Author Topic: Rajula Malushahi Immortal Love Story - राजुला मालूशाही: अमर प्रेम गाथा  (Read 79422 times)

Dinesh Bijalwan

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राजा  हरु सेम राजा हरि सिन्ह (सन १३७८-१४५८) का जन्म हरिद्वार के इलाके मे हुआ था , वह महान तान्त्रिक और यौधा एक साथ थे , उनका जीवन कटेहर और कुमौ मे बीता / उन्होने तुर्को को जबर्दस्त टक्कर दी/  उनकी माता जहबराज खाती की बेटी कायनर थी /  उनकी और वर्जिन मेरी की कथा मे समानता है / हरु को बाजु से पैदा होने के कारन बान्ह फोडी राजा कहा जाता है / जिया रानी मौला देयी उनकी मौसी थी/ उनके हन्सुला गढ  मे उनदे साथी बारानाम बैरागी,  सोला नाम सन्यासी,  यो़गनियोन और बावन बीरो का जिक्र आता है/  छिपला कोट की रानी पिन्ग्ला  से सबन्ध की कथा भी उन्की गाथा मे आती है /

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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पंकज सिंह महर

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आप सभी लोगों ने यह झोड़ा सुना होगा

ल्याई दिछा मेरा बोज्यू, सुनपते शौके की चेली।

यह सुनपत शौका ही राजुला के पिता थे, इस झोड़े में मालूशाही अपने पिता से कहते हैं कि "पिताजी, अगर मेरे लिये कुछ लाना ही है तो सुनपत शौका की लड़की को ला दो।"

खीमसिंह रावत

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बिजल्वान जी  हरुसेम जी हरिद्वार में पैदा हुए क्या इनके गुरु गोरखनाथ जी (कनखल आश्रम) थे / क्योकि हमारे यहाँ पर ग्राम देवता श्री हरज्यु है इनकी धुनी लगाती है अलख जागते हैं अभी १३ मई २००८ को हमारे यहाँ  श्री हरज्यु कि जतुरा लगी थी दास ने जो कहानी सुनाई वह हरिद्वार से संबधित थी राजा हरिचंद और उनके भाई लाटू कुवरपाल (इनकी गाय भैसों थी ) कि ही थी /

Risky Pathak

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राजुला-मालूशाही, हरुहीत-मालू रौतेली के अलावा क्या किसी को नाग वंशी राजा सुरज्यु कौल व भोटिया राजकुमारी हिमा मार्छ्यान के बारे में पता है क्या??
     
गजेन्द्र राणा व मीना राणा के स्वर में "हिमा मार्छ्यान" नामक वी.सी.डी में इसका उल्लेख मिला| 

Charu Tiwari

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प्रक़ति के चितेरे कवि चन्‍द्र कुवर बर्तवाल की एक किवता पहाड् की सभी प्रेम कहानियों को समझने में मदद करती हैा
मैं पपीहा बन कहीं उड् आज जो पाता गगन में,
मैं बैठता उस झरोखे पर िप्रय पावन सदन मेंा
कूंकता मैं पी कहां तुम हे प्रिय
पड् रही हो पत्र स्‍नेह दीपक के लिए
  हिमालय का सौन्‍दर्य जितना आकर्षक है उतनी ही सुन्‍दर प्रेम कहािनयां यहां की लोक कथाओं और गीतों में दिखाई देती हेंा उत्‍तराखंड के विभिन्‍न हिस्‍सों में प्रेम कहानियां लोकगथाओं के रूप में जन जन तक पहुंची हैंा हालांकि यह अधिकतर राजघरानों से जुड्ी हैं लेकिन वह आम आदमी तक प्‍यार का संदेश छोड्ने में कामयाब रही हैंा हरूहीत और जगदेच पंवार की कहानी तो है ही राती बौराणी का अपने पित के इंतजार में सालों गुजारना उसके समपर्ण को दर्शाता हैा इन सबसे बढ्कर राजुला मालूशाही की अमर प्रेम कथा है जो प्रेम का प्रतीक मानी जामी हैा
जारी,,,,,,,

