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Uttarakhand Ramleela - उत्तराखंड की रामलीला

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मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
कोई फर्क नहीं आया है तो वो रामलीला के पर्दों में.ये भी एक कला है..कई दिन पहले से ये कलाकार रंग और कूची लेकर पर्दों को दरबार, महल, जँगल, लंका और अशोक वाटिका जैसे दृश्यों का रूप देने लगते हैं.
 

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
ये क्या? रावण के दरबार में “काँटा लगा......!”.जी हां कई जगहों पर अब रामलीला में आइटम साँग भी दिखाए जाने लगे हैं.
परँपरा और श्रद्धा से परे रासलीला बनती इन रामलीलाओं में रामायण की आड़ में पूरे लटके-झटकों के साथ लड़कियाँ आइटम साँग पेश करती हैं. आयोजकों का कहना है कि दर्शकों को खींचने के लिये वो भी ये सब दिखाने को मजबूर हैं.

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
और एक रामलीला बच्चों की भी.
उत्तराँचल के कई स्कूलों में भी खेली जाती है रामलीला.खुले आकाश के नीचे होनेवाली इस रामलीला में बच्चे ही बनते हैं राम और रावण भी, दैत्य सेना और वानर सेना भी बच्चों की ही होती है.

पंकज सिंह महर:
वाह-वाह, टापिक देखकर मजा आ गया.....अपने गांव देवलथल और लखनऊ में रामलीला से मै भी जुड़ा रहा। मेघनाद, खर, ताड़िका, सुषैन वैद्य, सुमन्त, वाणासुर, मन्थरा के पात्रों का अभिनय मैने किया है।

अल्मोड़ा के हुक्का क्लब की रामलीला अपने शाष्त्रीय अंदाज के कारण काफी लोकप्रिय और स्तरीय है।

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Wah Wah sahi darshan kara diye Pahad ki Ramleela ke Sir.

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