Author Topic: Uttarakhand Ramleela - उत्तराखंड की रामलीला  (Read 58590 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Uttarakhand ki Ramleela
« Reply #20 on: August 02, 2009, 10:45:07 PM »

Devbhoomi,Uttarakhand

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113 वर्ष की हुई पिथौरागढ़ की रामलीला

पिथौरागढ़: सीमांत जनपद पिथौरागढ़ नगर में होने वाली रामलीला शनिवार को 113 वें वर्ष में प्रवेश कर गयी। 113 वर्षों से अनवरत चल रही रामलीला को इस मुकाम तक पहुंचाने में तमाम लोगों का सहयोग रहा है। दिये की रोशनी से शुरू हुआ रामलीला का आयोजन आज उच्च तकनीक के दौर में पहुंच गयी है।

भीमताल निवासी तत्कालीन डिप्टी कलक्टर पं.देवीदत्त मकड़ियाके प्रयासों से वर्ष 1897 में पिथौरागढ़ में रामलीला का आयोजन शुरू हुआ। उस दौर में जब मनोरंजन के साधन नहीं थे, लोग दूरदराज के गांवों से भी रामलीला देखने के लिए यहां पहुंचते थे और रामलीला खत्म होने तक यहीं डेरा डाले रखते थे। इनमें नेपाल से आने वाले लोगों की भी अच्छी खासी तादात रहती थी। तब आज के जैसे संसाधन नहीं थे। दिये की रोशनी में रामलीला का मंचन होता था, कलाकारों के मैकअप के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन ही उपयोग में लाये जाते थे।

रामलीला आयोजन के साथ ही कमेटी भी गठित की गयी। जिसके पहले मैनेजर का दायित्व गंगोलीहाट निवासी केशवदत्त पंत ने संभाला उनके सहयोगी कुंदन लाल चौधरी थे। बाद में कुंदन लाल चौधरी ने मैनेजर का पद संभाला और पं.कृष्णानन्द उप्रेती, चौ.गोविन्द लाल गुप्ता ने उन्हे सहयोग दिया। बदलते समय के साथ ही रामलीला में भी कई परिवर्तन आये।

 आयोजकों ने कई झंझावत भी झेले। वर्ष 1959 में हुए एक भीषण अगिन्कांड में रामलीला का पूरा सामान जलकर राख हो गया। तत्कालीन चेयरमैन खीम सिंह सौन की पहल पर फिर से नगर पालिका का सामान जोड़ा गया। रंगकर्मी जगदीश पुनेड़ा का कहना है रामलीला को इस मुकाम तक पहुंचाने में तमाम लोगों ने जो सहयोग दिया है उसे कभी भूलाया नहीं जा सकता है,

आज नगर के युवा राजेन्द्र चिलकोटी, गजेन्द्र सौन, हेम गुप्ता सहित तमाम रंगकर्मी रामलीला आयोजन को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए जुटे हुए है। आज भले ही जिले के गांव-गांव में रामलीला का आयोजन हो रहा है, कहीं न कहीं इन आयोजनों के लिए पिथौरागढ़ नगर की रामलीला प्रेरणा रही है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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दशरथ ने पुत्र वियोग में त्याग दिए प्राण

पौड़ी में आयोजित श्रीरामलीला के पांचवें दिन के मंचन में पुत्र वियोग में महाराज दशरथ प्राण त्याग देते है।

ऐतिहासिक रामलीला मैदान में चल रही श्रीरामलीला मंचन के पांचवें दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का वनगमन व महाराज दशरथ का पुत्र वियोग में प्राण त्यागने के दृश्य दिखाए गए। पुत्र श्रीराम के वनगमन के बाद राजा दशरथ पुत्र वियोग में दु:खी हो जाते है और उनका शरीर जर्जर हो जाता है।
वह कहते है ..अब तो हमदम दम चले, जीने की कुछ आस नहीं। वह समय अब आ गया, रहने प्यारी तन नहीं। इसके बाद वह अपने प्राण त्याग देते है। श्रीरामलीला मंचन में सुमित्रा-लक्ष्मण संवाद, भरत-कैकेई संवाद, राम-केवट संवाद के दृश्य भी आकर्षक का केंद्र रहे।

सुधीर चतुर्वेदी

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110 साल पुरानी है चम्पावत की रामलीला (Sep18/09 News from Dainik Jagran)

