Uttarakhand > Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति

Lokoktiyon main Uttarakhand ka Atit,लोकोक्तियों में उत्तराखंड का अतीत

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।
★लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।
★ भुंड न बास, अर शरील उदास ।
★भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै । ★अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।
★ पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।
★ ब्वारी खति ना... , सासु मिठौण लग्युं... ।
★ खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
★ खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
★बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गारे कटै।
★भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
★जै बौ पर जादा सारू छौ वे भैजी भैजी बुन्नी
★बाग गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
★ म्यारू नौनु दूँ नि सकुदु , २० पता ख़ूब सकुदु ।
★धुये धुये की ग्वरा, अर लगै लगै की स्वरा नि होन्दा ।
★कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
★अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
★ अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
★ साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
★ कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
★जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।
★ ना गोरी भली ना स्वाली ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
★राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।
★जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।
★ भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।
★ सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।
★ त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु
भुकण छुटी ।
★कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
★ सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।

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