Author Topic: Upcoming Festivals - आने वाले स्थानीय त्यौहार  (Read 60677 times)

पंकज सिंह महर

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साथियो,
      आप सभी अवगत हैं कि उत्तराखण्ड त्योहारों और मेलों का प्रदेश है, इन त्योहारों और मेलों के बारे में हम लोग पहले ही विस्तार से चर्चा कर चुके हैं। इस टोपिक के अन्तर्गत हम आने वाले त्योहारों और मेलों के बारे में और उसे मनाने के विधि-विधान के बारे में पूर्व में जानकारी देंगे, ताकि सभी इन त्योहारों के बारे में जान पायें और विधिवत इन्हें मना पायें।

पंकज सिंह महर

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दिनांक १६ अगस्त, २००८ को जनेऊ पूजन और रक्षाबंधन तथा पूर्णिमा है।
जनेऊ पूर्णिमा का त्यौहार उत्तराखण्ड में श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, उस दिन नई जनेऊ पहनी जाती है और जनेऊ का तर्पण किया जाता है। पहले तो इस दिन गांव के सभी लोग नदी के किनारे सामूहिक रुप से यह कार्य करते थे, लेकिन अब घर-घर पंडित जी आ जाते हैं और उन्हीं को दक्षिणा दे दी जाती है। इस त्यौहार में पंडित जी यजमानों को नई जनेऊ देते हैं और परिवार के सभी लोगों को रक्षा सूत्र पहनाते हैं।
लेकिन इस बार उस दिन ग्रहण रात्रि में २.०० बजे से होने के कारण उस दिन जनेऊ नहीं बदली जा सकेगी। पंडितों की राय है कि दिनांक ६ जुलाई को ही जनेऊ बदल ली जाय या फिर जन्माष्टमी के दिन बदली जाय।

दिनेश मन्द्रवाल

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बहुत बढिया टापिक शुरु किया सर आपने,
     इससे उत्तराखण्ड में रहने वाले हम जैसे (जो अक्सर इन्हें भूल जाते हैं) और देश-विदेश में रहने वाले हामारे उत्तराखण्डी भाई जो इनको मनाना चाहते तो हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं हो पाता कि यह त्यौहार कब है (क्योंकि वहां पंडित जी की कमी है) उनके लिये बहुत ही लाभदायक और जड़ो से जोड़ने वाला टोपिक यह बनेगा।
       इतना दिमाग कहां से लाते हो सर आप, आज मेरी ओर से ;D ;D

Rajen

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Very good topic. Thanks to Pankaj jee to start.

Risky Pathak

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घ्यू त्यार- ३२ गते श्रावण(मसंती)- १६ अगस्त २००८

घ्यू त्यार का त्यौहार श्रावण(सौरमान ) माह की अन्तिम तिथि को मनाया जाता है| संक्रांति से १ दिन पहले को मसंती कहते है और इसी दिन ही ये पर्व मनाया जाता है|

यह पर्व कृषि से सम्बंधित है| खेतो में "रोप न्योवरण" का काम पूरा हो जाता है| "रोप न्योवरण" का मतलब होता है कि धान के खेतो से अनचाही घास व अन्य पौधे निकाल फेकना, जिससे धान कि पैदावार अच्छी हो सके| धान के पौधे १.५-२ फ़ुट के हो जाते है|

आज के दिन घर में पूरी, हलवा, खीर व अन्य पकवान बनते है| और साथ ही साथ घी से कोई स्पेशल चीज़ भी बनती है या फ़िर खीर में ही घी डाल दिया जाता है|

ऐसा भी कहा जाता है कि आज के दिन भूखा नही सोना चाहिए|



मुझे इस बारे में जानकारी नही है की ये कहाँ कहाँ मनाया जाता है| वैसे ये पर्व है तो कृषि से सम्बंधित|  सभी वरिष्ठ सदस्यों से मेरा निवेदन है की अगर आप लोगो को इस त्यार के बारे में जानकारी है, या आप ने भी कभी इसके बारे में सुना है तो यहा अपने विचार दे|

पंकज सिंह महर

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सिंह या घृत-संक्रान्ति

सिंह संक्रान्ति को ओलगिया भी कहते हैं। पहले चंद-राज्य के समय अपनी कारीगरी तथा दस्ताकारी की चीजों को दिखाकर शिल्पज्ञ लोग इस दिन पुरस्कार पाते थे, तथा अन्य लोग भी फल-फूल, साग-भाजी, दही-दुग्ध, मिष्ठान तथा नाना प्रकार की उत्तमोत्तम चीज राज-दरबार में ले जाते थे, तथा मान्य पुरुषों की भेंट में भी ले जाते थे। यह ओलग की प्रथा कहलाती थी। जिस प्रकार बड़े दिन को अँग्रेजों को डाली देने की प्रथा है, वही प्रथा यह भी थी। अब भी यह त्यौहार थोड़-बहुत मनाया जाता है। इसीलिए यह संक्रान्ति ओलगिया भी कहलाती है। इसे धृत या ध्यू संक्रान्ति कहते हैं। इस दिन (बेड़िया) रोटियों के साथ खूब घी खाने का भी रिवाज है। यह भी स्थानीय त्यौहार है।

खीमसिंह रावत

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ghi sankranti to shayad bhado ke pahale din manate hai/

घ्यू त्यार- ३२ गते श्रावण(मसंती)- १६ अगस्त २००८

ze=11pt]घ्यू त्यार का त्यौहार श्रावण(सौरमान ) माह की अन्तिम तिथि को मनाया जाता है| संक्रांति से १ दिन पहले को मसंती कहते है और इसी दिन ही ये पर्व मनाया जाता है|




Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Pankaj ji Ghee Sagyaan bhi 16 ko hai kya?

पंकज सिंह महर

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ghi sankranti to shayad bhado ke pahale din manate hai/

घ्यू त्यार- ३२ गते श्रावण(मसंती)- १६ अगस्त २००८

ze=11pt]घ्यू त्यार का त्यौहार श्रावण(सौरमान ) माह की अन्तिम तिथि को मनाया जाता है| संक्रांति से १ दिन पहले को मसंती कहते है और इसी दिन ही ये पर्व मनाया जाता है|

खीम दा,
    आप सही कह रहे हो, अल्मोड़ा और नैनीताल, चम्पावत आदि में यह त्यौहार संक्रान्ति को मनाया जाता है। लेकिन पिथौरागढ़ और बागेश्वर का रामगंगा पार वाले क्षेत्र में यह त्यौहार संकरात की पूर्व संध्या, अर्थात मसान्ति के दिन मनाया जाता है। आपके यहां यह त्यौहार संक्रान्ति १७ अगस्त को मनाया जायेगा।

 इसके अलावा इन इलाकों में घुघुतिया त्यार भी मसान्ति के दिन ही बनाया जाता है और संकरात को घुघुत कौव्वे को दिये जाते हैं, जब कि अन्य भागों में संकरात को घुघुत बनते हैं और २ पेठ को कौव्वे को दिये जाते हैं।

       इसका कारण तो मुझे नहीं पता लेकिन इतना कह सकता हूं कि हम गंगपारी लोग एडवांस ठैरे
;D ;D ;D

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Sahi jaa rahe ho Pankaj bhai.

 

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