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Uttarakhand Ramleela - उत्तराखंड की रामलीला

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मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
Source: http://www.bbc.co.uk/hindi/specials/84_ramleela_change/

महाराष्ट्र में गणेश पूजा और गुजरात में गरबा की तरह उत्तरांचल में रामलीला की शानदार परँपरा रही है.यहाँ की रामलीलाओं ने न सिर्फ पहाड़ में बल्कि बाहर भी पहचान बनाई है.
कुमाऊँ की रामलीला की खास बात जहाँ राग-रागिनियों पर आधारित सँवाद हैं वहीं गढ़वाल की रामलीला ठेठ आँचलिक है.
उत्तरांचल की रामलीला में आ रहे बदलाव की झलकियाँ एकत्रित की हैं शालिनी जोशी ने.

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
गाँव-गाँव में होती है यहाँ रामलीला बल्कि कुछ गाँव तो ऐसे हैं जो अपनी रामलीला से ही चर्चित हुए .साधन और सुविधाएँ भले ही कम हों लेकिन ये शास्त्रीय परंपरा से हटे नहीं हैं.
इनमें कई कलाकार तो ऐसे मिल जाएँगे जो बरसों से एक चरित्र को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से निभाते आ रहे हैं.
 

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
हाईटेक होती रामलीलाएँ. समय के साथ-साथ रामलीला मँचन के तौर-तरीके बदल भी रहे हैं. कुछ जगहों पर साउँड इफेक्ट्स,रेकॉर्डेड संवाद और लाइट इफेक्ट्स से पौराणिक प्रसंगों को अभिनव रूप दिया जा रहा है.
थियेटर की इन तकनीकों के प्रयोग से लंका दहन, सीताहरण और युद्ध जैसे दृश्य जीवँत हो उठे हैं.

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
यहाँ तक की कई जगह तो एक ही साथ कई-कई मँच बनाए जा रहे हैं.6 से 10 मँचों पर अलग-अलग दृश्यों की प्रस्तुति से कहानी में एक तेज़ी और निरंतरता बनी रहती है.
दृश्य बदलने के लिये न तो पहले की तरह अँधेरा करना होता है और न ही पर्दा गिराना होता है.

मेरा पहाड़ / Mera Pahad:
रामलीलाएँ अब पेशेवर भी होती जा रही हैं. भव्य और आधुनिक होने के साथ ही साथ कई रामलीलाओं में स्थानीय कलाकारों की जगह भी अब पेशेवर कलाकार लेने लगे हैं.
राम-सीता और रावण जैसे प्रमुख चरित्रों को निभाने के लिये स्थापित कलाकारों को अच्छी कीमत देकर बुलाया जाता है.

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