फोटो आभार : भगत सिंह राणा
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
Bhishma Kukreti:
चौखुटा (नैनीताल ) के एक भवन में काष्ठ कला
Traditional House Wood Carving Art in Chaukhuta , Nainital;
कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान, खोली, ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन - 635
संकलन - भीष्म कुकरेती
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नैनीताल से बहुत से काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिलीं हैं कुछ विशेष भवन हैं जैसे धानाचूली में।
आज चौखुटा के एक नए प्रकार /शैली के भवन में काष्ठ कला पर चर्चा होगी। भवन बिलकुल नई शैली का है जिस पर ब्रिटिश शैली की छाप साफ़ दृष्टिगोचर होती है।
चौखुटा का प्रस्तुत भवन दुपुर व तिखण्ड दीखता है। भवन के तल तल (ग्राउंड फ्लोर ) मे सपाट काष्ठ कला है। भवन के प्रथम तल में पारम्परिक शैली का जंगला बंधा है जिस पर ४ ५ स्तम्भ हैं। बड़े स्तम्भ सपाट व ज्यामितीय कटान कला युक्त हैं।
आधार में भी लघु जंगल बंधे हैं जिस पर लघु स्तम्भ हैं जो छोटी कड़ी नुमा हैं।
भवन की काष्ठ कला में कोई विशेषता नहीं है किन्तु भवन की निर्माण शैली विशष है।
सूचना व फोटो आभार: नवनीत पाठक
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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Bhishma Kukreti:
मझेरा (भिकियासैण , अल्मोड़ा ) के एक भवन की छाज में काष्ठ कला
Traditional House Wood Carving art of, Majhera , Bihkhiyasain Almora, Kumaon
कुमाऊँ , के भवन में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,, छाज ) कुमाऊं की ' काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 635
संकलन - भीष्म कुकरेती
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अल्मोड़ा से अच्छी संख्या में काष्ठ कलायुक्त भवनों की सूचनायें मिल रही है। आज इसी क्रम में मझेरा अल्मोड़ा के एक भवन के छाज में काष्ठ कला , काष्ठ उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत भवन का छाज पहले तल में ही है।
छाज के स्तम्भ /सिंगाड़ युग्म में हैं व मध्य में एक जालीदार नुमा कड़ी है व दोनों ओर उत्कीर्ण युक्त स्तम्भ हैं। ये स्तम्भ कला में एक जैसे ही हैं। स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल का चित्र उत्कीर्णित हुआ है व ऊपर लम्ब रूप से कटे बंद गोभी की कला दृष्टिगोचर हो रही हैं। ऊपर ड्यूल हैं फिर ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प उत्कीर्णित हुए हैं। इसके ऊपर लौकी नुमा आकृति कटी हैं व फिर ऊपर उलटे कमल दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी कमल दल हैं। इसके बाद कड़ी में लच्छेदार कला उत्कीर्ण हुयी हैं। सबसे ऊपर स्तम्भ ऊपर के शीर्ष में बदल जाते हैं। शीर्ष कलयुक्त हैं।
शीर्ष में खिन भी देव मूर्ति उत्कीर्ण नहीं हुयी है।
निष्कर्ष नीलता है कि खवन के छाज में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण कला उत्कीर्ण हुयी हैं।
सूचना व फोटो आभार : बलवंत सिंह
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Bhishma Kukreti:
रीठा (चम्पावत ) के एक भवन संख्या १ में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
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कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली, खोली , ) में ' कुमाऊँ शैली' की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -637
संकलन - भीष्म कुकरेती
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रीठा (चम्पावत ) सिक्खों हेतु एक धार्मिक स्थल है। रीठा से काष्ठ कलयुक्त दो भवनों की सुचना मिली है।
प्रस्तुत भवन संख्या १ भवन दुपुर या हो सकता है तिपुर हो व दुखंड है। भवन के तल तल ground floor में गौशाला व कुठार (भंडार ) के द्वारों के दरवाजों पर सपाट ज्यामितीय अलंकृत कला दृष्टिगोचर हो रही है। भवन में छाज के स्थान पर गढ़वाली तिबारी जैसे लम्बा बरामदा नुमा आकृति है। पहले तल व तल तल के मध्य बड़ी कड़ी( पसूण ) या मेहराब है जिस पर काश्त उत्कीर्णित आकृति अदर्शनीय है। तिबारी नुमा दलान के बाहर सपाट सतंभ स्थापित हैं। ये स्तम्भ आधार पर कुछ मोटे हैं।
रीठा (बेतालघाट, चम्पावत ) के पस्तुत भवन संख्या १ में कष्ट उत्कीर्णन सपाट ज्यामितीय कटान कला ही दिखती है।
सूचना व फोटो आभार : नरेंद्र महरा
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Bhishma Kukreti:
मिलाम (मुन्सियारी पिथौरागढ़ ) के एक भवन छाज में काष्ठ अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन
Traditional House Wood Carving Art of Milam ,Munsiyari , Pithoragarh
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन , अंकन -638
संकलन - भीष्म कुकरेती
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पिथौरागढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों से काश्त युक्त भवनों की अच्छी संख्या में सूचना मिली हैं। आज इसी क्रम में मिलाम के एक भवन के छाज (झरोखा ) में काष्ठ कला पर चर्चा होगी। छाज के नीचे एक द्वार या छाज निर्मित हुआ लगता है। एक तल व दुसरे तल के मध्य शक्तिशाली मोटी दो बौळी /मेहराब हैं । आम तौर पर मेहराब या बौळियों में काष्ठ कला अंकित होती हैं किन्तु इस भवन की बौळी (मेहराब ) पर कोई अंकन उत्कीर्णन नहीं हुआ है।
छाज (छेड़ या ढुड्यार ) के दोनों ओर काष्ठ स्तम्भ स्थापित हुए हैं। स्तम्भ के आधार में मुंगर जैसी कोई आकृति उलटी है व उसमे जैसे उलटे हाथ अंकित हुए हैं। इस आकृति के ऊपर दो ड्यूल हैं व ड्यूल के ऊपर अधोगामी व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से सजी दबल जैसी आकृति है। इस आकृति के ऊपर फिर ड्युल हैं व उसके ऊपर दो हुक्के (लौकी जैसे ) की आकृति में फर्न पत्तियों का अंकन युक्त आकृति हैं। इस आकृति के ऊपर ड्यूल हैं। ड्यूल के ऊपर ड्यूल का बिसौण अंकन हुआ है व उसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल की आकृति युक्त आकृति स्थापित है। इस आकृति के ऊपर स्तम्भ पर S आकृति अंकित है व इसके ऊपर स्तम्भ सीधा हो ऊपर जाकर शीर्ष में मुरिन्ड /शीर्ष की कड़ी बन जाती हैं। ऊर्घ्वाकार पद्म आकृति के ऊपर से स्तम्भ पर शीर्ष से नीचे तोरणम स्थापित है। आस्चर्य है कि तोरणम के स्कन्धों में कोई उत्कीर्णन नहीं हुआ है। संभवतया उत्कीर्णन मिट गया होगा।
छाज की संरचना व कला बताती है कि भवन में उच्च प्रकार की काष्ठ कला संरचना रही होंगी जैसे कि सीमावर्ती पिथौरागढ़ के मुन्सियारी , कुटी या गाब्रियल , जौहर घाटी में मिलती हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि भवन की छाज में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकृत कला उत्कीर्णित हुआ है।
सूचना व फोटो आभार:शुभम मानसिंह
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . भौगोलिक मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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