Author Topic: Kumaoni Khadi Holi Exclusive Collection-कुमाऊंनी खड़ी होली संग्रह, अल्मोड़ा से  (Read 50521 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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होली खेले पशुपति नाथ नगर नेपाल में,
 ऊँचे मंदिर गंगापति खेले ,
 रिद्धी सिद्दी के साथ नगर नेपाला।
 बैकुंठ में ब्रह्मा विष्णु खेले,
 लक्ष्मी सावत्री नगर नेपाला।
 कैलाश शिव शंकर खेले।
 गौरा जी के साथ नगर  नेपाला।
 अयोध्या में राम जी होली खेले,
 सीता जी के साथ नगर नेपाला।
 पर्वत शिखर पर दुर्गा जी खेले।
 महामाया के साथ नगर नेपाला।
 घर घर में हम तुम होली खेले।
 नर नारी सब साठत नगर नेपाला।


विनोद सिंह गढ़िया

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - प्रयाग पाण्डे

कुमाऊँनी बैठ होली

फागुन के दिन चार सखी री ,
अपनों बलम मोहे मांग हूँ दे री ।
सोना मैं दूंगी , रूपा मैं दूंगी , मोती दिए अनमोल ।
जो कुछ मांगो, सभी कुछ दूंगी ,
बलमा न दूंगी उधार ।सखी री ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Holi for you.

मत मारो मोको पिचकारी 
फूटै गागर भीजे चुनर। 
अडियो भीजै  फुलकारी। मत मारो0
हौले चलूँ छलके गगरी।मत मारो0
मै जो कहूँ कोई ग्वाल बात है।
आपु हो कृष्ण गिरधारी . मत मारो0
सासु खयारी ननद घतेरू।
बूढ लो ससुरा दे गारी। मत मारो0
दूजो कहे कोई ग्वाल बाल है।
चरण कमल की बलिहारी। मत मारो0

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाऊँनी लोकप्रिय  होली
 
 हरे पंख मुख लाल सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 कौन दिशा से बदल रेखा , कौन दिशा घनघोर ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 पूरब दिशा से बदल रेखा , पश्चिम  दिशा घनघोर ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 मेरी जो भीगे सिर  की चुनरिया , पिया की मलमल पाग ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 कहाँ सुखाऊँ सिर  की चुनरिया , कहाँ मलामल  पाग ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 घुप सुखाऊँ मैं सिर  की चुनरिया , छाँव मलामल  पाग ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 उत झन बरसे मेघा  ओ मेघा , जिते पिया परदेस ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 काहे को मैं कागज करिहों , काहिन की यो  स्याही ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 अंचल फाड़ी के कागज करिहों , पोछि काजल की स्याही ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।
 जो मेरे पिया जी की खबर ले आये , सोने से चोंच मुडाऊँ ।
 सुवा , बोलिय  झन बोले बागा में ।

Provided by Prayag Pandey

विनोद सिंह गढ़िया

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक ओर खेलत होरी!
एक और नंदन लाल वे।।

कौन जी कावे मलयागिरी चन्दन।
कौन निभाते को तल्ला वे।।

कृष्ण जी कावै मलय गिरी चन्दन।
शामू जी वभूति को टाला वे।।

कौन जी खावै पान सुपारी।
कौन धतुरी का गल्ला  वे।।

कौन जी सोवे रंग महल वे।
कौन शमशान बसाये वे।।

कौन जी पहले मखमल ख़ासा
शम्भू जी वाघम्बर छावा वे।।

विनोद सिंह गढ़िया

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कुमाऊं की होली में सिर्फ श्रृंगार, ठिठोली का वर्णन नहीं मिलता, वरन इनमें देश, काल और परिस्थिति को भी स्थान मिला।
कुछ रचनाकारों ने गांधी जी की कुमाऊं यात्रा पर केंद्रित होली गीत तैयार किये हैं। कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं -
 
भज ले महात्मा गांधी को,
कुली उतार को नष्ट कियो।

हुकुम गवर्मेंट खंडन को,
नौकरशाही को मान घटायो।

सन 21 में बलवा उठी है,
बागेश्वर उत्तरैणी को। 

लाट कमिश्नर सोच करत है,
हाकिमों की बेअदबी हो।

हिन्दू मुगलों में मेल करायो,
भारत स्वाधीन होने को।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 कुमाऊँनी खड़ी होली -

मत बोलो बलम मैं बिखर जाऊँगी ,
मत बोलो बलम मैं बिखर जाऊँगी ।
महल अघाड़ी ताल - तलैया ,
मछली बन कर छिप जाऊँगी ।
मत बोलो बलम मैं बिखर जाऊँगी ।
महल पिछड़ी जंगल भारी ,
भंवरा बन कर उड़ जाऊँगी ।
मत बोलो बलम मैं बिखर जाऊँगी ।
महल पिछड़ी कुटिया भारी ,
जोगन बन कर रम जाऊँगी ।
मत बोलो बलम मैं बिखर जाऊँगी ।

By Prayag Pandey

 

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