राजुला और मालूशाही की गाथा
उत्तराखंड प्रणयगाथाओं मैं अर्जुन-वासुदता,कुसुमकोलिन,चंद्रवालिहरण,गंगनाथ तथा मालुसाही प्रमुख हैं ,मालुसाही कुमाऊँ मंडल की प्रनाय्गाथाओं मैं सर्वाधिक लोकप्रिय गाथा है !
देश के प्रमुख कला केन्द्रों द्वारा इस गाथा का गीत-नाट्य रूपांतर करके मंचन किया जाता है !मूल गाथा स्थानीय रूप से दो रूपों मैं प्रचलित है !
एक गाथा मैं मालुसाही द्वारा राजुला से विवाह कर वैराठ लौट जाने का सुखान्त विवरण उपलब्ध है !जबकि दूसरी गाथा मैं उल्लेख है कि सुनपति शौका ने मालूशाही सहित कत्युरों को धोखे से विषाक्त भोजन खिलाकर मरवा डाला था !तथा राजुला कि जीवन लीला भी उन्हं के साथ समाप्त हो गयी थी !