चम्पावत। जनपद में रामलीलाओं की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। पात्रों को तालीम देने में कमेटी के लोग दिन रात एक किए हुए है। जिला मुख्यालय की आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वाधान में 23 सितम्बर से रामलीला मंचन शुरु होगा। पिछले 110 सालों से यहां चल रही रामलीला इस बार नए अंदाज में मनाई जाएगी। जिसके लिए युवाओं को कमान सौंपी गई है। चम्पावत में आयोजन स्थल की मरम्मत के साथ ही साफ सफाई कर विशेष रुप से सजाने का कार्य जोरों पर है। कमेटी के संरक्षक भगवतशरण राय और अध्यक्ष मुकेश तड़ागी ने बताया कि रामलीला आयोजन के लिए कलाकारों का चयन कर तालीम दी जा रही है। पूर्व सभासद दीपक तड़ागी और जगदीश पचौली के नेतृत्व में कलाकारों को अभिनय के गुर सिखाए जा रहे है। राम का चरित्र विजय नरियाल, लक्ष्मण का मोहित तथा सीता का अभिनय किशन चन्द्र करेगे, जबकि बब्लू पांडेय रावण की भूमिका में होंगे। मंचन के लिए तहसील परिसर से लगे रामलीला स्टेज को दुरुस्त करने के साथ ही रंगरोगन कर सजाया जा रहा है। इसके अलावा फुलारागांव और चौड़ा में भी रामलीला की तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है।

खीमसिंह रावत

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अच्छा लगा लगा रामलीला का इतिहास \

पहाड़ के लोगों ने शहरों में आकर भी पहाडी शैली की रामलीला को बनाए रखा /
हम लोग भी संत नगर बुरारी में १३ सालों से रामलीला का आयोजन कर रहे है/
कुछ फोटो डाल दूंगा थोडा samay लगेगा/

खीमसिंह रावत

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रामलीलाओं में श्रेष्ठ के चुनाव के लिए जजों ने खुद लीला का मंचन देखा। उन्होंने इन रामलीला कमिटियों द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों, पार्किंग और दर्शकों के लिए की गई व्यवस्था का अवलोकन किया। इसके आधार पर ही ओल्ड गाजियाबाद में श्री सुल्लामल रामलीला कमिटी घंटाघर और टीएचए में उत्तराखंड सांस्कृतिक भ्रातृ मंडल बृज विहार को विनर घोषित किया गया है।

Nwes Navbharat times 28-09-20009

Devbhoomi,Uttarakhand

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राम मर्यादा तो रावण अन्याय का प्रतीक: अजय

सोमेश्वर (अल्मोड़ा): रामलीला कमेटी ताकुला द्वारा आयोजित रामलीला नाटक का शुभारंभ रविवार की सायं क्षेत्रीय विधायक अजय टम्टा ने किया। इस अवसर पर श्री टम्टा ने भगवान श्रीराम को मर्यादाओं के पोषक तथा रावण को बुराई व अन्याय का प्रतीक बताते हुए पुरुषोत्तम राम के आदर्शो को जीवन में अपनाने तथा देवभूमि उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहरों को सहेजकर रखने की अपील की।

प्रथम दिवस के रामलीला मंचन में नटी तथा सूत्रधार द्वारा रंगभूमि में राग यमन कल्याण व ताल रूपक में की गई स्तुति, हिमालय पर्वत में कठिन शिव तपस्या के बाद रावण, कुंभकर्ण तथा विभीषण को शिवजी द्वारा वरदान देना, रावण द्वारा ऋषियों के साथ अत्याचार प्रारंभ करना तथा अयोध्या में राजा दशरथ के घर राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न का जन्म होना मुख्य दृश्य थे।

उद्घाटन अवसर पर श्री टम्टा के अलावा भाजपा मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भाकुनी, रामलीला कमेटी अध्यक्ष जगदीश सुयाल, महामंत्री कृष्ण सिंह भाकुनी, ज्येष्ठ प्रमुख आनंद सिंह बिष्ट, युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह पिलख्वाल, रमेश लाल वर्मा, गणेश सिंह, नवीन चन्द्र जोशी, मोहन चन्द्र जोशी, ललित लोहनी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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और हो गई सत्य की असत्य पर जीत

गढ़वाल। विजय दशमी पर्व पर गढ़वाल के अलग-अलग भागों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्कूली छात्रों ने झांकी निकालकर रावण के पुतले का दहन किया। जगह-जगह हो रही रामलीला का भी समापन हुआ और लोगों ने घरों में स्थापित मूर्तियों को गंगा में बहाया।

पौड़ी गढ़वाल: विजयी दशमी के अवसर पर रामलीला मंचन के आखिरी दिन रावण के पुतले का दहन किया गया।

रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला मंचन के आखिरी दिन रामभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। आखिरी दिन मंचन से लेकर समाप्ति रामभक्तों द्वार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र भगवान की जय के उद्घोषों समूचा आयोजन रामभक्ति से सराबोर हो उठा। आखिरी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र भगवान द्वारा रावण का वध कर दिया जाता है।



 सैकड़ों रामभक्तों की मौजूदगी में रामलीला मैदान में विशाल रावण के पुतले का दहन किया गया। इस प्रकार से सत्य की असत्य पर जीत के प्रतीक के रूप में आयोजित होने वाले रामलीला का भी औपचारिक रूप से रामलीला का समापन हो गया।

उत्तरकाशी। दुर्गा की जयकारे के साथ मूर्तियां गंगा नदी में विसर्जित की गई। दस दिन तक चली पूजा अर्चना के बाद सोमवार को महिषासुर मर्दिनी व उनकी योगनियों के साथ ही गणेश की मूर्ति भी गंगा में विसर्जित की गई। मूर्ति विसर्जन से पहले शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई।

