प्रभु ने धारो वामन रूप , राजा बली के दुआरे हरी
राजा बली को अरज सुना दो , तेरे दुआरे अतिथि हरी
मांग रे वमणा जो मन ईच्छा , सो मन ईच्छा में देऊं हरी
हमको दे राजा तीन पग धरती, काँसे की कुटिया बनाऊं हरी
मांग रे बमणा मांगी नी ज्याण , के करमो को तू हीना हरी
दू पग नापो सकल संसारा , तिसरौ पग को धारो हरी
राजा बलि ने शीश दियो है, शीश गयो पाताल हरी
पांचाला देश की द्रोपदी कन्या, कन्या स्वयंबर रचायो हरी
तेल की चासनी रूप की मांछी, खम्बा का टूका पर बांधो हरी
मांछी की आंख जो भेदी जाले, द्रोपदी जीत लिजालो हरी
दुर्योधनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , अन्धो पिता को तू चेलो हरी
कर्णज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख ना भेदो हरी
द्रौपदी उठी बोल जो मारो , मैत घरौ को तू चेलो हरी
अर्जुनज्यू उठी बाण जो मारो, माछी की आंख को भेदो हरी
अर्जुनज्यू उठें द्रौपदी लै उठी, जयमालै पहनायो हरी
पैली शब्द ओमकारा भयो है, पीछे विष्णु अवतार हरी
बिष्णु की नाभी से कमलक फूला, फूला में ब्रह्मा जी बैठे हरी
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची है , तीनों लोक बनायो हरी
पाताल लोक में नाग बसो है , मृत्युलोक में मनुया हरी
स्वर्गालोक में देव बसे हैं , आप बसे बैकुंठ हरी
ye holi kakesh ji ko mene bheji thi/ hum log Sant nagar Burari delhi me esi tarah ki holi gaate hai/
khim