Author Topic: What Changes Have Occured In Our Culture? - क्या बदलाव आया है हमारी संस्कृति मे?  (Read 12761 times)

पंकज सिंह महर

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हमारी भाषा में भी काफी बदलाव आ रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि गढवाली-कुमाऊनी बोली का प्रचलन आम लोगों के बीच कम होता जा रहा है. इसके साथ ही हिन्दी अंग्रेजी के शब्दों का बोली में समावेश हुआ है और कुछ पुराने शब्द अब प्रयोग से हट गये हैं....
बिल्कुल सही, हेम दा.....
अभिवादन का तरीका भी बदल रहा है, पहले उम्र या रिश्ते के अनुसार अभिवादन किया जाता था, पैलाग  का उत्तर ठाकुर लोग पैलाग से कहते थे और पंडित लोग पैलाग का उत्तर आशीर्वाद हो महाराज कह कर देते थे, लेकिन आज तो लोग सीधे मुह ही बात नहीं करते हैं........अभिवादन के बाद लोग पूछते थे, "नान्तिन भल छनी? ठुल च्योलो कां छू? चेली की कुशल-वाद की छः" आदि फिर "धिनाली-पानी कि छू" उसके बाद गांव की आदली-कुशली पूछी जाती थी, लेकिन अब सब खत्म हो गया.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हमारी संस्कृति मे एक अचानक बदलाव यह आया है कि लोग एक दिवशीय शादी को महत्व दे रहे है.

In gone days, marriages used to be conduced mostly in two days.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Biradari. (Fratinity) has badly affected in our society now-a-days. People can be seen drunked any fuction and nobody wants to help anyone.

Rajen

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माना कि परिवर्तन कुदरत का नियम है किन्तु जिस तेजी से हमारी संस्कॄति में बदलाव आ रहा है वह वास्तव में बिस्मित कर देने वाला है।  एक वर्ष के अन्तराल पर जब गांव जाता हूं तो देखता हूं कि वहां न केवल बच्चों व नवयुवकों के बल्कि बडे-बूढों के आचार बिचार व ब्यवहार में भी काफ़ी बरिवर्तन आचुका है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rajen JI,

The changes are really drastic. It really gives us pain when a lot of old cutlural values are disappearing.



माना कि परिवर्तन कुदरत का नियम है किन्तु जिस तेजी से हमारी संस्कॄति में बदलाव आ रहा है वह वास्तव में बिस्मित कर देने वाला है।  एक वर्ष के अन्तराल पर जब गांव जाता हूं तो देखता हूं कि वहां न केवल बच्चों व नवयुवकों के बल्कि बडे-बूढों के आचार बिचार व ब्यवहार में भी काफ़ी बरिवर्तन आचुका है।

Risky Pathak

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बहुत दुःख का विषय है  कि थोड़े से समय के अंतराल मे हमारी संस्कृति मे बहुत बदलाव आ गया है|
आज बाहर गया हर व्यक्ति अपने को गाँव के लोगो से कुछ ऊपर समझने लगा है| वो ये भूल गया है कि जो रक्त उसके अन्दर है     
वो उसको उसी गाँव कि मिट्टी ने दिया है|
आदर व भाई चारा नाम कि कोई चीज़ नही रह गयी है| पहले वर्ष मे १ बार अपने इष्ट-देवता को पूजने कि जो विधि थी वो भी अब गायब सी हो गयी है|
गाँव अब सूना सूना सा हो गया है| अभिवादन का तरीका महर जी ने जैसे बताया अब वो ना के बराबर है| यज्ञो-पवीत (जनेयु ) संस्कार अब लोग करते ही नही है| या फ़िर औपचारिकता हेतु  विवाह से कुछ समय पहले करते है और विवाह के बाद उतार कर रख देते है|
खाने के बारे मे जैसा मेहता जी ने बताया, पहले रिसया होती थी.... १ वस्त्र मे पहनकर खाने का  प्रचलन होता था| वो गायब हो गया है|

Risky Pathak

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Ye dekho Aise hota thaa mehilaao ka bhojan

Risky Pathak

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Puruso ka Bhojan 1 vastra Mein.... Dhoti Mein...



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This the photo of Jagar being performed. Now-a-days, new generation hardly belive on such things.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Cultural dress has almost disappeared now. Hardly any women wear Ghaghara and other cultural ornaments.

 

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