 यात्रा का लोगों ने घरों की छतों से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। मूर्ति विसर्जन से पहले हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना, यज्ञ व अनुष्ठान आयोजित किए गए। शक्ति माता, कुटेटी देवी, दक्षिण काली मंदिर, अष्ट भुजा दुर्गा देवी, उच्जवला देवी समेत अन्य मंदिरों में भी यज्ञ व अनुष्ठानों को विश्राम दिया गया।

गुप्तकाशी। विजय दशमी पर्व पर डा. जेक्सवीन नेशनल स्कूल गुप्तकाशी के तत्वावधान में भव्य दशहरा कार्यक्रम का आयोजन किया। छात्रों ने बाजार में भव्य झांकी निकालकर रावण के पुतले को जलाया।

विजय दशमी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट और विधायक श्रीमती आशा नौटियाल ने किया। उन्होंने दशहरा पर्व को एतिहासिक पर्व बताते हुए कहा कि इस दिन भगवान राम ने रावण के अत्याचारों को समाप्त कर सत्य की असत्य पर जीत दिलाई थी।

कार्यक्रम में डा. जेक्सवीन नेशनल स्कूल गुप्तकाशी के छात्र-छात्राओं द्वारा गुप्तकाशी मुख्य बाजार से नारायणकोटी बाजार तक भव्य झांकी निकाली और रावण का विशाल काय पुतले का दहन किया। कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य केशव तिवारी, विद्यालय के प्रबंधक मनोज बेंजवाल, लखपत राणा, प्रधानाचार्य धमेन्द्र फस्र्वाण, ज्येष्ठ प्रमुख जयंती प्रसाद कुर्माचली, प्रधान गुप्तकाशी रश्मी नेगी, पीटीए अध्यक्ष डा. हर्षवर्धन बेंजवाल सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।

कालागढ़। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरा का पूर्व परांपरागत ढंग से मनाया गया। इस पूर्व पर हिन्दू धर्म के लोगों पर घरों में पूजा कर लौकी का मिट्ठा रायता बनाकर पूजा की।

नई कालोनी स्थित रामलीला मैदान में राम और रावण के पात्र बने कलाकारों ने युद्ध का स्वांग चलता रहा, जैसे ही सूरज छिपा वैसे ही राम रावण और कुम्भकरण के पुतलों में अग्नि बाण छोड़ दिया। राम के द्वारा अग्नि छोड़ते ही पुतले धू धू कर जल उठे।

हेम पन्त

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Vulture conservation gets a boost through Ramlilas in Uttarakhand
« Reply #28 on: September 30, 2009, 11:43:53 AM »
Vulture conservation gets a boost through Ramlilas in Uttarakhand

With the vulture population declining alarmingly in Uttarakhand's Ramnagar area, which adjoins the Corbett Wildlife Sanctuary, a group of pro-wildlife activists and forest rangers are engaged in spreading public awareness about their conservation in the region.

Under the banner of the Corbett Vulture Conservation Committee, the NGO activists recently used the annual Ramlilas, held during the Dussehra festival, to promote awareness about vultures.

Jatayu Bhagwan, a Demi god in form of a vulture, who finds mention in they mythological epic Ramayana, was used to spread the message of conservation , the idea being to use mythology to educate the masses.

The near extinction of vultures has caused ecological concern as vultures eat up carcasses and keep jungles free of diseases.

As per reports, 99 per cent of the country's vulture population has vanished mainly because of consuming cow carcasses are treated with the anti-inflammatory drug Diclofenac Sodium, the production of which was banned in 2006.

Officials say, the use of the drug is rampant and efforts are on to dissuade people from using the drug.


Read full news here - http://sify.com/news/fullstory.php?a=jj3l4gjebcf&title=Vulture_conservation_gets_a_boost_through_Ramlilas_in_Uttarakhand

Devbhoomi,Uttarakhand

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राम की सेना ने बांधा समुद्र में पुल

डीडीहाट(पिथौरागढ़): डीडीहाट नगर की रामलीला का मंचन जारी है। रविवार की रात्रि बाली- सुग्रीव युद्ध से लेकर राम की सेना द्वारा समुद्र पर पुल बांधने तक के दृश्यों का मंचन किया गया। कड़ाके की ठंड पड़ने के बावजूद रामलीला देखने के लिये भारी संख्या में दर्शक पहुंच रहे है।

रविवार को बाली-सुग्रीव युद्ध, राम द्वारा बाली का बध, हनुमान का अंगुठी लेकर लंका पहुंचना और लंका दहन और राम की वानर सेना द्वारा समुद्र पर पुल बांधने के दृश्यों का मंचन किया गया। कमेटी के अध्यक्ष ललित भंडारी ने बताया कि रामलीला का भव्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उधर कनालीछीना में भी रामलीला का मंचन जारी है। रामलीला देखने के लिये दूरस्थ गांवों से भी भारी संख्या में दर्शक पहुंच रहे है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5861124.html

 

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