दूनत तथा पूनत :
उत्तरकाशी, चमोली तथा देरहादून की बूढ़ी स्त्रियाँ दूनत तथा पूनत - अनुकरणात्मक शब्द जो कि औरतों द्वारा पहने जाने वाले परंपरागत आभूषणों की खनकती आवाज़ का वर्णन करते हैं - कि बात करते हुए भावुक तथा बहुत विरही महसूस करती हैं।
चमोली में धामसली गांव की हीरा उन भारी आभूषणों को स्मरण करती हैं जो वह तथा दूसरी स्त्रियाँ पहना करती थीं। "हम कलाई पर चाँदी की पहुंची बाँधा करती थीं। घगूला (चाँदी की चूड़ी), बुलक (बड़ी नथनी), कानों में बालियाँ, चाँदी की हँसुली (गले का हार) तथा चाँदी के सिक्कों का बना चंद्रहार।"