fromMukund Dhoundiyal <ml.dhoundiyal@gmail.com>
reply-toml.dhoundiyal@gmail.com
to"mp.mehta ." <mp.mehta@sify.com>
dateTue, Aug 18, 2009 at 9:49 AM
subjectmehta g
mailed-bygmail.com
signed-bygmail.com
hide details 9:49 AM (2 hours ago) Reply
प्रिय मेहता जी आज भी अपनी उत्तराँचल में बहोत सी जगह है जहाँ का पहनावा अपनी अलग किस्म का देखने को मिलता है. जैसे लाखर कोट (दुशान ) में त्यून्ख पहन ने का प्रचलन है त्यून्ख एक बुना हुवा चादार जैसा होता है जिसको पुरुष तीन और से लपेट देते हैं और फिर एक स्यूड से गोल (फंसा) देते हैं
ये गर्म होता है और हल्का भी ...पहनने को आसान भी और जल्दी भी
ये विशेष पहनावा जिसे पुरुष पहनते हैं जिनको
अभी भे लाखार्कोट (सरायींखेत दुशान में है देखा जा सकता है
इसी प्रकार कई महिलाएं भी बाजु जनेवु (बाजूबंद) पहनती देखि गयी हैं