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Samvatsar Pratipada : सम्वत्सर प्रतिपदा

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पंकज सिंह महर:
हिन्दू नव वर्ष को सम्वत्सर प्रतिपदा के रुप में मनाया जाता है। उत्तराखण्ड में भी महाराज विक्रमादित्य द्वारा स्थापित विक्रमी सम्वत के अनुसार ही नये वर्ष का आरम्भ माना जाता है। इस दिन आचार्य (पंडित जी) घरों में जाकर नये संवत्सर का नाम सुनाते हैं और विभिन्न राशियों के राशिफल तथा प्रवृत्त संवत्सर के फलादेश सुनाते हैं। इसके लिये उन्हें दक्षिणा दी जाती है।

इस सूत्र के अन्तर्गत हम आने वाले वर्षों के बारे में चर्चा करेंगे।

पंकज सिंह महर:
इस वर्ष दिनांक 16 मार्च, 2010 ( 3 गते, चैत) को सम्वत्सर प्रतिपदा है। इस दिन से ही नये वर्ष सम्वत 2067 का शुभारम्भ होगा। इस सम्वत्सर का नाम  "शोभन" है|

पं० रामदत्त जी प्रतिपादित श्री गणेश मार्तण्ड पंचांगानुसार-

शोभन सम्वत्सर में लोगों में त्रिविध (दैहिक, दैविक और भौतिक) कष्ट होवें, पृथ्वी में कई जगहों पर जनमानस सुखी रहे तथा फसल और वर्षा अच्छी होवे।
शोभन सम्वत्सर में राजा प्रजा में अच्छे संबंध होवें तथा सुख-समृद्धि बनी रहे। चैत्र, बैशाख तथा ज्येष्ठ मास में वर्षा अधिक होवें, धन-धान्य की अधिकता बनी रहे। कहीं-कहीं राजा एवं उनकी नीतियों का विरोध-प्रदर्शन होवे, आषाढ मास में वर्षा न्यूनतम रहे, परन्तु श्रावण मास में अत्यधिक वर्षा से जनजीवन प्रभावित होवे। भाद्रपद में मेघ अधिक हो तथा आश्विन में सुभिक्ष की स्थिति होवे। अन्य पांच मासों में कभी-कभी विद्रोह की स्थिति रहेगी।.......जारी

पंकज सिंह महर:
इस वर्ष ग्रहों के राजा भौम तथा मन्त्री बुध हैं, स्वयं राजा के पास मेघेश एवं दुर्गेश का कार्यभार भी है। सस्येश शनि, निरसेश एवं धनेश शुक्र, रसेश एवं फलेश चन्द्रदेव तथा धान्येश गुरुदेव के आधीन हैं। इस तरह से दस पदों में से छह शुभ तथा चार पाप ग्रहों के पास हैं।

शुभ ग्रहों के वर्चस्व बने रहने के उपरान्त भी आतंकवाद, भूकम्प, बाढ़, अग्निनाश तथा नाना प्रकार के रोगों से जनमानस व्यथित रहेगा। यद्यपि पृथ्वी पर अन्न की अच्छी पैदावार होगी, गौरस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगा, परन्तु समुचित व्यवस्था न होने के कारण आम आदमी सुलभ नहीं हो सकेगा। बुध तथा भौम के नेतृत्व में नीति निर्धारण तो होगा, परन्तु आपसी (केन्द्र और प्रदेश) सामन्जस्य नहीं होने के कारण क्रियान्वयन में विलम्ब होगा।

वर्ष के वर्षेश लग्नानुसार पश्चिम तथा उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकोपों, दैविक एवं मानवीय दुर्घटनाओं से जन जीवन त्रस्त रहेगा, परन्तु भगवत स्मरण तथा जपदान आदि से अशुभफलों का निराकरण अवश्य होगा। दूसरे, तीसरे, पांचवें, आठवें तथा बारहवें मास सामान्य फलकारक, शेष अन्य मास शुभ रहें।

पंकज सिंह महर:
इस वर्ष का राशिफल

मेष - राशिवालों को वर्ष में व्यवसाय के क्षेत्र में लाभ होगा, परन्तु सत्कर्मों में धन व्यय बढ़ेगा। न्यायालय पक्ष अनुकूल रहेगा। वर्ष का पूर्वार्ध अच्छा, अपने से उच्चवर्ग से सहयोग मिलेगा। तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें मास शुभ लाभप्रद हैं। अशुभ फलों के निराकरण के लिये गुरु, भौम तथा राहु जपदान शुभप्रद रहे।

वृष- इस राशि वालों के वर्ष में जहां एक ओर धनागम के श्रोतों में वृद्धि होगी. वहीं निर्माणकार्य, रोगादि व्यय भी बढ़ेगा। सन्तान पक्ष से सन्तुष्टि मिलेगी। सम्पत्ति विवाद प्रतिकूल रहेगा, वर्ष के चौथे, सातवें तथा बारहवें मास शुभफलप्रद रहे। शनि राहु और केतु का जपदान हितकर रहे।

मिथुन- इस राशिवालों का वर्ष सामान्य फलकारक है। शनि की ढैय्या के फलस्वरुप शत्रुबाधा, मानसिक कष्ट एवं रोग व्याधियां बढ़ेंगी। महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले देव आराधना शुभफलकारक। पहले, पांचवें और आठवें मास शुभ होवें, शनि और राहु जपदान अशुभ फलों का निराकरण सम्भव।

पंकज सिंह महर:
कर्क- राशि वालों का वर्ष शुभफलकारक है। नौकरी और व्यापार में उन्नति। शत्रु और प्रतिस्पर्धी विरोध करेंगे, लेकिन स्वतः ही निष्क्रिय हो जायेंगे। घर पर धार्मिक कार्य सम्पन्न होंगे। दूसरे, छठे तता नवें मास शुभप्रद रहें। भौम, राहु, केतु व गुरु का जपदान हितकर रहे।

सिंह- राशिवालों को वर्ष भर अनेकों समस्यायें घेरे रहेंगी। क्षोभ तथा विशाद की स्थितियों से गुजरना पड़ेगा। रोग, शत्रु व पारिवारिक मतभेदों से सावधान। धनागम श्रोतों में अवरोध, तीसरे, सातवें तथा दसवें मासों में महत्वपूर्ण कार्यों को सिद्ध करें। शनि, गुरु,राहु और केतु जपदान शुभ रहे।

कन्या- राशिवालों वर्ष सामान्य फलकारक है, शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। शत्रु, रोग तथा प्रतिस्पर्धी सक्रिय रहेंगे। वर्ष का पूर्वार्ध अच्छा रहेगा। चौथे, आठवें एवं ग्यारहवें मास शुभ रहें। शनि, राहु, केतु तथा गुरु का निराकरण शुभ रहे।

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