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Spiritual UK- उत्तराखंड की लोक संस्किर्ति पर दैविक प्रभाव & वैदिक कालीन प्रथायें

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Devbhoomi,Uttarakhand:
हिमालय की विराटता,शुचिता भाब्य्ता एवं शुभ्रता के समक्ष हिमालय की गोद में निवास करने वाले पर्वतवासियों की चेतना ब्यापक हो जाती है !
वह परमसत्ता की अनुभूति स्वयम अपने अन्ड़ान्र करने लगते हैं !उनके लिए प्रकिती,मनुष्य और देवता,तीनों उत्तराखंड के लिए चेतन्य हैं !

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                                 १-थात,भूमयाल एवं ग्राम देवता
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पहाड़ी लोक्संस्किर्ती की आधार भूत  विशेषता है उसकी क्षेत्रीयता का आधार है !ग्रामीण देवता, उनसे जुडी दैवीय आस्थाएं उनके प्रभाव की भौगोलिक -सांस्किर्तिक सीमाएं उनसे जुडी मेले और त्यौहार तथा जातीय ब्यवस्था उस ओर स्पस्ट संकेत करते हैं !प्रतेक गाँव का अपना क्षेत्रीय रक्षक देवता होता है !

जिसे भूमियाल या क्षेत्रपाल कहते हैं हर गाँव का ग्राम देवता होता है जो गाँव की सभी अधिभौतिक आवास्य्क्ताओं के संचालन का प्रमुख नियंता होता है !

थात भूमयाल या क्षेत्रपाल ओर ग्राम देवता तीनों मिलकर एक ग्रामीण क्षेत्र को सांस्किर्तिक  पहचान प्रदान करते हैं !थात हर गाँव की मूल होती है इस स्थान की मिटटी प्रवित्र होती हैं !

गाँव की थात यमुना संस्किर्ति से जुड़े इलाके जौनसार,जौनपुर ओर रंवाई में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र मानी जाती है शतुरुओं से इसकी रक्षा करने के लिए पूरा गाँव चेतन्य रहता है !

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            २-दुःख-सुख का साथी
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पहाड़ी जनजीवन में देवता सहज एवं प्राकिर्तिक रूप से उपस्तिथ है !जिस तरह घर,गाँव,जंगल,माँ बाप ,भाई बहन हैं उसी तरह सहज रूप से देवता भी हैं !देवता निराकार और सूक्छ्म शरीर अवस्य है !

किन्तु उनके साथ मनुष्यों के सम्बन्ध उसी तरह हैं,जैसे किसी सम्मानीय ब्यक्ति के साथ होते हैं !उसके साथ वह लड़ते भी हैं,झगड़ते भी हैं और रुठते भी हैं !अपने ग्राम देवता को वह दुःख सुख का साथी मानते है !

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                ३-मित्र तथा रिश्तेदार     
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उत्त्ताराखंड के पहाड़ी गाँव के सामान्य आदमी के लिए देवता एक साक्षात जिविती सत्ता है !यह देवता किसी प्राचीन युग के अति विशिस्ट और अद्भुत प्राणी नहीं है !ये आज भी उनके साथ है !देवी-देवताओं के साथ समाज के अपने रिश्ते-नाते है !बूटोलाओं के लिए नंदा देवी ध्यान( बेटी) हैं !

राणाओं के लिए वह भांजी है और रावतों के लिए ब्वारी (बहु)है !नंदा देवी केवल पौराणिक देवी मात्र नहीं है !यह चांदपुर की बेटी और बधाण की बहु है !देवी-देवताओं के केवल मनुष्यों से ही सम्बन्ध नहीं हैं !वरन देवताओं की भी परस्पर रिश्तेदारियां हैं !

कमलेश्वर का अम्बन्ध चन्द्रबदनी से हैं !इसी प्रकार कांडा देवी का किल्केस्वर से ,ये सभी देवता केदार नाथ तथा गंगोत्री से जुड़े हैं !इन सब देवताओं का भुम्याल,क्षेत्र पाल ,आछरियाँ आदि से सम्बन्ध जुड़ा हवा है !

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              ४-गतिशील देवता
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 पहाड़ी देवताओं की मुख्य विशेषता इनकी गतिशीलता है हिमालय के आंतरिक क्षेत्रों में जौनसार,उत्तरकाशी,चमोली और पिथौरागढ़ में जिस तरह आदमी पशुचालक के रूप में सीमित घुमतु गीवाँ ब्यतीत करता है !उसी तरह यहाँ देवी-देवता भी घुमने के लिए और तीर्थटन के लिए यात्रा करते हैं !

जौनसार का प्रसिद्ध "चाल्दा महासू" साथी और पासी क्षेत्रों में बारह-बारह वर्षों तक यात्रा करते हैं !प्रति वर्ष चाल्दा महासू एक गाँव में निवास करता है !उसी तरह एनी ग्रामीण देवता भी अपने प्रभाव क्षेत्र की यात्रा करते हैं !

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