Charu Tiwari

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उत्‍तराखण्‍ड की लोककथाओं में प्रेम कथाओं का िवशेष महत्‍व हें यह लोक गाथाओं के रूप में गाई जाती हैा हालांिक अलग अलग िहस्‍सों में इन कहािनयों को अपनी तरह से लोक गायकों ने प्रस्‍तुत िकया है लेिकन जब समग्रता से इसे देखते हैं तो कुछ कहािनयां ऐसी हैं िजन्‍होंने उन पात्रों को आज भी गांवों में जीवंत रखा हैा यहां प्रचिलत कहािनयों की पष्‍ठभूिम में िवषम भौगोिलक पिरिस्‍थितयों से उपजी िदक्‍कतें साफ झलकती हैंा सामािजक, सांस्‍कितक और आिर्थक िभन्‍नताओं के बावजूद प्रेम का एक व्‍यापक फलक तैयार हुआा राजुला मालूशाही हो या हरूहीत या िफर प्रेम वेदना में तड्फती रामी बौराणी यह यहां की प्रेम कथाओं के अमर पात्र हैंा आज जब भी प्रेम की बात होती है तो उसे पाने के िलए आदर्श राजुला ही हैा राजुला मालूशाही की गाथा िकतनी अमर है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है साइबर युग में जहां प्रेम की बात संचार माध्‍मों से हो रही हो वहां भोट की राजुला का वैराट, चौखुिटया आने और मालूशाही का भोट की किठन यात्रा प्रेिमयों का आदर्श हेा
जारी,,,,,,,,

Charu Tiwari

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कुमाऊं और गढ्वाल में प्रेम गाथायें झोड्ा, चांचरी, भगनौले और अन्‍य लोक गीतों के माध्‍यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सुनी सुनाई जाती रही हेंा मेंले इनको जीवन्‍त बनाते हैंा राजुला मालूशाही पहाड् की सबसे प्रसिद्व अमर प्रेम कहानी हेा यह दो प्रेमियों के मिलन में आने वाले कष्‍टों, दो जातियों, दो देशों, दो अलग परिवेश में रहने वाले प्रेमियों की कहानी हेा सामाजिक बंधनों में जकेड् समाज के सामने यह चुनौती भी थीा यहां यक तरफ बैराठ का संपन्‍न राजघराना है, वहीं दूसरी ओर एक साधारण व्‍यापारी, इन दो संस्‍कितयों का मिलन आसान नहीं थाा लेकिन एक प्रेमिका की चाह और प्रेमी का समपर्ण प्रेम की एक ऐसी इबारत लिखता है जो तत्‍कालीन सामाजिक ढ्ाचे को तोड्ते हुए नया इतिहास बनाती हेा

Charu Tiwari

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राजुला मालूशाही की जो लोकगाथा प्रचिलत है वह इस प्रकार हेा कुमांउ के पहले राजवंश कत्‍यूर के किसी वंशज को लेकर यह कहानी हैा उस समय कत्‍यूरों की राजधानी बैराठ वर्तमान चौखुटिया थीा जनश्रुतियों के अनुसार बैराठ में तब दुलाशाह शासन करते थेा उनकी कोई संतान नहीं थीा इसके लिए उन्‍होंने कई मनौतियां मनाईा अन्‍त में उन्‍हें किसी ने बताया कि वह बागनाथ में शिव की अराधना करे तो उन्‍हें संतान की प्राप्‍ति हो सकती हेा वह बागनाथ के मंदिर गयेा वहां उनकी मुलाकात भेाट के व्‍यापारी सुनपत शौका और उसकी पत्‍नी गांगुली से हुईा वह भी संतान की चाह में वहां आये थेा  दोनों ने आपस में समझौता किया कि यदि संतानें लड्का और लड्की हुई तो उनकी आपस में शादी कर देंगेा ऐसा ही हुआा बागनाथ की कपा से बैराठ के राजा का पुत्र हुआा उसका नाम मालूशाही रखा गयाा सुनपित शौका के घर में लडकी हुईा उसका नाम राजुला रखा गयाा  समय बीतता गयाा जहां बैराठ में मालू बचपन से जवानी में कदम रखने लगा वहीं भेट में राजुला का सौन्‍दर्य लोगों में चर्चा का िवषय बन गयाा वह जिधर भी निकलती उसका लावण्‍य सबको अपनी ओर खींचता थाा

जारी,,,,,,,,

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Wah Charu Da ab poori katha sunne ko milegi.

 

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