Author Topic: Marriages Customs Of Uttarakhand - उत्तराखंड के वैवाहिक रीति रिवाज  (Read 99258 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Bride Marking Teeka on Bride Groom forehead during the marriage ritual.

.

Photo courtesy.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
This is called Gift items "Samdi Samdi"




photo courtesy : Tilak Bisht

Gift Exchange.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Nishan.

Which is a God power and it also give a message to bride side that we are coming with Barat.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0





The marraige Customs of Bhotia and Jaunsari Community are slightly different. Apart from this, there is slight in specific areas of Uttarakhand but the generally the common tradition are followed.

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
भोटिया जनजाति के रीति-रिवाजों के अनुसार बारात दुल्हन के घर पर 2-3 दिन तक रुकती है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

This is also a part of marriage customs. Bride feeding something to Bridegroom. Some "Jao" leafs have also been kept there. 





विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
मुशघोल्ली

कुँमाउनी  शादी में एक आदमी मुश्घोली कहलाता है. यह आदमी लड़के वालों की तरफ से लड़की के घर शादी से एक दिन पहले जाता है. इनके हाथ में एक दही के ठेकी एवं हरी सब्जी ( खासकर राई ) . यह एक दूत के समान है, जोकी यह संदेह ले के जाता है की शादी आने वाली है. क्योंकि पहले के दिनों में आज के बराबर संचार व्यबस्था नहीं थी. ( यह मेरी समझ के अनुसार है ).
कहते हैं की मुश्घोली को आते ही बड़ा स्वागत किया जाता है.और  बोलते है की जो मुश्घोली बन के जाता है उसके बैठने वाले जगह पर  बिच्छू घास छिपा के रख दिया जाता है जैसे ही वह बैठता है उसको बिच्छू घास लग जाती है. ( यह एक मजाक के रूप में किया जाता है ) . पहले ही उसको घर से ही बताते है की ---जरा संभल के रहना ! मुस्घोली बन के जा रहा है ...".सी सून" लगायेंगे ( सी सून = बिच्छू घास ) .

जब शादी लड़की के घर आती है तो आधे रास्ते तक मुश्घोली बारात को लेने आता है . इसी को ( मुस्घोली को ) अच्छे रास्ते का पता रहता है और सही टाइम पर शादी को लड़की वालों के घर पैर ले जाता है........जब रस्ते में मुश्घोली मिलता है ....तब बाराती मजाक में बोलते हैं---अरे कल कहें सि-सून तो नहीं लगाया.....

जब बारात दुल्हन ले के दुल्हे के घर वापस आती है, उन बारातीयों के साथ ही रह मुश्घोली वापस आ जाता है..यह प्रथा आज भी उत्तराखंड की शादीयों में प्रचलित है (खासकर kumaon  एरिया ) में.

धन्यवाद.



पंडिज्यू/Pandit Jyu

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 111
  • Karma: +2/-0

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22