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Vat Savitri - वट सावित्री व्रत

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Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Thanks Mahar ji for this info. I think Vat Savitri Vrat is mainly observed in Almora City and near by areas.

हेम पन्त:
हमारे यहां पिथौरागढ में भी महिलायें बट-सावित्री का व्रत रखती हैं. पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को पङोस की औरते सामुहिक रूप से पूजा करने के बाद व्रत की समाप्ति होती है.

हेम पन्त:
फेसबुक के "पहाड़ी क्लासेस" पेज पर स्विट्जरलैण्ड से कंचन तिवारी पाण्डे जी ने यह जानकारी शेयर की है-

अग्नि पुराण और पदम् पुराण में ये विदित है की आज के दिन माँ गंगा धरती पे अवतरित हुई थी | आज ही के दिन ऋषि भागीरथ गंगा को धरती पे ला पाए थे , अपने पितरों की आत्मा मुक्त करवाने के लिए | आज के दिन लोग गंगा में स्नान करते है या गंगा जल छिड़कते है ताकि माँ गंगा हमे हमारे पापों से मुक्त करे |

वट सावित्री के दिन वट वृक्ष की पूजा इसलिए होती है क्योंकि सावित्री के पति ने अपनी जीवन के अंतिम क्षण वट वृक्ष के नीचे ही व्यतीत किये, इसी वृक्ष के नीच उसको यमराज से (अपनी पत्नी सावित्री की वजह से) नया जीवन दान मिला | आज के दिन सुहागिन औरतें वट वृक्ष की पूजा करती है और रक्षा तागे से पेड़ के १०८ चक्कर लगा कर अपने पति की लम्बी एवं खुशहाल ज़िन्दगी की कामना करती है |

Risky Pathak:
Today is Vat Sawitri Amawasyaa.

Risky Pathak:
From Amar ujala dated 21st May 2012

दीर्घायु के लिए रखा व्रत
लोहाघाट/टनकपुर/पिथौरागढ़/थल। वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिन महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर पुरोहितों ने वट सावित्री व्रत कथा भी सुनाई। कथा के अनुसार अश्वपति नाम के वैभवशाली राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए सावित्री की आराधना की। राजा की आस्था से प्रसन्न होकर स्वयं सावित्री जी ने उनके यहां कन्या के रूप में जन्म लिया।
विवाह योग्य होने पर सावित्री ने अपने ही समान गुणवान सत्यवान को अपने पति के रूप में चुना। कथा के अनुसार नारद जी द्वारा इस गुणवान युवक के अल्पायु होने की बात कहे जाने पर राजा अश्वपति चिंतित हो गए थे, लेकिन सावित्री ने अपने संकल्प को दोहराते हुए सत्यवान से ही विवाह करने का निर्णय लिया। बाद में सावित्री ने ही अपने तप और पतिव्रता धर्म के बल पर वह यमराज को भी प्रभावित कर अपने पति को दीर्घायु प्राप्त कराने में सफल हो गई। सुहागिनों ने आज परंपरागत परिधान में सजधजकर अपने दीर्घ सुहाग की कामना के साथ पूजा-अर्चना की।
कनिष्ठ प्रमुख सुशीला बोहरा के आवास में पं. प्रकाश पुनेठा ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना कराई और कथा का वाचन किया। महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए उपवास भी रखा।
ग्रामीण अंचलों में भी यह पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया गया।
उधर, टनकपुर में वट सावित्री अमावस्या पर रविवार को महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु तथा अखंड सौभाग्य की कामना की।
वट वृक्ष की पूजा के लिए सुबह से ही सुहागिन महिलाओं का वट वृक्षों पर तांता लगा रहा। उन्होंने विधिविधान से वट वृक्ष का पूजन किया।
उधर, पिथौरागढ़ जिले में वट-सावित्री का पूजन पूरे उत्साह से मनाया गया। बड़ी तादाद में महिलाओं ने मंदिर में मत्था टेक अखंड सुहाग और पति के दीर्घ जीवन की कामना की।
सुबह से ही नगर के तमाम मंदिरों में पति की मंगल कामना के लिए वट (बरगद) के वृक्ष का पूजन किया गया। बताया कि सावित्री ने अपने सतीत्व और त्याग से यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवन वापस मांगा था।
उधर थल में भी मंदिरों में महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। यहां पंडित रमेश चंद्र लोहनी ने पूजा-अचर्ना कराई। गंगोलीहाट, बेरीनाग, नाचनी, मुनस्यारी, डीडीहाट समेत तमाम इलाकों में पूजा की गई।

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