मेरे विचार से ऐसी शादियों से दुल्हन पक्ष के लोगों की कई परेशानियां कम हो जाती हैं. पैसे खर्चने के बाद शादी के लिये विभिन्न तरह की व्यवस्थाओं (केटरिंग, टेन्ट, लाइटिंग आदि) का झंझट नहीं रहता. दुल्हा पक्ष के लोग भी अब चाहते हैं कि उनके शहर में ही बारातघर में शादी हो जाये, जिससे बारात ले जाने के लिये गाड़ी आदि की व्यवस्था से भी बचा जा सके.