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Our Tradition Vs. New Generation - हमारे संस्कार: आज की पीढी को कितने स्वीकार्य

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हलिया:
महाराज, ऐसा नहीं ठैरा कि संस्कार तहां (शहरों) में ही बदल रहे हैं.  महाराज..... यहाँ तो गाँव में भी सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी बदल रहा है.  अब बताओ पहले 'जनमबार' को पंडित जी आते थे, घर के सब लोग श्रधा से पूजा पाठ करते थे लेकिन महाराज अब?  अब 'जनमबार' हो गया है वो क्या कहते हैं 'बर्डे'.  प्रसाद की जगह शराब और मीट (ये जरूरी) हो गया ठैरा हो.   लेकिन जिस घर का सयाना ठीक होगा वहां अभी भी पहले वाला सिस्टम चलने वाला ठैरा.  इसलिए जरूरी है कि आप अपने घर के बड़े हो तो अपना सिस्टम ठीक बनाये रखो महाराज  बच्चे तभी सीखेंगे....

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