Author Topic: Jagar: Calling Of God - जागर: देवताओं का पवित्र आह्वान  (Read 249806 times)

पंकज सिंह महर

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गंगनाथ जी की जागर के कुछ अंश


ओ उणनी निशाण, उणनी निशाण, अफताई आई गैछ
भानवे ओ गंगुआ जोगी डोटी को निशाणा,
भानवे ओ गंगुवा जोगी कालि को मसाणा,
       आऽ ऽ ऽ ऽ ओ गहतुआ बाणा, गहतुआ बाणा,
       बटुवा मसाणा त्वीलै उल्टा फाड़ी डालो,
       भानवे ओ गंगुआ जोगी उल्टा फाड़ी डालो,
ओ खेली हाली ताशा, खेली हाली ताशा,
जाधैं भाना कटीया तू भानवे बामनिया भाना,
बाजुरी को घासा, भानवे बामनिया भाना, बाजुरी को घासा,
        ओ खोली हाल ताला, खोली हाल ताला,
        काखी में धरिया त्वीले, भानवे बामनिया भाना, कैथे कनू हालो,
        भानवे बामनिया भाना, कैथे कनू हालो॥

Mukesh Joshi

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गोरील देवता के जागर के कुछ अंश-

ॐ प्रथ्वीनाथ को पाट,
गुरु को शबद , नौ नरशिंह को पाट,
चौबटा की धूल,कांवर की विद्धा को पाट ,
गोरिया द्लेद्र हरंत करी ,
दुखो को अंत करी ,सुबुद्धि  देई,
मन इच्छा पूर्ण करी .
कुटम परिवार पर छाया करी ,
चार दिशा में मेरा वैरी भस्म करी .
चंपावती मे थान तेरो जागरंतो ह्वे जयां
तै चंपावती राज मा होलो राजा झालुराय ,
राजा की होली सात राणी वोराणी.
 

Mukesh Joshi

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निरंकार देवता के जागर के कुछ अंश :-

ओंकार सतगरु प्रसाद .
प्रथमे ओंकार ,ओंकार से फोंकार
फोंकार से वायु ,वायु से विषदरी;
 विषदरी से पाणी, पाणी से कमल ,
कमल से ब्रम्हा  पैदा होइगे ;
गुसैं को  तब देवध्यान लैगे,
जल का सागरु माँ तब गुसैजीन स्रष्टि  रंचीले;
तब देंदा गुसै ब्रह्मा का पास चार वेद,
चौद शास्त्र .अठार पुराण, चौबीस गायत्री .
सुबेर पढ्द ब्रह्मा स्याम भूली जान्द,
अठासी हजार  वर्ष तब ब्रह्मा -
नाभिकमल  मा रैइक वेद पढ़दो.
तब  चार वेद,चौद शास्त्र .अठार पुराण,
चौबीस गायत्री,वैका कंठ मा आई गैन,
वे ब्रह्मज्ञानी तब गर्व बढ गए

Rajen

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अति उत्तम जोशी जी. 

Mukesh Joshi

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गंगू रमोला  जी के जागर के कुछ अंश :-

लुका भूका सेम जाग ,आरुणी सेम जाग ,
वारुणी सेम जाग ,तल्लो सेम जाग ,तलबला सेम जाग .
तिन मथुरा मा जनम लीने कर्तार,
तिन देवकी का गर्भ लीने अवतार .
तुम द्वारिका का धनि ,मथुरा का ग्वैर ,
गायो का गोपाल होला गोप्यो का मोहन ,
तुम तै प्यारी होली मधुवनै की कुंज,
तुम तै प्यारा होला जमुना का छाला .
तब सुपिना मा देखे क्रष्ण गंगू रमोली
तौ ऊँची डांडीयो मा , बांज की वाणई होली जख होली कुलाई
अनमन भांति का फुल होला ,फुलू की वासिना .
देखे भगवान बांकी रमोली लगे मन .

Mukesh Joshi

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सर्ष्टिकी उत्पत्ति

कैलासू मा रन्दों शम्भु स्यो भोले नाथ
शम्भू भोलेनाथ भान्गुल्या स्यो जोगी .
भान्गुल्या स्यो जोगी धुनी मा रम्यु रैन्द,
हे बाबा हे .....................हे बाबा
................................................
cont...


brijesh.mamgain

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i want to know  what jagar is ? how the jagaries are able to  call the gods and the people who died to ask something  from them ?
Brijesh

प्रिय ब्रिजेश जी,
आप फ़ोरम के इस thread को शुरू से (from page 1) से पढ़ेंगे तो आप के सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे.
वीरेन्द्र सिंह बिष्ट

i want to know  what jagar is ? how the jagaries are able to  call the gods and the people who died to ask something  from them ?
Brijesh

पंकज सिंह महर

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धार्मिक गीतों की सँख्या कुमाऊँ में अधिक है । धार्मिक गीतों में पौराणिक आख्यानों वाले गीतों का प्रथम स्तर पर लिया जा सकता है । ऐसे गीतों में दक्ष प्रजापति के यज्ञ से लेकर रामायण, महाभारत के अनेक अवसरों के गीत आ जाते हैं । ऐसे गीतों का क्रम बहुत लम्बा चलता है । पौराणिक देवी-देवताओं के सभी गीत इस क्षेत्र में गाये जाते हैं ।

धार्मिक गीतों के अन्तर्गत स्थानीय देवी-देवताओं को भी स्थान मिला है । इन्हों जागर गीत के नाम से जाना जाता है । गढ़वाल-कुमाऊँ में 'जागरों' का विशेष महत्व है । जागरी, ढोल, हुड़का, डौंर-थाली बजाकर देवता विशेष के जीवन व कार्यों का बखान गीत गाकर करता है । जिस व्यक्ति पर 'देवता' विशेष अवतरित होता है - वह डंगरिया कहलाता है । जागरी जैसे-जैसे वाद्य बजाकर देवता विशेष के कार्यों का उल्लेख करता हुआ गाता है - वैसे-वैसे ही 'औतारु' (डंगरिया) नाचता जाता है । उसके शरीर में एक विशेष प्रकार की 'कम्पन शक्ति' प्रवेश करती है । जन-मानस मनौती मनाकर देवता को जागरी से नचवाते हैं और देवता को नाचने पर विपत्ति को टली हुई मानते हैं । आश्विन के महीने में ऐसे 'जागर' लगाये जाते हैं । स्थानीय देवी-देवताओं का पूजन 'बैसी' कहलाता है । जागरों में ग्वेल, गंगनाथ, हरु, कव्यूर, भोलानाथ, सेम और कलविष्ट आदि के जागर विशेष रुप से प्रसिद्ध हैं ।

 

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