नातक- घर में बच्चे के आगमन होने पर घर में अशुद्धि(छूंत) होती है तो उसे नातक कहा जाता है, सातवें दिन "पंचगप" छिड़क कर घर की शुद्धि की जाती है और ११ वें नामकरण के बाद पूर्ण शुद्धि मानी जाती है। लेकिन छः माह तक किसी भी बडे़ मंदिर या धाम में जाना निषेध होता है।
शुतक- घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर जो अशुद्धि होती है, उसे शुतक कहा जाता है। १२ वें दिन में ब्रह्म भोज के बाद शुद्धि होती है।
गांव में सामान्यतः नातक और शुतक तीन दिन का माना जाता है, कुछ गांव वाले १० दिनी बिरादर होते हैं, जिन्हें १० दिन की अशुद्धि होती है और कुछ १२ दिनी होते हैं, जिन्हें १२ दिन की अशुद्धि मानी जाती है।