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  • जनै-पुन्यू/रक्षाबंधन: August 21, 2013

Author Topic: Janye Punyu: Raksha Bandhan - जन्ये पुन्यु (श्रावणी उपाकर्म): रक्षा बंधन  (Read 26496 times)

हेम पन्त

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शैल सांस्कृतिक समिति, रुद्रपुर ने कल रक्षाबन्धन के मौके पर वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार "ऋषि तर्पण" और "जन्यो पुन्यूं" कार्यक्रम का आयोजन किया. लगभग 3 घन्टे चले इस कार्यक्रम में वैदिक मत्रोच्चारों के साथ अपने पुरखों का तर्पण करने के बाद विधिपूर्वक जनेऊ धारण की गयी. मैने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया. अपनी परम्पराओं के संवर्धन के लिये समिति का यह प्रयास सराहनीय है.-
   
जने पुन्यु के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता शैल सांस्कृतिक समिति का पर्चा-
 

Pawan Pathak

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तिवारी/त्रिपाठी जाति के लोग सावन पूर्णमासी को राखी नहीं मनाते और ना ही जनेऊ बदलते बल्कि  15दिन बाद ये पर्व मनाते है।
इसकी वजह इस शाखा के लोगों का साम वेदों का अनुयायी होना है। इस समुदाय के बुजुर्ग पंडित हरिदत्त तिवारी का कहना है कि यज्ञोपवीत बदलने को हरताली तृतीया का दिन शुभ माना जाता है। इस कारण उनकी राखी मनाने का वक्त अलग होता है।
तिवारी समाज का राखी पर्व का ही नहीं, जनेऊ बदलने का ढंग भी अलग है। जनेऊ को धारण करने का वक्त और तरीका भी अलग है। पंडित भुवन चंद्र कुलेठा का कहना है कि तिवारी जाति में कोसमनि शाखा के तिवारी जनेऊ और राखी को सावन पूर्णिमासी को धारण नहीं करते। इसके बजाय भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही बदला जाता है।

Tag: Janye Punyu, Rakhi, Raksha Bandhan, Tiwari, Tewari, Tripathi

 

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