धन्यवाद सुधीर जी.
शायद पहले कुछ मुहाबरे थे जिनका हम शायद हिंदी में मतलब नहीं लिखे पाए थे, लेकिन अब सारे मुहाबरो का हमने हिंदी में लिखा है!
जैसे "
तापी घाम की तापी,
देखि मैसे के देखण!
तपी हुयी धुप को क्या तपना
देखे हुए आदमी को क्या देखना!
(व्यक्ति को बार-२ परखने की जरुरत नहीं होती है)