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Mangal Chaupaiyan From Ramcharit Manas - मंगल चौपाइयां (श्री रामचरित मानस से)

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hem:
कलिमल समन दमन मन राम सुजस सुखमूल |
सादर सुनहिं जे तिन्ह पर राम रहहिं अनुकूल ||

( श्रीरामचंद्रजी का सुन्दर यश कलियुग के पापों का नाश करने वाला, मन को दमन करने वाला और सुख का मूल है | जो लोग इसे आदरपूर्वक सुनते हैं उन पर श्री रामजी प्रसन्न रहते हैं ||)

hem:
तात तीनि अति प्रबल खल काम क्रोध अरु लोभ |
मुनि बिग्यान धाम मन करहिं निमिष महुं छोभ ||

श्रीराम भाई लक्षमण से कहते हैं -( हे तात ! काम, क्रोध और लोभ - ये तीन अत्यंत प्रबल दुष्ट हैं | ये विज्ञान के धाम मुनियों के भी मन को पल भर में क्षुब्ध कर देते हैं ||)

लोभ कें इच्छा  दंभ बल काम कें केवल  नारि |
क्रोध के परुष बचन बल मुनिबर कहहिं बिचारि ||

( लोभ को इच्छा और दंभ का बल है, काम को केवल स्त्री बल है और क्रोध को कठोर बचनों का बल है ; श्रेष्ठ मुनि विचार कर ऐसा कहते हैं ||)

hem:
हरित भूमि तृन संकुल समुझि परहिं नहीं पंथ |
जिमि  पाखण्ड  बाद  तें गुप्त  होहिं सदग्रंथ ||

( पृथ्वी घास से परिपूर्ण होकर हरी हो गयी है, जिससे रास्ते समझ नहीं पड़ते | पाखण्ड मत के प्रचार से सदग्रंथ लुप्त  हो जाते हैं)

Risky Pathak:
जहां सुमति तह सम्पति नाना|
जहां कुमति तह विपति निदाना||

hem:
कबहुँ प्रबल बह मारुत जहँ तहँ मेघ बिलाहिं |
जिमि कपूत के उपजें कुल सद्धर्म  नसाहिं  || 

(कभी-कभी वायु बड़े जोर से चलने लगती है,जिससे बादल जहाँ-तहाँ गायब हो जाते हैं | जैसे कुपुत्र के उत्पन्न होने से कुल के सद्धर्म नष्ट हो जाते हैं.)

कबहुँ दिवस महँ निबिड़ तम कबहुँक प्रगट पतंग |
बिनसइ  उपजइ ग्यान जिमि पाइ कुसंग सुसंग ||   


(कभी बादलों के कारण दिन में घोर अन्धकार छा जाता है और कभी सूर्य प्रकट हो जाते हैं | जैसे कुसंग पाकर ज्ञान नष्ट हो जाता है और सुसंग पाकर उत्पन्न हो जाता है ||)

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